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अंधेपन का एक प्रमुख कारण जन्मजात मोतियाबिंद भी होता है। दुनिया भर में प्रतिवर्ष लगभग 7 करोड़ लाेग बचपन से आंखों में विकार के कारण अंधेपन का शिकार होते हैं। इनमें से लगभग 1 करोड़ लोगों यानी 14 प्रतिशत लोगों में अंधेपन की समस्या जन्मजात मोतियाबिंद के कारण होती है। वहीं, भारत की बात करें, तो यहां लगभग 2.80 लाख से लेकर 3.20 लाख बच्चे अंधेपन का शिकार होते हैं (1)। इसलिए, जन्मजात मोतियाबिंद की समस्या को नकारा नहीं जा सकता। मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल में हम इसी बारे में बात करेंगे। साथ ही इसके कारण, उपचार और निदान क्या-क्या हो सकते हैं, उस पर चर्चा करेंगे।

आइए, सबसे पहले यह जान लेते हैं कि जन्मजात मोतियाबिंद कहते किसे हैं।

जन्मजात मोतियाबिंद क्या है? | Cataract In Babies Eye In Hindi

आंख के लेंस पर सफेद रंग के क्लाउडी स्पॉट आ जाने को मोतियाबिंद कहा जाता है। जब बच्चे के जन्म से पहले या जन्म के बाद एक वर्ष के अंदर बच्चे की आंखों पर यह क्लाउडी स्पॉट आ जाए, तो उस अवस्थ को जन्मजात मोतियाबिंंद कहा जाता है। जन्मजात मोतियाबिंद में बच्चे की एक आंख या फिर दोनों आंखें इससे प्रभावित हो सकती हैं (2)

अब जानते हैं कि शिशु में मोतिबिंद होने के क्या कारण हो सकते हैं।

शिशु में मोतियाबिंद के कारण

जन्मजात मोतियाबिंद दुर्लभ हैं। ऐसा तब होता है, जब आंख के लेंस में प्रोटीन बदलते हैं। आंख के लेंस में प्रोटीन बदलने का प्रमुख कारण संक्रमण, डीएनए में परिवर्तन या फिर रासायनिक असंतुलन हो सकता है (2)। इसके अलावा, कुछ जन्मजात दोष के कारण भी शिशु को मोतियाबिंद की समस्या हो सकती हैं (3):

  • कोंड्रोडिसप्लेसिया सिंड्रोम (Chondrodysplasia syndrome): हड्डी, त्वचा और आंखों की असामान्यताओं वाला विकार है।
  • कंजेनिटल रूबेला (Congenital rubella): ऐसी बीमारी जो गर्भावस्था के दौरान रूबेला वायरस से संक्रमण के कारण होती है।
  • कोनराडह्यूमैन सिंड्रोम (Conradi-Hunermann syndrome): एक दुर्लभ विकार, जो धुंधली दृष्टि या दृष्टि की स्पष्टता में कमी का कारण बन सकता है।
  • डाउन सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 21) (Down syndrome (trisomy 21)): सबसे आम आनुवंशिक रोगों में से एक है। डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे को विभिन्न प्रकार के नेत्र संबंधी विकार हो सकते हैं, जिसमें मोतियाबिंद भी शामिल है।
  • एक्टोडर्मल डिस्प्लेशिया सिंड्रोम (Ectodermal dysplasia syndrome): यह आंखों की कई समस्याओं जैसे कि आंसू में कमी या ब्लेफेराइटिस (आंख की पलकों के तेल ग्रंथियों में संक्रमण का कारण) से संबंधित है।
  • पारिवारिक जन्मजात मोतियाबिंद (Familial congenital cataracts): परिवार में पहले से ही किसी व्यक्ति को मोतियाबिंद होने के कारण भी बच्चे को यह दोष हो सकता है।
  • ग्लाक्टोसेमिया (galactosemia): यह एक वंशानुगत बीमारी है। इसमें रक्त, कोशिकाओं और टिश्यू में गैलेक्टोज के विषाक्त स्तर का निर्माण होता है।
  • हैलरमैनस्ट्रेफ सिंड्रोम (Hallermann-Streiff syndrome): यह एक दुर्लभ विकार है, जो मुख्य रूप से स्कैल्प और चेहरे की विकृतियों का कारण बनता है। इसके कारण जन्मजात माेतियाबिंद भी हो सकता है।
  • लोव सिंड्रोम (Lowe syndrome): यह अवस्था मुख्य रूप से आंखों, मस्तिष्क और किडनी को प्रभावित करती है।
  • मारिंसकोस्जोग्रेन सिंड्रोम (Marinesco-Sjogren syndrome): यह ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है। इसके कारण शरीर को नमी प्रदान करने वाली ग्रंथियां प्रभावित होती हैं। परिणामस्वरूप, शरीर में नमी की कमी होती है और आंखें शुष्क हो जाती हैं। इस कारण से भी जन्मजात मोतियाबिंद हो सकता है।
  • पियरेरॉबिन सिंड्रोम (Pierre-Robin syndrome): यह ऐसी स्थिति है, जिसमें शिशु का निचला जबड़ा सामान्य रूप से छोटा होता है और सांस लेने में कठिनाई होती है। यह जन्म के समय मौजूद है।
  • ट्राइसॉमी 13 (Trisomy 13): आंख के विकास संबंधी दोष, जिसमें मोतियाबिंद भी शामिल है।

शिशु में मोतियाबिंद होने के कारण जानने के बाद इससे जुड़ लक्षणों के बारे में बात करते हैं।

जन्मजात मोतियाबिंद होने के लक्षण | शिशु में मोतियाबिंद के लक्षण

अगर किसी शिशु को जन्मजात मोतियाबिंद होता है, तो उसे निम्न प्रकार के लक्षणों से पहचाना जा सकता है (2):

  • सामान्य तौर पर आंख की पुतली काले रंग की होती है, लेकिन मोतियाबिंद होने पर यह काले रंग के बजाय ग्रे या सफेद रंग की दिखाई देती है।
  • इसके अलावा ऐसा प्रतीत होता है जैसे पूरी पुतली किसी फिल्म यानी की परत से ढकी हुई हो।
  • ऐसा भी हो सकता है कि पुतली पर सिर्फ कोई सफेद रंग का निशान या फिर धब्बा दिखाई दे।
  • असामान्य रूप से आंख का तेजी से हिलना, जिसे मेडिकल भाषा में निस्टागमस (nystagmus) कहा जाता है (4)

आगे हम जन्मजात मोतियाबिंद के इलाज के बारे में बता रहे हैं।

जन्मजात मोतियाबिंद का इलाज

अगर जन्मजात मोतियाबिंद दोनों आंखों में हल्का हैं और नजर को प्रभावित नहीं कर रहा हैं, तो इलाज की जरूरत नहीं होती है। वहीं, गंभीर मोतियाबिंद का इलाज जरूरी है, जो इस प्रकार है (2) (5):

  • गंभीर जन्मजात मोतियाबिंद का इलाज ऑपरेशन या फिर सर्जरी के द्वारा किया जा सकता है।
  • आमतौर पर नेत्र रोग विशेषज्ञ जांच के बाद जन्मजात मोतियाबिंद की पुष्टि होने के बाद जन्म के 6 से 8 सप्ताह के अंदर सर्जरी कर सकते हैं।
  • सर्जरी के दौरान, नेत्र रोग विशेषज्ञ संक्रमित या फिर प्रभावित लेंस के धब्बेदार क्लाउडी हिस्से को हटा देते हैं।
  • सर्जरी के बाद बच्चे को आंखों को ठीक से फोकस करने में मदद के लिए आमतौर पर इंट्राओकुलर लेंस (आईओएल) डाला जाता है। फिर जैसे ही बच्चा चश्मा पहनने में सक्षम हो जाए, तो उसे चश्मा लगाना चाहिए। वहीं, 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की आंखों में आईओएल लगाने व चश्मा पहनाने को लेकर सभी डॉक्टर एकमत नहीं हैं।
  • इसके अलावा, शिशु में आनुवंशिक विकार का भी इलाज किया जाता है, जो मोतियाबिंद का कारण बन सकता है (3)

जन्मजात मोतियाबिंद के इलाज के बाद यहां हम इसके निदान के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

जन्मजात मोतियाबिंद का निदान

जन्मजात माेतियाबिंद का निदान कई प्रकार से किया जा सकता है, जो इस प्रकार हैं (3):

  • खून की जांच की जा सकती है।
  • एक्स-रे भी हो सकता है।
  • नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा एक पूर्ण नेत्र परीक्षा किया जाता है।
  • बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा भी जांच करने की आवश्यकता हो सकती है, जो आनुवंशिक बीमारियों के इलाज करने में प्रशिक्षित होते हैं।

निदान के बाद यहां हम जन्मजात मोतियाबिंद से जुड़ी जटिलताओं के बारे में बता रहे हैं।

जन्मजात मोतियाबिंद से होने वाली जटिलताएं

कई रोग जो जन्मजात मोतियाबिंद से जुड़े हैं, वे अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, जन्मजात मोतियाबिंद में निम्न जटिलताएं दिखाई दे सकती हैं (2):

  • मोतियाबिंद की वजह से बच्चा प्रभावित आंख से अच्छी तरह से नहीं देख सकता है।
  • मोतियाबिंद के कारण मस्तिष्क और आंखों को एक साथ काम करने में मुश्किल हो सकती है, जिससे आंखों के सामान्य विकास में और आंखों की गतिविधियों को नियंत्रित करने में समस्या हो सकती है।
  • इससे एम्ब्लियोपिया (Amblyopia) नामक विकार हो सकता है। इसके कारण एक आंख या दोनों आंखों से कम दिखाई देता है।
  • दोनों आंखें एक साथ काम नहीं कर पाती हैं।
  • प्रभावित आंख के अंदर दबाव बनने लगता है, जिससे नजर की हानि हो सकती सकती है।
  • जिन बच्चों को जन्मजात मोतियाबिंद होता है, उन्हें आंख की अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे ग्लूकोमा होना ।

यह जानना भी जरूरी है कि जन्मजात मोतियाबिंद की स्थिति में डॉक्टर से चेकअप कब करवाना चाहिए।

डॉक्टर के पास कब जाएं

निम्न स्थिति का पता चलते ही डॉक्टर से बिना देरी किए संपर्क करना जरूरी होता है (3):

  • जब एक या दोनों आंखों की पुतली पर सफेद धब्बा या क्लाउडी स्पॉट दिखाई दे।
  • जब बच्चा अपने सामने की वस्तुओं को नजरअंदाज करे यानी किसी भी चीज को देख नहीं पा रहा हो, तब तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

आपने आर्टिकल में जाना कि जन्मजात मोतियाबिंद एक दर्लभ विकार है। इसके चलते बच्चे की जन्म से ही नजर धुंधली हो सकती है और उसकी आंखों के लेंस पर एक सफेद परत दिखाई देती है। बेशक, यह चिंता का विषय नहीं है, लेकिन समय रहते इसका इलाज करवाना भी जरूरी है। इसलिए, अगर आपके संपर्क में किसी के बच्चे के साथ ऐसी समस्या हो, तो उसे यह आर्टिकल पढ़ने के लिए जरूर कहें। हमें उम्मीद है कि जन्मजात मोतियाबिंद पर केंद्रित यह आर्टिकल हमारे पाठकों को जरूर पसंद आएगा। आप बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित और जानकारी के लिए मॉमजंक्शन के अन्य आर्टिकल पढ़ सकते हैं।

References

1. Pediatric cataract By NCBI
2. Congenital Cataracts By kidshealth
3. Congenital cataract By medlineplus
4. Nystagmus Types By NCBI
5. Surgery for Congenital Cataract By NCBI
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