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चिकन पॉक्स ऐसी बीमारी है, जिससे हर माता-पिता घबराते हैं। बच्चे की त्वचा पर छोटा-सा दाना नजर आते ही उनकी चिंंता बढ़ जाती है। ऐसा होना स्वाभाविक भी है। आखिर, यह बीमारी है ही ऐसी। साथ ही बीमारी को लेकर सभी के मन में कई तरह की शंकाएं भी रहती हैं। यही कारण है कि मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल में इसी मुद्दे पर बात कर रहे हैं। इस लेख का मुख्य उद्देश्य हर माता-पिता को चिकन पॉक्स की रोकथाम और इस समस्या से जुड़ी अन्य जानकारियां देना है। हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि हम माता-पिता को ज्यादा से ज्यादा तथ्यों के साथ चिकन पॉक्स से संबंधित सभी जानकारी देकर उन्हें जागरूक करें, ताकि यह संक्रमण उनके बच्चों के आसपास नजर तक न आए।

सबसे पहले हम चिकन पॉक्स के बारे में जान लेते हैं कि आखिर यह बीमारी है क्या।

चिकन पॉक्स क्या है? क्या यह संक्रामक है? | Bachhon Mein Chicken Pox In Hindi

यह वेरिसेला-जोस्टर वायरस (varicella-zoster virus) के कारण होने वाली संक्रामक बीमारी है। यह बच्चों को होना सामान्य है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को आसानी से हो जाती है। इसमें पूरे शरीर पर बड़े-बड़े लाल चकत्ते हो जाते हैं। फिर धीरे-धीरे ये फफोले पूरे शरीर में हो जाते हैं और बड़े होकर कुछ समय बाद अपने आप फूट या पिचक जाते हैं (1) (2) (3)।यह बड़ों और बच्चों किसी को भी हो सकता है, लेकिन ज्यादातर 15 साल तक के बच्चे इसकी चपेट में आते हैं (4) (5)

अब जानते हैं कि चिकन पॉक्स होना कितना सामान्य है और ज्यादातर किस उम्र के बच्चे इसकी चपेट में आते हैं।

शिशुओं में चिकन पॉक्स कितना आम है और यह किस उम्र में होता है?

चिकन पॉक्स बड़ों और बच्चों किसी को भी हो सकता है, लेकिन इसके ज्यादातर मामले 5 से 10 साल तक के उम्र के बच्चों में होते हैं (2) (6)। दरअसल, सीडीसी (Centers for Disease Control and Prevention) द्वारा किए गए साल 1995-2009 तक के सर्वेक्षण में सबसे ज्यादा चिकन पॉक्स के मामले 5 से 9 साल के बच्चों में पाए गए (7)

साल5-9 साल10-14 साल15-19 साल
1995103.119.412.3
200016.97.21.2
20036.33.91
200610.25.30.9
20094.61.80.7

अब सवाल यह उठता है कि चिकन पॉक्स के कारण क्या-क्या हो सकते हैं। इसी सवाल का जवाब आपको लेख के इस भाग में मिलेगा।

शिशुओं में चिकन पॉक्स के कारण

  • हमने लेख के शुरुआत में जानकारी दी है कि चिकन पॉक्स होने का कारण वेरिसेला-जोस्टर वायरस (Varicella-zoster virus) है। साथ ही यह संंक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से और छींकने व खांसने के माध्यम से फैल सकता है। इसके अलावा, यह वायरस फफोले में भरे तरल पदार्थ के सीधे संपर्क में आने से भी फैल सकता है। यह संक्रमण उन लोगों को होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है, जिन्हें ये कभी नहीं हुआ है या जिन्हें इसका टीका नहीं लगाया गया है (8)
  • जिन बच्चों को दाद (shingles) की समस्या होती है, उनके संपर्क में आने से भी दूसरे बच्चों को चिकन पॉक्स हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इन दोनों का कारण एक ही वायरस है। ज्यादातर मामले संक्रमित के संपर्क में आने के 10-14 दिन के बाद सामने आते हैं(9)।
  • अगर किसी गर्भवती महिला को चिकन पॉक्स हुआ है, तो होने वाले बच्चे को भी यह समस्या हो सकती है (1)
  • अगर स्तनपान कराने वाली मां को चिकन पॉक्स हुआ है, तो नवजात शिशु भी इसकी चपेट में आ सकता है (1)
  • अगर किसी को चिकन पॉक्स है, तो उसके संपर्क में आने से दूसरों को भी हो सकता है (5)
  • कई बार टीका लगवाने के बाद भी चिकन पॉक्स हो जाता है। लेकिन, ज्यादातर मामलों में इसके लक्षण साधारण होते हैं।

अब बारी आती है चिकन पॉक्स के लक्षणों के बारे में जानने की।

शिशुओं में चेचक के लक्षण

कैसे किसी माता-पिता को पता चल सकेगा कि उनके बच्चे को चिकन पॉक्स हुआ है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम नीचे शिशुओं में चेचक के लक्षणों के बारे में जानकारी दे रहे हैं (1) (2) (4) (10)

  • चिकन पॉक्स की शुरुआत बुखार से हो सकती है।
  • इस कारण सिरदर्द हो सकता है
  • एक या दो दिन में लाल चकत्ते हो सकते हैं, जिसमें काफी खुजली हो सकती है।
  • दाने लाल धब्बों से शुरू होते हैं, जो जल्द ही तरल पदार्थ से भरे फफोलों में बदल जाते हैं।
  • कुछ बच्चों के शरीर पर सिर्फ छाले ही नजर आते हैं।
  • कुछ लोगों में ये पूरे शरीर पर हो सकते हैं।
  • पेट दर्द हो सकता है।
  • भूख लगना कम हो सकती है।
  • थकावट महसूस होती है।
  • छाले सबसे पहले चेहरे, शरीर के मध्य भाग या फिर सिर पर दिखाई देते हैं।
  • एक या दो दिन बाद ये छाले पपड़ीदार बन जाते हैं। इसी बीच और नए फफोले समूहों में निकलने लगते हैं।
  • फफोले मुंह में, योनि में और पलकों पर भी हो सकते हैं।
  • जिन बच्चों को एक्जिमा जैसी त्वचा संबंधी समस्या हो, उनके शरीर पर हजारों फफोले हो सकते हैं।

लेख के इस भाग में हम चिकन पॉक्स के निदान के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

चिकन पॉक्स (चेचक) का निदान

नीचे पढ़ें चिकन पॉक्स के निदान के बारे में (2)

  • अगर चिकन पॉक्स (चेचक) के चेकअप की बात करें, तो डॉक्टर इसकी जांच रैशेज को देखकर करते हैं। ज्यादातर मामलों में सिर पर नजर आने वाले छोटे छाले इसकी पुष्टि कर देते हैं। साथ ही डॉक्टर बच्चे के माता-पिता से बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में कुछ सवाल पूछ सकते हैं। इसलिए, अगर किसी को आशंका है कि उनके बच्चे को चिकनपॉक्स है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि यह संक्रमण बच्चे से किसी और को न हो।
  • जरूरी होने पर डॉक्टर लैब टेस्ट की सलाह दे सकते हैं।

अब सवाल यह उठता है कि क्या चिकन पॉक्स का कोई ठोस इलाज है? तो लेख के इस भाग में हम इसी बारे में जानकारी दे रहे हैं।

बच्चों में चिकन पॉक्स का इलाज | Chicken Pox Ka Ilaj Bataye

जैसा कि लेख के शुरुआत में बताया गया है कि चिकन पॉक्स का कारण वायरस होता है। ऐसे में एंटीबायोटिक्स इसका इलाज नहीं कर सकते हैं। हां, चिकनपॉक्स के लक्षणों का इलाज जरूर किया जा सकता है, जिसके बारे में नीचे जानकारी दी गई है (5)

  • अगर मामला गंभीर हो या जटिलताओं का अधिक खतरा है, तो वायरस से लड़ने के लिए डॉक्टर मरीज को एंटीवायरल दवा दे सकते हैं।
  • चिकनपॉक्स के दौरान शरीर में हुए फफोलों में खुजली होना इसके लक्षणों में से एक है। ऐसे में डॉक्टर खुजली से राहत पाने और फफोलों को सुखाने के लिए त्वचा पर लोशन, जेल व पाउडर लगाने के बारे में सुझाव दे सकते हैं। उनमें ज्यादातर टैनिन, जिंक, मेन्थॉल या पॉलीडोकानोल (polidocanol) तत्व शामिल हो सकते हैं। कभी-कभी खुजली को रोकने के लिए एंटीहिस्टामाइन (antihistamines) यानी एलर्जी से लड़ने की दवा जैसी मौखिक दवा दे सकते हैं। डॉक्टर ऐसी दवाइयां मरीज की उम्र के अनुसार देने का सुझाव दे सकते हैं। फिलहाल, ये उपचार कितने प्रभावी हैं, इस पर अभी कोई ठोस शोध मौजूद नहीं है।
  • अगर बच्चे को बुखार या शरीर में दर्द जैसी समस्या है, तो डॉक्टर उससे राहत दिलाने के लिए बच्चों की उम्र और स्थिति को ध्यान में रखते हुए कुछ दवाइयों का सुझाव दे सकते हैं। साथ ही ध्यान रहे कि बच्चे को जो भी दवा दें, वो डॉक्टर के निर्देश के अनुसार ही दें।

अब बात करते हैं कुछ घरेलू उपचारों की।

बच्चों में चेचक का घरेलू उपचार

चेचक वायरल संक्रमण से होने वाली बीमारी है और इसका कोई सटीक घरेलू उपचार नहीं है। इसमें परहेज को ही एक तरह का घरेलू उपचार मान सकते हैं। नीचे हम उन्हीं के बारे में जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं। वैसे तो परहेज करने के कई तरीके हो सकते हैं, लेकिन जरूरी नहीं सभी तरीके बच्चे के लिए भी उपयोगी हों। बच्चों की त्वचा बड़ों की तुलना में काफी कोमल होती है। इसलिए, नीचे बताए गए उपाय खासतौर पर बच्चों के लिए हैं (11) (12)। फिर भी हमारी सलाह यह रहेगी कि इन्हें करने से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूर लें ।

  • ज्यादा से ज्यादा बच्चे को पेय पदार्थों का सेवन कराएं, ताकि बच्चा डिहाइड्रेट का शिकार न हो जाए।
  • तेल, मसाले, नमक और खट्टी चीजों का सेवन न कराएं।
  • बच्चों के नाखून काटें, ताकि वो घाव को नोंच या खरोंच न सकें।
  • डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयों का सेवन कराएं।
  • डॉक्टर द्वारा दी गई लोशन या क्रीम को लगाएं।
  • ढीले कपड़े पहनाएं, ताकि बच्चे को आराम महसूस हो।

कुछ मामलों में चिकन पॉक्स से बच्चों में कुछ स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं भी हो सकती हैं। इस बारे में हम यहां जानकारी दे रहे हैं।

बच्चों को चिकन पॉक्स से होने वाली जटिलताएं

चिकन पॉक्स के दौरान अगर सावधानी न बरती जाए, तो इससे कुछ जटिलताएं भी हो सकती हैं। नीचे हम ऐसी ही कुछ जटिलताओं के बारे में अपने पाठकों को जानकारी दे रहे हैं (2) (11) (13)

  • जोड़ों में दर्द या सूजन।
  • रे सिंड्रोम (Reye syndrome) लिवर और मस्तिष्क में सूजन की समस्या।
  • निमोनिया।
  • एन्सेफलाइटिस (encephalitis) यानी मस्तिष्क में सूजन।
  • सेल्युलाइटिस (cellulitis) एक प्रकार का त्वचा संक्रमण।
  • चिकन पॉक्स के दाग रह जाना।
  • अधिक गंभीर मामलों में मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।
  • डिहाइड्रेशन।

लेख के इस भाग में हम चिकन पॉक्स की रोकथाम से संबंधित कुछ जरूरी जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं।

बच्चों में चिकन पॉक्स की रोकथाम

चिकनपॉक्स से बचाव का सबसे अच्छा तरीका चिकनपॉक्स का टीका लगवाना है। इसमें बच्चे, किशोर और वयस्क शामिल हैं। जिन्हें कभी चिकनपॉक्स नहीं हुआ है या कभी टीका नहीं लगाया गया था, उन्हें चिकनपॉक्स वैक्सीन की दो खुराक लेनी चाहिए। चिकनपॉक्स का टीका बीमारी को रोकने में सुरक्षित और प्रभावी है। चिकन पॉक्स का टीका लगवाने वाले अधिकतर लोगों को यह समस्या नहीं होती है। अगर किसी को चिकन पॉक्स का टीका लगवाने के बावजूद यह बीमारी होती है, तो उन्हें कम या बिना छाले वाले लाल रंग के धब्बे होते हैं। साथ ही हल्का बुखार होता है या फिर नहीं होता है (2) (12)

अब सवाल यह उठता है कि किन परिस्थितियों में चिकन पॉक्स के दौरान डॉक्टर के पास जाने की जरूरत होती है।

डॉक्टर के पास कब जाएं?

कुछ मामलों में चिकन पॉक्स गंभीर रूप भी ले सकता है। ऐसे में जरूरी है कि इसकी गंभीरता पर वक्त रहते ध्यान दिया जाए और डॉक्टर की सलाह ली जाए (12)

  • अगर बच्चे को कभी चिकनपॉक्स नहीं हुआ हो या उसे चिकनपॉक्स की वैक्सीन न लगी हो।
  • अगर बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो।
  • अगर बच्चे की उम्र एक साल से कम हो या 12 साल से ज्यादा हो।
  • अगर बुखार 102 डिग्री से ज्यादा हो।
  • अगर बच्चे को लगातार बुखार हो रहा हो और बुखार 4 दिन तक रहे।
  • गंभीर सर्दी-जुकाम हो और सांस लेने में तकलीफ हो।
  • अगर चिकन पॉक्स के घाव से पस निकल रही हो।
  • अगर लगातार सिरदर्द हो।
  • बच्चे के पेट में दर्द हो रहा हो।
  • बच्चे की गर्दन अकड़ गई हो।
  • बच्चे को बहुत ज्यादा सर्दी-जुकाम हो।
  • दानों में से रक्तस्त्राव हो रहा हो (hemorrhagic rash)।
  • बच्चे को रोशनी से परेशानी हो रही हो।
  • बच्चे को चलने में असुविधा हो या बच्चा अधिक कमजोर हो।
  • बच्चा लगातार उल्टी करे।
  • बच्चे को थकान महसूस हो या उठने में परेशानी हो।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या चिकन पॉक्स दोबारा हो सकता है?

ज्यादातर मामलों में एक बार चिकनपॉक्स होने का मतलब है कि यह दोबारा नहीं होगा। सिर्फ कुछ दुर्लभ मामलों में यह फिर से हो सकता है (1)

क्या टीका लगने के बाद मेरे बच्चे को चिकनपॉक्स हो सकता है?

टीका लगवाने के बाद चिकन पॉक्स होने का जोखिम काफी कम हो जाता है। फिर भी कुछ मामलों में वैक्सीन लगवाने के बाद भी अगर चिकन पॉक्स होता है, तो इसके लक्षण काफी हल्के और बिना बुखार वाले हो सकते हैं (2) (12)

चिकन पॉक्स कितने दिन तक रहता है?

आमतौर पर चिकन पॉक्स चार से सात दिन तक रह सकता है (10)

बच्चों में चिकनपॉक्स किसी भी माता-पिता के लिए चिंता का कारण बन सकता है, लेकिन इसे वक्त रहते ठीक किया जा सकता है। हम आशा करते हैं इस लेख में चिकन पॉक्स से संबंधित जरूरी जानकारियों से कई माता-पिता इस समस्या के संबंध में जागरूक हुई होंगे। चिकन पॉक्स की रोकथाम के लिए इसके प्रति जागरूकता ही अहम है। इसलिए, हम पाठकों से यही अनुरोध करना चाहते हैं कि इस लेख को दूसरों के साथ भी शेयर करें और चिकनपॉक्स के बारे में जागरूकता बढ़ाएं।

References

1. Facts about chickenpox By NCBI
2. Chickenpox By Medline Plus
3. About Chickenpox By CDC
4. Chickenpox By Medline Plus
5. Chickenpox Overview By NCBI
6. Chickenpox By National Health Portal (NHP)
7. Chickenpox By NHP
8. What causes chickenpox? By Health Direct
9. Shingles By Medline Plus
10. Chickenpox (Varicella) Signs And Symptoms By CDC
11. Chickenpox By Better Health
12. Chickenpox (Varicella) Prevention And Treatment By CDC
13. Chickenpox (Varicella) Complications By CDC

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