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पेट और आंत शरीर के वो हिस्से हैं, जिनमें हुई जरा सी गड़बड़ी भी पूरे स्वास्थ्य को प्रभावित कर देती है। इन्हीं समस्याओं में से एक अपेंडिसाइटिस भी है, जो बच्चों को हो जाए, तो और गंभीर विषय बन जाता है। यही वजह है कि मॉमजंक्शन इस लेख में बच्चों में अपेंडिक्स से जु़ड़ी जानकारी लेकर आया है। यहां आप बच्चों में अपेन्डिसाइटिस होने के कारण व इसके लक्षणों के बारे में पढ़ेंगे। साथ ही इससे बचाव करने वाले घरेलू उपाय भी यहां मौजूद हैं।
सबसे पहले जानते हैं कि अपेंडिसाइटिस क्या है।
अपेंडिसाइटिस क्या है?
अपेंडिक्स एक छोटे आकार की थैली को कहते हैं, जो बड़ी आंत से जुड़ी होती है। अगर किसी कारण इसमें सूजन हो जाए, तो उस अवस्था को अपेंडिसाइटिस कहा जाता है (1)। ऐसा अपेंडिक्स में होने वाली ब्लॉकेज के कारण होता है। वैसे शरीर की कार्य प्रणाली में अपेंडिक्स की क्या भूमिका है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। हां, अगर अपेंडिसाइटिस का सही इलाज न किया जाए, तो यह थैली फटकर पेट में संक्रमण को फैला सकती है। इस स्थिति को पेरिटोनिटिस कहा जाता है (2)।
अपेंडिसाइटिस बच्चों को कितना प्रभावित कर सकता है, अब यह पढ़ें।
बच्चों में अपेंडिसाइटिस कितना आम है?
एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की रिपोर्ट के अनुसार, जन्म के शुरुआती वर्षों में बच्चों में अपेंडिसाइटिस होना दुलर्भ है। हां, उम्र के दूसरे दशक यानी 10 से 19 वर्ष की आयु वाले बच्चों में अपेंडिसाइटिस होना सामान्य माना गया है। यह महिला बच्चों की तुलना में पुरुष बच्चों को अधिक हो सकता है (3)।
इसकी पुष्टि एनसीबीआई के साथ ही रेडियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ अमेरिका (RSNA) द्वारा किए गए रिसर्च से भी होती है (4)। वैसे तो छोटे बच्चों में अपेंडिसाइटिस की स्थिति दुर्लभ है, लेकिन लगभग 2 से 9 प्रतिशत प्रीस्कूल व छोटे बच्चों को अपेंडिसाइटिस हो सकता है (5)। इसके अलावा, चार साल से कम आयु के प्रति 10 हजार बच्चों में से एक या दो बच्चे को घातक अपेंडिसाइटिस होने का खतरा रहता है (6)।
आगे समझिए कि बच्चों में अपेंडिक्स के लक्षण कैसे हो सकते हैं।
बच्चों में अपेंडिक्स के क्या लक्षण होते हैं?
अपेंडिक्स होने पर 12 से 24 घंटे बाद इसके विभिन्न लक्षण सामने आ सकते हैं। ध्यान रखें कि अपेंडिसाइटिस के लक्षण सभी बच्चों में अलग-अलग दिखते हैं। यही वजह है कि छोटे बच्चों से लेकर, वृद्ध लोगों और गर्भवतियों में अपेंडिसाइटिस का पता लगाना कठिन माना जाता है। हां, ऐसे कई लक्षण हैं, जो बच्चों में अपेंडिक्स के लक्षण की पुष्टि कर सकते हैं (1) (2) (3)।
- नाभि के आसपास या पेट के ऊपरी दाहिनी हिस्से में दर्द होना
- दर्द का धीरे-धीरे गंभीर होना
- भूख में कमी आना
- मतली व उल्टी होना
- सामान्य बुखार होना
- चलने, खांसने और अन्य शारीरिक गतिविधि करने पर पेट दर्द का बढ़ना
- ठंड लगना और कंपकंपी होना
- कठोर मल आना या कब्ज होना
- पेट में सूजन होना
- गैस पास करने में परेशानी होना
- पीठ के निचले हिस्से, हैमस्ट्रिंग या मलाशय में दर्द होना (7)
अब हम बच्चों में अपेन्डिसाइटिस होने के कारण बता रहे हैं।
बच्चों में अपेंडिसाइटिस के कारण | Causes Of Appendicitis In Children In Hindi
आमतौर पर अपेंडिक्स के अंदरूनी हिस्से अपेंडिसियल ल्यूमेन (Appendiceal Lumen) में किसी तरह की रुकावट होने से इसकी समस्या होती है (8)। शायद यही वजह है कि अपेंडिसाइटिस होने के विभिन्न कारण होते हैं। इसके कुछ संभावित कारण हम नीचे बता रहे हैं (9)।
- कठोर मल और किसी तरह की ग्रोथ जो अपेंडिक्स के छोर को बंद होना।
- पाचन तंत्र या शरीर के किसी अन्य हिस्से में संक्रमण होने के कारण अपेंडिक्स की दीवार के ऊतक का बढ़ना।
- इंफ्लामेटरी बॉवेल डिजीज यानी आंत में सूजन व दर्द की समस्या होना।
- पेट में मौजूद किसी खाद्य या ट्यूमर से अपेंडिक्स थैली का बंद होना (1)।
- साफ-सफाई में लापरवाही बरतने के कारण होने वाला संक्रमण (10)।
- आहार में फाइबर युक्त खाद्यों की कमी (10)।
अगले भाग में जानिए कि बच्चों को अपेंडिसाइटिस होने पर कैसे निदान किया जाता।
बच्चों में अपेंडिसाइटिस का निदान कैसे किया जाता है?
स्वास्थ्य स्थिति और लक्षण के आधार पर स्वास्थ्य चिकित्सक बच्चों में अपेंडिसाइटिस का निदान कर सकते हैं। इसके लिए निम्नलिखित तरीकों से बच्चों में अपेंडिसाइटिस की पुष्टि की जा सकती है (1) (11)।
- मेडिकल हिस्ट्री – स्वास्थ्य चिकित्सक पुराने और मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति से जुड़े सवाल पूछ सकते हैं। इस दौरान वो पूछते हैं कि पेट में दर्द होना कब से शुरू हुआ और दर्द होने पर कैसा अनुभव होता है। साथ ही चिकित्सक इनके अलावा किस-किस तरह की स्वास्थ्य समस्या हो रही है और ली जाने वाली दवाओं की भी जानकारी ले सकते हैं।
- शारीरिक परीक्षण – शारीरिक परीक्षण के दौरान स्वास्थ्य चिकित्सक पेट के निचले हिस्से को दबाते हैं। अगर अपेंडिक्स होगा, तो ऐसा करने पर पेट का दर्द बढ़ता है। इसके अलावा, अगर अपेंडिक्स फट गया है, तो पेट के आस-पास छूने से तेज दर्द होता है और मांसपेशियों में संकुचन हो सकता है। साथ ही डॉक्टर दाएं और बाएं पैर के घुटनों पर दबाव डालकर भी जांच कर सकते हैं।
- रेक्टल परीक्षण – कुछ मामलों में स्वास्थ्य चिकित्सक रेक्टल परीक्षण भी करते हैं। इससे मलाशय के स्वास्थ्य की पुष्टि करके अपेंडिसाइटिस का निदान किया जा सकता है।
- रक्त परीक्षण – रक्त परीक्षण के जरिए शरीर में सफेद रक्त कोशिका की गणना की जाती है। इससे अपेंडिसाइटिस से जुड़े संक्रमण के साथ ही शरीर में डिहाइड्रेशन व असंतुलित हुए इलेक्ट्रोलाइट्स की भी पुष्टि होती है।
- इमेजिंग परीक्षण – अपेंडिसाइटिस का निदान करने के लिए इमेजिंग परीक्षण भी किए जाते हैं, जिसमें पेट का सीटी स्कैन या अल्ट्रासाउंड। हालांकि, बच्चे की स्थिति व उम्र के अनुसार डॉक्टर सीटी स्कैन न करने की भी सलाह दे सकते हैं (8)।
आगे जानें बच्चों में अपेंडिक्स का इलाज करने का तरीका।
बच्चों में अपेंडिसाइटिस का इलाज | Appendicitis treatment in children in hindi
बच्चों में अपेंडिक्स के लक्षण की पुष्टि के बाद स्वास्थ्य चिकित्सक कई तरह से इसका इलाज कर सकते हैं, जिसके बारे में हम नीचे बता रहे हैं (1)।
- सर्जरी – बच्चों में अपेंडिसाइटिस के इलाज के लिए पेट की सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है (4)। अधिकांश मामलों में इस सर्जरी के दौरान अपेंडिक्स को बाहर निकाल दिया जाता है। इस सर्जरी को करने के बाद रिकवर होने में कम-से-कम 10 से 14 दिनों का समय लग सकता है। साथ ही इस दौरान शारीरिक गतिविधि न करने या कम करने की सलाह दी जा सकती है। इस सर्जरी के लिए दो तरह की विधियां अपनाई जा सकती हैं, जो हैं (12):
- लैप्रोस्कोपिक सर्जरी (Laparoscopic Surgery) – इस प्रक्रिया में अंपेडिंक्स के सिर्फ संक्रमित हुए छोटे हिस्से को बाहर निकाला जाता है। इसके लिए सर्जन निचले दाहिने पेट में कई छोटे चीरे लगाते हैं। इस सर्जरी की रिकवरी में कम समय लग सकता है।
- लैपरोटॉमी सर्जरी (Laparotomy Surgery) – इस प्रक्रिया में सर्जन बच्चे के निचले दाहिने पेट में एक बड़ा चीरा लगाकर अपेंडिसाइटिस को हटाते हैं। इस तरह की सर्जरी गंभीर अपेंडिसाइटिस होने पर ही की जाती है। इसे रिकवरी में भी अधिक समय लगता है।
- दवाओं का सेवन – अगर निदान में पेट में फोड़ा होने की पुष्टि होती है, तो ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य सलाहकार पहले एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन की सलाह दे सकते हैं। ये दवाएं संक्रमण और सूजन दूर कर सकती हैं। इसके ठीक होने के 6 से 10 सप्ताह बाद डॉक्टर जरूरत महसूस होने पर सर्जरी करके अपेंडिक्स हटा सकते हैं (8)।
नीचे पढ़िए कि अपेंडिसाइटिस सर्जरी के बाद किस तरह की जटिलताएं हो सकती हैं।
अपेंडिसाइटिस में सर्जरी के बाद क्या जटिलताएं हो सकती हैं?
अपेंडिसाइटिस में सर्जरी की प्रक्रिया कुछ जटिलताएं उत्पन्न कर सकती हैं, जिनके बारे में हम नीचे बचा रहे हैं (8) (12)।
- सर्जरी वाले हिस्से पर संक्रमण होना
- पेट के अंदर फोड़ा होना
- इलियस यानी आंत से जुड़ी परेशानी
- छोटी आंत में रुकावट होना
- एंटरोक्यूटेनियस फिस्टुला यानी सर्जरी के कारण आंतों व पेट के बीच असामान्य पैसेज बनना
अपेंडिक्स के लिए घरेलू इलाज पढ़ने के लिए स्क्रॉल करें।
अपेंडिक्स के दौरान किए जाने वाले घरेलू इलाज
अपेंडिसाइटिस एक गंभीर बीमारी है। इस अवस्था में डॉक्टर से इलाज करवाना ही सबसे बेहतर विकल्प है। घरेलू उपचार से अपेंडिसाइटिस का पूरी तरह ठीक होना संभव नहीं है। हां, घरेलू उपचार अपेंडिसाइटिस के दर्द और कुछ अन्य लक्षणों को कम कर सकते हैं। ऐसे में अपेन्डिसाइटिस का मेडिकल ट्रीटमेंट जरूर करवाएं। आगे उन घरेलू उपचार पर एक नजर डाल लीजिए, जो अपेंडिक्स के दर्द और जोखिम को कुछ कम कर सकते हैं।
- अदरक – पेट व पाचन से जुड़ी समस्या अपेंडिक्स का एक कारण है (9)। ऐसे में ये घरेलू उपचार के तौर पर अदरक 6 माह से बड़े बच्चों को दिया जा सकता है (13)। दरअसल, अदरक पेट से जुड़ी समस्या जैसे कि बच्चों में कब्ज की परेशानी को दूर कर सकता है (14)। इसके अलावा, अदरक में एनाल्जेसिक और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं, जो सूजन और दर्द की समस्या को कम कर सकते हैं (15)।
- चुकंदर का रस – लेख में हम यह बता ही चुके हैं कि पेट में सूजन के कारण भी अपेंडिसाइटिस हो सकता है। एनसीबीआई की साइट पर प्रकाशित शोध के अनुसार, चुकंदर के रस का एंटी-इंफ्लामेटरी प्रभाव सूजन कम कर सकता है (16)। बच्चों के लिए भी चुकंदर सुरक्षित माना गया है (17)। ऐसे में अपेंडिक्स होने पर बच्चे को चुकंदर की कोई भी रेसिपी या जूस दे सकते हैं या चुकंदर का सलाद।
- अरंडी का तेल – अरंडी के तेल में पाए जाने वाले रिसिनोलिक एसिड में एंटी-इंफ्लामेटरी और एनाल्जेसिक गुण होते हैं। ये दोनों प्रभाव मिलकर अपेंडिसाइटिस से जुड़ी सूजन और दर्द को कुछ कम कर सकते हैं (18)। एक अन्य रिसर्च के अनुसार, अरंडी के तेल में मौजूद लैक्सेटिव इफेक्ट बच्चों को कब्ज से राहत दिला सकता है (19)। हम बता ही चुके हैं कि कब्ज भी एपेंडिसािइटिस का एक कारण है। बस ध्यान दें कि अरंडी का तेल शुद्ध हो और इसकी अधिक मात्रा का उपयोग बिल्कुल न किया जाए।
- सौंफ से तैयार हर्बल टी – अगर कब्ज के कारण बच्चे में अपेंडिंक्स की समस्या हो, तो बच्चे को सौंफ से बनी हर्बल चाय पिला सकते हैं। अध्ययन इसकी पुष्टि करते हैं कि सौंफ की चाय बच्चों की कब्ज और दस्त की परेशानी को कम कर सकती है। साथ ही यह चाय पाचन क्रिया को भी अच्छा करने के लिए जानी जाती है (20)।
- छाछ – छाछ यानी बटरमिल्क का सेवन पाचन संबंधित परेशानियों से राहत दिला सकता है। इसके पीछे छाछ में मौजूद लैक्टिक एसिड व कुछ अच्छे बैक्टीरिया प्रभावकारी माना जाते हैं। ये पाचन तंत्र की प्रक्रिया को सुचारू कर सकते हैं (21)। साथ ही बटर मिल्क दस्त व मल त्याग की प्रक्रिया में भी सुधार ला सकता है (22)। इन सभी परेशानियों का संबंध अपेंडिसाइटिस से है, इसलिए छाछ को इसके उपचार में शामिल किया जा सकता है।
- लहसुन की कलियां – शरीर में संक्रमण होना भी अपेंडिक्स के जोखिम को बढ़ा सकता है (9)। ऐसे में बच्चे के आहार में लहसुन की कलियां को जगह दे सकते हैं। शोध बताते हैं कि लहसुन के रस में एंटी माइक्रोबियल प्रभाव होता है, जो आंतों में हानिकारक बैक्टीरिया के उत्पादन को रोक सकता है (23)। एक अन्य शोध में जिक्र मिलता है कि 3 साल से बड़े उम्र के बच्चों को टैबलेट के रूप में लहसुन का सेवन कराना लाभकारी हो सकता है (24)।
लेख के अगले भाग में हम अपेंडिक्स से बचाव के बारे में बता रहे हैं।
बच्चों में अपेंडिसाइटिस से बचाव
अगर कुछ नियमों का पालन किया जाए, तो अपेंडिक्स से बचा जा सकता है। अपेंडिक्स की समस्या से बचने के लिए इन बातों पर गौर करें।
- स्वच्छता का ध्यान रखें। इससे पेट में संक्रमण होने का जोखिम कम हो सकता है (10)।
- फाइबर की कमी को अपेंडिसाइटिस का एक कारण माना जाता है। ऐसे में इससे बचाव करने के लिए बच्चे के आहार में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें (10)।
- बच्चे के दैनिक आहार में ताजे फल और सब्जियों को शामिल करें।
- भोजन करने से लेकर, बच्चे के खेलने व सोने के दौरान भी शारीरिक स्वच्छता का ध्यान रखें। भोजन करने से पहले बच्चे को हाथ धोने की अच्छी आदत सिखाएं।
- प्रतिदिन भरपूर मात्रा में बच्चे को पानी पिलाएं।
- नियमित रूप से बच्चे को व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें।
- बच्चे के आहार में मसालेदार व अधिक तैलीय खाद्य पदार्थ न शामिल करें।
- बच्चे को हमेशा ऐसे खाद्य पदार्थ खिलाएं, जो आसानी से पच जाएं।
लेख में बच्चों में अपेंडिक्स क्या है और यह कैसे होता है, इस बारे में विस्तार से चर्चा की गई है। साथ ही बच्चों को अपेंडिक्स से छुटकारा दिलाने वाले इलाज और घरेलू उपायों का जिक्र भी हम कर चुके हैं। बस ध्यान रखें कि अगर सर्जरी के विकल्प की सलाह डॉक्टर देते हैं, तो रिकवरी के लिए भरपूर आराम और स्वछता का ख्याल रखना आवश्यक है। ऐसा करने से सर्जरी से जुड़े संक्रमण के जोखिम से बचा जा सकता है।
References
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http://journal.pan.olsztyn.pl/DOES-GARLIC-ALIOFIL-INFLUENCE-THE-IMMUNE-SYSTEM-OF-CHILDREN-8211-A-PRELIMINARY-STUDY
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