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जिस प्रकार नदी के दो किनारे उसे सहारा देते हैं, ताकि नदी अपनी मंजिल तक का सफर आसानी से कर सके, ठीक उसी प्रकार अनुशासन मनुष्य को जीवन में आगे बढ़ने में मदद करता है। देखा जाए, तो बिना अनुशासन के जीवन व्यर्थ है, इसके बिना कोई भी अच्छा काम पूरा नहीं किया जा सकता है। इसलिए, बच्चों को शुरू से ही अनुशासन का पाठ पढ़ाना जरूरी है। खासकर, माता-पिता के लिए यह एक गंभीर विषय है। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम उम्र के आधार पर बच्चों को अनुशासन सिखाने के 15 तरीके बता रहे हैं। पूरी जानकारी के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

सबसे पहले हम बच्चों में अनुशासन का महत्व समझेंगे।

बच्चें के लिए अनुशासन का क्या महत्व है?

बच्चों को एक आदर्श और समाज के लिए अनुकूल इंसान बनाने के लिए उन्हें बचपन से ही अनुशासन सिखाना जरूरी है। एक अनुशासित व्यक्ति जीवन में अपने होने का महत्व समझता है और व्यर्थ की चीजों को अपने से दूर रखता है। बचपन से ही अगर बच्चों को अनुशासित रखा जाए, तो वो अपने जीवन में उन्नति कर सकते हैं और हर कठिन कामों को करने की हिम्मत जुटा सकते हैं।

वहीं, बच्चों को ज्यादा ढील दी जाए और ज्यादा लाड़ प्यार किया जाए, तो वो बिगड़ सकते हैं और अपने भविष्य को खराब कर सकते हैं। इसलिए, उन्हें अनुशासन सिखाना जरूरी है। अनुशासन बच्चों के व्यक्तित्व और जीवन को आकार देने के साथ ही उनके चरित्र को भी संवारने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, बच्चों के जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व होता है।

लेख में आगे हम बता रहे हैं बच्चों को अनुशासन सिखाने के आसान और कारगर तरीके।

बच्चों को अनुशासन सिखाने के 15 तरीके | Child discipline in hindi

अलग अलग उम्र के बच्चों को अनुशासन सिखाने के तरीके भी अलग अलग होते हैं, यहां हम उन्हीं विभिन्न तरीकों के बारे अलग-अलग उम्र के हिसाब से बता रहे हैं। पढ़ें आगे :

3 से लेकर 5 साल तक के बच्चों को अनुशासन सिखाने के उपाय

छोटे बच्चों को अनुशासन के ढांचे में ढालना थोड़ा मुश्किल भरा काम हो सकता है, क्योंकि इस समय बच्चों के सीखने और समझने की क्षमता सही तरह से विकसित नहीं होती है, लेकिन फिर भी कुछ प्रयासों से उन्हें अनुशासन सिखाया जा सकता है। यहां हम छोटे बच्चों को अनुशासन सिखाने के आसान तरीकों के बारे में बता रहे हैं :

1. सकारात्मक अनुशासन : छोटे बच्चों को सबसे पहले उन नियमों की ओर ले जाना चाहिए जो उनके लिए सबसे ज्यादा जरूरी होते हैं। उनमें सबसे पहला है सकारात्मक अनुशासन। बच्चों को यह अनुशासन सिखाते समय इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे उन कार्यों की ओर आगे बढ़ना सिखाएं, जो उनके भले के लिए हों जैसे कि बड़ों से किस प्रकार बात करना चाहिए, आपस में किस प्रकार से एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए और लोगों के सामने घर पर किस प्रकार से रहना चाहिए। वहीं, उन बातों से दूर रहना सिखाएं, जो उनके भविष्य को गर्त में ले जाएं जैसे कि आपस में कभी लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए और न ही कभी किसी बात पर जिद और गुस्सा करना चाहिए।

2. बच्चों को सही राह दिखाएं : बच्चे सोचने और समझने की दृष्टि से बहुत छोटे होते हैं। उन्हें इस बात की जानकारी नहीं होती है कि क्या गलत है और क्या सही। उन्हें सही राह दिखाने के लिए सबसे पहले उन्हें यह सिखाएं कि नए लोगों या मेहमानों से किस प्रकार शिष्टाचार और तहजीब से बात करनी है। साथ ही घर में रहते हुए उन्हें किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इस दौरान उन्हें आसान निर्देश दें, जो वे समझ सकें और उनका अनुसरण कर सकें।

3. अनुशासन का पालन कराने के लिए इनाम : छोटे बच्चों को अनुशासन का पालन करने के लिए आप उन्हें पुरस्कार भी दे सकते हैं। लालच से ही सही वो इस प्रकार से नियम में रहना सीख जाएंगे। इसके अलावा यह अनुशासन सिखाने के लिए इनाम देना सबसे अच्छा तरीका हो सकता है। जरूरी नहीं कि पुरस्कार में आप उन्हें कोई वस्तु या पैसे दें, उनकी तारीफ करना भी किसी पुरस्कार से कम नहीं होता है। उदाहरण के लिए, यदि बच्चे किसी की मदद करते हैं, तो उन्हें शाबासी दें, इससे उनके मन में एक खुशी की भावना पैदा होता है।

4. शांत तरीके से अनुशासित करें : छोटे बच्चे अक्सर जिद्दी होते हैं, उन्हें अनुशासित करना आसान नहीं होता। जिद्दी बच्चों को डांटकर या गुस्से से समझाना उन्हें और जिद्दी बना सकता है। उन्हें अनुशासित करने के लिए उन्हें शांत तरीके से समझाने की कोशिश करें। साथ ही उनकी बातों को आराम से सुनें और उसे समझते हुए उन्हें समझाएं। साथ ही उन्हें इस बात के बारे में भी जागरूक करें कि उन्हें ऐसी चीजों की जिद नहीं करनी चाहिए, जो उनके लिए ठीक नहीं है। उन्हें प्यार से समझाएं कि अगर तुम किसी से गलत तरीके से बात करोगे, तो कोई तुम्हें पसंद नहीं करेगा।

आगे जानें 6-8 साल के बच्चों को अनुशासन सिखाने के तरीके।

6 से 8 साल के बच्चों को अनुशासित करने के तरीके

इस उम्र में बच्चे माता पिता का अनुसरण करते हैं और वो वही करते हैं, जो अपने माता पिता को करते हुए देखते हैं। इसके साथ ही अनुशासन की सख्ती से पालन कराना उनके व्यवहार को बिगाड़ सकता है। इसलिए, यदि आप अच्छे व्यवहार से उन्हें समझाने की कोशिश करें और ध्यान दें कि उस अनुशासन का पालन आप स्वयं करते हैं या नहीं, तो बच्चे को अनुशासित किया जा सकता है। नीचे पढ़ें कुछ कारगर तरीके :

5. नियम और सीमाएं निर्धारित करना : बच्चों को अनुशासन में रखने और सिखाने के लिए सबसे पहले उन्हें नियमों का पालन करना और अपने दायरे में रहना सिखाएं। उन्हें समझाने की कोशिश करें कि उन्हें किस समय क्या करना चाहिए और क्या नहीं। साथ ही उन्हें यह भी सिखाएं कि उन्हें किसी व्यक्ति से किस प्रकार बात करनी चाहिए और कैसा व्यवहार करना चाहिए। बच्चों को सिखाने वाले नियमों को सरल और स्पष्ट रखें, ध्यान रहे कि कठिन नियमों को बच्चों पर थोपें नहीं। बहुत सारे नियम और प्रतिबंध के कारण बच्चे घबरा सकते हैं और भ्रमित हो सकते हैं।

6. किसी भी कार्य के परिणामों के बारे में सिखाएं : बच्चों को अनुशासन सिखाने का यह एक आसान तरीका हो सकता है। इस तकनीक में आप बच्चों को उनके द्वारा किए गए अच्छे और बुरे बरताव और काम के परिणाम के बारे में बताकर उन्हें सही राह पर चलना सिखा सकते हैं। जैसे कि यदि बच्चा अपना होमवर्क नहीं करता है, तो उससे कहें कि यदि उसने होमवर्क नहीं किया, तो टीचर उसे डाटेगी। इसके अलावा, उसे बताएं कि जो बच्चा देर तक सोता है, वो सुबह जल्दी नहीं उठता और स्कूल जाने में देर हो सकती है।

7. प्यार से अनुशासन सिखाएं : अनुशासन सिखाने की यह एक बेहतरीन तकनीक हो सकती है, जो बच्चे की समस्याओं से दूर करने के साथ ही उन्हें विकल्प प्रदान करती है। उदाहरण के लिए, यदि बच्चा आपके मोबाइल फोन जैसे महंगे गैजेट के साथ खेलना चाहता है, तो प्यार से यह कहते हुए समझाएं कि यदि आपको मोबाइल फोन के साथ खेलना पसंद है, तो आप अपना खिलौने वाले फोन से खेल सकते हो, क्योंकि यह आपका नहीं किसी और का है और हमें किसी दूसरों के सामान का उपयोग नहीं करना चाहिए।

8. इमोशन कोचिंग : अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जब बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में असमर्थ होते हैं, तो वो उसे व्यक्त करने के लिए मारना, काटना या चीखना-चिल्लाना जैसे व्यवहार को अपनाने लगते हैं। इस दौरान बच्चों को इमोशन के माध्यम से अनुशासित रहना सिखाया जा सकता है। यह एक ऐसी विधि है जिसमें बच्चों से उनके विचार और भावनाओं के बारे में बात करके भावनात्मक रूप से कठिन परिस्थितियों का सामना करने का अभ्यास कराया जाता है। जैसे यदि बच्चा अपनी चीजों को फेंकना या आपको मारना शुरू करता है, तो उन्हें शांत और भावनात्मक रूप से समझाएं कि मुझे पता है कि आपको गणित का होमवर्क करने में गुस्सा आ रहा है, एक काम करते हैं कि थोड़ी देर के बाद गणित को हल करने की कोशिश करेंगे अभी पेंटिंग या सिंगिंग कर लेते हैं।

आगे जानें 9-12 साल के बच्चों को अनुशासन सिखाने के तरीके।

9 से 12 साल के बच्चों को अनुशासन सिखाने के टिप्स

विकास के इस चरण के दौरान, बच्चों में पहले से ही स्वयं की भावना, उनकी जरूरतों और इच्छाओं की समझ विकसित हो चुकी होती है। इसके साथ ही उन्हें कैसा व्यवहार करना चाहिए और कैसा नहीं, इसकी समझ भी विकसित हो जाती है। इस उम्र में बच्चे अधिक तर्कशील बन जाते हैं। इसलिए, इस उम्र के बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने के साथ ही अनुशासित करने में आसानी हो सकती है। आप इस उम्र के बच्चों को अनुशासन सिखाने की निम्नलिखित तकनीकों को अपना सकते हैं।

9. बच्चों को सिखाएं कि गलतियों से कैसे सीख मिलती है : बच्चों की बुरी आदतें और उनके द्वारा किए गए कार्यों के परिणामों के आधार पर भी उन्हें अनुशासित किया जा सकता है। उनके द्वारा की गई गलती से आप उन्हें दोबारा नहीं करने की सीख दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि बच्चा रात को समय पर बिस्तर पर जाने से इनकार करता है, तो उसे टोके नहीं, लेकिन यदि अगले दिन जब वह देर से उठने पर क्रोध या नींद महसूस करता है, तो आप उसे समझा सकते हैं कि वह यदि समय पर बिस्तर पर जाता, तो उसे ऐसा महसूस नहीं होता। अगली बार उसे समय पर सोना चाहिए। इस प्रकार उनकी गलतियों से सीखने में मदद करने के लिए परिणामों का उपयोग कर सकते हैं।

10. विकल्प प्रदान करें : बच्चों को पढ़ाई करवाने के साथ ही किसी भी नियम का पालन करने के लिए उन्हें विकल्प भी प्रदान करें। यदि आप बच्चों को बिना किसी विकल्प के नियम पालन करने को कहते हैं, तो वह जिद्दी और तर्कहीन हो सकते हैं। नियम के साथ विकल्प नहीं देने पर उन्हें महसूस होगा कि आप उनकी स्वतंत्रता छीन रहे हैं और बच्चे डर के कारण किसी भी रचनात्मक कार्य को अपनी इच्छा से नहीं सीख पाएंगे और न कर पाएगा। इसका प्रभाव उनके दिमाग पर भी पड़ सकता है। इसके अलावा यदि आप बच्चे को विकल्प देते हैं, तो आगे चलकर वह अपने कार्यों को समझते हुए अपनी जिम्मेदारी को निभा सकता है।

आगे जानें 13 साल से ऊपर के बच्चों को अनुशासन सिखाने के टिप्स।

13 साल से ऊपर के बच्चों के लिए अनुशासन के तरीके

किशोरों को आसानी से अनुशासित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह उनकी वह उम्र होती है जब वो स्वतंत्र व्यक्ति बनना सीख रहे होते हैं और अपने अधिकारों के बारे में विचार करना शुरू कर देते हैं। उपरोक्त तरीके एक हद तक काम कर सकते हैं, लेकिन नीचे दिए तरीकों को अपनाकर उन्हें आसानी से अनुशासन का पाठ सिखाया जा सकता है।

11. उनकी किसी भी समस्या को लेकर बातचीत करें : अक्सर किशोरों को यह पसंद नहीं होता कि कोई उन्हें समझाए कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं या फिर उन्हें कैसे व्यवहार करना है। हालांकि, वे अभी तक बड़े और समझदार नहीं हुए हैं, फिर भी उन्हें अपने प्रति वयस्कों के जैसे ही व्यवहार किया जाना पसंद है। इसलिए, जब आपके किशोर को कोई व्यवहार संबंधी समस्या या अनुशासनात्मक समस्या होती है, तो उन्हें इस समस्या से निपटने के लिए निर्देश देने की जगह, उनसे उसके बारे में बात करके बताना चाहिए कि उसे किस प्रकार से निपटाया जा सकता है।

किशोरों के साथ मिलकर समस्या पर चर्चा करके समाधान का हिस्सा बनें। इस तरह वो अपने कार्यों के प्रति अधिक सहज महसूस करेंगे और आपके सुझावों को लेने में कोई आपत्ति भी नहीं करेंगे। इसके अलावा, ऐसा करने पर आप उन्हें एक युवा वयस्क के रूप में जीवन के नकारात्मक बिंदुओं को दूर करने और उन्हें सफलता के लिए अनुशासनात्मक जीवन जीने का तरीका सिखा सकते हैं।

12. विशेषाधिकार का सही उपयोग : जब आपका बच्चा नियमों को तोड़ता है, तो इससे उनको दिए विशेषाधिकार का दुरुपयोग होने के साथ ही अनुशासन भंग भी हो सकता है। इस दौरान उनको दी गई छूट में सख्ती करते हुए उनके विशेषाधिकार को अस्थाई रूप से उनसे ले लें। उदाहरण के लिए, यदि बच्चा नियम तोड़ता है और देर से घर आता है, तो उसे अगले पूरे हफ्ते तक उनकी प्रिय वस्तु का इस्तेमाल नहीं करने दें या फिर कुछ दिनों के लिए उनका मोबाइल फोन छीन सकते है। आपके द्वारा लिया गया यह निर्णय बच्चे के बुरे व्यवहार को दूर रखने में मदद कर सकता है। इससे भविष्य में वह इस प्रकार के व्यवहार को दोहराने से पहले इसके बारे में सोचकर ही कोई कार्य करेगा।

13. समझौता : जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, किशोर अपने अनुसार अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग करना और जीवन जीना पसंद करते हैं। जब आपके और आपके बच्चे के बीच बातों और नियमों को लेकर अनबन होती है, तो जरूरी नहीं कि नियम तोड़ने पर उन्हें सिर्फ डाटा ही जाए या फिर उनको सजा दी जाए। कभी कभी उन्हें अनुशासन सिखाने के लिए समझौता करना भी फायदेमंद हो सकता है।

जैसे कि यदि बच्चा सिर्फ वीडियो गेम खेलता है, तो आप उसे खेलने के लिए मना करने के स्थान पर उससे बात करके बच्चे के लिए वीडियो गेम खेलने का एक निश्चित समय निर्धारित कर सकते हैं। इससे बच्चा आपकी बात भी सुनेगा और अनुशासन का पालन करते हुए अपनी पसंद का कार्य भी कर सकता है।

14. बच्चे पर अनुशासन थोपने की कोशिश न करें : इस उम्र में अगर आप बच्चे पर गुस्से से अपने नियमों को थोपते हैं, तो हो सकता है कि उसके व्यवहार में चिड़चिड़ापन आ जाए। वो बात-बात पर गुस्सा हो सकते हैं। बच्चे आपस में लड़ाई-झगड़ा करने लग सकते हैं। इस दौरान बच्चों को लड़ाई झगड़े से रोकने के साथ ही उनके गुस्से को कम करने के लिए आप शांत भाव से समझा कर थोड़े-थोड़े समय के लिए कठोर नियमों का पालन करना सिखा सकते हैं। आप इसे एक खेल का रूप भी दे सकते हैं। जैसे कि यदि उसने इतने समय में अपना होमवर्क कर लिया, तो वह इसके बाद कुछ देर के लिए गेम खेल सकता है।

15. बच्चे की हर जिद को पूरा नहीं करें : माना जाता है कि यदि बच्चों की हर जिद को पूरा किया जाता है, तो वह अपने ही पसंद के कार्य को करने के लिए जिद करना शुरू कर देगा। इसलिए, कोशिश करें कि बच्चों को समझा कर उनकी कुछ जिद छोड़ दिया जाए। इसके बदले में आप उन्हें उनकी पसंद का कुछ और लेकिन फायदेमंद तोहफा दे सकते हैं। इसके अलावा, उनके द्वारा की गई जिद के बुरे परिणाम बता कर भी उन्हें मना किया जा सकता है। जैसे कि बच्चों को सोशल मीडिया पर रहना पसंद है, तो उन्हें लंबे समय तक उसके उपयोग करने के परिणाम बताएं और बच्चों को आउटडोर गेम्स के लिए प्रोत्साहित करें।

अंत में जानिए एक अच्छा अनुशासक कैसे बना जा सकता है।

एक अच्छे अनुशासक कैसे बनें?

समाज और जीवन में आगे बढ़ने के लिए बच्चों को अनुशासन सिखाना तब तक सही नहीं होता, जब तक कि सिखाने वाला एक अच्छा अनुशासक नहीं बनता है। यहां हम कुछ टिप्स के माध्यम से बता रहे हैं कि किस प्रकार से अभिभावक अच्छे अनुशासक बन सकते हैं।

  1. बच्चों के साथ ही खुद भी अनुशासन का करें पालन।
  2. अपनी उम्मीदों पर स्पष्ट रहें, जैसे कि आप बच्चों से क्या चाहते हैं कि वो किसी सवाल का जवाब कैसे दें या दूसरों के सामने कैसा बर्ताव करना चाहिए।
  3. जिम्मेदार अभिभावक बनें और अपने बच्चे की जरूरतों का ध्यान रखें।
  4. बच्चों के संपर्क में रहें और उनसे बातचीत करते रहें।
  5. बच्चों पर अपने नियमों को मत लादें।
  6. बातचीत को खुला रखें।
  7. खुद के द्वारा की गई गलतियों को सुधारने का प्रयास करें।

दोस्तों, अगर आप स्वयं नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो आप एक बच्चे को अनुशासित नहीं कर सकते हैं। हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों के लिए उनके माता-पिता ही प्रेरणा के स्रोत होते हैं। इसलिए, बच्चों को अनुशासन में रखने और सिखाने के लिए स्वयं काे भी अनुशासन का पालन करना चाहिए और एक अच्छे अनुशासक बनने की कोशिश करनी चाहिए। अपने बच्चे के लिए एक अच्छा रोल मॉडल बनने की कोशिश करें, जिससे आपका बच्चा आपको देखकर और आपके द्वारा बताई गई बातों को मानकर अनुशासन का पालन कर सके।

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