Written by

हर बच्चा एक जैसा नहीं होता, सभी का शारीरिक विकास भिन्न-भिन्न तरीके से होता है। कई बार माता-पिता इस भ्रम में रहते हैं कि उनके बच्चे का वजन अधिक है तो वह ज्यादा स्वस्थ है, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है। कई बार अधिक वजन मोटापे का जोखिम बन सकता है। वहीं, मोटापा चाहे बच्चे को हो या बड़े को, एक चिंता का विषय है। बच्चों में मोटापा कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को दस्तक दे सकता है। इसलिए मॉमजंक्शन के इस लेख में हम लेकर आए हैं बच्चों में मोटापे से जुड़ी विस्तृत जानकारी। इसमें आप जानेंगे बच्चो में मोटापा होने के कारण व जोखिम क्या हैं, इसके साथ ही इससे बचाव के टिप्स।

लेख में सबसे पहले जानेंगे कि बच्चों में मोटापा क्या है।

बच्चों में मोटापा क्या है?

बच्चों में मोटापा एक जटिल व गंभीर समस्या है। बच्चों में मोटापा तभी होता है, जब बच्चे के शरीर में बहुत ज्यादा फैट जमा होने लगता है। इस दौरान बच्चे का वजन उसके उम्र व लंबाई के अनुसार अत्यधिक हो जाता है। ऐसे में माना जा सकता है कि बच्चे का वजन अधिक है या फिर वो मोटापे का शिकार हो रहे हैं। आमतौर पर, हर बच्चे की बढ़ने की क्षमता अलग-अलग होती है। इसलिए यह जानना मुश्किल हो जाता है कि बच्चे मोटापे का शिकार हो रहे हैं या फिर वजन अधिक है (1)। हालांकि, बच्चे का वजन लंबाई व उम्र के अनुरूप सही है या नहीं इसकी सटिक जानकारी बाल विशेषज्ञ ही दे सकते हैं।

अब जानते हैं कि बच्चों में मोटापा क्यों होता है।

बच्चों में मोटापा क्यों होता है? | Causes of Obesity in Children in Hindi

बच्चों में मोटापा एक गंभीर समस्या है, इसलिए यहां हम बताएंगे कि इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं। बच्चों में मोटापा के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं, जिसकी चर्चा हम नीचे कर रहे हैं, आइए जानते हैं (2) (3)।

  • जरूरत से अधिक खाना

बच्चे के विकास के लिए उनका सही मात्रा में भोजन करना आवश्यक है। वहीं, शरीर बाद में उपयोग के लिए एक्स्ट्रा कैलोरी को फैट सेल्स में जमा करने लगता है। हालांकि, जब बच्चे सामान्य विकास के लिए जरूरत से अधिक भोजन करने लगते हैं, तो उनके फैट सेल्स में ये कैलोरीज जमती चली जाती है जो बाद में मोटापे का कारण बन सकती है। इसलिए बच्चे का संतुलित भोजन करना आवश्यक है, क्योंकि अधिक भोजन मोटापे का कारन बन सकता है।

  • पोषक तत्वों की कमी

अधिक कैलोरी व कम पोषक तत्व वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से भी बच्चों में मोटापे का खतरा बढ़ सकता है। चीनी, वसा व नमक यह ज्यादातर खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं, जिसकी मात्रा शरीर में अधिक होने से शरीर में कैलोरी ज्यादा हो सकती है और यह मोटापे का कारण बन सकता है।

  • शारीरिक गतिविधि में कमी

बच्चों के जीवन में आजकल स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है। ज्यादातर बच्चे खाली समय में गेमिंग, कम्प्यूटर, टीवी देखना पसंद करते हैं। इस वजह से उनकी शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है, जो कि आगे चलकर मोटापे का कारण बन सकती है। इसके साथ ही वो टीवी पर आने वाले खाने के विज्ञापनों से प्रभावित होकर ज्यादा से ज्यादा अनहेल्दी खाद्य पदार्थों के तरफ आकर्षित होने लगते हैं।

  • आनुवांशिकता

कई बार बच्चों में मोटापे का कारण आनुवांशिक भी हो सकता है। अगर परिवार में किसी को बढ़ते वजन की समस्या रही हो तो हो सकता है बच्चे में भी मोटापे की समस्या हो। इसके साथ ही, हार्मोन संबंधी समस्या या लो थाइरोइड, कुछ खास तरह की दवाइयां भी बढ़ते वजन का कारण हो सकती है।

  • जंक फूड के सेवन में बढ़ोत्तरी

आजकल के वक्त में बच्चे जंक फूड, फास्ट फूड या प्रोसेस्ड फूड यानी डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ जैसे – चायनीज, नूडल्स, चिप्स, पेस्ट्री या फिर सॉफ्ट ड्रिंक, स्नैक्स, मिठाई का सेवन ज्यादा चाव से करते हैं। ये खाद्य पदार्थ भले ही खाने में स्वादिष्ट हो, लेकिन ये मोटापे का कारण बन जाते हैं।

आइए, अब जानते हैं कि बच्चों में मोटापे के लक्षण क्या है।

बच्चों में मोटापे के लक्षण

बच्चों में मोटापे के लक्षण होने से कुछ स्वास्थ समस्याएं सामने आ सकती है, जिन्हें इसके लक्षण मान सकते हैं। मोटापे के ये लक्षण कुछ इस प्रकार हैं (4):

  • श्वास संबंधी समस्या होना
  • डायबिटीज
  • डिप्रेशन
  • लीवर की समस्याएं
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • हाई कोलेस्ट्रॉल
  • हड्डियों में दर्द
  • स्वभाव में बदलाव: जैसे छोटी-छोटी बातों पर चिढ़ना
  • सुस्त या आलस महसूस करना
  •  वजन का जरूरत से ज्यादा बढ़ना

मोटे बच्चों के लिए जोखिम और जटिलताएं क्या-क्या हो सकते हैं, यह जानने के लिए लेख का अगला भाग जरूर पढ़ें।

मोटे बच्चों के लिए जोखिम और जटिलता

जिन बच्चों में मोटापे की समस्या होती है, उनमें स्वस्थ वजन वाले बच्चों की अपेक्षा कई स्वास्थ्य समस्याओं के होने का जोखिम हो सकता है। ये जोखिम कुछ हद तक इसके लक्षणों से मिलते-जुलते हो सकते हैं। वहीं, सही वक्त पर इन पर ध्यान ना दिया गया तो ये वयस्क होने पर ज्यादा गंभीर रूप धारण कर जटिलताएं पैदा कर सकते हैं (2)। तो नीचे उन्हीं जोखिमों और जटिलताओं के बारे में हम बता रहे हैं (2) (3):

  1. हृदय रोग: बचपन में मोटापा या बढ़ता वजन उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल का जोखिम पैदा कर सकता है। वहीं, अगर सही वक्त पर ब्लड प्रेशर व कोलेस्ट्रॉल पर ध्यान न दिया जाए तो यह आगे चलकर हृदय रोग का जोखिम कारक बन सकता है (5)।
  1. टाइप 2 मधुमेह: बच्चों में मोटापा शरीर में मौजूद ग्लूकोज के संतुलन को बिगाड़ सकता है, जिसकी वजह से इंसुलिन प्रतिरोध और टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है।
  1. सांस संबंधी समस्याएं: बच्चों में मोटापा, सांस संबंधी परेशनियां जिसमें अस्थमा भी शामिल है उसके जोखिम बढ़ा सकता है। बता दें कि अस्थमा फेफड़ों से संबंधित समस्या है। इसमें घरघराहट, सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न और खांसी की परेशानी हो सकती है (6)। ऐसे में माना जा सकता है कि मोटापा बच्चों में अस्थमा का जोखिम पैदा कर सकता है।
  1. स्लीप एपनिया: मोटापा बच्चों में स्लीप एपनिया यानी नींद के दौरान सांस रुकने जैसी स्वास्थ्य समस्या का भी खतरा बढ़ा सकता है (7)। इससे दिन में थकान या नींद न आना, ध्यान न लगा पाने की समस्या हो सकती है।
  1. हड्डी व जोड़ों की समस्या: बच्चों के अधिक वजन होने के कारण हड्डियों और जोड़ों पर दबाव पड़ सकता है। जिससे उनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस का जोखिम बढ़ सकता है, यह एक ऐसी बीमारी है जो जोड़ों में दर्द और जकड़न का कारण बन सकती है।
  1. लीवर संबंधी समस्या: मोटापा होने से लीवर संबंधी समस्याएं जैसे फैटी लीवर, पथरी या फिर पेट में जलन, आदि के उत्पन्न होने का जोखिम बना रहता है।
  1. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: मोटापे की वजह से बच्चों में चिंता और अवसाद, आत्मसम्मान में कमी जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी उत्पन्न होने का डर रहता है (3)।

जोखिम व जटिलाओं को जानने के बाद जानेंगे कि बच्चों में मोटापे का इलाज कैसे करें।

बच्चों में मोटापे का इलाज

बच्चों में मोटापे के लक्षण नजर आने पर चिकित्सकीय परामर्श लेना सबसे आवश्यक है। नीचे जानें बच्चे के मोटापे को कम करने के इलाज में डॉक्टर क्या सलाह दे सकते हैं। देखा जाए तो ये इलाज उनके जीवनशैली और डाइट से जुड़े बदलाव से संबंधित हैं, जिसके बारे में हम नीचे सलाह दे रहे हैं (2):

  • बच्चे में अगर मोटापे के लक्षण नजर आए तो सबसे पहले बाल विशेषज्ञ से संपर्क करें जो वजन घटाने के लिए एक बेहतरीन लक्ष्य निर्धारित करने में मदद कर सकते हैं।
  • इन लक्ष्यों में सबसे पहले डॉक्टर बच्चे के आहार की पूर्ति के लिए सही प्रकार के खाद्य व पेय पदार्थों के चयन की सलाह दे सकते हैं।
  • बच्चे की उम्र के अनुसार बिना ज्यादा खाए सही मात्रा में पर्याप्त व पोषण से भरपूर आहार के चुनाव की जानकारी का सुझाव देते हुए डॉक्टर डाइट चार्ट भी बनाकर दे सकते हैं।
  • कौन से फल व सब्जियों का सेवन बच्चों में मोटापे को कम करने में मदद कर सकते हैं, डॉक्टर उसकी जानकारी दे सकते हैं। ऐसे खाद्य पदार्थ जो विटामिन्स से भरपूर हो और कैलोरी में कम इसकी जानकारी माता-पिता डॉक्टर से ले सकते हैं।
  • बच्चों में मोटापे को कम करने के लिए बाल विशेषज्ञ हेल्दी स्नैक्स के सेवन की सलाह दे सकते हैं। कुकीज, कैंडी, केक, चिप्स व आइसक्रीम जैसे हाई शुगर व कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कम करने के बजाय फल, ड्राई फ्रूट, सूप, सलाद जैसे सेहतमंद खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल करने की सलाह दे सकते हैं।
  • डॉक्टर बच्चे के जीवनशैली में बदलाव की सलाह दे सकते हैं। बच्चों के माता-पिता को बाल चिकित्सक बच्चे के अधिक सक्रिय होने के लिए प्रेरित करने के तरीके बता सकते हैं, जिससे बच्चा शारीरिक गतिविधि में शामिल हो सके।
  • टीवी देखने की अवधि को कम करने व खेलने के समय को बढ़ाने की सलाह दे सकते हैं।

लेख के इस भाग में जानिए बच्चो को मोटापे से बचाकर रखने के लिए किन चीजों का ध्यान रखें।

बच्चों में मोटापे से बचाव

अब यह जानना जरूरी है कि ऐसा क्या किया जाए कि बच्चों में मोटापे का जोखिम कम हो सके। ऐसे में लेख के इस भाग में हम बच्चों में मोटापा कम करने के लिए बचाव से जुड़ी जानकारियां देंगे (1) (2) (3) (8)।

  • शारीरिक गतिविधि है जरूरी : बच्चे को मोटापे से बचाने के लिए और उनके वजन को संतुलित रखने के लिए शारीरिक गतिविधि जैसे बच्चों के लिए योग या व्यायाम आवश्यक है। प्रतिदिन लगभग 60 मिनट की फिजिकल ऐक्टिविटी जरूरी है। हालांकि, ये जरूरी नहीं कि एक बार में ही 60 मिनट तक खेले या व्यायाम करे, बल्कि इसे दिन भर कि गतिविधियों में शामिल किया जा सकता है।
  • पारिवारिक योगदान जरूरी : बच्चों में मोटापा को कम करने के लिए पूरे परिवार, खासकर उनके माता-पिता को शामिल होना जरूरी है। इसके लिए कई तरह की प्लानिंग की जा सकती है। बच्चे के मोटापा को कम करने में परिवार के सभी स्वस्थ आदतों को दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं, ताकि बच्चा ये देखकर परिवार से ही सीख सकता है।
  • स्क्रीन टाइम को कम करें : जैसे कि हमने लेख की शुरुआत में ही जानकारी दी है कि जो बच्चे दिन में कई घंटे टीवी देखते हैं, या फिर कंप्यूटर गेम या स्मार्टफोन में लगे रहते हैं, उनमें मोटापे का जोखिम अधिक हो सकता है। ऐसे में बच्चे को मोटापे से बचाव के लिए उसकी दिनचर्या से स्क्रीन टाइम को कम किया जा सकता है। दरअसल, जानकारों के मुताबिक दिनभर में दो घंटे से ज्यादा टीवी देखने की सलाह नहीं दी जाती है। इसलिए उसी अनुसार उनका स्क्रीन टाइम तय करें।
  • पर्याप्त नींद: इस बात का ध्यान रहे कि बच्चे को पर्याप्त नींद मिल रहा है या नहीं, क्योंकि अपर्याप्त नींद और सोने का तरीका भी बच्चे के मोटापे की वजह बन सकता है।

लेख के सबसे अंत में जान लेते हैं कि बच्चों में मोटापा को लेकर डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए।

डॉक्टर से कब संपर्क करें

बच्चे के विकास के साथ उसका वजन बढ़ना सामान्य है, लेकिन अगर ऐसा लगता है कि बच्चे का वजन ज्यादा है और इससे उन्हें चलने-फिरने या उठने-बैठने में परेशानी हो रही हो। इसके अलावा, उनमें ऊपर बताए गए कुछ लक्षण जैसे – सांस लेने में तकलीफ, हड्डियों में दर्द, चिड़चिड़ापन दिखे तो बिना देर किए तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।

बच्चो में मोटापा उनके विकास के बीच एक जटिल व गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। यह विशेषरूप से बदलते जीवनशैली के कारण बढ़ता ही जा रहा है। अगर वक्त रहते इस पर ध्यान न दिया जाए तो आगे चलकर यह कई गंभीर बीमारियों का जोखिम पैदा कर सकता है। ऐसे में दी गई जानकारियों और बच्चे में मोटापे से बचाव के टिप्स पर ध्यान दें और उसके अनुसार बच्चे के जीवनशैली में बदलाव कर उन्हें मोटापे से बचाएं। अब इस लेख को अपने तक ही सीमित न रखें, बल्कि अपने सगे-संबंधियों के साथ भी जरूर साझा करें। बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी ऐसी और जानकारी के लिए जुड़े रहें हमारे साथ।

References

  1. Obesity in Children By MedlinePlus
    https://medlineplus.gov/obesityinchildren.html
  2. Obesity in children By MedlinePlus
    https://medlineplus.gov/ency/article/007508.htm
  3. Childhood Obesity Causes & Consequences By CDC
    https://www.cdc.gov/obesity/childhood/causes.html
  4. Pediatric obesity: Causes, symptoms, prevention and treatment By NCBI
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4726862/
  5. Heart Diseases By MedlinePlus
    https://medlineplus.gov/heartdiseases.html
  6. Asthma in children By MedlinePlus
    https://medlineplus.gov/ency/article/000990.htm
  7. Sleep Apnea By MedlinePlus
    https://medlineplus.gov/sleepapnea.html
  8. Sleep patterns and obesity in childhood By NCBI
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4437224/
Was this article helpful?
thumbsupthumbsdown

Community Experiences

Join the conversation and become a part of our vibrant community! Share your stories, experiences, and insights to connect with like-minded individuals.