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शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहां खर्राटों की आवाज नहीं सुनाई देती होगी। यह ऐसी ध्वनि होती है, जो सोते समय गले से निकलती है। हर वर्ग के लोगों में ये बेहद सामान्य है। छोटे बच्चे भी सोते वक्त खर्राटे लेते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि छोटे बच्चों का खर्राटे लेना कितना सामान्य है? अगर नहीं, तो मॉमजंक्शन के इस लेख में बच्चों के खर्राटे लेने पर विस्तार में चर्चा करेंगे। पहले जानेंगे कि छोटे बच्चों का खर्राटे लेना कितना सुरक्षित है और उसके बाद बच्चों के खर्राटों के कारण और इससे छुटकारा पाने के उपायों के साथ-साथ इससे संबंधित अन्य विषयों पर बात करेंगे।
आइए, सबसे पहले जानते हैं कि छोटे बच्चों का खर्राटे लेना चिंताजनक तो नहीं है।
क्या छोटे बच्चों का खर्राटे लेना सामान्य है?
हां, छोटे बच्चों का खर्राटे लेना सामान्य है, लेकिन अगर कोई बच्चा नियमित रूप से खर्राटे ले, तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की साइट पर इस संबंध में एक शोध प्रकाशित है। इस रिसर्च पेपर के मुताबिक, अगर बच्चा एक सप्ताह के अंदर चार रात या उससे ज्यादा दिन खर्राटे लेता है, तो यह अच्छे संकेत नहीं हैं (1)। एक अन्य शोध में भी बताया गया है कि 27 प्रतिशत बच्चे कभी-कभार खर्राटे लेते हैं। इस तरह के हल्के और अस्थायी खर्राटे आमतौर पर स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को नहीं बढ़ाते हैं (2)। वहीं, एनसीबीआई की ओर से उपलब्ध एक अन्य शोध के मुताबिक, स्लीप डिसऑर्डर ब्रीथिंग से ग्रस्त करीब 70 प्रतिशत बच्चे खर्राटे लेते हैं (3)।
आइए, अब उन लक्षणों को समझते हैं, जिनके दिखने पर समस्या हो सकती है।
सोते समय छोटे बच्चों के इन लक्षणों पर ध्यान दें
बच्चों का खर्राटे लेना वैसे तो आम है। फिर भी खर्राटे कब समस्या बन जाएं, यह जानने के लिए जरूरी है कि सोते समय बच्चों के नीचे बताए लक्षणों पर ध्यान दें। नीचे हम क्रमवार तरीके से उन लक्षणों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें गंभीरता से लेना चाहिए (4)–
- बच्चों को सांस लेने में दिक्कत होना।
- बच्चों को सही से नींद न आना।
- सोते समय अधिक पसीना आना।
- दिन के समय में अधिक सोना।
- नाइट टेरर (रात में डर लगना) या स्लीप वॉकिंग (सोते समय चलना) की समस्या भी देखी जा सकती है।
चलिए, अब जानते हैं कि छोटे बच्चों में खर्राटे लेने के क्या कारण हो सकते हैं।
छोटे बच्चों में खर्राटे लेने के कारण | Bachoo Ke Kharate Lene Ke Karan
बच्चे खर्राटे तब लेते हैं, जब उनके गले के वायु मार्ग में किसी प्रकार की रुकावट पैदा होती है। इस कारण वे सांस नहीं ले पाते हैं। इससे उसके गले में मौजूद ऊतकों में वाइब्रेशन यानी कंपन पैदा होती है, जो खर्राटे के रूप में सुनाई देती है (5)। छोटे बच्चों में खर्राटे के कई कारण हो सकते हैं, नीचे हम उन कारणों की विस्तार से चर्चा कर रहे हैं-
- बढ़े हुए टॉन्सिल : टॉन्सिल गले के पीछे मौजूद होता है। जब यह संक्रमण के कारण बढ़ जाता है, तो वायु मार्ग में रुकावट पैदा करने लगता है। इस कारण खर्राटों की आवाज सुनाई देने लगती है (6)।
- मोटापा : बढ़ा हुआ वजन या मोटापा भी बच्चों में खर्राटों का कारण हो सकता है। एक शोध के मुताबिक, मोटापा गले के वायु मार्ग को छोटा कर देता है, जिससे सांस लेने में रुकावट पैदा हो सकती है। इस स्थिति में खर्राटे आने लगते हैं (7)।
- घड़घड़ाहट – जिन बच्चों में घड़घड़ाहट की समस्या होती है, उनमें खर्राटे की समस्या का जोखिम हो सकता है (8)।
- भरी हुई नाक: आमतौर पर जुकाम के कारण बच्चों की नाक भर जाती है। इस कारण नासिका मार्ग में रुकावट पैदा हो जाती है। इससे खर्राटों की आवाज निकलने लगती है (9)।
- एलर्जी: बच्चे नाजुक होते हैं। हल्की-सी धूल-मिट्टी से भी उन्हें एलर्जी हो सकती है, जिससे जुकाम और नाक जाम होने की समस्या हो सकती है। इसके कारण भी बच्चे खर्राटे ले सकते हैं।
- स्लीप एपनिया: एनसीबीआई की साइट पर प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक, स्लीप एपनिया की समस्या वाले बच्चे भी खर्राटे ले सकते हैं (10)।
आइए, अब हम स्लीप एपनिया और खर्राटों के बीच का अंतर समझाते हैं।
स्लीप एपनिया बनाम खर्राटे
आमतौर पर देखा गया है कि स्लीप एपनिया के लक्षण और खर्राटों को लोग एक समझते हैं। इसके बीच के अंतर को लेकर काफी कन्फ्यूज रहते हैं। इसलिए, चलिए बेहद ही आसान तरीके से स्लीप एपनिया और खर्राटे के बीच का अंतर समझते हैं (11) (5)।
स्लीप एपनिया | खर्राटे |
स्लीप एपनिया एक आम समस्या है, जो सांस लेने में रुकावट पैदा करती है। | खर्राटे उस आवाज को कहते हैं, जो सोते समय मुंह से निकलते हैं। |
स्लीप एपनिया के दौरान सांसों का रुकना कुछ सेकंड से लेकर मिनटों तक रह सकता है। ऐसा एक घंटे में 30 बार या उससे अधिक बार हो सकता है। | खर्राटे की आवाज ऊतकों के आपस में टकराने के कारण होने वाले कंपन से निकलती है। |
यह समस्या ज्यादातर अधिक वजन वाले लोगों को होती है। | यह भी अधिक वजन के लोगों में आम होता है। |
स्लीप एपनिया के सभी मरीज खर्राटे लेते हैं। | खर्राटे लेने वाले हर मरीज को स्लीप एपनिया होना जरूरी नहीं। कई मामलों में यह संकेत हो सकता है। |
स्लीप एपनिया नींद से संबंधित विकार है। | खर्राटे मात्रा एक असामान्य ध्वनि है। |
बढ़े हुए टॉन्सिल या एडेनोइड वाले बच्चों को भी स्लीप एपनिया का खतरा रहता है। | बढ़े हुए टॉन्सिल के कारण भी बच्चे को खर्राटे आ सकते हैं। |
चलिए, अब हम बताते हैं कि बच्चों के खर्राटे लेने के क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
छोटे बच्चों के खर्राटे लेने से नुकसान | Bache Ke Kharate Ke Nuksan
सामान्य तौर पर बच्चों का खर्राटे लेना खतरनाक नहीं होता। हां, अगर खर्राटे लगातार सुनाई दे रहे हैं, तो इसका प्रभाव स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है। खर्राटे लेने के दुष्प्रभाव बच्चों और वयस्कों में लगभग एक जैसे हो सकते हैं।
- लगातार खर्राटे आना ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का संकेत हो सकता है (12)। इस कारण सांस लेने में रुकावट पैदा होती है, जिससे ऑक्सीजन की मात्रा में कमी आ सकती है।
- खर्राटों की समस्या के कारण बच्चों को थकान, सिरदर्द, अवसाद और दिनभर आलस रहने की समस्या हो सकती है (13)।
- नियमित रूप से खर्राटे आना नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) को प्रभावित कर सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, लगातार होने वाले खर्राटे हृदय से जुड़े जोखिमों को बढ़ा सकते हैं (14)।
- लगातार जोर से खर्राटे लेना बच्चों के सामाजिक व व्यवहारिक विकास को भी प्रभावित कर सकता है (15)।
आइए, अब जानते हैं, बच्चों में खर्राटे की समस्या को कैसे दूर करें।
बच्चों को खर्राटे से कैसे छुटकारा दिलाएं? | Bacho Me Kharate Ka Ilaj
इस लेख में अब तक आप बच्चों के खर्राटे लेने के कारण और उससे होने वाले नुकसानों के बारे में समझ चुके हैं। अब हम बताते हैं कि इससे आप छुटकारा कैसे पा सकते हैं।
- बच्चों के बिस्तर को सही तरीके से रखें: बच्चों के सोने की जगह को बराबर रखें। बच्चे के सिर के नीचे हल्का और मुलायम तकिया रखें। साथ ही उसके सिर को एक से दूसरी तरफ घूमाते रहें। इससे उसे सांस लेने में आसानी होगी।
- बच्चे की नाक को साफ रखें: कभी-कभी नाक में गंदगी जम जाने के कारण भी बच्चे खर्राटे लेने लगते हैं। खासकर सर्दी के मौसम में बच्चों की नाक जाम हो जाती है, इसलिए बेहतर होगा कि समय-समय पर बच्चों की नाक को साफ करते रहें।
- कमरे की नमी बनाए रखें: कमरे की गर्म हवा भी बच्चों की नाक सुखा सकती है, जिससे उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। इसलिए, बच्चों के कमरे की नमी को बनाए रखें। इससे उन्हें सांस लेने में तकलीफ नहीं होगी और बच्चे आराम से सो सकेंगे।
- एलर्जी वाली चीजों से बच्चों को दूर रखें– बच्चों को साफ-सुथरे माहौल में रखें। इस बात का ध्यान रखें कि उनके आसपास धूल मिट्टी न हो। इससे बच्चों को जुकाम या फिर सांस संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जो खर्राटों का कारण बन सकते हैं।
- ठंड से बचा कर रखें: सर्दी के मौसम में बच्चों के लिए परेशानियां बढ़ जाती हैं। ठंड के कारण उनमें टॉन्सिल बढ़ने की शिकायत हो सकती है, जिसे खर्राटों का एक मुख्य कारण माना गया है। इस बारे में हम ऊपर लेख में चर्चा कर चुके हैं।
- बच्चों के वजन को नियंत्रण में रखें: मोटापा भी खर्राटों के मुख्य कारणों में से एक है। इसलिए, बच्चों के वजन को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है।
इस विषय के संबंध में और जानकारी के लिए पढ़ते रहें यह आर्टिकल।
डॉक्टर से मिलने कब जाएं
नीचे कुछ ऐसे लक्षण बताए गए हैं, जिनके नजर आते ही माता-पिता को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। हालांकि ये सभी लक्षण संभावित हैं। इनके बारे में फिलहाल वैज्ञानिक प्रमाणिकता की कमी है।
- अगर बच्चा कई दिनों और हफ्तों से खर्राटे ले रहा हो।
- अगर बच्चे को सोने में तकलीफ हो रही हो।
- अगर बच्चे के खर्राटे की आवाज अधिक तेज है, तो ऐसी स्थिति में भी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
बच्चों का खर्राटे लेना अधिक चिंता का विषय नहीं है। इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है। बस जरूरत है तो सतर्क रहने के साथ-साथ उनका खास ख्याल रखने की। एक बार अगर उनके खर्राटों के सही कारणों का पता लग जाए, तो इससे निजात पाना भी बेहद आसान है। साथ ही बच्चों में कोई गंभीर समस्या दिख रही हो, तो बिना देरी करे डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी ऐसी और जानकारी के लिए आप हमारे अन्य आर्टिकल पढ़ सकते हैं।
References
1. Snoring in children – By NCBI
2. Snoring in primary school children and domestic environment: a Perth school based study – By NCBI
3. The conundrum of primary snoring in children: what are we missing in regards to cognitive and behavioural morbidity?– By NCBI
4. Obstructive sleep apnea syndrome in children: Epidemiology, pathophysiology, diagnosis and sequelae– By NCBI
5. Snoring– By MedlinePlus
6. Enlarged tonsils and adenoids: Overview – By NCBI
7. Associations of Overweight, Obesity and Related Factors with Sleep-Related Breathing Disorders and Snoring in Adolescents: A Cross-Sectional Survey – By NCBI
8. Sleep-disordered breathing in children with asthma: a systematic review on the impact of treatment – By NCBI
9. Blocked nose and snoring in a 6-year-old boy – By NCBI
10. Pediatric sleep apnea – By NCBI
11. Sleep Apnea – By MedlinePlus
12. Diagnosis and management of childhood obstructive sleep apnea syndrome – By NCBI
13. Obstructive sleep apnea – By MedlinePlus
14. Reduction in Parasympathetic Tone During Sleep in Children With Habitual Snoring – By NCBI
15. Persistent Snoring in Preschool Children: Predictors and Behavioral and Developmental Correlates – By NCBI
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