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बड़ों की तुलना में बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है (1)। इस कारण वो आसानी से कई तरह की बीमारी या संक्रमण के चपेट में आ जाते हैं। इन्हीं में से एक है यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary tract infection)। यह मूत्रमार्ग से संबंधित संक्रमण होता है। अगर वक्त रहते इस पर ध्यान न दिया गया, तो यह गंभीर रूप भी ले सकता है। इसलिए, मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल में हम बच्चों में यूरिन इंफेक्शन होने से संबंधित सभी जरूरी जानकारियां देने की कोशिश कर रहे हैं। हम बच्चों में यूरिन इंफेक्शन होने के कारण, लक्षण, इलाज और ऐसी ही कई अन्य जानकारियां दे रहे हैं।
लेख की शुरुआत यूरिन इंफेक्शन के बारे में जानने से करते हैं।
यूरिन इंफेक्शन क्या है और यह बच्चों में होना कितना आम है?
यूटीआई (Urinary tract infections) मूत्र मार्ग संक्रमण होता है। यह बैक्टीरिया (रोगाणु) के कारण होता है, जो मूत्र मार्ग के एक हिस्से को प्रभावित करता है। इन बैक्टीरिया के कारण किडनी (kidney) व मूत्राशय (bladder) में इंफेक्शन हो सकता है। वहीं, बच्चों की बात करें, तो उन्हें यूटीआई की समस्या होना सामान्य है (2) (3)।
अब जानते है कि यूरिन इंफेक्शन होने के पीछे मुख्य कारण क्या हैं।
बच्चों में यूरिन इंफेक्शन होने के कारण
यूरिन इंफेक्शन होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से मुख्य इस प्रकार हैं (3):
- यह बीमारी बैक्टीरिया के कारण होती है। ये बैक्टीरिया गुप्तांगों के आसपास हो सकते हैं और फिर मूत्रमार्ग तक फैल जाते हैं।
- वेसिकोराइटरल रिफ्लक्स (vesicoureteral reflux) मूत्रमार्ग की समस्या होती है। इसके कारण भी यूटीआई हो सकता है। यह स्थिति शिशु के जन्म के समय उत्पन्न हो सकती है। इसमें यूरिन गलत दिशा यानी मूत्रवाहिनी और गुर्दे में वापस फ्लो होने लगता है
- मस्तिष्क या तंत्रिका तंत्र की बीमारियां (जैसे कि मायेलोमेनिंगोसेले-myelomeningocele), रीढ़ की हड्डी की चोट व हाइड्रोसेफलस (hydrocephalus) के कारण। ये बीमारियां मूत्राशय को खाली करने में मुश्किल पैदा कर सकती है।
- लड़कियों में बबल बाथ या टाइट-फिटिंग कपड़े पहनने के कारण ऐसा हो सकता है।
- मूत्र पथ के आकार में परिवर्तन या कोई जन्म दोष।
- अक्सर दिन के वक्त पेशाब कम करना।
- बाथरूम जाने के बाद बच्चों के पीछे (गुदे -anus) से आगे तक साफ करने के कारण ऐसा हो सकता है।
नोट : लड़कों के मुकाबले लड़कियों को यूटीआई की समस्या ज्यादा होती है। ऐसा 3 साल की उम्र के आसपास हो सकता है, क्योंकि इसी उम्र से बच्चे शौचालय जाने का अभ्यास शुरू करते हैं।
आगे आप बच्चों में यूरिन इंफेक्शन के लक्षणों के बारे में पढेंगे।
बच्चों में यूरिन इंफेक्शन के लक्षण
बच्चों में यूरिन इंफेक्शन होने के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं (3)।
- बुखार होना।
- मतली और उल्टी आना।
- भूख नहीं लगना।
- पेशाब में खून आना।
- बार-बार पेशाब आना।
- पेशाब करते समय दर्द या जलन महसूस होना।
- निचले श्रोणि या पीठ के निचले हिस्से में दबाव या दर्द का अनुभव होना।
- टॉयलेट ट्रेनिंग के बाद भी बिस्तर गीला करना।
- वजन न बढ़ना
इंफेक्शन के गुर्दे तक फैलने पर कुछ इस तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं:
- ठंड लगना और शरीर में कंपकंपी होना।
- बुखार आना।
- त्वचा का गर्म या लाल होना।
- मतली और उल्टी होना।
- पीठ में दर्द होना।
- पेट में गंभीर दर्द होना।
आगे हम बता रहे हैं कि यूटीआई के कारण बच्चों को क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं।
बच्चों को यूरिन इंफेक्शन से होने वाली जटिलताएं
यूटीआई के चलते बच्चों को निम्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है (4):
- खून में संक्रमण (सेप्सिस – Sepsis) – हालांकि, इसका खतरा बड़ों में ज्यादा होता है, लेकिन बेहतर है कि बच्चों को लेकर भी सावधानी बरती जाए, ताकि वो इसका शिकार न बनें।
- किडनी की समस्या या क्षति।
- किडनी का संक्रमण।
लेख के इस भाग में जानिए कि यूटीआई का पता लगाने के लिए किस-किस प्रकार की जांच की जाती हैं।
बच्चों में यूरिन इंफेक्शन का निदान
बच्चों में यूटीआई का पता लगाने के लिए निम्न प्रकार के टेस्ट किए जा सकते हैं (2)
- डॉक्टरी सलाह – डॉक्टर सबसे पहले बच्चे या बच्चे के माता-पिता से बच्चे के स्वास्थ से संबंधित कुछ सवाल पूछ सकते हैं। उसके बाद यूरिन टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। मूत्र के नमूने की जांच प्रयोगशाला में माइक्रोस्कोप से की जाती है।
- यूरोडायनामिक (Urodynamics) – यह एक परीक्षण है, जिसका उपयोग यह आंकलन करने के लिए किया जाता है कि बच्चे के मूत्राशय (bladder) और मूत्रमार्ग सही तरीके से काम कर रहे हैं या नहीं (5)।
- सिस्टोस्कोपी (Cystoscopy) – इस प्रक्रिया में डॉक्टर कैमरे की मदद से मूत्राशय और मूत्रमार्ग को देखकर इंफेक्शन का पता लगा सकते हैं (6)।
जांच के लिए यूरिन का नमूना कैसे लिया जाता है, यह बच्चे की उम्र पर निर्भर करता है। जो बच्चे बहुत छोटे होते हैं और स्वयं से टॉयलेट नहीं जाते हैं, ऐसे बच्चे का सैंपल लेना कठिन हो सकता है। बहुत छोटे बच्चे में मूत्र का नमूना लेने के विभिन्न तरीके होते हैं, जो इस प्रकार हैं (3):
- यूरिन कलेक्शन बैग – मूत्र के नमूने के लिए एक विशेष प्लास्टिक की थैली बच्चे के लिंग या योनि के संपर्क में रखी जाती है। हालांकि, यह तरीका पूरी तरह उपयोगी नहीं है, क्योंकि इससे मूत्र का नमूना दूषित हो सकता है।
- कैथेटराइज्ड स्पेसिमेन यूरिन कल्चर (Catheterized specimen urine culture) – इसमें एक प्लास्टिक ट्यूब (कैथेटर) लड़कों के लिंग से जोड़ी जाती है और लड़कियों के मूत्रमार्ग में डाली जाती है। इससे सीधा मूत्राशय से मूत्र को एकत्र किया जा सकता है।
- सुपरप्यूबिक यूरिन कलेक्शन (Suprapubic urine collection) – इस प्रक्रिया में एक सुई को निचले पेट की त्वचा और मांसपेशियों के माध्यम से मूत्राशय तक पहुंचाया जाता है। इसका उपयोग भी मूत्र के सैंपल लेने के लिए किया जाता है।
अगर बच्चे को पहली बार यूटीआई हुआ है, तो संक्रमण का कारण जानने के लिए या गुर्दे की क्षति की जांच के लिए इमेजिंग परीक्षण किया जा सकता है। ये परीक्षण निम्न प्रकार के होते हैं :
- किडनी का अल्ट्रासाउंड
- बच्चे के पेशाब करते समय लिया गया एक्स-रे (voiding cystourethrogram)
चलिए, अब जानते हैं कि बच्चों में यूरिन इंफेक्शन का इलाज किस तरह किया जा सकता है।
बच्चों में यूरिन इंफेक्शन का इलाज
यूटीआई से प्रभावित बच्चों का कुछ इस प्रकार इलाज किया जा सकता है (3)।
- यूटीआई के दौरान बच्चों की किडनी को सुरक्षित रखने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जा सकती हैं।
- अगर शिशु काफी छोटे हैं और दवा खाने में असमर्थ हैं, तो उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कर नसों में इंजेक्शन के जरिए एंटीबायोटिक दिए जा सकते हैं।
- जब यूटीआई का इलाज चल रहा हो, तो बच्चे को ज्यादा से ज्यादा पेय पदार्थ का सेवन कराएं।
- कुछ बच्चों के लिए यूटीआई के इलाज में काफी समय लग सकता है। खासतौर पर जिन्हें बार-बार यह बीमारी हो रही हो, उन्हें इस समस्या के इलाज के लिए डॉक्टर 6 महीने से 2 साल तक एंटीबायोटिक दवा दे सकते हैं।
- एंटीबायोटिक कोर्स पूरा होने के बाद डॉक्टर फिर से यूरिन टेस्ट कर सकते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि समस्या पूरी तरह से खत्म हुई है या नहीं।
नोट: उचित एंटीबायोटिक दवाई के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। बिना डॉक्टर की सलाह के बच्चे को कोई भी दवाई न दें।
आइए, अब जानते हैं कि यूटीआई से प्रभावित बच्चे का रखरखाव कैसे करना चाहिए।
यूरिन इंफेक्शन से पीड़ित बच्चे की घर में कैसे देखभाल करें?
यूटीआई से पीड़ित बच्चे पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। यहां हम कुछ ऐसे ही टिप्स दे रहे हैं
- बच्चे को ज्यादा से ज्यादा पेय पदार्थ दें और बार-बार पेशाब करने के लिए कहें।
- डॉक्टर से पूछें कि बच्चे को कितना तरल पदार्थ पीने की आवश्यकता है।
- जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि संक्रमण के कारण बच्चे के पेट में दर्द हो सकता है। ऐसे में बच्चे की पीठ या पेट पर एक हीटिंग पैड रखें, ताकि दर्द से थोड़ी राहत मिले। साथ ही ध्यान रहे कि इस बारे में एक बार डॉक्टर की सलाह भी जरूर लें।
- यूटीआई में बच्चे को बुखार भी आ सकता है, ऐसे में बच्चे को बुखार होने पर उसके तापमान की जांच करें। शरीर का तापमान अधिक होने पर तुरंत डॉक्टर को संपर्क करें।
- डॉक्टर की दी गई दवाई को सही समय पर देते रहें और नियमित रूप से डॉक्टर से सलाह भी लें।
- बच्चा कितनी बार पेशाब जा रहा है और बच्चे के पेशाब का रंग व गंध कैसी है, इसका ध्यान रखें।
- बच्चे से पूछें कि पेशाब करते समय दर्द या जलन महसूस होता है या नहीं।
- बच्चे की डाइट पर ध्यान रखें। बेहतर है कि डॉक्टर से पूछें कि बच्चे के लिए कौन से आहार सही हैं।
आइए, अब बच्चों में यूरिन ट्रैक इंफेक्शन को होने से रोकने के उपाय जानते हैं।
बच्चों को यूरिन इंफेक्शन होने से कैसे बचाएं?
यूरिन ट्रैक इंफेक्शन को होने से रोकने के लिए आप इन उपायों को अपना सकते हैं (3):
- छोटे बच्चों को बबल बाथ कराने से बचें।
- अपने बच्चों को अधिक टाइट अंडरवीयर और कपड़े न पहनाएं।
- बच्चों के आहार में ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों को शामिल करें।
- बैक्टीरिया से बचाव के लिए बच्चे के जननांगों को साफ रखें।
- बच्चे को हर दिन कई बार बाथरूम जाने के बारे में बताएं। उन्हें सिखाएं कि वह पेशाब को रोककर न रखें।
- बच्चे को बैक्टीरिया से बचाने के लिए बच्चे के जननांग को आगे से पीछे तक साफ करें।
यूटीआई के संबंध में अन्य जानकारी के लिए पढ़ते रहें यह आर्टिकल
डॉक्टर के पास कब जाएं
कुछ मामलों में यूटीआई गंभीर रूप भी ले सकता है। ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेने की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए, नीचे हम आपको जानकारी दे रहे हैं कि इस समस्या के दौरान कब आपको डॉक्टर की सलाह की जरूरत हो सकती है (3)।
- अगर उपचार के बाद भी बच्चे में यूटीआई लक्षण जारी रहते हैं या 6 महीने में दो बार से ज्यादा यूटीआई की समस्या होती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- अगर बच्चे में यूटीआई के लक्षण गंभीर हो जाते हैं।
- बच्चे में नए लक्षण नजर आते हैं, जैसे –
- पीठ दर्द या पेट दर्द।
- अगर बच्चे को बदबूदार, खूनी या अलग रंग का मूत्र आता है।
- शिशुओं को 100.4 डिग्री फारेनहाइट (38 डिग्री सेल्सियस) बुखार या बच्चों को 101 डिग्री फारेनहाइट (38.3 डिग्री सेल्सियस) से अधिक बुखार होता है।
- पेट में, पेट के निचले हिस्से में, नाभि के नीचे या पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है।
- अगर लगातार बुखार हो और बुखार कम न हो रहा हो।
- बार-बार पेशाब आना या रात के दौरान भी बार-बार पेशाब के लिए जाना।
- उल्टी हो।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या करें अगर बच्चे को बार-बार यूरिन इंफेक्शन होता है?
अगर बच्चे को बार-बार यूरिन इंफेक्शन हो रहा है, तो बिना देर किए डॉक्टर से चेकअप करवाएं। डॉक्टर बच्चे की स्थिति को देखते हुए उचित उपचार बता सकते हैं।
यूरिन इंफेक्शन को ठीक होने में कितना समय लगता है?
यूरिन इंफेक्शन का उपचार शुरू होने के बाद दो से तीन दिन में इसके लक्षणों में सुधार देखा जा सकता है। सही तरीके से उपचार होने पर यह एक हफ्ते में ठीक हो सकता है (2)। हालांकि, यह बच्चे के स्वास्थ्य, स्थिति और बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। हो सकता है कि यह कुछ बच्चों में जल्दी ठीक हो और कुछ बच्चों में ठीक होने में थोड़ा वक्त लगे।
इस लेख के माध्यम से यह तो स्पष्ट गया होगा कि यूटीआई गंभीर बीमारी है और बच्चे इसकी चपेट में आसानी से आ जाते हैं। इसलिए, जरूरत है बच्चों को इससे बचाए रखने की। इसके लिए आर्टिकल में बताई गई काम की बातों में ध्यान में रखें। साथ ही इस लेख को अपने परिवार व दोस्तों के साथ शेयर कर उन्हें भी यूटीआई के संबंध में जागरूक करें।
References
1. Evolution of the immune system in humans from infancy to old age By NCBI
2. Urinary Tract Infections (UTIs) By Kidshealth
3. Urinary tract infection – children By MedlinePlus
4. Urinary tract infection – adults By MedlinePlus
5. Urodynamic Testing By NIH
6. Cystoscopy & Ureteroscopy By NIH
7. Treatment for Bladder Infection in Children By NIH
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