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बच्चे जल्द संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं, जिसका सबसे बड़ा कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना है। सर्दी-जुकाम के साथ-साथ बच्चों में दस्त भी एक आम समस्या है। नवजात शिशुओं का मल पतला ही निकलता है, लेकिन दस्त के दौरान यह पानी की तरह निकले लगता है। बच्चों में अक्सर डायरिया की वजह वायरस और बैक्टीरिया होता है। वैसे दस्त ज्यादा दिनों तक नहीं रहता, लेकिन यह शरीर से बड़ी मात्रा में तरल निकाल देता है और शरीर को पूरी तरह कमजोर कर देता है (1)

मॉमजंक्शन के इस लेख में जानिए बच्चों में दस्त की समस्या, इसके कारण और इससे निजात पाने के विभिन्न तरीकों के बारे में। आइए, सबसे पहले जानते हैं कि डायरिया होता क्या है?

क्या है डायरिया?

एक दिन में तीन या इससे अधिक बार पानी की तरह पतला मल आने की समस्या को दस्त कहा जाता है। यह आमतौर पर एक या दो दिन तक रहता है, लेकिन यह अधिक समय तक रह सकता है। अधिक समय तक चलने वाला दस्त (क्रानिक डायरिया) गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। क्रानिक डायरिया कम से कम चार सप्ताह तक रह सकता है और यह किसी क्रानिक बीमारी का लक्षण हो सकता है (2) आगे जानिए शिशुओं में डायरिया के विभिन्न लक्षणों को बारे में।

शिशुओं में दस्त के लक्षण | Baccho Me Dairiya Ke Lakshan

आम डायरिया की तुलना में क्रानिक डायरिया ज्यादा घातक होते हैं और ये बच्चे में विभिन्न लक्षण पैदा कर सकते हैं (3),जैसे :

  • मल का पानी की तरह निकलना।
  • गंभीर स्थिति में मल के साथ खून भी निकल सकता है।
  • अनियंत्रित मल।
  • मतली या उल्टी।
  • पेट के नीचे दर्द या क्रैंप।
  • डिहाइड्रेशन।

शिशुओं में दस्त के कारण

शिशुओं में दस्त की मुख्य वजह वायरस और बैक्टीरिया होता है, लेकिन दस्त की अन्य वजह भी हो सकती हैं। नीचे जानिए शिशुओं में डायरिया के विभिन्न कारणों के बारे में :

1. पेट संबंधी संक्रमण – पेट संबंधी संक्रमण की वजह वायरस और बैक्टीरिया ही होता है, जिससे फूड पॉइजनिंग होती है और दस्त की समस्या शुरू हो जाती है। कम पके हुए भोजन, बासी भोजन, गंदे हाथ से भोजन खाने और खिलाने से रोगाणु शरीर में पहुंच सकते हैं। रोटावायरस, एडीनोवायरस व साल्मोनेला वायरस और बैक्टीरिया शिशु को संक्रमित कर सकते हैं, जो दस्त का कारण बन सकते हैं (4), (5), (6)

2. फूड एलर्जी – मां के दूध के साथ-साथ जब शिशु को अन्य भोजन खिलाया जाता है, तो बच्चे को फूड एलर्जी जैसी समस्या हो सकती है। फूड एलर्जी से पीड़ित बच्चे में विभिन्न लक्षण देखे जा सकते हैं, जिसमें चेहरा, होंठ व आंखों में सूजन और हाइव्स, उल्टी व त्वचा पर चकत्ते आदि के साथ दस्त भी शामिल है। अगर आपको बच्चे में इनमें से कोई भी लक्षण नजर आए, तो आप बच्चे को कुछ भी खाने को न दें और तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। इस दौरान मां अपना दूध बच्चे को पिला सकती हैं (7)

3. इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज – यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों का एक समूह है, जो आनुवंशिक विसंगतियों (Genetic Anomalies) के कारण होता है और पाचन तंत्र की आंतरिक परत में दर्दनाक सूजन पैदा करता है। इससे नवजात को दस्त की समस्या हो सकती है। दवाइयों की जरिए इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है।

4. फ्रुक्टोज और सुक्रोज युक्त भोजन व पेय – फ्रुक्टोज शर्करा का एक प्रकार है, जो कई फल, जूस व शहद में पाया जाता है। फ्रुक्टोज युक्त भोजन व पेय बच्चे में डायरिया का कारण बन सकते हैं। सुक्रोज भी एक प्रकार का शर्करा है, जिसे टेबल शुगर या व्हाइट शुगर के नाम से जाना जाता है। सुक्रोज युक्त भोजन व पेय भी बच्चों में दस्त का कारण बन सकते हैं। इन दोनों प्रकार के शर्करा को सहने की क्षमता बच्चों में अलग-अलग होती है, जो समय के साथ-साथ विकसित होती है (8)

5. अत्यधिक गर्मी – मौसम में आए बदलाव के कारण भी बच्चे बीमार पड़ सकते हैं। खासकर, गर्मियों के दौरान शिशुओं का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है, ताकि वह डिहाइड्रेशन का शिकार न हों और उनके शरीर का तापमान संतुलित रहे। अत्यधिक गर्मी बच्चों में बुखार व उल्टी के साथ-साथ डायरिया का कारण भी बन सकती है (9)

6. एंटीबायोटिक डायरिया – दवाओं के साइड इफेक्ट्स से भी शिशु को दस्त की समस्या हो सकती है। इस प्रकार का दस्त दो साल से कम उम्र के बच्चों में ज्यादा देखा जाता है। एंटीबायोटिक डायरिया एक से सात दिन तक रह सकता है। अगर एंटीबायोटिक दवा खिलाने के दौरान बच्चे को दस्त लगते हैं, तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें (10)

शिशु के दस्त का उपचार कैसे करना चाहिए? | Bacho Ke Loose Motion Ka Ilaj

शिशुओं में दस्त के लक्षण और कारण जानने के बाद आगे जानते हैं कि शिशु के दस्त का उपचार कैसे किया जाए (2)

  • दस्त के दौरान शिशु के शरीर से अधिक मात्रा में तरल निकल जाता है। इसका इलाज करने का सबसे प्राथमिक तरीका है इलेक्ट्रोलाइट्स की पूर्ति। आप बच्चे को डॉक्टरी सलाह पर पानी के साथ ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) दे सकते हैं।
  • यह स्वयं पता लगाना मुश्किल है कि बच्चे को दस्त किस कारण से लगे हैं, इसलिए जांच के लिए बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं।
  • बिना डॉक्टरी सलाह के बच्चे को एंटी डायरिया दवाइयां न दें।
  • आप बच्चे का इस दौरान पूरा ध्यान रखें। अगर बच्चा कुछ खाने से मना कर रहा, तो उसे जबरदस्ती भोजन न कराएं।
  • कुछ भी ऐसा न करें जिससे बच्चा असहज महसूस करे।

छोटे बच्चों के दस्त की दवा क्या है, यह जानने के लिए लेख का अगला भाग जरूर पढ़ें।

बच्चों को दस्त की दवा

व्यस्कों में एक्यूट दस्त का इलाज ओवर-द-काउंटर दवा (बिना डॉक्टरी सलाह के) से किया जा सकता है, लेकिन शिशुओं के लिए यह घातक सिद्ध हो सकती है। इसलिए, अपने बच्चे को ओवर-द-काउंटर दवा देने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। अगर बच्चे को दस्त की समस्या 24 घंटे से अधिक समय तक रहती है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

क्रानिक डायरिया की स्थिति में डॉक्टर सबसे पहले बच्चे की जांच कर दस्त की वजह पता लगाएंगे। इसके बाद जरूरी दवाइयां और सावधानियां आपको बताएंगे। डॉक्टर बच्चों के दस्त रोकने की अंग्रेजी दवा दे सकते हैं, जो पैरासाइट, वायरस और बैक्टीरिया को मार सके (11)

दस्त होने पर अगर बच्चों में निम्नलिखित लक्षण नजर आएं, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं (2):

  • डिहाइड्रेशन के लक्षण दिखने पर।
  • अगर दस्त दो दिन तक जारी रहे।
  • 102 डिग्री फारेनहाइट या उससे अधिक बुखार होने पर।
  • मल के साथ खून या पस आने पर।
  • मल का रंग काला होना आदि।

बच्चे के दस्त के लिए घरेलू उपचार | Bache Ke Dast Ke Gharelu Upay

शिशु को दस्त से आराम दिलाने के लिए आप नीचे बताए जा रहे कुछ घरेलू नुस्खों का प्रयोग कर सकते हैं :

1. नमक-चीनी का पानी – दस्त के दौरान बच्चे के शरीर से अत्यधिक तरल निकल जाता है। इसकी आपूर्ति के लिए आप घर में नमक-चीनी का ओआरएस घोल बना सकते हैं और बच्चे को पिला सकते हैं। इसके लिए आप एक लीटर पानी में 8 चम्मच चीनी और एक चम्मच नमक मिला लें और बच्चे को थोड़ा-थोड़ा पिलाते रहें (12)

2. चावल का पानी – बच्चे में दस्त को रोकने के लिए आप चावल का पानी इस्तेमाल कर सकते हैं। चावल का पानी एक कारगर इलेक्ट्रोलाइट सॉल्यूशन के विकल्प के रूप में काम कर सकता है। एक शोध में चावल का पानी ओरल इलेक्ट्रोलाइट सॉल्यूशन से बेहतर पाया गया है (13)

3. नारियल का पानी – नारियल का पानी एक कारगर होम ग्लूकोज इलेक्ट्रोलाइट के रूप में काम कर सकता है। हल्के दस्त वाले बच्चों को नारियल का पानी पिलाया जा सकता है। इसके लिए आप ताजे नारियल को ही प्रयोग में लाएं (14)

4. अन्य खाद्य सामग्री – अगर शिशु खाना खाने लग गया है, तो आप दस्त के दौरान बच्चे को केला व टोस्ट आदि खिला सकते हैं। भूल से भी बच्चे को सेब का जूस, तला हुआ भोजन और अन्य भारी फ्रूट जूस का सेवन न कराएं, इससे बच्चे के दस्त और भी बिगड़ सकते हैं (1)

5. प्रोबिओटिक्स – प्राकृतिक तरीके से बच्चे के दस्त को रोकने के लिए आप प्रोबिओटिक्स युक्त खाद्य सामग्री जैसे दही को प्रयोग में ला सकते हैं। प्रोबिओटिक्स अच्छे बैक्टीरिया होते हैं, जो डायरिया से निजात दिलाने में मदद कर सकते हैं। इसे इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें (15)

6. सौंफ और अदरक – सौंफ और अदरक पाचन स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं। ये शिशु और गर्भवती महिलाओं के लिए भी सुरक्षित हैं। आप एक कप गर्म पानी में 20 मिनट के लिए बारिक कटा हुआ आधा चम्मच अदरक व सौंफ क्रश करके डालें और बच्चे को पिलाएं (15)

7. केला – दस्त से निजात दिलाने के लिए आप बच्चे को केला खिला सकते हैं। केला पोटैशियम, कैल्शियम और विटामिन-ए जैसे पोषक तत्वों से युक्त होता है। यह दस्त को रोकने और शरीर में ऊर्जा बनाए रखने के काम आता है (16)

8. सेब – बच्चों में दस्त की समस्या के लिए सेब कारगर रहेगा। सेब फाइबर युक्त होता है, जो दस्त को रोकने के साथ-साथ खोई हुई ऊर्जा को वापस लाने में मदद करता है। आप बच्चे को सेब का जूस पिला सकते हैं (16)

9. मुरमुरे (पफ्ड राइस) – दस्त से निजात दिलाने के लिए आप बच्चे को मुरमुरे भी दे सकते हैं। इसके लिए आप एक गिलास पानी में एक कोटरा भरकर मुरमुरे डालें। करीब 15-20 मिनट बाद मुरमुरे को छानकर अलग कर दें और पानी बच्चे को दिन में दो बार दें।

मैं शिशु को दोबारा दस्त होने से कैसे बचा सकती हूं?

जैसा कि हमने पहले बताया कि बच्चों में डायरिया अक्सर वायरस और बैक्टीरिया की वजह से होता है, इसलिए जरूरी है कि बच्चों का सही प्रकार से ध्यान रखा जाए। नीचे कुछ जरूरी सुझाव आपको बताए जा रहे हैं, जो आपके शिशु को डायरिया से दूर रखने में मदद करेंगे।

  • साफ-सफाई पर ध्यान : इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि शिशु के आसपास की जगह हमेशा साफ रहनी चाहिए। गंदगी से बैक्टीरिया पैदा होते हैं, जिससे बच्चा संक्रमित हो सकता है। मां के साथ-साथ बच्चे को संभालने वाले परिवार के अन्य सदस्य भी साफ-सफाई का ध्यान रखें।
  • साफ और पोषण युक्त भोजन : बेबी फूड्स के चयन और निर्माण पर विशेष ध्यान दें। बच्चे को ज्यादा देर रखा भोजन न खिलाएं। भोजन कराते वक्त बच्चे के साथ-साथ स्वयं के हाथ-पैर भी अच्छी तरह धोएं।
  • बच्चे को हाइड्रेट रखें : बच्चे के शरीर में तरल की कमी नहीं होनी चाहिए। नवजात के लिए मां का दूध जरूरी है, लेकिन अगर बच्चा बड़ा है, तो उसे पानी और अन्य पोषक तरल पिलाते रहे। तरल पदार्थों से जुड़ी जानकारी के लिए आप किसी अच्छी पीडिअट्रिशन (बाल चिकित्सक) की सलाह ले सकते हैं।
  • मेडिकल टेस्ट – बच्चे को समय-समय पर मेडिकल जांच के लिए पीडिअट्रिशन (बाल चिकित्सक) के पास ले जाएं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या स्तनपान करने वाले शिशुओं में दस्त होने की संभावना कम होती है?

जी हां, स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया की संभावना कम होती है। स्तनपान दस्त के जोखिम को कम कर देता है। एक रिपोर्ट के अनुसार स्तनपान न करने वाले नवजातों में दस्त से मरने की आशंका ज्यादा रहती है (16)

क्या मुझे अपने बच्चे को दस्त होने पर ठोस आहार देना बंद कर देना चाहिए?

अगर आप बच्चे को दस्त से पहले ठोस खाद्य पदार्थों का सेवन करा रहे थे, तो तुरंत इन भोजन को बंद कर दें। इनकी जगह आप हल्का पोषण से भरपूर भोजन बच्चे को खिला सकते हैं, जैसे केला आदि (1)

शिशुओं में दस्त की समस्या को हल्के में न लें। क्रोनिक डायरिया बच्चों में धातक परिणाम का कारण बन सकता है। जैसे ही आपको शिशु में दस्त के लक्षण दिखें, तुरंत बताई गईं सावधानियों पर अमल करें और स्थिति गंभीर दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करें। बच्चों के आसपास साफ-सफाई और उनके खानपान पर विशेष ध्यान रखें। आपकी जागरूकता ही आपके शिशु के बेहतर स्वास्थ्य की कुंजी है।

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