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बड़ों के मुकाबले बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम विकसित होती है। यही वजह है कि वो जल्द ही संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। मलेरिया भी ऐसी ही संक्रामक बीमारी है, जो बड़ों के साथ बच्चों को भी प्रभावित कर सकती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि विश्व स्तर पर मलेरिया से होने वाली लगभग 86% मौतें 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में देखी गई है (1) (2)। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों में मलेरिया के लक्षणों को पहचानकर वक्त रहते इसका इलाज किया जाए। मॉमजंक्शन के इस लेख में जानिए मलेरिया क्या है और यह कैसे फैलता है। साथ में जानिए कि बच्चों में मलेरिया के लक्षण और इसका इलाज क्या है।
सबसे पहले जान लेते हैं कि मलेरिया क्या है और यह कैसे फैलता है।
मलेरिया क्या है और यह कैसे फैलता है?
मलेरिया एक गंभीर बीमारी है, जो किसी को भी हो सकती है (3)। मलेरिया एक परजीवी (Parasite) के कारण होता है। यह परजीवी एनोफिलीज (Anopheles) मच्छरों के काटने से मनुष्य के शरीर में दाखिल होता है। इसके बाद यह रक्त के जरिए लीवर तक पहुंचता है। इस परजीवी को स्पोरोजोइट्स (Sporozoites) के नाम से जाना जाता है। लीवर में पहुंचने के बाद यह परिपक्व होते हैं और परजीवियों के एक और रूप मेरोजोइटस (Merozoites) को पैदा करते हैं। फिर ये परजीवी रक्तप्रवाह में प्रवेश करते हैं और लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं (4) (5) ।
लेख के आगे के भाग में जानिए बच्चों में मलेरिया होने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं।
बच्चों में मलेरिया होने के कारण
जैसा कि हमने ऊपर बताया, मलेरिया एनोफिलीज (Anopheles) मच्छरों के जरिए व्यक्ति में स्पोरोजोइट्स (एक प्रकार का परजीवी) के दाखिल होने के कारण होता है। बड़ों की तरह बच्चों को भी इन मच्छरों के काटने से मलेरिया हो सकता है। इसके अलावा, मलेरिया कभी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता। हालांकि, कुछ दुर्लभ परिस्थितियों में मलेरिया एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है। नीचे हम उनके बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं (5)
- मां के जरिए बच्चे को, जिसे कंजेनिटल मलेरिया (Congenital Malaria) कहते हैं।
- रक्तदान के जरिए।
- अंगदान करने से।
- अगर किसी मलेरिया पीड़ित को लगाया गया इंजेक्शन, किसी स्वस्थ व्यक्ति को लगा दिया जाए।
इन सबके अलावा, मलेरिया का खतरा नीचे बताए गए कारणों से भी हो सकता है :
- अगर घर या आसपास साफ-सफाई न रखी जाए, तो मलेरिया के मच्छर पनप सकते हैं।
- सोते वक्त मच्छरदानी न लगाने से।
- अगर बच्चे के कमरे में मच्छर भगाने वाले लिक्विड का उपयोग न किया जाए।
- अगर बाहर ले जाते वक्त बच्चे को पूरे कपड़े न पहनाए जाएं।
अब बात करते हैं बच्चों में मलेरिया के लक्षण के बारे में।
बच्चों में मलेरिया के लक्षण | Malaria Symptoms In Child In Hindi
मलेरिया के लक्षण बच्चों और बड़ों में लगभग एक जैसे ही होते हैं। हालांकि, बच्चों में ये लक्षण कुछ अन्य बीमारियों (गैस्ट्रोएंटेराइटिस/मेनिनजाइटिस/इंसेफलाइटिस/निमोनिया) जैसे भी लग सकते हैं। बुखार और सिरदर्द इससे जुड़े अहम लक्षण हैं, जिस पर वक्त रहते ध्यान देना जरूरी है (1)। इसके अलावा, मलेरिया के शुरुआती लक्षणों में चिड़चिड़ापन और सुस्ती के साथ भूख में कमी और सोने में परेशानी की समस्या हो सकती है। ये लक्षण आमतौर पर ठंड लगने के बाद होते हैं और फिर तेज सांस के साथ बुखार हो सकता है। बुखार के साथ ठंड लगना और कंपकंपी भी हो सकती है।
बुखार धीरे-धीरे 1 से 2 दिन में बढ़ सकता है या अचानक शरीर का तापमान 105 डिग्री फारेनहाइट (40.6 डिग्री सेल्सियस) या इससे अधिक हो सकता है। जैसे-जैसे शरीर का तापमान सामान्य होने लगता है, तो इस दौरान पसीना भी निकलना शुरू हो सकता है। इसके अन्य लक्षणों के बारे में नीचे जानिए (5):
- सिरदर्द हो सकता है।
- मतली की समस्या हो सकती है।
- पूरे शरीर में दर्द (विशेष रूप से पीठ और पेट)।
- अगर मलेरिया मस्तिष्क को प्रभावित करता है, तो दौरे भी पड़ सकते हैं।
- कुछ मामलों में गुर्दे भी प्रभावित हो सकते हैं।
नीचे जानिए कि मलेरिया में किस प्रकार की जटिलताएं हो सकती है।
बच्चों को मलेरिया से होने वाली जटिलताएं
मलेरिया के दौरान बच्चों को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिसके बारे में हम आपको लेख के इस भाग में जानकारी दे रहे हैं (4):
- सेरेब्रिटिस (Cerebritis – मस्तिष्क से जुड़ा संक्रमण)
- हेमोलिटिक एनीमिया (Hemolytic Anemia – रक्त कोशिकाओं का जल्दी खत्म होना)
- किडनी खराब होना
- लीवर में क्षति
- मेनिनजाइटिस या दिमागी बुखार (Meningitis)
- पलमोनरी एडिमा ( Pulmonary Edema- फेफड़ों में तरल पदार्थ भरना)
- हेमोरेज – (Hemorrhage-बड़े पैमाने पर रक्तस्राव)
आगे जानिए कि बच्चों में मलेरिया का निदान कैसे किया जा सकता है।
बच्चों में मलेरिया का निदान
डॉक्टर मलेरिया का निदान बच्चे में नजर आ रहे लक्षणों, शारीरिक गतिविधियों, रहने के स्थान और अगर उसने कहीं यात्रा की है, तो उस बारे में जानकर कर सकते हैं। इसके अलावा, डॉक्टर मलेरिया के निदान के लिए ब्लड टेस्ट की सलाह भी देते हैं (5)।
ब्लड के नमूने का परीक्षण दो प्रकार से किया जाता है। अब यह डॉक्टर पर निर्भर करता है कि वो एक टेस्ट करवाते हैं या दोनों। ये टेस्ट कुछ इस प्रकार से हैं (6):
ब्लड स्मीयर टेस्ट (Blood Smear Test) – इसके अंतर्गत खून में परजीवी है या नहीं, इसका पता लगाया जाता है।
रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (Rapid Diagnostic Test) – इस टेस्ट में एंटीजेन (Antigens) की जांच की जाती है। एंटीजेन एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो मलेरिया परजीवी द्वारा छोड़ा जाता है। यह टेस्ट ब्लड स्मीयर टेस्ट से ज्यादा जल्दी रिजल्ट दे सकता है। आमतौर पर मलेरिया के निदान के लिए ब्लड स्मीयर टेस्ट की ही आवश्यकता होती है।
आगे जानिए कि बच्चों में मलेरिया का इलाज कैसे किया का सकता है।
बच्चों में मलेरिया का इलाज
अगर बात करें मलेरिया के इलाज की, तो नीचे बताए गए तरीकों से डॉक्टर इलाज कर सकते हैं (5):
- डॉक्टर एंटी मलेरियल दवाइयां दे सकते हैं या फिर इंजेक्शन लगा सकते हैं।
- मलेरिया पैदा करने वाले परजीवी के आधार पर मरीज का इलाज आईवी दवा (IV Medicine) के जरिए किया जा सकता है।
साथ ही डॉक्टर मरीज की कुछ स्थितियों पर भी नजर रखते हैं, जैसे :
- मरीज में डिहाइड्रेशन
- ऐंठन
- एनीमिया
ऊपर बताई गई जटिलताओं से मरीज के मस्तिष्क, गुर्दे या तिल्ली (Spleen) पर भी असर हो सकता है। ऐसे में मरीज को ज्यादा से ज्यादा पेय पदार्थों के सेवन की जरूरत होती है। हो सकता है कि मरीज को खून की भी आवश्यकता हो।
आगे जानिए कि मलेरिया पीड़ित बच्चे का ख्याल घर में कैसे रखा जाए।
मलेरिया पीड़ित बच्चे की घर में कैसे देखभाल करें?
अगर आपके बच्चे को मलेरिया हुआ है, तो आप डॉक्टर की सलाह के साथ-साथ नीचे बताई गई बातों का पालन करते हुए घर में बच्चे का ध्यान रख सकते हैं :
- प्रतिदिन बुखार चेक करें – बुखार मलेरिया का महत्वपूर्ण लक्षण है। इसलिए, नियमित रूप से बच्चे के शरीर का तापमान चेक करते रहें। अगर बुखार हो तो डॉक्टर द्वारा बताई गई बुखार कम करने की दवा दें। इसके अलावा, डॉक्टरी परामर्श पर सिर पर ठंडे पानी की पट्टी भी लगा सकते हैं। अगर बुखार ज्यादा बढ़े, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
- आराम – अपने बच्चे को जितना हो सके आराम करने दें। मलेरिया से थकान और कमजोरी हो सकती है। इसलिए, ज्यादा से ज्यादा आराम करना जरूरी है, ताकि वो इस बीमारी से उबर सके।
- डाइट – बच्चे को स्वस्थ खाना खिलाएं और तेल-मसाले वाले खाद्य पदार्थ से दूर रखें। बेहतर है कि डॉक्टर से डाइट के बारे में जानकारी लें और उसी के अनुसार बच्चे को खाद्य पदार्थ दें।
लेख के इस हिस्से में हम बच्चाें को मलेरिया से बचाने के टिप्स दे रहे हैं।
बच्चों को मलेरिया होने से कैसे बचाएं
- मलेरिया के बारे में इतना जानने के बाद अब जानिए उन टिप्स के बारे में, जिनका पालन कर बच्चे को मलेरिया से बचाया जा सकता है (4) (5)।
- अगर आप अपने बच्चे के साथ कहीं दूर यात्रा पर जाने की योजना बना रही हैं, तो उससे पहले डॉक्टर से मिलें। हो सकता है कि डॉक्टर आपको और आपके परिवार को एंटी-मलेरियल दवा दे, जिसे यात्रा करने से पहले लेने की जरूरत हो। इस विषय में आपको डॉक्टर से बेहतर निर्देश और जानकारी मिल सकती है।
- घर में साफ-सफाई रखें, ताकि मच्छर न आ सकें।
- हर कमरे में मच्छर भगाने वाले लिक्विड का उपयोग करें।
- बच्चे को बाहर जाने से पहले पूरे कपड़े पहनाएं, ताकि बच्चे का शरीर अच्छी तरह से ढका रहे।
- बच्चे जब भी बाहर खेलने जाएं, उससे पहले उन्हें मॉस्किटो रेपलेंट (Mosquito Repellent) क्रीम लगाएं।
- सोने से पहले मच्छरदानी (Mosquito Net) लगाएं।
डॉक्टर के पास कब जाएं
अगर यात्रा के बाद आपके बच्चे को बुखार या सिरदर्द हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें (4)। इसके अलावा, नीचे बताई जा रही स्थितियों में भी डॉक्टर से संपर्क करें।
- अगर सामान्य बुखार एक से दो दिन तक रहे।
- बुखार लगातार रहे और दवा देने पर भी कम न हो।
मलेरिया भले ही एक गंभीर बीमारी हो, लेकिन अगर वक्त रहते इसका उपचार किया जाए, तो इसके खतरे से बचा जा सकता है। सही इलाज से मलेरिया जल्द ठीक हो सकता है। आशा करते हैं कि इस लेख में दी गई जानकारी से आपको मदद मिलेगी। साथ ही आप लेख को दूसरों से साझा भी कर सकते हैं, ताकि दूसरे भी इस विषय में सही जानकारी प्राप्त कर सकें।
References
1. Malaria in Children By NCBI
2. Malaria in children under five By WHO
3. Frequently Asked Questions (FAQs) By CDC
4. Malaria By Medlineplus
5. Malaria By Kidshealth
6. Malaria Tests By Medlineplus
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