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बच्चों का शारीरिक विकास जितना अहमियत रखता है, उतना ही जरूरी होता है उनका मानसिक रूप से विकसित होना। अब इसके लिए स्वस्थ्य खान-पान और स्कूल में पढ़ाया जाने वाला किताबी ज्ञान ही काफी नहीं है। बच्चों को मानसिक रूप से समृद्ध करने के लिए यौन शिक्षा को दिया जाना भी जरूरी है। खासकर आज के समय में यह और भी जरूरी हो गया है, ताकि बच्चे उम्र के साथ होने वाले शारीरिक परिवर्तनों को बेहतर तरीके से समझ सकें। साथ ही यौन क्रिया और उससे जुड़े नुकसान से भी अवगत हों। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम मॉमजंक्शन के इस लेख के माध्यम से यौन शिक्षा के महत्त्व को समझाने का प्रयास कर रहे हैं।
आइए, सबसे पहले हम यौन शिक्षा क्या है, थोड़ा इस बारे में जान लें।
यौन शिक्षा क्या है? | Sex Education In Children In Hindi
आज भी कई लोग सेक्स का नाम सुनते ही शर्म से आंखें झुका लेते हैं या फिर इस बारे में अपने बच्चों से बात करने में हिचकिचाते हैं। फिर भी यह समझना जरूरी है कि जिस प्रकार हर बच्चे को मूलभूत शिक्षा दी जाती है। ठीक उसी तरह बच्चों को यौन शिक्षा देना भी जरूरी है। अगर आप उसने इस बारे में बात नहीं करेंगे या उन्हें इस विषय से अवगत नहीं कराएंगे, तो बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से अन्य माध्यमों, जैसे मीडिया या इंटरनेट के जरिए गलत और भ्रामक जानकारी हासिल करेंगे। यह जानकारी उनके आने वाले भविष्य को गलत दिशा में ले जा सकती है। इसलिए, बच्चों को उनकी उम्र व मानसिक समझ के हिसाब से यौन क्रिया और यौन अंगों की क्रियाशैली व महत्त्व को समझाना ही यौन शिक्षा है। यह बच्चों के बेहतर विकास और भविष्य के लिए जरूरी है (1)। वैसे भी जिस तरह से अब बच्चे यौन हिंसा का शिकार हो रहे हैं, उसे देखते हुए यह और भी जरूरी हो जाता है।
आइए, अब हम जान लेते हैं कि आखिर बच्चों के लिए यौन शिक्षा क्यों जरूरी है।
बच्चों के लिए यौन शिक्षा क्यों जरूरी है? | Bachoo Mein Yon Shiksha Ki Avashyakta Kyon Hai
बच्चों के लिए यौन शिक्षा क्यों जरूरी है, इस बात को हम नीचे दिए गए कुछ बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझ सकते हैं (1) (2) (3)।
- यौन शिक्षा के माध्यम से बच्चों को अपने जननांग अंगों की कार्य क्षमता और महत्व के बारे में जानकारी हासिल होती है।
- साथ ही इसके मध्यम से बच्चों में बेहतर शारीरिक संबंध के प्रति समझ पैदा होती है, जिससे वो गलत दिशा में कदम बढ़ाने से बच सकते हैं।
- यौन शिक्षा से बच्चों में इस बात की भी समझ पैदा होती है कि यौन क्रिया में भागीदारी की सही उम्र क्या है और सही उम्र से पहले इस क्रिया में भागीदारी कितनी नुकसानदेह साबित हो सकती है।
- यह शिक्षा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि इसके माध्यम से बच्चों को यौन क्रिया के कारण होने वाली एचआईवी जैसी कई गंभीर बीमारियों के जोखिम के बारे में भी पता चलता है।
- यौन शिक्षा में भाग लेने वाले बच्चों में यौन क्रिया के प्रति जागरूकता पैदा होती है, जिससे उनमें असुरक्षित यौन क्रिया के प्रति रुझान कम होने की संभावना भी बढ़ सकती है।
लेख के अगले भाग में हम यौन शिक्षा के फायदे समझने का प्रयास करेंगे।
बच्चों के लिए यौन शिक्षा के फायदे | Yon Shiksha Ka Mahatva
अब हम उम्रवार यौन शिक्षा के फायदे समझ लेते हैं, ताकि बच्चों की उम्र के हिसाब से इसकी उपयोगिता को बेहतर ढंग से समझा जा सके।
- 2-5 साल के बच्चों के लिए : 2 से 5 साल की उम्र के बच्चे नासमझ होते हैं। उन्हें लोगों की बुरी नियत का अंदाजा नहीं होता। यही वजह है कि विकृत मानसिकता के लोग इस उम्र के बच्चों का यौन शोषण आसानी से कर पाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि इस उम्र के बच्चों को गुड और बैड टच के बारे में जरूर समझाया जाए (4)। यह भी यौन शिक्षा का ही अभिन्न अंग माना जाता है। इस जानकारी की मदद से बच्चे बुरे लोगों को खुद के नजदीक आने से रोक पाएंगे और अच्छे लोगों को लेकर भी उनमें एक समझ पैदा होगी।
- 5-8 साल के बच्चों के लिए : इस उम्र के बच्चे काफी हद तक मानसिक रूप से विकसित हो चुके होते हैं। ऐसे में वह आपकी बातों पर ठीक से ध्यान दे सकते हैं और आपके द्वारा बताई जाने वाली बातों को समझ भी सकते हैं (5) (6)। इसलिए, इस उम्र के बच्चों को समझाना आसान हो सकता है। इस दौरान बच्चों को दी जाने वाली यौन शिक्षा के संबंध में जो कुछ भी आप उन्हें बताना चाहेंगे, उसे वह गंभीरता से सुनेंगे भी और समझेंगे भी।
इसलिए इस उम्र के बच्चों को आप बेहतर ढंग से यौन अंगों के महत्त्व और उनकी क्रिया शैली को समझा सकते हैं, जो यौन शिक्षा का अहम हिस्सा है। इससे फायदा यह होगा कि बच्चे यौन क्रिया से जुड़े किसी भी विषय पर आपसे बात करने में हिचकिचाएंगे नहीं और मन में उठने वाले यौन क्रिया से जुड़े सभी सवाल आपके सामने रखेंगे। ऐसा होने पर आप उनकी उम्र के हिसाब से उन्हें सही मार्गदर्शन दे पाएंगे। साथ ही आपको ध्यान रखना होगा कि आपके द्वारा दी जाने वाली जानकारी सही हो न कि मनगढ़ंत या काल्पनिक। आपको अपने समझाने के अंदाज और समझाते वक्त अपनाई जाने वाली शारीरिक क्रिया का भी विशेष ध्यान रखना होगा (1)।
- 9-12 साल की उम्र के बच्चों के लिए : इस उम्र के बच्चे काफी हद तक सामाजिक और व्यवहारिक बातों को समझने लगते हैं और भावनात्मक ढंग से लोगों के साथ जुड़ना सीख जाते हैं (7)। इसलिए, इस उम्र के बच्चों से आप यौन क्रिया और यौन शिक्षा के मुद्दों पर खुलकर बात कर सकते हैं। आप उन्हें समझा सकते हैं कि यौन क्रिया के प्रभाव और परिणाम क्या हो सकते हैं। पीरियड्स के बाद गर्भधारण, यौन रोग की समस्या व एचआईवी जैसे मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं (8)।
इससे आप अपने बच्चों के मन में यौन क्रिया को लेकर क्या विचार हैं, इस बारे में समझ सकते हैं। इससे आपको अपने बच्चों के विचारों को बदलने और सुधारने का मौका मिलेगा। आप उन्हें शारीरिक संबंध के महत्त्व और उसकी गंभीरता को भी आसानी से समझा पाएंगे। इस उम्र की लड़कियों को मासिक चक्र से जुड़ी जानकारी से भी अवगत कराया जा सकता है। साथ ही लड़कों को सही यौन क्रिया की उम्र और उसकी गंभीरता से जुड़ी जानकारी दी जा सकती है, ताकि भविष्य में गलत जानकारी के चलते कोई नासमझी भरा कदम न उठाएं।
- 2-19 साल के बच्चों के लिए : यह उम्र का ऐसा पड़ाव होता है, जब हर बच्चे के मन में विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण और उसके बारे में जानने की तीव्र इच्छा होती है (9)। यही जानने की उत्सुकता और तीव्र इच्छा बच्चों को गलत दिशा में ले जा सकती है। इसलिए, उम्र के इस पड़ाव पर बच्चों को सही यौन शिक्षा देना बहुत जरूरी है, ताकि वो यौन क्रिया से जुड़े कुछ अहम पहलुओं को बेहतर तरीके से समझ सकें। इनमें यौन क्रिया की सही उम्र, यौन क्रिया के दौरान सुरक्षा, यौन क्रिया के जोखिम और गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग जैसे विषय शामिल किए जा सकते हैं। साथ ही यौन शिक्षा का फायदा यह भी होगा कि बच्चे खुलकर आपसे यौन क्रिया से जुड़ी बात कर पाएंगे और अपनी शंकाओं के सही निवारण भी हासिल कर पाएंगे (10)।
आगे अब हम बच्चों को यौन शिक्षा देने की सही उम्र के बारे में बताएंगे।
बच्चों को यौन शिक्षा किस उम्र में देनी चाहिए? | Bachoo Ko Sex Ki Jankari Kab Deni Chahiye
जैसा कि लेख में ऊपर बताया गया है कि 2-5 साल की उम्र से बच्चों को यौन शिक्षा देना शुरू कर देना चाहिए। वहीं, बच्चों की उम्र के हिसाब से ही इस बात का निर्धारण करना चाहिए कि बच्चे को कब और किस उम्र में कितनी जानकारी देना उचित है। इस हिसाब से यह प्रक्रिया 2 साल से लेकर बच्चे के 19 साल का होने तक जारी रह सकती है (1) (2)। यह कोई ऐसा विषय नहीं है, जिसे एक दिन में समझाकर खत्म किया जा सके। इसलिए, उम्र के हर पड़ाव के साथ अलग-अलग तरीकों से बच्चों को व्यस्क होने तक बच्चों को यौन शिक्षा देना जारी रखना आवश्यक है। इस बारे में लेख में ऊपर क्रमवार जानकारी दी गई है।
अंत में अब हम बच्चों को यौन शिक्षा कैसे दें और इस बारे में कैसे बात करें, यह जानेंगे।
बच्चों को यौन शिक्षा कैसे दें? | कैसे करें अपने बच्चों से यौन क्रिया की बात?
जैसे कि हम ऊपर बता चुके हैं कि यौन शिक्षा एक दिन का विषय नहीं है। यह 2 साल से लेकर बच्चे के व्यस्क होने तक निरंतर जागरूक करने वाला विषय है। इसलिए, बच्चों को यौन शिक्षा देने के लिए निम्न तरीकों को अपनाकर इस प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकता है, जो इस प्रकार हैं :
● कम उम्र से ही बच्चों के साथ यौन शिक्षा के विषय पर खुलकर बात करें। इससे आपको भी कम हिचकिचाहट होगी और बच्चे भी खुलकर आपसे बात कर सकेंगे।
● रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी बातों में यौन शिक्षा के महत्त्व और बातों को ढूंढें और उन मौकों पर बच्चों से बात करें।
● टीवी पर दिखने वाले विज्ञापन (जैसे : सेनेटरी पैड्स और कंडोम) आने पर बच्चों से उनके बारे में बात करें।
● रोज बच्चों के साथ कुछ समय बिताएं व उनके विचार जानने का प्रयास करें। साथ ही उन्हें समझने की कोशिश भी करें।
● बच्चों के यौन संबंधी सवाल पूछने पर उन्हें बिल्कुल भी हतोत्साहित न करें, बल्कि सहजता से उन सवालों का जवाब दें। अगर किसी सवाल का जवाब आपके पास नहीं हो, तो उसके बारे में जानकारी हासिल करें और फिर बच्चे को उस सवाल का जवाब दें।
● यौन शोषण और समलैंगिकता जैसे नाजुक मुद्दों पर बात करते वक्त बच्चों से बहुत आराम से बात करें और इन मुद्दों को आसन तरीके से बच्चों को समझाने का प्रयास करें।
मुमकिन है कि इस लेख को पढ़ने वाले सभी लोग अब इस बात से सहमत होंगे कि बच्चों के लिए यौन शिक्षा बेहद जरूरी है। केवल इतना ही समझ लेना काफी नहीं है, बल्कि सभी को यह भी ज्ञात होना चाहिए कि किस उम्र में बच्चे को कितनी और किस तरीके से यौन शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। ऐसे में लेख में शामिल जानकारी के माध्यम से इस बात को आप बखूबी समझ सकते हैं और उसे अमल में भी ला सकते हैं। उम्मीद है कि यह लेख आप सभी को पसंद आया होगा। बच्चों से जुड़े ऐसे ही अन्य ज्ञानवर्धक और रोचक विषयों के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।
References
1. The child’s right to sex education By Ncbi
2. Sexuality Education for Children and Adolescents By Ncbi
3. Effect of sex education programme on at-risk sexual behaviour of school-going adolescents in Ilorin, Nigeria By Ncbi
4. Children’s abilities to recognize a “good” person as a potential perpetrator of childhood sexual abuse BY Ncbi
5. Developmental milestones record – 5 years By Medlineplus
6. Middle Childhood (6-8 years of age) By Cdc
7. Middle Childhood (9-11 years of age) By Cdc
8. Talking with Your Teens about Sex: Going Beyond “the Talk” By Cdc
9. Must We Fear Adolescent Sexuality? By Ncbi
10. Adolescent Sexual Health Education: Parents Benefit Too! By Ncbi
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