Written by

हर माता-पिता की यही कोशिश होती है कि उनके किसी भी बुरे व्यवहार का असर उनके बच्चे पर न पड़े। इसके बावजूद पेरेंट्स कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं, जिसकी छाया उनके बच्चे पर पड़ ही जाती है। दोनों के

बीच की आपसी लड़ाई भी उन्हीं में से एक है, जो सीधे तौर पर बच्चे को प्रभावित कर सकती है। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करने वाले हैं। इसके अलावा, यहां हम कुछ ऐसी भी बातें बताएंगे, जो हर माता-पिता को बच्चे के सामने बहस करते समय ध्यान में रखनी चाहिए।

लेख में सबसे पहले जानेंगे किमाता-पिता का झगड़ा बच्चों को किस प्रकार प्रभावित करता है।

बच्चों के सामने माता-पिता के लड़ने का क्या असर होता है? | Effects of Parents fighting in front of kids in hindi

पेरेंट्स की लड़ाई बच्चों को भावनात्मक, सामाजिक व व्यवहारिक सहित अन्य कई तरह से प्रभावित कर सकती है। यहां हम उन्हीं प्रभावों का बारी-बारी से जिक्र कर रहे हैं :

  1. बच्चों की पढ़ाई पर असर:  माता-पिता के बीच की लड़ाई या फिर किसी अन्य प्रकार का पारिवारिक कलह का असर सीधे तौर परबच्चों की पढ़ाई पर पड़ सकता है। इस बात की पुष्टि एक वैज्ञानिक शोध से भी होती है। इस शोध में यह बताया गया है कि माता-पिता के बीच आपसी लड़ाई का नकारात्मक प्रभाव बच्चों की शिक्षा पर पड़ सकता है, जिस वजह से उनका एकेडमिक ग्रेड खराब हो सकता है (1)
  1. बच्चे उदास हो सकते हैं : अगर माता-पिता बच्चों के सामने आपस में लड़ाई करते हैं, तो इससे उनका मन उदास हो सकता है। इस बात की जानकारी एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध से होती है। यह शोध कुछ ऐसे बच्चों पर किया गया है, जिन्होंने अपने माता-पिता की लड़ाई का अनुभव किया है। इन बच्चों के मुताबिक, वह जब माता-पिता को लड़ते देखते हैं, तो उनका मन बहुत उदास हो जाता है (2)
  1. बच्चे हिंसक हो सकते हैं : अक्सर माता-पिता आपसी बहस में नियंत्रण खो देते हैं और फिर हिंसा का सहारा लेने लग जाते हैं। इसका असर बच्चों पर भी पड़ सकता है और वह हिंसक आचरण अपना सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो अगर माता-पिता बच्चों के सामने अभद्र शब्दों का प्रयोग, चीख-पुकार या फिर आपस में धक्का-मुक्की करते हैं, तो उनके बच्चे भी इस व्यवहार को अपना सकते हैं और दूसरे बच्चों के साथ ऐसा कर सकते हैं (3)
  1. बच्चों की नींद पर असर : माता-पिता के बीच की लड़ाईबच्चों की नींद में खलल डाल सकती है। इससे जुड़े एक शोध में पाया गया है कि आमतौर पर बच्चों के सोने के समय ही माता-पिता के बीच लड़ाई होती है, जिस वजह से उनकी नींद खराब हो जाती है। ऐसे बच्चे अक्सर दिन में सो कर अपनी नींद पूरी करते हैं (3)
  1. बच्चों में खाने संबंधी समस्याएं: बच्चों पर माता-पिता के झगड़े का प्रभाव को लेकर हुए एक रिसर्च में बताया गया है कि पेरेंट्स की लड़ाई के कारणबच्चों में इटिंग डिसऑर्डर यानी खाने से जुड़ी समस्याओं को भी देखा गया है। दरअसल, माता-पिता के बीच मनमुटाव को देखकर बच्चों में खाने की इच्छा कम होने लगती है। वहीं, अगर बच्चों को भोजन से जुड़ी समस्या होती है, तो वे वयस्कों की तुलना में शारीरिक तनाव से अधिक पीड़ित हो सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों को शारीरिक तनाव से बचाने के लिए माता-पिता को अपनी लड़ाई बंद करनी चाहिए (3)
  1. बच्चे खुद को दोषी मान सकते हैं : माता-पिता की आपसी लड़ाई बच्चों को मनोवैज्ञानिक रूप से भी प्रभावित कर सकती है। कई बार ऐसा देखा गया है कि बच्चों को जब यह पता चलता है कि माता-पिता के बीच झगड़ा उनकी वजह से हो रहा है, तो वह खुद को दोषी मान बैठते हैं। इससे बच्चों की भावनाओं को ठेस पहुंच सकता है (3)। अगर एक बार बच्चे के मन यह बैठ गया कि पेरेंट्स के बीच की लड़ाई का कारण वो ही है, तो इससे बच्चा गलत रास्ता अपना सकता है। इसलिए, माता-पिता की बच्चों के प्रति ये जिम्मेदारी जरूर बनती है कि वो अपने बच्चे के मन में ये भावना न आने दें।
  1. असुरक्षित महसूस होना : अपने माता-पिता के बीच झगड़ा होता देख बच्चे अक्सर खुद को असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। उनके मन में एक प्रकार का डर बैठ जाता है। इस वजह से बच्चों को चिंता, मानसिक स्वास्थ्य औरअवसाद की समस्या हो सकती है (3)
  1. बच्चों का सामाजिक कौशल प्रभावित : माता-पिता के बीच झगड़े के कारण बच्चों का सामाजिक कौशल भी प्रभावित हो सकता है। इस पर हुए वैज्ञानिक शोध की मानें तो जो माता-पिता नियमित रूप से आपस में झगड़ा करते हैं, उनके बच्चे अन्य लोगों पर बहुत ही कम भरोसा करते हैं। साथ ही वे उनके साथ सामान्य रूप से संवाद करने में सक्षम नहीं होते। यही नहीं माता-पिता की लड़ाई की वजह से बच्चों का व्यक्तित्व प्रभावित होने के साथ-साथ माता-पिता के साथ उनके संबंधों को खराब कर सकता है (3)
  1. बच्चों पर मानसिक प्रभाव : माता-पिता की लड़ाई का असर बच्चों को मानसिक रूप से भी प्रभावित सकता है। इस विषय से जुड़े रिसर्च में पाया गया है कि माता-पिता के बीच झगड़े के कारण बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप बच्चों की संज्ञानात्मक सोच में कमी आ सकती है। दरअसल, माता-पिता के बीच की लड़ाईबच्चों के मस्तिष्कऔर हार्मोन को प्रभावित करती है, जो उनकेस्मृति और संज्ञानात्मक कौशल को विफलता की ओर ले जा सकते हैं (3)
  1. कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याएं: माता-पिता के आपसी झगड़ों के कारण बच्चों को कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे नींद यापेट दर्द की समस्या। इसके अलावा, बच्चे माता-पिता के बीच के झगड़े के कारण चिंतित होकर स्कूल जाने से मना कर सकते हैं (3)

वहीं, एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में भी इस बात का जिक्र मिलता है कि माता-पिता के बीच की आपसी लड़ाई के कारण बच्चों को प्रारंभिक किशोरावस्था में आंतरिक समस्याओं, जैसे – अवसाद या चिंता का सामना करना पड़ सकता है (4)

चलिए, अब जान लेते हैं किमाता-पिता के झगड़ने पर बच्चे कैसी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

माता-पिता के झगड़ने पर बच्चे की क्या प्रतिक्रिया होती है?

अगर माता-पिता बच्चों के सामने ही झगड़ते हैं, तो वे उस लड़ाई को देखकर निम्नलिखित प्रतिक्रिया दे सकते हैं:

  • माता-पिता को लड़ते देख बच्चे अक्सर शांत और स्थिर हो जाते हैं। उस समय उन्हें यह समझ में नहीं आता कि वे क्या करें।
  • बच्चे अपने माता-पिता को लड़ते हुए देखकर रोने लग सकते हैं।
  • अगर माता-पिता के बीच बहुत तेज बहस हो रही हो, तो इससेबच्चे डर भी सकते हैं और खुद को असुरक्षित महसूस करने लगते हैं।
  • कुछ बच्चे खुद को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • माता-पिता को लड़ते देख बच्चे भी आक्रामक व्यवहार अपना सकते हैं। फिर वो अपने माता-पिता या दूसरों पर गुस्सा करने लगते हैं।
  • बच्चे अक्सर अपने माता-पिता के बीच की लड़ाई के लिए खुद को दोषी मानने लगते हैं।
  • बच्चा घर जाने से घबरा सकता है। वह अपने स्कूल में ही अधिक से अधिक समय बिताना पसंद करने लगता है।

अब उन खास बातों के बारे में जानते हैं, जिनका ध्यान हर माता-पिता को आपसी लड़ाई के समय रखना चाहिए।

बच्चे के सामने झगड़ते वक्त ध्यान रखने योग्य बातें

किसी भी रिश्ते में बहस होना आम है, लेकिन बात जब बच्चों के भविष्य की आती है, तो ऐसे में माता-पिता को उनके सामने झगड़ते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसलिए, यहां हमकुछ ऐसे टिप्स बता रहे हैं, जिसका ख्याल हर माता-पिता को आपस में बहस करते समय रखना चाहिए :

  1. गलत शब्दों का चुनाव न करें: बच्चे के सामने बहस या झगड़ा करते समय इस बात का खास ख्याल रखें कि अपने पार्टनर के लिए किसी भी गलत शब्द का इस्तेमाल न करें। अगर माता-पिता बच्चे के सामने किसी तरह के अपशब्द का इस्तेमाल करते हैं, तो वह भी उसे सीख सकते हैं। फिर बाद में अपने दोस्तों के लिए वो उसी शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं।

इसके अलावा, वो शब्द बच्चों के मन में भी बैठ सकता है। इसके बाद ऐसा भी हो सकता है कि बच्चा अपने माता या पिता की इज्जत करना बंद कर दे। इसलिए, यह जरूरी है कि बहस या झगड़ा करते वक्त माता-पिता शब्दों के चयन पर ध्यान दें।

  1. एक साथ एकजुट रहें:  भले ही पार्टनर की सोच एक दूसरे से बिल्कुल मेल न खाती हो, लेकिन उन्हें अपने बच्चे के सामने एक दूसरे के प्रति तर्क-कुतर्क करने से बचना चाहिए। अगर माता-पिता बच्चे के सामने उसी से संबंधित किसी बात पर एक राय नहीं रखते हैं, तो इससे बच्चा भी थोड़ा भ्रमित हो सकता है।

दरअसल, वह पूरे समय इसी सोच में डूबा रहेगा कि उसे माता-पिता में से किसके फैसले को मानना चाहिए। इसलिए, माता-पिता की यह कोशिश होनी चाहिए कि वह अपने बच्चों को हमेशा यही एहसास कराएं कि उससे जुड़े किसी भी मामले में दोनों की एक ही राय है।

  1. एक दूसरे को प्राथमिकता दें : माता-पिता को हमेशा बच्चों के सामने अपने पार्टनर की बात को प्राथमिकता देना चाहिए। ऐसा करने से बच्चों पर सकारात्मक असर पड़ सकता है। इसके अलावा, बच्चा भी आगे जाकर इसी व्यवहार को अपनाएगा और वह भी दूसरों की बातों को प्राथमिकता देगा।
  1. बहस को ज्यादा लंबा न खींचे : अगर किसी बात पर माता-पिता की बहस होती है, तो कोशिश करें कि उसे ज्यादा लंबा न खींचें, खासकर तब जब बच्चा सामने हो। हमेशा यह प्रयास करें कि उस बहस का हल तुरंत आपसी सहमति के साथ निकाल लिया जाए। इससे पति-पत्नी के बीच बॉन्डिंग भी मजबूत होगी और बच्चे भी इसी अनुभव को सीखेंगे। वह भी आगे चलकर अपने जीवन में किसी भी बहस को सुलझाने में यकीन रखेंगे।
  1. बहस में बच्चों को शामिल न करें: अपने तर्क-कुतर्क के दौरान माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह उसमें अपने बच्चे को शामिल न करें। अगर ऐसा होता है और बच्चे को माता-पिता में से किसी एक का पक्ष लेना पड़ता है, तो इससे बच्चा काफी दुखी हो सकता है। उसके मन में यह डर बैठ सकता है कि माता या पिता में से उसे किसी एक का ही प्यार मिलेगा।
  1. बहस के बाद आपस में प्यार जताएं : पार्टनर से तर्क-कुतर्क होने के बाद बच्चों को यह जरूर बताएं कि माता-पिता के बीच कभी-कभी बहस हो सकती है, लेकिन इससे उनके बीच का प्यार कभी कम नहीं होता। वो हमेशा एक दूसरे का सम्मान करते हैं।

हरमाता-पिता अपने बच्चों के लिए रोल मॉडल होते हैं। वो जैसा व्यवहार अपनाते हैं उनके बच्चे भी उसी को फॉलो करते हैं। इसलिए, जरूरी है कि बच्चों के सामने हमेशा सकारात्मक रवैया अपनाया जाए। अगर कभी किसी बात को लेकर आपस में सहमति नहीं बनती है, तो उसे बच्चों के सामने बहस करने से बचें औरबच्चों को हमेशा ये एहसास दिलाएं कि वो एक खुशहाल परिवार का हिस्सा हैं।

References

Was this article helpful?
thumbsupthumbsdown

Community Experiences

Join the conversation and become a part of our vibrant community! Share your stories, experiences, and insights to connect with like-minded individuals.