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बच्चों की सुरक्षा न सिर्फ घर के अंदर, बल्कि घर के बाहर भी सुनिश्चित करनी जरूरी होती है। यहां घर के बाहर की सुरक्षा से हमारा तात्पर्य बच्चों की आत्मरक्षा से है, जिसमें सड़क सुरक्षा के नियम भी शामिल हैं। दरअसल, लगभग तीन साल की उम्र के सभी बच्चे स्कूल जाना शुरू कर देते हैं। ऐसे में यह संभव नहीं हो पाता कि माता-पिता हर पल बच्चे के साथ रहें। ऐसे में सड़क पर चलते समय बच्चे को किसी भी अप्रिय घटना से बचाने के लिए बच्चे को सड़क सुरक्षा नियम की जानकारी दिया जाना आवश्यक है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल में हम बच्चों को सड़क सुरक्षा नियम सिखाने के कुछ आसान तरीके बता रहे हैं। साथ ही यहां आपको बच्चों के लिए जरूरी सभी सुरक्षा नियमों की जानकारी भी हासिल होगी।

तो आइए सबसे पहले हम बच्चों के लिए सड़क सुरक्षा नियम की अहमियत समझ लेते हैं।

बच्चों के लिए सड़क सुरक्षा के नियम क्यों जरुरी हैं?

बच्चों के लिए सड़क सुरक्षा नियमों को जानना काफी आवश्यक है। वजह यह है कि दिन-ब-दिन बच्चों से जुड़े सड़क दुर्घटना के मामले काफी बढ़ते जा रहे हैं। इस बात का अंदाजा एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) पर प्रकाशित एक शोध से लगाया जा सकता है। यह शोध हैदराबाद में स्कूली छात्रों से जुड़ा हुआ है, जो यह जानने में मदद कर सकता है कि पैदल, साइकिल या बस से बच्चे का स्कूल जाना कितना सुरक्षित हो सकता है। इस शोध में शामिल 17 फीसदी बच्चों ने अपने साथ सड़क दुर्घटना होने की जानकारी दी, जिसमें 25 फीसदी लड़के और 11 फीसदी लड़कियां थीं। इस रिपोर्ट के अनुसार, जो बच्चे पैदल चलते हैं या साइकिल का इस्तेमाल करते हैं, उनमें बस से यात्रा करने वाले बच्चों के मुकाबले सड़क दुर्घटना होने का जोखिम अधिक हो सकता है (1)

वहीं, इसी मामले पर एनसीबीआई की बेवसाइट पर भी एक रिपोर्ट प्रकाशित है, जिसके अनुसार दक्षिणी केरल में हर पांच में एक बच्चा सड़क दुर्घटना का शिकार होता है, जिसमें सबसे ज्यादा मामले पैदल चलते हुए सड़क पार करने से जुड़े हैं (2) ऐसे में इन दुर्घटनाओं के कारणों पर विचार किया जाए, तो यह समझा जा सकता है कि इसका मुख्य कारण बच्चों में सड़क सुरक्षा से जुड़े नियमों का अभाव हो सकता है। इस आधार पर बच्चों के लिए सड़क सुरक्षा के नियम जरूरी माने जा सकते हैं।

अब हम बच्चों के लिए जरूरी सुरक्षा नियमों की जानकारी देंगे।

बच्चों के लिए 15 महत्वपूर्ण रोड सेफ्टी रूल्स

बच्चों को कैसे सिखाएं सड़क पर चलने के नियम, इस सवाल का जबाव नीचे बताए गए 15 रूल्स से मिल सकता है। यह रोड सेफ्टी रूल्स न सिर्फ बच्चे को सड़क दुर्घटनाओं से बचाएंगे, बल्कि ट्रैफिक के नियमों के बारे में उन्हें जागरूक भी करेंगे।

1. ट्रैफिक सिग्नल का अर्थ समझाएं

यातायात का सबसे पहला नियम ट्रैफिक सिग्नल से शुरू होता है। इसमें हरी, लाल और पीले रंग की तीन लाइट होती हैं, जिनका अलग-अलग अर्थ होता है। इन सिग्नल का पालन सड़क पर वाहन चलाने वाले लोगों के साथ ही पैदल चलने वाले लोगों को भी करना चाहिए। इस लिहाज से बच्चों को ट्रैफिक सिग्नल का मतलब समझाते हुए प्रत्येक रंग की लाइट से जुड़े नियमों के बारे में बताना चाहिए, जो कुछ इस प्रकार हैं :

  • हरी बत्ती का अर्थ – सड़क पर लगी रोड सिग्नल की हरी लाइट का अर्थ है, जाना। यानी जब सड़क सिग्नल पर हरी लाइट जलेगी, तो सभी वाहन तेजी से आगे बढ़ेंगे। ऐसे में हरी लाइट दिखने पर बच्चों को रुकने का निर्देश दें।
  • पीली बत्ती का अर्थ – पीली लाइट का अर्थ वाहन को धीमा करने से है। यानी जब सड़क का सिग्नल पीला होगा तो सभी वाहन अपनी गति को धीमा करेंगे। ऐसे में भी बच्चों को किसी भी हालत में सड़क को नहीं पार करना चाहिए।
  • लाल बत्ती का अर्थ – लाल लाइट यह दर्शाती है कि सभी वाहनों को रुकना है। यानी इस समय सड़क पर मौजूद सभी वाहन रुकेंगे। यानी सड़क पर लगी लाल लाइट जलने पर बच्चे को सड़क पार करने के निर्देश दे सकते हैं।

2. रुको, देखो फिर सड़क पार करो

घर से बाहर निकलते ही सड़क पर जाने से पहले बच्चे को यह समझाएं कि सड़क पर जाने व सड़क पार करने से पहले उसे अपने सुरक्षित स्थान पर रुकना चाहिए। उसके बाद बच्चे को सड़क के दाईं व बाईं तरफ देखना चाहिए। वहीं अगर इस दौरान सड़क पर कोई वाहन तेज गति में है, तो उसके जाने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। फिर जब यह सुनिश्चित हो जाए कि रास्ता पूरी तरह से साफ है, तो ही उसे सावधानी के साथ सड़क पार करनी चाहिए।

3. ध्वनि पर ध्यान दें

सड़क के किसी मोड़ पर आते हुए वाहनों को नहीं देखा जा सकता है। इसलिए बच्चे को बताएं कि अगर वह सड़क के किसी मोड़ पर हैं और सड़क पार कर रहे हैं, तो उन्हें आस-पास से आने वाली तेज और मंद ध्वनियों को ध्यान से सुनना चाहिए। साथ ही सड़क के दाईं और बाईं तरफ भी देखना चाहिए। अगर आने वाली ध्वनि तेजी से करीब आती सुनाई दे रही है, तो उस समय सड़क पार नहीं करना चाहिए। वजह यह है कि इस तरह की ध्वनि तेज रफ्तार से आ रहे वाहन का संकेत हो सकती है। ऐसी स्थिति में बच्चे को कुछ पल के लिए प्रतीक्षा करना चाहिए और जब वाहन निकल जाए, उसके बाद ही सड़क पार करना चाहिए।

4. सड़क पर दौड़ें नहीं

बच्चों को हर काम करने में थोड़ी जल्दी होती है। इसी वजह से वह सड़क पार करते समय या पार्क में जाते समय दौड़ सकते हैं। इस स्थिति में सड़क दुर्घटना होने का जोखिम अधिक रहता है। इसलिए बच्चे को बताएं कि सड़क पर चलते समय या सड़क पार करते समय दौड़े नहीं। बच्चों को समझाएं कि बच्चों को हमेशा सड़क के किनारे चलना चाहिए। वहीं सड़क पार करते समय आते-जाते वाहनों का ध्यान रखना चाहिए।

5. फुटपाथ का उपयोग करें

अपने बच्चों को सड़क पर चलते समय फुटपाथ का उपयोग करना सिखाएं। उन्हें बताएं कि सड़क के किनारे फुटपाथ सिर्फ पैदल चलने वालों के लिए ही बनाए जाते हैं। ताकि पैदल चलने वाले लोग सड़क पर तेज गति से चलने वाले वाहनों की चपेट में ना आएं। इससे सड़क दुर्घटना के जोखिम को काफी हद तक कम करने में मदद मिल सकती है।

6. पेडेस्ट्रियन से करें सड़क पार

सड़क व यातायात के कुछ खास नियम होते हैं, जिसमें फुटपाथ और पेडेस्ट्रियन (पैदल सड़क पार करने का रास्ता) भी शामिल हैं। बच्चों को बताएं कि जिस तरह सड़क पर पैदल चलने वाले लोगों के लिए फुटपाथ बना होता है, उसी तरह सड़क पार करने वाले लोगों के लिए पेडेस्ट्रियन (जैसे :- जेब्रा क्रोसिंग) बना होता है। ऐसे में ट्रैफिक सिग्नल की बत्ती लाल होने पर बच्चों को सड़क पार करने के लिए पेडेस्ट्रियन का ही उपयोग करना चाहिए। यह सड़क पार करने का सबसे सुरक्षित तरीका होता है।

7. वाहन के बाहर हाथ न निकालें

बस, कार, ट्रेन या अन्य वाहन में बैठने पर अक्सर बच्चे जिद करते हैं कि उन्हें खिड़की वाली सीट चाहिए, ताकि वे बाहर का नजारा देख सकें। इस दौरान वे अपना हाथ भी खिड़की के बाहर कर सकते हैं, जो बेहद खतरनाक होता है। अगर बच्चा खिड़की वाली सीट पर बैठने की जिद करता है, तो उसे बताएं कि खिड़की के बाहर हाथ या शरीर का कोई अन्य हिस्सा खिड़की से बाहर न निकालें। ऐसा करने से बच्चों का सड़क पर चलने वाले अन्य वाहनों की चपेट में आने का जोखिम बढ़ जाता है।

8. मोड़ से सड़क पार न करें

मोड़ के कारण सड़क के दूसरी तरफ से आ रहे वाहन नहीं दिखाई देते हैं। ऐसे में मोड़ वाले स्थान से सड़क पार करना दुर्घटना की संभावना को बढ़ा सकता है। इससे बचने के लिए बच्चे को बताएं कि मोड़ की जगह सड़क के बीच या पेडेस्ट्रियन (जेब्रा क्रॉसिंग) वाले स्थान से ही सड़क पार करें।

9. ड्राइविंग के नियमों का पालन करे

अगर बच्चा स्कूल जाने या घूमने-फिरने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करता है, तो उसे ड्राइविंग के नियमों का पालन करने के लिए कहें। उसे बताएं कि ट्रैफिक सिग्नल के साथ ही, उसे हेलमेट भी पहनना चाहिए। साइकिल चलाते समय राहगीरों से बात न करें और सड़क पर आ रहे वाहनों का भी ध्यान रखें। साथ ही निम्न बातों का भी उसे ध्यान रखना चाहिए, जैसेः

  • साइकिल का इस्तेमाल करने से पहले साइकिल की अवस्था की जांच करें। जैसे, ब्रेक और हॉर्न सही से कार्य कर रहे हैं या नहीं।
  • अगर उसमें किसी तरह की कोई खराबी है, तो उसे ठीक करने के बाद ही साइकिल का उपयोग करें।
  • साइकिल चलाते समय साइकिल लेन का ही उपयोग करें।
  • पीछे से आ रहे वाहनों को जाने का रास्ता दें।
  • साइकिल की गति का ध्यान रखें।

10. चलते वाहन में सुरक्षित बैठना

बच्चे के लिए सड़क के नियम ही नहीं, बल्कि किसी चलते वाहन में बैठने के नियम भी बेहद जरूरी हैं। बच्चे को बताएं कि कार में बैठने के बाद उसे सीट बेल्ट लगाना चाहिए। वहीं चलती हुई बस के अंदर दौड़ने का प्रयास नहीं करना चाहिए।

11. वाहन के रुकने के बाद ही चढ़ना और उतरना

बच्चे को समझाएं कि स्कूल बस या अन्य किसी वाहन के रुकने के बाद ही बच्चे को उसमें चढ़ना या फिर उससे उतरना चाहिए। चलते वाहन में चढ़ने या उससे उतरने का प्रयास दुर्घटना का कारण बन सकता है।

12. हमेशा किनारे पर ही उतरें

बच्चे को बताएं कि स्कूल बस या किसी भी अन्य वाहन से तभी उतरना चाहिए, जब वहां सड़क के किनारे आकार रुके। ताकि उनकी वजह से सड़क पर चल रहे अन्य वाहनों के लिए अवरोध उत्पन्न न हो।

13. स्कूल बस का इस्तेमाल हमेशा लाइन में रहकर करें

स्कूल बस या परिवहन वाहनों का इस्तेमाल करते हुए, बच्चे को लाइन में रहना सिखाएं। इस बात का ध्यान बच्चे को वाहन में चढ़ते और उतरते, दोनों ही समय रखना चाहिए।

14. उतरने वाले यात्रियों को पहले अवसर दें

बच्चे को बताएं कि अगर वह किसी वाहन में चढ़ने वाला है, तो उसे पहले उतरने वाले लोगों को बाहर निकलने का मौका देना चाहिए। उसके बाद ही अपना नंबर आने पर बच्चे को वाहन में चढ़ना चाहिए।

15. हाथ का इशारा दें

बच्चे को बताएं कि सड़क पार करते समय दूर से आ रहे वाहनों को हाथ का इशारा देना चाहिए। ताकि वाहन चालक को आपके सड़क पार करने का संकेत मिल सके और वह अपने वाहन की गति धीमी कर सके।

लेख के अगले भाग में अब हम बच्चों के लिए यातायात नियम के कुछ खास चिन्हों के बारे में बता रहे हैं।

बच्चों के लिए सड़क सुरक्षा नियम के चिन्ह

सड़क सुरक्षा नियमों की जानकारी के साथ ही जरूरी है कि माता-पिता बच्चों को सड़क सुरक्षा नियम के चिन्हों के बारे में भी बताएं, जो कुछ इस प्रकार हैं :

1. रुकने का चिन्ह (स्टॉप साइन)

यह सबसे आसानी से पहचाने जाने वाला चिन्ह है। यह उन स्थानों पर लगाया जाता है, जहां चालक को अपना वाहन रोकने की आवश्यकता होती है। ऐसे निशान अक्सर सड़क पार करने वाले स्थानों पर लगाए गए होते हैं। इससे बच्चे को यह समझने में मदद मिलेगी कि उसे वाहन रूकने पर इसी तरह के निशान वाले स्थान से सड़क पार करना चाहिए।

2. स्कूल क्रॉसिंग साइन

School crossing sign
Image: Shutterstock

यह चिन्ह उस जगह पर लगाए जाते हैं जहां बच्चों का स्कूल होता है और वे वहां से सड़क पार करते हैं। इस संकेत से चालक को इशारा होता है कि यहां पर उसे वाहन सावधानी से और मंद गति में चलाना चाहिए, क्योंकि यहां पर बच्चे हो सकते हैं।

3. बच्चों के खेलने का चिन्ह

Children's play symbol
Image: Shutterstock

यह चिन्ह अक्सर पार्क और प्ले जोन के आस-पास लगाया जाता है। इसकी मदद से वाहन चालक को यह संदेश मिलता है कि आगे बच्चों के खेलने का क्षेत्र है और उसे वाहन की गति धीमी रखनी चाहिए।

3. सीट बेल्ट का चिन्ह

Seat belt sign
Image: Shutterstock

न सिर्फ वाहन चालक, बल्कि आगे और पीछे की सीट पर बैठे यात्रियों को भी सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य होता है। इस तरह के चिन्ह अक्सर सड़कों पर दिखाई दे सकते हैं। खासकर, उन सड़कों पर जहां पर वाहन को तेज गति में चलाया जा सकता है। ताकि, लोगों को सीट बेल्ट लगाने का सुझाव बार-बार मिलता रहे।

इस भाग में पढ़ें बच्चों के लिए रोड सेफ्टी से जुड़े कुछ मजेदार गेम्स

बच्चों के लिए रोड सेफ्टी एक्टिविटी व गेम्स

अगर किसी खेल के माध्यम से बच्चों को कोई बात सिखाई जाए, तो बच्चे उसे आसानी से समझ सकते हैं। वजह यह है कि बच्चों की रुचि हमेशा नए-नए खेल खेलने में अधिक होती है। ऐसे में बच्चों के लिए रोड सेफ्टी एक्टिविटी व गेम्स उन्हें यातायात के नियम सिखाने में काफी मदद कर सकते हैं। इसके लिए आप अपने बच्चों के साथ इस तरह के मजेदार खेल खेल सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं :

  • चर्चा करना – बच्चों के साथ यातायात और सड़क सुरक्षा से जुड़े नियमों के बारे में सवाल-जवाब करें। जैसे, उनसे पूछे कि आपको सड़क कब पार करनी चाहिए या सड़क पार करते समय उन्हें किस तरह देखना चाहिए।
  • पेंटिंग बनाना – बच्चों को ट्रैफिक सिग्नल के नियम व अर्थ समझाने के लिए उन्हें पेंटिंग बनाने के लिए कहें। उन्हें सिग्नल से जुड़ी लाइट और अलग-अलग चिन्हों को बनाने के लिए कहें।
  • क्रॉसवर्ड गेम खेलें – क्रॉसवर्ड गेम बच्चों को नई बातें याद कराने का सबसे आसान तरीका होता है। यह एक सरल और रचनात्मक तरीका होता है (3)। इसमें बच्चों को अक्षरों को जोड़कर ट्रैफिक साइन और रूल्स के बारे में बताने के लिए कह सकते हैं।
  • ध्वनि को पहचाने – बच्चे को विभिन्न वाहनों के ध्वनि सुनाएं और उसे उन्हें पहचाने के लिए कहें।
  • वीडियो की मदद लें – इंटरनेट पर ऐसे कई वीडियो मिल सकती हैं, जिनकी मदद से बच्चे को आसानी से सड़क सुरक्षा के बारे में बताया जा सकता है।
  • यातायात नियम की वर्कशीट प्रिंट करके देना – बच्चे रटी-रटाई बातें बहुत जल्दी भूल सकते हैं। इसलिए आप उन्हें यातायात के नियम याद दिलाने के लिए यातायात नियम की वर्कशीट प्रिंट करके भी दे सकते हैं। इसमें बुनियादी सड़क संकेतों की पूरी जानकारी चित्रों के माध्यम से दी गई होती है। इसे बच्चे आसानी से समझ सकते हैं। इसे हर समय अपने साथ रख सकते हैं और आसानी से सड़क सुरक्षा के नियमों के बारे में जान सकते हैं।

यातायात संकेत का वर्कशीट प्रिंट करने के लिए यहां क्लिक करें

अंत में जानिए बच्चों के लिए सड़क सुरक्षा नियम से जुड़े रोचक तथ्य।

बच्चों के लिए सड़क सुरक्षा नियमों से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

बच्चों के लिए सड़क सुरक्षा नियम जानने क्यों जरूरी होते हैं, इसे समझाने के लिए बच्चों को यहां नीचे बताए गए रोचक तथ्यों के बारे में बता सकते हैं।

  • यातायात के कारण होने वाली दुर्घटनाएं सबसे ज्यादा भारत में होती हैं। हर साल भारत में 1.3 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु होती है (4)
  • दुनिया में जहां वाहनों से होने वाली दुर्घटना का आंकड़ा 1 फीसदी है, वहीं भारत में इसका आंकड़ा 10 फीसदी है (4)
  • संयुक्त राज्य अमेरिका में, जहां प्रति 10,000 वाहनों पर मरने वालों की संख्या 1.6 फीसदी है, वहीं भारत में यह संख्या 14 फीसदी है (4)
  • दुनिया भर में हर दिन लगभग 3,247 लोगों की मृत्यु सड़क दुर्घटना में होती है, जिसमें 5 से 29 वर्ष के आयु के लोगों की मृत्यु सबसे अधिक होती है। यही नहीं, इस उम्र के लोगों की मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण सड़क दुर्घटना को ही माना जाता है (4)
  • वैश्विक स्तर पर सड़क दुर्घटना में हर साल 20 से 50 लाख लोग दुर्घटनाग्रस्त होते हैं या फिर विकलांगता के शिकार होते हैं (4)
  • वैश्विक स्तर पर सड़क दुर्घटना 2.1 प्रतिशत लोगों की मृत्यु का 11वां प्रमुख कारण है (4)
  • दुनिया भर में सड़क दुर्घटना में होने वाली कुल मृत्यु में 73 फीसदी आंकड़ा पुरुषों का होता है (4)
  • इतना ही नहीं, विकासशील देशों में सड़क दुर्घटना के कारण होने वाली मौतों में 83 फीसदी की वृद्धि और विकसित देशों में 27 फीसदी की कमी होने का अनुमान लगाया गया है (4)
  • नशे में वाहन चलाना भी सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में से एक है। आंकड़ों के अनुसार, नशे में वाहन चलाने के कारण वैश्विक स्तर पर, हर साल लगभग 4,80,000 मौतें होती हैं, जिनमें से 20 लाख लोग घायल होते हैं। इनमें 20 फीसदी मामले उच्च आय वाले देशों से और करीब 33 से 69 फीसदी मामले भारत जैसे निम्न और मध्यम आय वाले देशों के होते हैं (4)
  • वहीं, मोटरसाइकिल से होने वाली दुर्घटना के कारण मुख्य तौर पर सिर में चोट लगती है, जो मृत्यु और विकलांगता का एक प्रमुख कारण बनती है (5)
  • गुणवत्ता वाले हेलमेट पहनने से सड़क दुर्घटना में चोट लगने व मृत्यु की संभावना कम हो सकती है (5)

बच्चों को यातायात नियम के बारे में जानकारी कैसे दे सकते हैं, यह तो अब आप सभी को अच्छे से समझ आ गया होगा। लेख में इस बारे में विस्तार से बताया गया है। वहीं बच्चों को सड़क सुरक्षा के उपाय सिखाने के तरीकों को आप लेख में बताए गए खेलों के माध्यम से काफी रोचक भी बना सकते हैं। बस जरूरी यह है कि समय-समय पर सड़क सुरक्षा से जुड़ी गतिविधियों के बारे में आप अपने बच्चे से बात करते रहें। ऐसा करने से बच्चे के साथ-साथ सड़क सुरक्षा से जुड़ी आपकी भी जानकारी बढ़ेगी। उम्मीद है, सड़क सुरक्षा से जुड़ा यह लेख आपको पसंद आया होगा। ऐसे में इस लेख को अपने तक ही सीमित न रखें, बल्कि अपने मित्रों और रिश्तेदारों के साथ भी जरूर शेयर करें।

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