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हर इंसान अपने आप में खास होता है। फिर चाहे उसका वजन और हाइट जैसी भी हो, लेकिन इससे भी इंकार नहीं कर सकते कि कम हाइट वालों को काफी कुछ सुनने को मिलता है। खासकर, बौने लोगों को इसका सामना ज्यादा करना पड़ता है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर कुछ लोगों का कद कम क्यों रह जाता है। इस सवाल का जवाब पाने के लिए आप इस लेख को पूरा पढ़ें। यहां विस्तार से बताया गया है कि हाइट कम क्यों रह जाती है। यहां बौनेपन से जुड़ी हर जानकारी रिसर्च के आधार पर दी गई है।
चलिए, सबसे पहले जानते हैं कि बौनेपन का मतलब क्या है।
बौनापन (Dwarfism) किसे कहते हैं?
“छोटे कद” वाले व्यक्ति को अक्सर “बौना” कहते हैं। यह एक तरह की मेडिकल और आनुवंशिक स्थिति होती है। इस समस्या से ग्रस्त शख्स की हाइट सामान्य महिला व पुरुष के मुकाबले कम रहती है। बौनेपन से प्रभावित व्यस्क व्यक्ति की हाइट औसतन 4 फीट तक होती है, लेकिन 4’10” या उससे कम कद वाले को भी बौना ही कहा जाता है।
ऐसे व्यक्ति की मानसिक स्थिति तो सामान्य होती है, लेकिन हाइट उम्र के अनुसार नहीं बढ़ती। बौनापन अक्सर उन लोगों को होता है, जिसके माता-पिता की औसत ऊंचाई कम रहती है (1)। इस समस्या के होने के पीछे कई कारण होते हैं, जिनके बारे में लेख में आगे विस्तार से बात करेंगे।
इस लेख के अगले हिस्से में बच्चों में बौनेपन के प्रकार की जानकारी दे रहे हैं।
बच्चों में बौनापन कितने प्रकार का होता है?
व्यक्ति की शारीरिक बनावट के आधार पर बौनेपन को दो प्रकार में विभाजित किया जाता है, जो इस प्रकार है (2):
1. प्रोपोर्शनेट शॉर्ट स्टैचर- बौनेपन के इस प्रकार में शरीर के सभी भाग छोटे होते हैं, जैसे, धड़, सिर, हाथ पैर आदि।
2. डिसप्रोपोर्शनेट शॉर्ट स्टैचर- इस तरह के बौनेपन में व्यक्ति के बैठने और खड़े होने की ऊंचाई में बहुत अंतर होता है। इस स्थिति में या तो हाथ-पैर छोटे होते है या फिर धड़ वाला भाग।
अब हम उन कारणों पर चर्चा करेंगे, जिसके चलते बच्चों का कद छोटा रह जाता है।
बच्चों में बौनेपन के कारण
बौनेपन के पीछे 300 से भी ज्यादा कारण शामिल हैं। इन्हीं में से एक आनुवंशिक स्थिति भी है, जिससे 15 हजार में से 1 बच्चा प्रभावित हो सकता है (1)। बौनेपन के पीछे कई और कारण भी हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है (2):
1. आनुवंशिक कारण- अगर किसी बच्चे के माता-पिता का कद छोटा होता हैं, तो बच्चे की हाइट भी छोटी हो सकती हैं।
2. विकास और प्यूबर्टी में देरी- जब बच्चे का शरीर समय के अनुसार सही तरह से विकसित नहीं होता है, तो इससे बौनापन हो सकता है। इसमें आनुवंशिक मामलों के विपरीत बच्चे की हड्डी की उम्र उनके क्रोनोलॉजिकल उम्र से पीछे होने लगती है। ऐसा बच्चे को गर्भ में या बचपन में उचित मात्रा में पोषण न मिलने के कारण होता है।
3. एंडोक्राइन डिसऑर्डर- कद कम होने का एक कारण यह भी हो सकता है। इस समस्या की वजह से ग्रोथ हार्मोन पर असर पड़ सकता है, जिससे बच्चों के शारीरिक विकास में रुकावट आ सकती है।
4. हड्डी के रोग- व्यक्ति के शरीर में गलत तरीके से हड्डी के निर्माण होने पर कद छोटा हो सकता है। दरअसल, बौनेपन की समस्या हड्डी के विकार से जुड़े होते हैं। इस तरह के बौनेपन को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है, जो निम्न तरह से है:
- एकोंड्रोप्लासिया: यह एक प्रकार की जेनेटिक कंडीशन है, जो फाइब्रोब्लास्ट ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर -3 जीन के म्युटेशन के कारण होती है। यह जीन लंबी हड्डियों के विकास में बाधा डाल सकता है। इससे शरीर का कद छोटा रह जाता है।
- स्पोंडिलोएपिफिसियल डिसप्लेसिया: इसके कारण शॉर्ट-ट्रंक बौनापन होता है। ऐसा होने के पीछे टाइप-2 कोलेजन मैट्रिक्स का असामान्य होना है।
5. सिस्टमिक डिसऑर्डर – बच्चों में बौनेपन होने के कारण में कुछ अन्य बीमारी भी होते हैं, जिनमें जुवेनाइल इडियोपैथिक अर्थराइटिस, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज, सीलिएक डिजीज, क्रोनिक किडनी डिजीज, पल्मोनरी/कार्डियक/इम्यूनोलॉजिकल/मेटाबोलिक डिजीज व कैंसर आदि शामिल है।
कैसे पता करें कि बच्चा बौनेपन का शिकार है या नहीं? यह जानने के लिए आगे पढ़ें।
बच्चों में बौनेपन (छोटे कद) के लक्षण
बच्चों में बौनेपन के लक्षण को इसके प्रकार के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
1. प्रोपोर्शनेट शॉर्ट स्टैचर के लक्षण
- सामान्य बच्चों के मुकाबले हाइट का विकास कम होना।
- शरीर के सभी भाग का छोटा दिखाई देना (2)।
2. डिसप्रोपोर्शनेट शॉर्ट स्टैचर के लक्षण
- शरीर के सभी अंगों का सामान्य न दिखना (2)।
- सिर का बाकी अंग से बड़ा होना (2)।
- हाथ और पैर का सामान्य से छोटा होना (2)।
- कोहनी का सही तरह से न मुड़ना।
- पैरों का बाहर की ओर मुड़ना।
- पीठ के नीचे वाले भाग का झुका हुआ नजर आना।
- एक निर्धारित उम्र में आने के बाद भी हाइट का न बढ़ना।
बौनेपन के सामान्य लक्षण
बौनेपन के कुछ सामान्य लक्षण भी होते हैं, जो इस प्रकार हैं (3):
- हाथों की रिंग और मिडिल फिंगर के बीच ज्यादा दूरी होना।
- टांगों का मुड़े हुए होना।
- मांसपेशियों में खिंचाव की कमी।
- शरीर के मुकाबले सिर का बड़ा होना।
- हाथ व पैर छोटे होना खासकर ऊपरी बांह और जांघ वाला भाग।
- कद का छोटा दिखना।
- स्पाइनल कॉलम का सिकुड़ना।
आइए, अब जानते हैं बौनेपन से जुड़े जोखिम और जटिलताओं के बारे में।
बौनेपन के जोखिम और जटिलताएं
बौनेपन से प्रभावित बच्चे को कई तरह के जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है, जो इस प्रकार है (2):
- इससे बच्चे की टांगे नीचे की ओर झुक सकती हैं, जिससे उन्हें ठीक से चलने में परेशानी हो सकती है।
- बौनेपन की शिकायत वाले बच्चे को गठिया की समस्या हो सकती हैं।
- इससे काइफोसिस यानी रीढ़ की हड्डी में कर्व आ सकता है।
- स्पाइनल स्टेनोसिस यानी रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ सकता है।
- सीरिंगोमीलिया यानि रीढ़ की हड्डी में तरल का जमा होना।
- स्लीप एपनिया यानी सोते समय सांस लेने में परेशानी।
- हाइड्रोसेफलस यानी मस्तिष्क में द्रव्य का निर्माण होना।
- वजन का बढ़ना।
इस लेख के अगले हिस्से में हम जानेंगे कि बौनेपन की जांच कैसे की जाती है।
बौनेपन का निदान
बच्चे के पैदा होने से पहले या पैदा होते ही बौनेपने का पता लगाया जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर निम्न उपाय अपना सकते हैं (3):
- अल्ट्रासाउंड- प्रेगनेंसी के दौरान आने वाले शिशु के स्वास्थ्य स्थिति की जांच करने के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है। इस दौरान गर्भ में पल रहे भ्रूण के आसपास अधिक एमनियोटिक द्रव दिखाई दे सकता है। इससे पता लगाया जा सकता है कि शिशु का शारीरिक विकास सही से हुआ है या नहीं।
- शरीर के एग्जामिनेशन के द्वारा- जन्म के बाद शिशु के शरीर की जांच की जाती है। इस दौरान सिर के आगे और पीछे के आकार को ध्यान में रखकर बौनेपन का पता लगाया जा सकता है।
- एक्स-रे- बौनापन की जांच के लिए एक्स-रे का भी सहारा लिया जा सकता है। शरीर की लंबी हड्डियों के एक्स-रे से बौनेपन का पता लग सकता है।
इसके अलावा, कुछ मेडिकल कंडिशन की जांच करके भी बौनेपन का पता लगाया जा सकता है। इन जांच के बारे में नीचे बताया गया है (2)।
- एंडोक्राइन डिसऑर्डर- इसके जरिए शरीर में हार्मोन की असामान्यता का पता चल सकता है, जो बौनेपन का कारण बन सकता है।
- जेनेटिक डिसऑर्डर- इससे शॉर्ट स्टैचर होमोबॉक्स जीन की कमी का पता लगाया जाता है।
- हड्डियों का विकार- हड्डियों से संबंधित समस्या जैसे डायस्ट्रोफिक डिसप्लेसिया और स्पोंडिलोएपिफिसियल डिसप्लेसिया की जांच कर बौनेपन का निदान किया जा सकता है।
- क्रोनिक कंडीशन- गुर्दे की समस्या, कुपोषण, गठिया, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज, सीलिएक रोग, चयापचय संबंधी रोग व कैंसर आदि क्रोनिक रोगों को पता लगाकर बौनेपन की जांच की जा सकती है।
चलिए जानते हैं कि बच्चों के बौनेपन का इलाज किस प्रकार किया जा सकता है।
बच्चों में बौनेपन का इलाज
बौनेपन का कोई सटीक इलाज नहीं है (3)। फिर भी इस समस्या को रोकने के लिए इसके कारणों का इलाज जरूर किया जा सकता है, जो इस प्रकार है (2):
- हार्मोनल थेरेपी- शरीर में ग्रोथ हार्मोन की कमी होने पर कद छोटे हो सकते हैं। ऐसे में इसकी कमी को रोकने के लिए रेकॉम्बीनैंट ह्यूमन ग्रोथ हार्मोन थेरेपी का सहारा लिया जा सकता है। इससे कद को छोटा होने से रोकने में कुछ हद तक मदद मिल सकती हैं।
- सर्जिकल ट्रीटमेंट- बौनेपन को ठीक करने के लिए कुछ मामलों में सर्जरी भी की जा सकती है। इस सर्जरी से ब्रेन ट्यूमर और हड्डियों की समस्या को दूर किया जा सकता है। इससे कद छोटे होने की समस्या को कुछ हद तक रोका जा सकता है।
- फिजिकल थेरेपी और ऑर्थोटिक्स- बौनेपन की कुछ जटिलताओं के लिए इस नॉन इनवेसिव सलूशन से भी इलाज किया जाता है। फिजिकल थेरेपी को लिंब या बैक की सर्जरी के बाद शरीर की गति व शक्ति में सुधार करने के लिए किया जा सकता है। इस थेरेपी को बौनेपन के कारण चलने में होने वाले परेशानी व दर्द से राहत पाने के लिए भी किया जा सकता है।
ऑर्थोटिक्स एक प्रकार का कस्टम-मेड डिवाइस हैं, जिसे जूतों में फिट किया जाता हैं। इससे पैरों के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। वहीं, अगर बौनेपन से प्रभावित व्यक्ति को संतुलन बनाने या चलने में परेशानी होती है, तो डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
इस लेख के अगले भाग में जानते हैं कि बच्चों में बौनेपन को रोका जा सकता है या नहीं।
क्या बच्चों में बौनेपन को रोका जा सकता है?
नहीं, क्योंकि बौनेपन की समस्या जेनेटिक अवस्था के कारण होती है। हां, अगर बौनापन के पीछे किसी तरह की समस्या है, तो उस समस्या को समय पर ठीक कर बौनेपन के प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता है। साथ ही ऊपर बताए गए उपचार के जरिए इसे कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है (2)।
इस विषय के संबंध में और जानकारी पाने के लिए पढ़ते रहें यह लेख।
पेरेंट्स को बौने बच्चे के साथ कैसे पेश आना चाहिए ?
बौने बच्चों पर माता-पिता व परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा कही गई नकारात्मक बातों का बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे में उनसे सही तरह से पेश आना चाहिए। इस बारे में हम नीचे कुछ बिंदुओं की मदद से बता रहे हैं :
- बौने बच्चे को यह बताना चाहिए कि वो दूसरों की नकारात्मक बातों पर ध्यान न दें।
- बच्चों को खेल-कूद के साथ-साथ दूसरे काम के लिए भी प्रेरित करें और उन्हें समझाए कि वो दूसरों से भिन्न नहीं हैं।
- बच्चों को बताए कि छोटा कद होने पर भी कामयाबी हासिल की जा सकती है। उन्हें छोटे कद वाले कामयाब व्यक्ति का भी उदहारण दिया जा सकता है।
- हाइट छोटी है, ये सोचकर उन्हें निराश न होने दें। उन्हें बताए कि दूसरे लोगों की तरह वो भी जिंदगी के हर पल को खुलकर जी सकते हैं।
- कभी भी उनकी हाइट को लेकर ताना न मारें।
आइए, आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि बौनापन व वंशानुगत में क्या संबंध है।
किसी व्यक्ति का कद छोटा होने पर उसे सही तरह से बढ़ाया तो नहीं जा सकता है, लेकिन कम हाइट मानसिक रूप से कमजोर नहीं कर सकती। एक छोटे कद का इंसान जीवन में उन सफलताओं को प्राप्त कर सकता है, जिन्हें सामान्य कद वाले हासिल कर सकते हैं। ऐसे में अगर किसी बच्चे की हाइट छोटी है, तो पेरेंट्स को निराश होने की जरूरत नहीं है। बस वो अपने बच्चे को जिंदगी खुलकर और पूरे आत्मविश्वास के साथ जीने की प्रेरणा दें।