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कहते हैं बच्चे भगवान का रूप होते हैं। उनके अंदर जितनी मासूमियत भरी होती है, उतनी ही चंचलता भी होती है। इसलिए वो कई तरह की बदमाशी भी करते हैं। कई बार तो उन्हें कुछ ऐसी चीजों के सेवन की आदत लग जाती है, जो उनके लिए नुकसानदायक हो सकती है। उन्हीं आदतों में से एक है- मिट्टी का सेवन। मॉमजंक्शन का हमारा यह लेख इसी विषय पर आधारित है। यहां हम बताएंगे कि बच्चों में मिट्टी खाना कितना सामन्य है। इसके अलावा यहां हम इसके कारणों और इससे बचाव के तरीकों को भी बताएंगे।
तो चलिए सबसे पहले जान लेते हैं, बच्चों में मिट्टी खाने की समस्या कितनी आम है।
क्या बच्चों में मिट्टी खाना आम समस्या है?
हां, बच्चों में मिट्टी खाने (पिका) की समस्या आम है। इस बात की जानकारी एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश एक रिसर्च से मिलती है। इस रिसर्च के मुताबिक, छोटे बच्चों में पिका की समस्या यानी गैर-खाद्य पदार्थों (जैसे:- ईंट, चाक, साबुन, कागज, मिट्टी) का सेवन काफी सामान्य है। यह समस्या मुख्य रूप से 2 से 7 साल की उम्र के बच्चों में देखने को मिल सकती है (1)। इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनके बारे में हम लेख में आगे विस्तार से बताएंगे।
अब हम बच्चों के मिट्टी खाने के लक्षणों के बारे में जानेंगे।
बच्चों के मिट्टी खाने के लक्षण
जिन बच्चों को पिका की समस्या होती है, वो निम्मलिखित चीजों का सेवन कर सकते हैं। इसे बच्चों में मिट्टी खाने के लक्षणों के तौर पर देखा जा सकता है (2):
- पशु का मल
- चिकनी मिट्टी
- गंदगी
- हेयरबॉल
- बर्फ
- रंग
- रेत
वहीं स्थिति गंभीर होने पर बच्चों में कुछ लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं, जो इस प्रकार हैं (2):
- पेट में दर्द होना।
- मतली होना।
- पेट या आंत में रुकावट के कारण सूजन होना।
- थकान लगना।
- व्यवहार संबंधी समस्याएं (जैसे :- बच्चे का चिड़चिड़ा होना)।
- स्कूल की समस्याएं (जैसे अगर बच्चा स्कूल जाता है तो पढ़ाई में ध्यान न लगना)।
- बच्चे को सही पोषण न मिल पाना
लेख के इस भाग में हम जानेंगे कि बच्चों के मिट्टी खाने की वजह क्या होती हैं।
बच्चों के मिट्टी खाने के कारण
बच्चे मुंह में मिट्टी क्यों डालते हैं, फिलहाल इस बात का अभी भी स्पष्ट कारण नहीं चल पाया है। फिर भी कुछ ऐसी स्थितियां हैं, जिन्हें इसके कारण के रूप में देखा जाता है। यह स्थितियां कुछ इस प्रकार हो सकती हैं (3):
- विकास संबंधी समस्याएं – बच्चों के मिट्टी खाने के कारणों में विकास संबंधी समस्याएं हो सकती है। जैसे ऑटिज्म की समस्या या बौद्धिक क्षमता की कमी। दरअसल, ऑटिज्म एक विकास संबंधी विकार है, जो सीखने, समझने और बातचीत करने की क्षमता को बाधित करता है। ऐसे में बच्चों में मिट्टी खाने का एक कारण इसे भी माना जा सकता है।
- मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं– कभी-कभी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के कारण भी बच्चे मिट्टी खा सकते हैं। इन समस्याओं में ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (अत्यधिक विचारों के कारण एक ही चीज को बार-बार दोहराना) या स्किजोफ्रीनिया (व्यवहार, सोचने और महसूस करने की क्षमता में कमी)शामिल हैं।
- कुपोषण या भूख– कभी-कभी बच्चे आयरन या जिंक जैसे पोषक तत्वों की कमी के कारण भी मिट्टी का सेवन कर सकते हैं। ऐसे में कुपोषण की समस्या को भी इसके पीछे का एक कारण माना जा सकता है। वहीं इसके विपरीत भोजन न मिलने की स्थिति में बच्चे पेट भरने के लिए मिट्टी जैसी चीजों का सेवन कर सकते हैं।
- तनाव के कारण– मिट्टी खाने की आदत के पीछे का एक कारण बच्चों में तनाव को भी माना जा सकता है। दरअसल, अक्सर गरीबी में रहने वाले बच्चों में मिट्टी खाने की आदत देखी गई है, जो अन्य बच्चों के मुकाबले अधिक तनाव में रहते हैं।
आगे अब हम बच्चों में मिट्टी खाने के साइड इफेक्ट और उससे होने वाली बीमारियों के बारे में बताएंगे।
बच्चों में मिट्टी खाने के नुकसान व होने वाली बीमारियां
बच्चों का मिट्टी खाना उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है। इस वजह से उन्हें कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यहां हम उन्ही परेशानियों का जिक्र कर रहे हैं (3) (4) :
- पेट में कीड़े – मिट्टी में कई प्रकार के परजीवी रहते हैं। अगर बच्चे मिट्टी का सेवन करते हैं, तो उनके मुंह के जरिए ये परजीवी उनके पेट तक पहुंच सकते हैं। इस कारण मिट्टी खाने वाले बच्चों में पेट में कीड़े होने की संभावना बनी रहती है।
- कुपोषण– बच्चों में मिट्टी खाने के कारण होने वाली बिमारियों में आयरन की कमी से होने वाली एनीमिया की समस्या भी शामिल है। दरअसल, जिन बच्चों को मिट्टी खाने की इच्छा होती है, उनके शरीर में आयरन की कमी हो सकती है। ऐसे में बच्चे एनीमिया से ग्रसित हो सकते हैं।
- मुंह या दांतों में समस्या – मिट्टी का सेवन करने के कारण मुंह के साथ-साथ बच्चों के दांतों को भी नुकसान पहुंच सकता है। यही नहीं, इस कारण उन्हें मसूड़ों की समस्या और टूथ इनेमल (दांतों की ऊपरी परत) के झड़ने की समस्या भी हो सकती है।
- आंतो में संक्रमण – मिट्टी के सेवन से आंतो में भी संक्रमण का खतरा हो सकता है। दरअसल, मिट्टी में कई तरह के परजीवी या कीड़े मौजूद हो सकते है। यह कीड़े मुंह के जरीए बच्चों के पेट में जा सकते हैं। ऐसे में कीड़ों के कारण आंतों में संक्रमण होने का जोखिम भी बढ़ जाता है।
- आंतो में रुकावट – मिट्टी खाने से आंतों में रुकावट भी हो सकती है। दरअसल, मनुष्य का पाचन तंत्र मिट्टी को नहीं पचा सकता है, जिससे वहीं फंस सकती है और इस कारण पाचन क्रिया प्रभावित हो सकती है।
- विषाक्तता– मिट्टी खाने के कारण बच्चों में विषाक्तता होने की आशंका भी बनी रहती है। खासकर उन बच्चों में जो शहर में रहते हैं। कारण यह हैं कि शहरी मिट्टी में लेड यानी सीसा जैसे विषैले तत्व होने की आशंका अधिक रहती है। यह लेड जब मिट्टी के माध्यम से बच्चों के पेट में जाता है तो यह बच्चों में विषाक्तता का कारण बन सकता है।
लेख के अगले भाग में अब हम बच्चों में मिट्टी खाने की आदत को छुड़ाने के कुछ उपाय बताने जा रहे हैं।
बच्चों को मिट्टी खाने से कैसे बचाये?
यहां हम कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं, जो बच्चों में मिट्टी खाने की आदत को छुड़ाने में कारगर साबित हो सकते हैं। यह उपाय कुछ इस प्रकार हैं (5) (1) (2) :
- डॉक्टर से सलाह लें – बच्चे में अगर मिट्टी खाने की आदत है, तो डॉक्टरी परामर्श जरूर लें। ऐसा इसलिए क्योंकि, डॉक्टर सबसे पहले इस बात का पता लगाएगा कि बच्चे के शरीर में कौने से पोषक तत्व की कमी है, जिस वजह से वह मिट्टी का सेवन कर रहा है। जांच के माध्यम से ही इस बात का पता लगाया जा सकता है कि बच्चे में मिट्टी खाने की आदत शरीर में आयरन या जिंक की कमी के कारण तो नहीं है। इसके लिए डॉक्टर एनिमिया संबंधी टेस्ट की सलाह भी दे सकता है। अगर एक बार मिट्टी खाने का कारण पता चल जाता है तो उसे ठीक कर मिट्टी खाने की आदत से बचाव किया जा सकता है।
- बच्चों के व्यवहार पर नजर बनाए रखें – मिट्टी खाने की आदत से बचाव के लिए बच्चों की आदतों पर नजर बनाए रखें। यह पता लागाएं कि किस समय में उसे मिट्टी खाने का मन करता है। एक बार समय का पता चल जाएगा तो उस हिसाब से बच्चे को मिट्टी से दूर रखने में मदद मिल सकती है।
- माइल्ड एवर्जन थेरेपी का उपयोग – जब भी बच्चे को मिट्टी खाने की इच्छा हो रही हो तो माइल्ड एवर्जन थेरेपी का प्रयोग करें । दरअसल, यह एक मनोवैज्ञानिक ट्रीटमेंट है। इसके माध्यम से रोगी के ध्यान को भटकाने का प्रयास किया जाता है। ऐसे में जिस समय बच्चे को मिट्टी खाने का मन हो रहा हो, उस समय उसे दूसरे कामों में उलझाएं। ऐसा करने से उसका ध्यान मिट्टी की तरफ नहीं जाएगा।
- पसंदीदा भोजन खिलाएं – बच्चे मिट्टी न खाएं, इसके लिए उनके पसंदीदा भोजन की भी मदद ले सकते है। दरअसल, जब भी बच्चा मिट्टी खाने की जिद्द करे तो उसे उसका फेवरेट भोजन खिलाएं। इससे वह मिट्टी खाना भूल जाएगा और अपने मनचाहे भोजन को खुशी से खाएगा।
- सामान्य भोजन के लिए पुरस्कृत करें – जैसा कि हमने बताया कि बच्चों में मिट्टी खाने की आदत एक मानसिक समस्या भी हो सकती है। ऐसे में बच्चों में मिट्टी खाने की आदत छुड़ाने के लिए पुरस्कार की मदद ली जा सकती है। बच्चा जब भी सामान्य भोजन खाए तो उसे इनाम दें। इससे धीरे-धीरे बच्चे में मिट्टी खाने की आदत दूर हो सकती है।
बचाव के बाद इस समस्या की दवा और मेडिकल ट्रीटमेंट को भी जान लीजिए।
बच्चों की मिट्टी छुड़ाने की दवा व इलाज
बच्चों की मिट्टी खाने की आदत को छुड़ाने के लिए कोई खास मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं है (6)। हालांकि, माता-पिता, डॉक्टर के साथ मिलकर बच्चों की मिट्टी खाने की आदत को छुड़ा सकते हैं। इसके लिए इलाज के तौर पर निम्न बातों को अपनाने का सुझाव दिया जा सकता है (2) (3) (7)।
- पोषक तत्वों की कमी की स्थिति में बच्चों को पोषक तत्वों से युक्त आहार लेने की सलाह दी जा सकती है।
- बच्चों को व्यवहार, पर्यावरण और पारिवारिक शिक्षा देने संबंधी सुझाव दिया जा सकता है।
- अगर कोई बच्चा विकास संबंधी विकार जैसे बौद्धिक अक्षमता से ग्रसित है, तो इसके लिए डॉक्टर कुछ विशेष दवाएं लेने की सलाह दे सकते हैं।
- इसके अलावा डाक्टर की सलाह पर बच्चों को आयरन और जिंक सप्लिमेंट्स भी दिए जा सकते हैं।
लेख के अंत में हम मिट्टी खाने की आदत को छुड़ाने के लिए कुछ घरेलू नुस्खे बता रहे हैं।
बच्चों के मिट्टी खाने की आदत छुड़ाने के घरेलू उपाय
यहां हम कुछ ऐसे घरेलू नुस्खे को बता रहे हैं, जिनकी मदद से बच्चों को मिट्टी खाने से बचाने में मदद मिल सकती है। यह उपाय कुछ इस प्रकार हैं :
1. केला और शहद
सामग्री :
- दो पके हुए केले
- एक चम्मच शहद
उपयोग करने का तरीका :
- सबसे पहले केले को अच्छे से मैश कर लें।
- अब उसमें शहद डाल कर उसे अच्छे से मिला लें।
- फिर इसका सेवन बच्चों को कराएं।
कैसे है फायदेमंद :
बच्चों की मिट्टी खाने की आदत छुड़ाने के लिए उन्हें केले और शहद का सेवन करा सकते हैं। बता दें कि केला फाइबर से समृद्ध होता है (8)। वहीं एक रिसर्च के मुताबिक फाइबर का सेवन पेट को भरा रखता है (9)। इससे बच्चे को अधिक भूख नहीं लगेगी और बच्चे का ध्यान मिट्टी खाने की ओर नहीं जाएगा। वहीं, शहद में एंटी बैक्टेरियल प्रभाव मौजूद होता है, जो हानिकारक बैक्टीरिया से रक्षा करने में मदद कर सकता है (10)।
2. लौंग
सामग्री :
- एक चुटकी चम्मच पिसी हुई लौंग
- आधा कप पानी
उपयोग करने का तरीका :
- पीसी हुई लौंग को पानी में डालकर सबसे पहले उबाल लें।
- अब एक चम्मच तैयार इस लौंग के पानी को बच्चे को दिन में एक बार पिलाएं।
कैसे है फायदेमंद :
बच्चों में मिट्टी खाने की आदत को रोकने के लिए लौंग का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। दरअसल, लौंग नें तनाव को कम करने वाले गुण के साथ-साथ बैक्टीरिया से बचाने वाले गुण भी मौजूद होते हैं (11) (12)। वहीं लेख में हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि बच्चों में मिट्टी खाने का एक कारण तनाव भी हो सकता है (3)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि लौंग का इस्तेमाल बच्चों को इस समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।
3. आजवाइन
सामग्री :
- आधा चम्मच आजवाइन
उपयोग करने का तरीका :
- आजवाइन का चुर्ण बना लें और उसे बच्चे को खिलाएं।
- अगर चाहें तो बच्चे को आजवाइन का पानी भी पिला सकते हैं।
कैसे है फायदेमंद :
आजवाइन का उपयोग भी बच्चों में मिट्टी खाने की आदत को छुड़ाने में कारगर साबित हो सकता है। बता दें कि अजवाइन में एंटी पैरासिटिक प्रभाव मौजूद होता है, जो परजीवियों से बच्चों की रक्षा कर सकता है। साथ ही इसमें भूख को बढ़ावा देने का गुण भी मौजूद होता है (13)। ऐसे में आजवाइन का सेवन कराने से बच्चों को परजीवों के कारण होने वाली समस्याओं से बचाया जा सकता है। वहीं यह भूख को बढ़ावा देकर बच्चों को पोषक आहार खाने के प्रति प्रेरित भी कर सकती है। इससे बच्चे में मिट्टी खाने की आदत को कम करने में भी मदद मिल सकती है।
4. आम की गुठली का चूर्ण
सामग्री :
- आधा चम्मच आम की गुठली का चूर्ण
- एक गिलास गुनगुना पानी
उपयोग करने का तरीका :
- एक गिलास गुनगुने पानी में आम की गुठली का चूर्ण मिलाकर बच्चे को पिलाएं।
कैसे है फायदेमंद :
लेख में आपको पहले ही बताया जा चुका है कि मिट्टी में कई तरह के परजीवी भी मौजूद होते हैं। ऐसे में मिट्टी खाने के कारण बच्चों के पेट में कीड़े होने का जोखिम अधिक रहता है। वहीं इन कीड़ों के कारण बच्चों में पोषक तत्वों की कमी भी देखी जा सकती है (14)। ऐसे में आम की गुठली का चूर्ण लाभकारी हो सकता है। दरअसल, आम की गुठली से जुड़े शोध से जानकारी मिलती है कि आम की गुठली में एंटी पैरासिटिक (परजीवियों को नष्ट करने वाला) प्रभाव मौजूद होता है (15)। यह प्रभाव मिट्टी खाने के कारण होने वाले पेट के कीड़ों को कम करने के साथ ही बच्चों में कीड़ों के कारण होने वाली पोषक तत्वों की कमी के जोखिम से भी राहत दिला सकता है। ऐसे आम की गुठली के चूर्ण को भी बच्चों में मिट्टी खाने की आदत को छुड़ाने का एक बेहतर विकल्प माना जा सकता है।
जैसा कि हमने लेख में बताया कि बच्चों में मिट्टी खाने की समस्या सामन्य है। इसका समाधान आसानी से निकाला जा सकता है। इसके लिए जरूरत है तो बस थोड़ी सी जागरूकता की। इसके अलावा लेख में बताए गए घरेलू उपायों की मदद से भी बच्चों को मिट्टी खाने से रोका जा सकता है। वहीं इन उपायों को अपनाने के बाद भी बच्चा अगर इन आदत को नहीं छोड़ता है, तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें। आशा करते हैं कि हमारा यह लेख बच्चों में मिट्टी खाने की आदत को छुड़ाने और उसके कारण होने वाले जोखिमों को दूर रखने में सहायक साबित होगा। बच्चों से जुड़ी ऐसी ही अन्य जानकारी हासिल करने के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।
References
1. Eating everything except food (PICA): A rare case report and review – By NCBI
2. Pica – By MedlinePlus
3. Pica – KidsHealth
4. Understanding Pica Behavior – By Researchgate
5. Pica – By NCBI
6. Pica – By NCBI
7. Understanding Pica Behavior: A Review for Clinical and Education Professionals – By Barry Carpenter Education
8. Banana – By Food Central Data
9. Fiber – By Medlineplus
10. Evidence for Clinical Use of Honey in Wound Healing as an Anti-bacterial, Anti-inflammatory Antioxidant and Antiviral Agent: A Review – By NCBI
11. Clove (Syzygium aromaticum): a precious spice – By NCBI
12. Anti-stress activity of hydro-alcoholic extract of Eugenia caryophyllus buds (clove) – By NCBI
13. Carum copticum L.: A Herbal Medicine with Various Pharmacological Effects – By NCBI
14. Association of geophagia with Ascaris, Trichuris and hookworm transmission in Zanzibar, Tanzania – By NCBI
15 .Comparison of the Effect of Metronidazole, Tinidazole, Mango and Blueberry Extracts on Trichomonas vaginalis in Vitro – By Academia
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