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हम मॉमजंक्शन के विभिन्न आर्टिकल्स में माता-पिता और किशोरों के साथ-साथ बच्चों से जुड़ी कई जानकारियां देते हैं। इस लेख में फिर एक बार हम बच्चों से जुड़ी एक गंभीर समस्या फांक होंठ और तालु के बारे में जानकारी लेकर आए हैं। कई माता-पिता को इस संबंध में ज्यादा जानकारी नहीं होगी और साथ ही यह समस्या उनके लिए नई भी हो सकती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने इस विषय का चुनाव किया है। हमारा उद्देश्य इस लेख के जरिए बच्चों में फांक होंठ व फांक तालु से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां देना है। इस विषय में विस्तार से जानने के लिए पढ़ते रहें यह लेख।
सबसे पहले जानते हैं कि बच्चों में फांक होंठ और तालु की समस्या क्या है?
बच्चों में फांक होंठ और फांक तालु की समस्या
बच्चों में फांक होंठ और फांक तालु की समस्या को नीचे विस्तार से बताया गया है। सबसे पहले जानें फांक होंठ की समस्या के बारे में – (1)
बच्चों में फांक होंठ क्या है और यह कैसे होता है?
बच्चों में फांक होंठ एक जन्म दोष है, जो ऊपरी होंठ को प्रभावित करता है। दरअसल, गर्भावस्था के चौथे और सातवें सप्ताह के बीच गर्भ में पल रहे भ्रूण के होंठ बनते हैं। जैसे-जैसे गर्भावस्था के दौरान बच्चे का विकास होता है, शरीर के ऊतक और सिर के प्रत्येक भाग से विशेष कोशिकाएं चेहरे के केंद्र की ओर बढ़ती हैं और चेहरे को बनाने के लिए एक साथ जुड़ जाती हैं। ऊतक के इस जुड़ाव से चेहरे का आकार जैसे होंठ और मुंह बनते हैं। वहीं, जब होंठ को बनाने वाले उत्तक पूरी तरह से जुड़ नहीं पाते, तब फांक होंठ की समस्या उत्पन्न हो जाती है। फांक, होंठ के एक या दोनों तरफ या होंठ के बीच में हो सकता है, हालांकि यह कम ही होता है (1) (2)।
फांक होंठ को उसके स्थान के अनुसार अलग-अलग नाम दिए गए हैं। इनके नाम हम नीचे बता रहे हैं –
- यूनिलेटरल इन्कम्प्लीट (Unilateral Incomplete) – होंठ के एक तरफ जो फांक होता है और जो नाक तक नहीं जाता है, उसे यूनिलेटरल इन्कम्प्लीट कहा जाता है। इसके अलावा, होंठ के एक तरफ जो फांक नाक तक जाता है, उसे भी यूनिलेटरल इन्कम्प्लीट कहा जाता है।
- बाइलैटरल कम्पलीट (Bilateral Complete) – वहीं, जो फांक होंठ के दोनों तरफ होता है और नाक तक जाता है, उसे बाइलैटरल कम्पलीट कहते हैं। फांक होंठ वाले बच्चों में फांक तालु भी हो सकता है।
आगे जानिए बच्चों में फांक तालु क्या होता है।
बच्चों में फांक तालु क्या है और यह कैसे होता है?
गर्भावस्था के छठे और नौवें सप्ताह के बीच गर्भ में पल रहे भ्रूण के मुंह के अंदर के ऊपरी हिस्से (तालु) का निर्माण होता है। वहीं, गर्भावस्था के दौरान जो ऊतक मुंह के तालु को बनाते हैं, जब पूरी तरह से जुड़ नहीं पाते, तब बच्चे में फांक तालु की समस्या होती है (1) (2)।
अब जानते हैं कि बच्चों में फांक होंठ और फांक तालु होना कितना सामान्य है।
बच्चों में फांक होंठ और फांक तालु होना कितना आम है?
अगर बात करें कि बच्चों में फांक होंठ की समस्या कितनी आम है, तो बता दें कि एशियाई आबादी में इसके होने का खतरा 500 या अधिक में से एक बच्चे में है। वहीं, अगर यूनाइटेड स्टेट की बात करें तो वहां हर साल 6,800 (अनुमानित) बच्चे इस समस्या से पीड़ित होते हैं। फांक होंठ और फांक तालु की समस्या लड़कियों की तुलना में लड़कों में अधिक आम है (1) (2) (3)।
अब बारी आती है इसके कारण जानने की।
फांक होंठ और फांक तालु होने के कारण
बच्चों में फांक होंठ और फांक तालु की समस्या निम्नलिखित कारणों से हो सकती है। नीचे इन कारणों को बताया गया है (1) (4) –
- डायबिटीज – जो महिलाएं गर्भावस्था से पहले मधुमेह से पीड़ित रही हों, उनके बच्चों में फांक होंठ या फांक तालु होने का जोखिम बढ़ सकता है।
- आनुवंशिक – अगर माता-पिता या दोनों में से किसी एक को यह समस्या रही हो तो यह समस्या बच्चे को भी हो सकती है।
- आनुवंशिक सिंड्रोम – आनुवंशिक सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है, जिसमें एक से अधिक लक्षण या दोष होते हैं। यह एक जीन या कई जीन के कारण हो सकता है। फांक होंठ और तालू की समस्या 400 से अधिक सिंड्रोम में पाई जाती है, जिसमें वेर्डनबर्ग (Waardenburg जन्मजात सुनने और पिगमेंटेशन की समस्या) और डाउन सिंड्रोम (Down Syndromes, शारीरिक और मानसिक विकास में देरी) भी शामिल हैं। लगभग 30 प्रतिशत फांक दोष आनुवंशिक सिंड्रोम से जुड़े होते हैं।
- स्वास्थ्य और पर्यावरण – प्रारंभिक गर्भावस्था में महिला की खराब सेहत या महिला शराब का सेवन करती हो, धूम्रपान करती हो या एंटी एपिलेप्टिक ड्रग्स लेती हो, इन सभी से भी बच्चे में फांक होंठ और फांक तालु का जोखिम बढ़ सकता है।
अब जानते हैं कि फांक होंठ और फांक तालु होने के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं।
फांक होंठ और फांक तालु होने के लक्षण
नीचे पढ़ें फांक होंठ और फांक तालु की समस्या के लक्षणों के बारे में (5)।
- बच्चे में एक या अधिक जन्म दोष का होना।
- फांक होंठ बच्चे के होंठ पर एक छोटे कटने के निशान की तरह हो सकता है या यह होंठ में एक पूर्ण विभाजन (Complete Split) भी हो सकता है, जो नाक के बेस तक गया हो।
- फांक तालु मुंह के ऊपरी हिस्से के एक तरफ या दोनों तरफ हो सकता है। यह तालू की पूरी लंबाई तक जा सकता है।
अन्य लक्षणों में शामिल हैं:
- नाक के आकार में परिवर्तन।
- उबड़-खाबड़ या दांतों की बनावट या आकार में गड़बड़ी।
अब जानते हैं कि फांक होंठ और फांक तालु का निदान कैसे किया जा सकता है।
फांक होंठ और फांक तालु का पता कैसे चलता है?
गर्भावस्था में रूटीन अल्ट्रासाउंड के दौरान फांक होंठ का निदान किया जा सकता है। बच्चे के जन्म के बाद भी उनका निदान किया जा सकता है, विशेष रूप से फांक तालु का। हालांकि, कभी-कभी कुछ प्रकार के फांक तालु आसानी से नहीं दिखते और उनका निदान करना भी मुश्किल हो जाता है (1) (4)।
आगे जानिए इसके इलाज के बारे में।
फांक होंठ और फांक तालु का इलाज
फांक होंठ और फांक तालु का इलाज फांक के आकार, बच्चे की उम्र और उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर भी निर्भर करता है। नीचे हम फांक होंठ और फांक तालु के इलाज के बारे में बता रहे हैं (1) (2) (4) (5)।
- सर्जरी – क्लेफ्ट लिप को बंद करने की सर्जरी अक्सर तब की जाती है, जब बच्चा 2 महीने से 9 महीने के बीच का होता है। इसके अलावा, अगर फांक होंठ नाक को प्रभावित करता है, तो बाद में भी सर्जरी की जरूरत हो सकती है। इसमें मुंह की सर्जरी और प्लास्टिक सर्जरी भी की जा सकती है।
- स्पीच थेरेपी – इसमें बच्चे को बोलने और शब्दों के उच्चारण के लिए थेरेपी दी जाती है। देखा जाए तो इसमें बच्चे को बोलना सिखाया जाता है। हालांकि, डॉक्टर बच्चे की जरूरत अनुसार इसमें अन्य चीजें भी शामिल कर सकता है।
- काउंसलिंग – फांक होंठ और तालू की समस्या अक्सर आनुवंशिक सिंड्रोम का हिस्सा होते हैं। ऐसे में बच्चों और उनके माता-पिता की चिकित्सकीय जांच और काउंसलिंग की जाती है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि अगर माता-पिता अपने दूसरे बच्चे की योजना कर रहे हैं तो क्या उसमें भी यह समस्या हो सकती है।
- प्रोस्थेटिक डिवाइस – कभी-कभी अस्थायी रूप से तालु को बंद करने के लिए प्रोस्थेटिक डिवाइस का उपयोग किया जाता है, जिससे बच्चे को खाना खिलाने और सर्जरी होने तक बच्चे के विकास में मदद मिल सके।
- नसल अल्वेओलार मोल्डिंग प्रक्रिया – कुछ बच्चों को सर्जरी से पहले नसल अल्वेओलार मोल्डिंग (Nasal Alveolar Molding) की प्रकिया से गुजारा जाता है। इसमें कुछ विशेष मेडिकल उपकरणों के जरिए अस्थाई रूप से होंठ और मुंह को आकार देने की कोशिश की जाती है।
आगे जानते हैं कि फांक होंठ और फांक तालु होने के कारण बच्चों को किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
बच्चे को फांक होंठ और फांक तालु होने से किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
नीचे हम कुछ समस्याओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जो फांक होंठ वाले बच्चों को हो सकती हैं (2) (5)।
- खाने में परेशानी – बच्चों को दूध पीने और खाने में समस्या हो सकती है। हो सकता है कि दूध पीते वक्त दूध बच्चे की नाक में चला जाए।
- कम वजन – सही तरीके से न खाने की वजह से बच्चों में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जिससे वजन कम होने का या कमजोर होने का जोखिम हो सकता है।
- कान में संक्रमण – बच्चे के कान में संक्रमण का खतरा भी हो सकता है। यह कान और गले के बीच जुड़ने वाले ट्यूब के सामान्य रूप से काम न करने की वजह से हो सकता है।
- बोलने में परेशानी – मुंह और होंठ का ऊपरी हिस्सा खुला होने के कारण मांसपेशियों की कार्यक्षमता कम हो सकती है, जिससे बोलने में देरी के साथ परेशानी भी हो सकती है।
- दांतों की समस्या – असामान्यताओं के कारण दांतों के सामान्य रूप से निकलने में परेशानी हो सकती है।
अब बात करते हैं इस समस्या से बचाव की।
क्या बच्चों को फांक होंठ और फांक तालु से बचाया जा सकता है?
फांक होंठ और तालु की समस्या को रोकने का कोई तरीका नहीं है, लेकिन जैसा कि हमने ऊपर जानकारी दी कि गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान या शराब के सेवन से इसका जोखिम बढ़ सकता है। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान शराब और धूम्रपान से दूर रहें। इसके साथ ही गर्भावस्था के दौरान कोई भी दवा लेने से पहले एक बार डॉक्टरी परामर्श जरूर लें। अगर माता-पिता या परिवार में किसी अन्य सदस्य को फांक होंठ और तालु की समस्या रही हो तो गर्भावस्था से पहले जेनेटिक काउंसलिंग भी ले सकते हैं, ताकि पता चल सके कि उनके होने वाले बच्चे में इसका जोखिम है या नहीं है।
अब जानते हैं कि इस समस्या में डॉक्टर के पास जाने की जरूरत कब पड़ सकती है।
डॉक्टर के पास कब जाएं?
ज्यादातर जन्म के समय ही फांक होंठ और तालु का निदान हो जाता है। ऐसे में उसी वक्त से डॉक्टर की सलाह लें और नियमित रूप से बच्चे का डॉक्टरी उपचार कराएं (5)।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
फांक होंठ वाले शिशु को मैं स्तनपान कैसे करा सकती हूं?
फांक होंठ और फांक तालु वाले शिशु को स्तनपान कराने में अतिरिक्त समय और धैर्य लग सकता है। अगर शिशु सही तरीके से स्तनपान नहीं कर पा रहा है, तो अन्य विकल्पों का चुनाव करें। बच्चे को डॉक्टरी सलाह पर फांक होंठ और फांक तालु के लिए बनी विशेष बोतल (Cleft Palate Bottle) से दूध पिलाएं (6) (7)। साथ ही इस विशेष बोतल का इस्तेमाल कैसे करना है, यह भी डॉक्टर से जानें।
कटे हुए तालु या होंठ के लिए पुनर्निर्माण सर्जरी कब की जानी चाहिए?
सर्जरी बच्चे की उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। हालांकि, फांक होंठ की सर्जरी का सही वक्त तब होता है जब बच्चा 2 महीने से 9 महीने का हो (5)। वहीं, फांक तालु की सर्जरी बच्चे के 18 महीने से पहले की जानी चाहिए (4)। बेहतर जानकारी के लिए डॉक्टर की सलाह भी जरूरी है।
क्या फांक होंठ और फांक तालु से पीड़ित बच्चों के जान को खतरा होता है?
एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) के एक शोध के अनुसार, जन्म संबंधी विसंगतियों के बिना जन्मे शिशुओं की तुलना में जन्म के समय विसंगतियों के बिना और साथ जन्मे फेशियल क्लेफ्ट वाले शिशुओं में मृत्यु का जोखिम ज्यादा रहता है (8)।
फांक होंठ और फांक तालु से बचाव नहीं हो सकता है, लेकिन सही समय पर मेडिकल इलाज के जरिए इस समस्या को बहुत हद तक ठीक किया जा सकता है। इसलिए, जरूरी है कि माता-पिता लेख में दी गई सभी जानकारी को ठीक से पढ़ें और उनका पालन करें। उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा। आप चाहें तो इस लेख को अन्य लोगों के साथ भी साझा कर सकते हैं।
References
1. Facts about Cleft Lip and Cleft Palate By CDC
2. Cleft Lip/Cleft Palate By University of Rochester Medical Centre
3. Cleft Lip and Cleft Palate By National Health Portal (NHP)
4. Cleft Lip & Palate By NIH
5. Cleft lip and palate By Medlineplus
6. Birth Defects By CDC
7. Feeding a Child with a Cleft Lip or Cleft Palate By Rochester
8. First-year Mortality Among Infants With Facial Clefts By NCBI
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