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बच्चे क्या खाएं और क्या न खाएं इसका विशेष ख्याल रखने की जरूरत होती है। कारण यह है कि बच्चे गलत खान-पीन और पौष्टिक तत्वों की कमी की वजह से आसानी से बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। इन्हीं बीमारियों में से एक है किडनी स्टोन, जो आजकल बच्चों को तेजी से हो रहा है। यही कारण है कि हम मॉमजंक्शन के इस लेख में किडनी की पथरी की बीमारी के संबंध में विस्तार से बता रहे हैं। यहां आपको किडनी स्टोन के कारण, लक्षण, इससे बचने के उपाय और इलाज के बारे में सभी जरूरी जानकारियां मिलेंगी।

बच्चों में किडनी स्टोन/पथरी क्या होता है?

बच्चों में किडनी स्टोन व पथरी होने का मतलब है गुर्दे में किसी ठोस पदार्थ का जमा होना। स्टोन एक या उससे अधिक भी हो सकते हैं। ये रेत के दाने जितने छोटे व मोती जितने बड़े भी हो सकते हैं। गुर्द में पथरी आनुवंशिक कारणों के चलते परिवार के किसी भी सदस्य को हो सकती है। वैसे डॉक्टरों की मानें, तो अक्सर किडनी में स्टोन की समस्या समय से पहले पैदा हुए शिशुओं को हो सकती है (1)गुर्दे में पथरी तब होती है, जब मिनरल्स किडनी में क्रिस्टल के जैसे ठोस पदार्थ बनाने लगते हैं। समय के साथ ये पदार्थ बड़े होते जाते हैं और पथरी का रूप ले लेते हैं। गुर्दे की पथरी मूत्र पथ यानी यूरिनरी ट्रेक्ट में जा सकती है (2)

अब हम नीचे बता रहे हैं कि बच्चों में किडनी स्टोन की बीमारी होना आम है या नहीं।

बच्चों में किडनी स्टोन होना कितना आम है?

वैसे तो बच्चों के गुर्दे में पथरी यानी किडनी स्टोन का होना आम नहीं है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इससे प्रभावित बच्चों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। इसके लिए खाने-पीने की आदतों में आए बदलाव को सबसे बड़ा कारण माना गया है। विशेष रूप से प्रोसेस्ड फूड और टेबल सॉल्ट के माध्यम से लिए जाने वाले सोडियम और शारीरिक गतिविधियों में कमी के चलते किडनी में पथरी का खतरा बढ़ रहा है (3)

लेख में आगे पढ़ें कि बच्चों में किडनी की बीमारी के प्रकार कितने होते हैं।

बच्चों में किडनी स्टोन के प्रकार

बच्चों में भी वयस्कों और बड़े-बुजुर्गों की तरह ही किडनी स्टोन के कई प्रकार होते हैं। बच्चों में पाए जाने वाले कुछ सामान्य किडनी स्टोन के प्रकार के बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं (3)

  1. कैल्शियम पथरी (Calcium stones) : बच्चों में किडनी स्टोन का सबसे आम प्रकार कैल्शियम पथरी है। इसमें कैल्शियम ऑक्सालेट पथरी और कैल्शियम फॉस्फेट पथरी खासतौर पर शामिल है। इसमें भी कैल्शियम फॉस्फेट पथरी को ज्यादा आम माना गया है। दरअसल, वो कैल्शियम जो बच्चे की हड्डियों और मांसपेशियों में नहीं पहुंचता है, वो गुर्दे में चला जाता है और पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाता है। वहीं, कुछ बच्चों के गुर्दे अतिरिक्त कैल्शियम का रिसाव करते हैं, जो अन्य अपशिष्ट पदार्थों के साथ मिलकर किडनी में स्टोन बना लेता है। ध्यान रहे कि भोजन से मिलने वाला कैल्शियम इस प्रकार की पथरी की आशंका को बढ़ावा नहीं देता।
  1. यूरिक एसिड की पथरी (Uric acid stones) : यूरिक एसिड स्टोन तब बनता है, जब बच्चे के पेशाब में जरूरत से ज्यादा यूरिक एसिड मौजूद हो। चिकित्सकीय स्थिति या वंशानुगत विकार बच्चे के पेशाब मार्ग यानी यूरिनेरी ट्रैक्ट में अधिक यूरिक एसिड पैदा कर सकते हैं। कभी-कभी मछली, शंख और मांस खाने से भी पेशाब में यूरिक एसिड बढ़ सकता है, जिससे गुर्दे में पथरी बन सकती है।
  1. स्ट्रूवाइट पथरी (Struvite stones) : अपर यूरिनरी ट्रैक्ट (Upper urinary tract) में संक्रमण के बाद गुर्दे में स्ट्रूवाइट पथरी बन सकती है। यह पथरी अचानक विकसित हो सकती है और जल्दी से बड़ा रूप ले सकती है। स्ट्रूवाइट पथरी खासकर उन बच्चों को होती है, जिनका अपर यूरिनरी ट्रैक्ट सामान्य रूप से विकसित नहीं होता है और पेशाब का प्रवाह सीमित या अवरुद्ध हो जाता है। ध्यान रहे कि मूत्राशय के सामान्य संक्रमण (Simple urinary tract infection) स्ट्रूवाइट पथरी का कारण नहीं बनते हैं।
  1. सिस्टीन पथरी (Cystine stone) : यह पथरी सिस्टिनुरिया नामक विकार की वजह से होती है। यह विकार आनुवंशिक रूप से होता है। सिस्टिनुरिया में बच्चे के गुर्दे में बड़ी मात्रा में सिस्टीन यानी एक तरह के अमीनो एसिड का रिसाव होता है।

अब हम बच्चों में किडनी स्टोन होने के कारण के बारे में बता रहे हैं।

बच्चों में किडनी स्टोन होने के कारण | Bade Baccho Me Kidney Stone Ke Karan Kya Hai

अधिकांश बच्चों और किशोरावस्था में गुर्दे की पथरी कुछ आहार या तरल पदार्थ का सेवन करने के कारण होती है। किडनी में पथरी होने के इसके अलावा भी कुछ कारण हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं (2) (4) (5) :

  • आनुवंशिक कारण।
  • मूत्र के प्रवाह में रुकावट।
  • गुर्दे में संक्रमण।
  • शारीरिक गतिविधियों में कमी।
  • अधिक वजन।
  • पानी का सेवन कम करना।
  • डायबिटीज।
  • मिर्गी के दौरे रोकने के लिए केटोजेनिक आहार।
  • यूरेनरी ट्रैक्ट संबंधी समस्या
  • चयापचय संबंधी विकार।
  • बहुत ज्यादा नमक खाना।
  • पेशाब में बहुत अधिक कैल्शियम का होना।
  • यूरिन में पर्याप्त सिट्रिक एसिड (सिट्रिक फलों में मौजूद एसिड जैसे संतरे) का न होना

बच्चों में किडनी स्टोन होने के कारण के साथ ही लक्षणों का जानना भी जरूरी है। नीचे हम इन लक्षण के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

बच्चों में पथरी होने के लक्षण | Bade Bacho Me Kidney Stone Ke Lakshan Kya Hai

आमतौर पर गुर्दे की पथरी के तब तक लक्षण नजर नहीं आते हैं, जब तक वो एक जगह पर स्थिर रहती है। जैसे ही पथरी अपनी जगह से हिलना शुरू करती है या मूत्रवाहिनी (Ureter) यानी गुर्दे से मूत्राशय को जोड़ने वाली नली की ओर जाती है, तो पेट में दर्द उठता है। वैसे छोटी पथरी तो शरीर से कम दर्द या बिना दर्द के बाहर निकल सकती है, लेकिन बड़े पत्थर की वजह से काफी दर्द होता है। यही कारण है कि बच्चों और किशोरों में गुर्दे की पथरी का सबसे आम संकेत पेट, पीठ या बगल में दर्द की अचानक शुरुआत को माना जाता है। इसके अलावा, बच्चों में पथरी होने के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं (2) (5):

  • मतली और उल्टी।
  • पेशाब में गुलाबी, लाल या भूरे रंग का रक्त यानी हेमाट्यूरिया का दिखना।
  • बार-बार पेशाब आने का एहसास होना।
  • पेशाब करते समय दर्द होना।
  • मूत्राशय से पेशाब के निकलने में परेशानी होना और मूत्राशय भरा होने पर भी कम मूत्र का निकलना।
  • बदबूदार मूत्र।
  • चिड़चिड़ापन, खासकर छोटे बच्चों में।
  • बुखार होना।
  • ठंड लगना।

बच्चों को किडनी स्टोन होने के बाद कैसे इसका निदान किया जाता है, अब इस बारे में बात करते हैं।

बच्चों में किडनी स्टोन होने का निदान

गुर्दे की पथरी के निदान के लिए चिकित्सक बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री, शारीरिक जांच और लेब टेस्ट व इमेजिंग परीक्षण कर सकते हैं। इसके अलावा, डॉक्टर बच्चे व उसके माता-पिता से कुछ इस तरह के सवाल भी पूछ सकते हैं (6):

  • बच्चे में क्या लक्षण नजर आ रहे हैं।
  • गुर्दे की पथरी से जुड़ा पारिवारिक इतिहास।
  • खाद्य और पेय पदार्थ में शामिल चीजें।

बच्चे की मेडिकल व शारीरिक जांच और ऊपर बताए गए सवालों के बाद जब डॉक्टर को लगता है कि पथरी की आशंका हो सकती है, तो डॉक्टर लैब टेस्ट का सुझाव देते हैं। ये टेस्ट कुछ इस प्रकार के हो सकते हैं:

  • यूरिन टेस्ट: इस दौरान यह देखा जाता है कि पेशाब में रक्त और मिनरल्स की कितनी मात्रा है। यूरिन में रक्त और खनिज की मात्रा यह स्पष्ट करती है कि गुर्दे में पथरी है या नहीं। वहीं, पेशाब में सफेद रक्त कोशिकाएं और बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट संक्रमण (मूत्र मार्ग में होने वाले संक्रमण) की ओर संकेत करते हैं।
  • रक्त परीक्षण: यूरिन टेस्ट के साथ ही गुर्दे में होने वाली पथरी का पता लगाने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट करवाने की भी सलाह दे सकते हैं। रक्त का नमूना परीक्षण के लिए प्रयोगशाला भेजा जाता है। इस दौरान भी खून में कुछ खनिजों के उच्च स्तर का पता चल सकता है, जिससे बच्चों में गुर्दे की पथरी होने की आशंका होती है।

इनके अलावा, इमेजिंग टेस्ट भी किए जाते हैं, जो यह पता लगाने में मदद करते हैं कि किडनी में पथरी है या नहीं। इसमें कुछ ये टेस्ट शामिल हैं:

  • अल्ट्रासाउंड
  • पेट का एक्स-रे
  • सीटी-स्कैन

ये तीनों टेस्ट बच्चे के पूरे मूत्र पथ (Urinary Tract) की तस्वीर बनाते हैं, जिसमें किडनी भी शामिल है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि पथरी है या नहीं।

बच्चों में किडनी स्टोन होने के कारण व लक्षण के बाद हम जोखिम कारक के बारे में बता रहे हैं।

बच्चों में किडनी स्टोन होने के जोखिम

माना जाता है कि जिन लोगों को एक बार स्टोन की समस्या हो जाती है, उनके ठीक होने के 5 से 7 साल के अंदर दूसरी बार पथरी होने का जोखिम करीब 50% अधिक होता है। इसके अलावा, किडनी स्टोन होने के बाद के जोखिम कुछ इस प्रकार हैं (7):

  • उच्च रक्तचाप
  • गुर्दे की क्रोनिक यानी पुरानी बीमारी, जो समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ती रहती है।
  • मेटाबॉलिक हड्डी रोग (Metabolic bone disease )
  • अंतिम चरण की रेनल (किडनी का हिस्सा) की बीमारी

अब हम बच्चों में पथरी होने पर इलाज किस तरह से किया जाता है और क्या-क्या ट्रीटमेंट होता है, वो विस्तार से बता रहे हैं।

बच्चों में पथरी होने के इलाज

गुर्दे की पथरी का उपचार आमतौर पर उनके आकार, स्थान और वो किस चीज से बनी है, इस पर निर्भर करता है। सामान्य तौर पर छोटे पथरी उपचार के बिना ही पेशाब की नली से निकल जाती है (8)

  • स्टोन को निकालने के लिए पानी का अधिक सेवन करने को कहा जाता है।
  • अधिक दर्द होने पर दर्द निवारक दवा भी दी जाती है।
  • साथ ही कुछ दिन तक एक तरह के स्ट्रेनर व छन्नी पर पेशाब करने की सलाह दी जा सकती है, जिसमें मूत्र से निकलने वाली पथरी अटक सके।
  • बाद में उस पथरी को कनटेनर में डालकर जांच के लिए भेजा जाता है, ताकि पता चल सके कि पथरी किस चीज से बनी है।
  • उसके बाद डॉक्टर उसी हिसाब से परहेज करने को कहते हैं और दवा देते हैं।

वहीं, गुर्दे में बड़ी पथरी मूत्र मार्ग को अवरुद्ध यानी ब्लॉक करती है। ऐसे में ज्यादा दर्द होता है। इस दौरान डॉक्टर बच्चे को IV के माध्यम से बच्चे को तरल पदार्थ चढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, बड़ी पथरी निकालने के लिए डॉक्टर उसे छोटे-छोटे टुकड़े में तोड़ने या निकालने के लिए कुछ इस तरह के ट्रीटमेंट कर सकते हैं:

  1. शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (Shock wave lithotripsy) : गुर्दे की पथरी को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर बाहर निकालने के लिए तरंगों यानी वेव का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद मूत्र मार्ग से पथरी छोटे-छोटे टुकड़ों में निकल जाती है।
  1. सिस्टोस्कोपी और यूटरोस्कोपी (Cystoscopy and ureteroscopy) : सिस्टोस्कोपी में डॉक्टर एक पतली ट्यूब और एक छोटे-से लेंस का इस्तेमाल करते हैं। इसके जरिए यह जानने का प्रयास किया जाता है कि किडनी में पथरी किस जगह है। जब पथरी मिल जाती है, तो डॉक्टर अगर पथरी ज्यादा बड़ी न तो हो, तो उसे सीधे निकाल देते हैं। वहीं, अगर पथरी बड़ी है, तो उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देते हैं। इस दौरान बच्चे को एनेस्थेसिया का इंजेक्शन दिया जाता है, जिससे बच्चा होश में नहीं रहता और उसे दर्द का एहसास नहीं होता।
  1. परक्यूटीनियस नेफ्रोलिथोटॉमी (Percutaneous nephrolithotomy) : इस दौरान भी एक पतले से उपकरण यानी नेफ्रोस्कोप का उपयोग करके गुर्दे की पथरी का पता लगाकर उसे निकाला जाता है। डॉक्टर सीधे उपकरण को गुर्दे तक पहुंचाने के लिए पीठ में एक छोटा कट बनाते हैं। इसके बाद उपकरण के माध्यम से पथरी को निकाला जाता है। बड़ी पथरी होने पर लेजर का उपयोग कर उसे छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है और फिर बाहर निकाला जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान भी बच्चे को बेहोशी का इंजेक्शन यानी एनेस्थीसिया दिया जाता है। साथ ही बच्चे को रिकवरी के लिए अस्पताल में कुछ दिनों तक रखा जाता है।

चलिए, अब नीचे जानते हैं बच्चों में किडनी स्टोन होने पर क्या घरेलू उपचार किए जा सकते हैं।

बच्चों में किडनी स्टोन होने के घरेलू उपचार

  1. पानी का सेवन : जैसा कि हम ऊपर लेख में बता ही चुके हैं कि पानी का सेवन कम करने की वजह से किडनी की पथरी की समस्या हो सकती है। ऐसे में किडनी स्टोन से बचने का सबसे बेहतरीन घरेलू उपचार पानी का अधिक से अधिक मात्रा में सेवन करना ही है। 
  1. अनार का जूस : पथरी के घरेलू उपचार के लिए अनार के जूस का सेवन किया जा सकता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव पाए जाते हैं, जो किडनी को डिटॉक्स करने में मदद कर सकते हैं। यह शरीर में कैल्शियम ऑक्सालेट के अवशोषण को घटाता है, जिससे किडनी स्टोन बनने का खतरा भी कम हो सकता है (9)
  1. मछली का तेल : मछली का तेल में डाइटरी ईकोसपेंटेनोइक एसिड (EPA) होता है, जिसकी वजह से इसे किडनी स्टोन में लाभदायक माना जाता है। एक शोध के मुताबिक, प्रतिदिन 1200 मिलीग्राम मछली के तेल का सेवन करने से यूरिन कैल्शियम और ऑक्सालेट की मात्रा में कमी पाई जाती है। इसके साथ ही यह पेशाब में सिट्रेट को भी बढ़ाता है। इसी कारण से मछली के तेल को भी किडनी की पथरी के लिए घरेलू उपचार की तरह उपयोग में लाया जाता है। मछली के तेल के अलावा अलसी के तेल, अखरोट के तेल और कैनोला ऑयल में भी ईपीए पाया जाता है (10)
  1. नींबू व अन्य खट्टे फल : जैसा कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि यूरिन में पर्याप्त सिट्रिक एसिड न होने पर भी किडनी स्टोन हो सकता है। ऐसे में सिट्रिक एसिड से भरपूर फल लाभदायक हो सकते हैं। प्रतिदिन सिर्फ 4 औंस यानी करीब 110 ml नींबू के रस का सेवन करने से ऑक्सलेट के स्तर में वृद्धि किए बिना ही यूरिन में सिट्रेट के स्तर को बढ़ाया जा सकता है। विकल्प के रूप में तरबूज का रस और संतरे के रस को भी पथरी के घरेलू उपचार में शामिल किया जा सकता है, क्योंकि ये दोनों भी सिट्रेट के समृद्ध स्रोत हैं (10)। 
  1. कलौंजी : कलौंजी के बीज में मौजूद एथेनॉलिक अर्क का इस्तेमाल करके भी किडनी स्टोन से बचा जा सकता है। यह यूरिन में कैल्शियम ऑक्सलेट की मात्रा को कम करता है, जिसकी वजह से गुर्दे में पथरी बनती है (9)
  1. गुड़हल के फूल : गुड़हल के फूल से बनी चाय का सेवन करने से भी किडनी स्टोन से कुछ राहत मिल सकती है। एक परीक्षण में 15 दिनों तक 1.5 ग्राम सूखे गुलहड़ से बनी चाय का सेवन करने पर यूरिक एसिड को निकालने में मदद मिली। जैसा कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि पेशाब में अधिक यूरिक एसिड होने पर भी किडनी स्टोन होता है, इसलिए गुलहड़ की चाय को इसके लिए लाभकारी माना जाता है (9)

आइए, अब इस अवस्था से बचने के लिए कुछ काम की बातों पर गौर कर लेते हैं।

बच्चों में किडनी स्टोन होने से कैसे रोकें?

पथरी को बनने से रोकने का सबसे अच्छा उपचार, इसका बचाव ही है। गुर्दे की पथरी से कुछ इस तरीके से बचा जा सकता है (2) (10)

  • रोजाना दिन भर पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन करें, खासकर पानी।
  • आहार में नमक और प्रोटीन की मात्रा सीमित करें।
  • सोडा या सॉफ्ट ड्रिंक के सेवन से बचें।
  • अध्ययनों से पता चला है कि उच्च रक्तचाप को कम करने वाला आहार (DASH) गुर्दे की पथरी के जोखिम को कम कर सकता है।

अब जानते हैं कि किडनी स्टोन होने पर खान-पान में क्या ध्यान रखें।

बच्चों को किडनी स्टोन पर कौन से खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए?

किसी बच्चे को पहले से ही गुर्दे की पथरी हो, तो वह आहार में कुछ बदलाव करके इस समस्या को कम और अन्य पथरी को बनने से रोक सकता है। नीचे हम किडनी स्टोन होन पर कौन से खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए, यह विस्तार से बता रहे हैं (10)

  • नट्स और नट्स से बने उत्पाद।
  • पालक।
  • रूबर्ब (Rhubarb), एक तरह का फल।
  • व्हीट ब्रान (चोकर) व इससे बनी चीजें।
  • सोडियम यानी नमक का सेवन कम करें।
  • फास्ट फूड और पैक्ड फूड से बचें।
  • पशुओं से मिलने वाले प्रोटीन के सेवन को सीमित करें, जैसे: चिकन, अंडा व मछली
  • दूध, पनीर व अन्य डेयरी उत्पाद।

चलिए, अब जानते हैं कि किडनी में पथरी होने पर डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए

डॉक्टर के पास कब जाएं?

लेख में ऊपर बताए लक्षण नजर आते ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि पथरी काफी बड़ी हो जाती है, लेकिन हमें पता नहीं चलता। इस दौरान पेट में काफी दर्द, उल्टियां और डिहाइड्रेशन हो जाता है। यह आपात स्थिति होती है। ऐसे में बिना किसी देरी के डॉक्टर से संपर्क कर उपचार शुरू कर देना चाहिए (8)>।

बच्चों में किडनी स्टोन से संबंधी सभी छोटी-बड़ी जानकारी आपको इस लेख के माध्यम से मिल ही गई होंगी। बस अब किडनी की पथरी से संबंधित बारीकियों को समझने के बाद आप अपनी सूझबूझ और लेख में बताए गए घरेलू उपाय को अपनाकर अपने बच्चे को इससे बचा सकती हैं। वहीं, अगर बच्चे को किडनी स्टोन हो गया है, तो घबराने की जगह यहां बताए गए हानिकारक खाद्य पदार्थों के सेवन से बच्चे को रोके और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। स्वास्थ्य के प्रति सतर्कता ही हर तरह की बीमारी से बचने और उसे रोकने का सबसे बेहतरीन तरीका हो सकता है।

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