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आधुनिक युग में कॉफी का चलन तेजी से बढ़ा है। घर-घर में लोग कॉफी को पसंद करने लगे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि कॉफी पीने से ताजगी और स्फूर्ती आती है, जिस वजह से इसका सेवन ज्यादा होने लगा। इस तरह चाय की जगह कॉफी ने कब ले ली पता ही नहीं चला। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम आपके लिए खास विषय लेकर आए हैं, जिसमें हम बात करेंगे कि बच्चों को कॉफी देनी चाहिए या नहीं। साथ ही बच्चों को किस उम्र में कॉफी पीनी शुरू करनी चाहिए। इसके अलावा, इससे होने वाले फायदे व नुकसान के बारे में भी जानेंगे।

लेख के सबसे पहले भाग में जानेंगे कि बच्चों का कॉफी पीना कितना सही है।

क्या बच्चों को कॉफी पीनी चाहिए?

नहीं, क्योंकि कॉफी पीने से बच्चों को कई शारीरिक व मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की साइट पर इस संबंध में एक रिसर्च पेपर पब्लिश है। इसमें भी बच्चाें के लिए कॉफी के फायदे से ज्यादा नुकसान बताए गए हैं। शोध के अनुसार कॉफी पीने से बच्चों की नींद प्रभावित होती है। साथ ही उनके वजन और शारीरिक विकास पर भी असर पड़ता है। इतना ही नहीं कॉफी के सेवन से बच्चे अवसाद का भी शिकार हो सकते हैं (1)। इसलिए, बेहतर यही है कि बच्चों को कॉफी पीने के लिए न दी जाए।

अब जानते हैं कि बच्चों को किस उम्र से कॉफी पीने के लिए दे सकते हैं।

कॉफी पीने के लिए बच्चों की सही उम्र व मात्रा क्या है?

जैसा कि हमने ऊपर भी बताया कि कॉफी पीना बच्चों के लिए चिंताजनक है। फिर भी अगर कोई अपने बच्चे को कॉफी पीने के लिए देना चाहता है, तो 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को ही देनी चाहिए। 12 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के लिए कैफीन बिल्कुल सुरक्षित नहीं माना गया है। वहीं, 12 से 18 साल के बच्चों को एक दिन में करीब 100 मिलीग्राम कैफीन यानी एक कप कॉफी दे सकते हैं (2)। अगर कोई इसके बावजूद अपने बच्चे के कॉफी पीने को लेकर चिंतित है, तो एक बार बाल रोग विशेषज्ञ से जरूर परामर्श करे।

आइए, अब जानते हैं कि किस कारण से कॉफी बच्चों के लिए हानिकारक है।

कॉफी बच्चों को कैसे प्रभावित करती है?| Disadvantages of drinking coffee in children

कॉफी में पाया जाने वाला कैफीन शरीर में जाते ही मस्तिष्क में उत्तेजना पैदा करता है। जैसे यह व्यस्कों को प्रभावित करता है, ठीक वैसे ही बच्चों पर भी प्रभाव दिखाता है। यह बच्चों के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में बच्चों व किशोरों के लिए कैफीन की छोटी खुराक भी संवेदनशील हो सकती है कैफीन के मूत्रवर्धक प्रभाव के कारण डिहाइड्रेशन का कारण बन सकता है। साथ ही बच्चों में नींद की कमी और शरीर में कैल्शियम की कमी का कारण बन सकता है।

कॉफी पीने से बच्चों को क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं, यह जानने के लिए लेख का यह भाग जरूर पढ़ें।

बच्चों के लिए कॉफी के दुष्प्रभाव

जैसा कि इस लेख से स्पष्ट हो गया है कि कॉफी में कैफीन की मात्रा अधिक होती है, इसलिए बच्चों को इससे दूर रखना चाहिए। अगर बच्चे कॉफी का सेवन करते हैं, तो निम्न प्रकार के नुकसान हो सकते हैं (3)। ऐसे में बच्चों व किशोरों के लिए कॉफी का अधिक सेवन निम्नलिखित दुष्प्रभाव उत्पन्न कर सकता है। 

  • भूख में कमी : अध्ययन की मानें, तो भोजन से लगभग आधे घंटे से चार घंटे पहले कैफीन का सेवन बच्चे की भूख को दबा सकता है (4)। इस प्रकार भूख न लगने से विकसित होते बच्चों के शरीर में पोषक तत्वों की कमी आ जाएगी।
  • दांतों से जुड़ी समस्या: जो बच्चे कॉफी पीते हैं, उन्हें दांतों से जुड़ी समस्या होने की आशंका अधिक होती है, क्योंकि कॉफी में शुगर की मात्रा अधिक होती है। इससे मुंह में बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं। बैक्टीरिया एसिड का उत्पादन करते हैं, जो दांतों के इनेमल को नष्ट कर देते हैं, जिससे बच्चों में दांतों की सड़न शुरू हो जाती है (5)
  • कैफीन की लत: कॉफी में मौजूद कैफीन शरीर में उत्तेजना पैदा करता है। इसलिए, बच्चे हमेशा एक्टिव रहने के लिए इसका बार-बार सेवन कर सकते हैं, जिससे उन्हें इसकी लत लग जाती है। फिर जैसे-जैसे कैफीन के सेवन की आदत बढ़ने लगती है, वैसे-वैसे कैफीन की मात्रा भी बढ़ जाती है (6)। इस आदत के कारण जब कैफीन नहीं मिलता है, तो थकान, सुस्ती, घबराहट, चिड़चिड़ापन व सिरदर्द जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं (7)
  • कमजोर हड्डियां: हड्डियों की मजबूती के लिए किशोरावस्था को सबसे महत्वपूर्ण समय माना गया है। ऐसे में कैफीन का सेवन करने से कैल्शियम का अवशोषण होता है, जिससे हड्डियों को नुकसान पहुंच सकता है (8)। ऐसे में माना जा सकता है कि कैफीन कैल्शियम का स्तर कम करने के साथ-साथ बच्चे के सामान्य शारीरिक विकास को बाधित कर सकता है।
  • चिंता और घबराहट: अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के अनुसार, कैफीन की उच्च मात्रा एक बच्चे के अपरिपक्व तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित कर सकती है। इससे एकाग्रता में कमी और घबराहट जैसी समस्या हो सकती है (8)
  • बार-बार पेशाब लगना: कैफीन को मूत्रवर्धक (बार-बार पेशाब लगना) पदार्थ माना गया है। यही कारण है कि जो बच्चे कैफीन का सेवन अधिक मात्रा में करते हैं, उन्हें बार-बार बाथरूम के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं (9)। इस कारण बच्चे के शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जिस कारण वो डिहाइड्रेशन का शिकार भी हो सकता है।
  • नींद में रूकावट: बच्चों में विकास के लिए उचित नींद व पोषण का होना जरूरी है, लेकिन कैफीन के सेवन से यह पूरा नहीं हो पाता। ऐसे में माना जा सकता है कि यह बच्चों के उचित विकास व वृद्धि में रूकावट उत्पन्न हो सकती है (1)
  • मधुमेह का खतरा: शोध की मानें तो बच्चों को लगातार चाय या फिर कॉफी का सेवन कराने से उनमें मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है (10)

दुष्प्रभाव के बाद जान लेते हैं बच्चों को कॉफी से होने वाले कुछ आंशिक फायदों के बारे में।

बच्चों को कॉफी देने के क्या फायदे हैं?

लेख में ऊपर स्पष्ट किया गया है कि बच्चों को 12 वर्ष की उम्र के बाद एक कप कॉफी का ही सेवन करना चाहिए, क्योंकि कॉफी में कैफीन की मात्रा अधिक होती है। इस तय मात्रा में कॉफी का सेवन करने से हृदय को स्वस्थ रखा जा सकता है। साथ ही टाइप-2 डायबिटीज होने की आशंका कम हो सकती है और मानसिक स्वास्थ्य व लीवर की कार्यप्रणाली बेहतर हो सकती है। यहां हम स्पष्ट कर दें कि ये सभी फायदे रिसर्च के दौरान वयस्कों में देखे गए हैं। बच्चों पर अभी तक इस तरह का कोई शोध नहीं किया गया है (1)। ऐसी अवस्था में बेहतर यही है कि अपने बच्चे को कॉफी देने से पहले डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

बच्चों के लिए कॉफी कितनी सुरक्षित है, इस लेख को पढ़कर आपको अंदाजा हो ही गया होगा। बच्चों के लिए कॉफी पीने की सही उम्र क्या है, व कैफीन बच्चों को कैसे प्रभावित करता है इससे जुड़ी विस्तृत जानकारी भी इस लेख में दी गई है। इसलिए, जितना संभव हो सके बच्चे को कॉफी से दूर ही रखें। इसकी जगह आप उसे ताजे फल व उसका जूस दे सकते हैं। साथ ही दूध का सेवन करवाएं। इस लेख में दी गई जानकारी को अपने तक ही सीमित न रखें, बल्कि अपने सगे संबंधियों के साथ भी जरूर साझा करें। बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी ऐसी और जानकारी के लिए जुड़े रहें हमारे साथ।

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