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शिशु जब तक मां का दूध पीते हैं, तब तक माता-पिता को उनके आहार की ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं होती है। वहीं, 6 महीने के बाद जब उनको ठोस आहार देने की जरूरत होती है, तो इस दौरान माता-पिता की उलझन बढ़ सकती है। अगर आप भी अपने नन्हे को ठोस आहार देने की शुरुआत करने वाले हैं और उन्हें क्या खिलाएं और क्या नहीं इस दुविधा में हैं, तो मॉमजंक्शन के इस लेख को जरूर पढ़ें। इसमें हम आपको रागी के रूप में एक अच्छा विकल्प बता रहे हैं। अगर आप यह सोच रहे हैं कि बच्चों के लिए रागी सेहतमंद है या नहीं? तो इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद आपको अपने सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे।
क्या रागी शिशुओं के लिए अच्छा है?
इससे पहले कि आपको हम इस सवाल का जवाब दें, आपका यह जानना जरूरी है, कि रागी क्या है? रागी जिसे फिंगर मिलेट या नाचनी भी कहा जाता है, एक पौष्टिक आहार है। इसमें कैल्शियम और प्रोटीन होता है, जो बढ़ते बच्चों के स्वास्थ्य को बरकरार रखने में मदद करते हैं। शिशु के 6 महीने का होने के बाद उसे रागी का सेवन कराना फायदेमंद हो सकता है। रागी का सेवन शिशु के लिए एक लाभकारी वीनिंग आहार यानी शिशु का स्तनपान छुड़ाने के बाद एक उत्तम आहार के रूप में साबित हो सकता है (1) (2) (3) (4)।
इस लेख के आगे के भाग में जानें कि रागी में क्या-क्या पोषक तत्व हैं, जो इसे इतना पौष्टिक बनाते हैं।
रागी के पोषक तत्व
रागी में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व मौजूद हैं, जिसकी सूची हम नीचे आपके साथ शेयर कर रहे हैं (5)।
पोषक तत्व | प्रति 100 ग्राम |
---|---|
प्रोटीन | 7.3 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट | 72 ग्राम |
मिनरल | 2.7 ग्राम |
कैल्शियम | 344 मिलीग्राम |
फैट | 1.3 ग्राम |
फाइबर | 3.6 ग्राम |
एनर्जी | 328 केसीएल |
लेख के आगे भाग में जानिए शिशु के लिए रागी के फायदे।
शिशुओं के लिए रागी के फायदे | bacho k liye ragi ke fayde
- आसानी से पचने वाला – शिशु की पाचन क्रिया बड़ों की तुलना में कमजोर होती है और रागी ऐसा आहार है, जिसे शिशु आसानी से पचा सकते हैं (6)।
- बीमारियों से बचाव – रागी गुणों का खजाना है, इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टीरियल, एंटी-डायबिटिक और कई अन्य गुण हैं, जो शिशुओं को कई बीमारियों से बचाने का काम कर सकते हैं (1)।
- एनीमिया के लिए – जरूरी पोषक तत्वों की कमी के कारण खून की कमी हो सकती है। इस स्थिति में रागी को अच्छे विकल्प के रूप में लिया जा सकता है। वैज्ञानिक शोध के अनुसार, रागी हेमोग्लोबिन (hemoglobin) के स्तर को बढ़ाने में भी सहायक हो सकता है। इसके अलावा, प्रोटीन और मिनरल से भरपूर रागी के सेवन से खून की कमी की समस्या से बचाव हो सकता है (7)।
- कैल्शियम – अन्य पोषक तत्वों की तरह ही कैल्शियम भी शरीर के लिए महत्वपूर्ण है। कैल्शियम की कमी के कारण हड्डियों से जुड़ी कई तरह की समस्या हो सकती है। इस स्थिति में अगर हड्डियों की परेशानी से बचाव करना है, तो रागी का सेवन काफी फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि यह कैल्शियम युक्त आहारों में से एक है। रागी में भरपूर मात्रा में कैल्शियम होता है, जो बच्चों की हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत रखने में मदद कर सकता है (6) (8) (9)।
- ग्लूटेन फ्री – रागी एक ग्लूटेन फ्री खाद्य पदार्थ है। जिन बच्चों को ग्लूटेन से एलर्जी है, वो रागी का सेवन कर सकते हैं। जिन्हें ग्लूटेन से एलर्जी होती है, उन्हें सिलिएक (celiac disease) बीमारी का खतरा हो सकता है। ऐसे में रागी बच्चे के लिए एक अच्छा खाद्य पदार्थ साबित हो सकता है (10) (11)।
अब जब रागी के बारे में आपने इतना कुछ जान लिया है, तो अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि शिशु को रागी कब दें?
बेबी को रागी खिलाना कब शुरू कर सकते हैं?
6 महीने से ज्यादा के शिशु को ठोस आहार देना शुरू कर दिया जाता है। इसलिए, आप उसे रागी दे सकते हैं, क्योंकि यह वीनिंग फूड की श्रेणी में भी आता है (1)। शुरुआत में आप शिशु को कम मात्रा में रागी दें, ताकि आपको पता चले कि कहीं आपके बच्चे को इससे एलर्जी तो नहीं है। शिशु को वीनिंग (दूध का सेवन बंद कराना) शुरू करने के लिए शुरुआत में रागी को सॉफ्ट सेमी सॉलिड आहार के रूप में दे सकते हैं। इसके अलावा, आप डॉक्टर से भी इस बारे में सलाह कर सकते हैं।
आगे जानिए अपने शिशु को रागी देने की रेसिपी।
बच्चों के लिए रागी रेसिपी
1. रागी कांजी (एक साल या बड़े बच्चों के लिए)
सामग्री :
- दो चम्मच रागी पाउडर
- एक कप पानी
- एक चम्मच घी
- आधा कप दूध
- थोड़ा-सा गुड़
बनाने की विधि :
- सबसे पहले एक पैन में पानी और रागी पाउडर को डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें।
- अब इसे मध्यम आंच पर पकने दें।
- इस बीच इसमें घी मिक्स कर दें और कुछ देर मध्यम आंच पर पकने दें।
- जब यह हल्का गाढ़ा हो जाए, तो इसमें स्वाद के लिए थोड़ा गुड़ मिक्स कर दें और ठंडा होने पर शिशु को खिलाएं।
2. रागी की खिचड़ी (एक साल या बड़े बच्चों के लिए)
सामग्री :
- एक चौथाई कप साबुत रागी
- एक चौथाई कप पीली मूंग दाल
- एक से दो चम्मच घी
- चुटकी भर हींग
- डेढ़ कप पानी
बनाने की विधि :
- रागी और दाल को कम से कम चार से पांच घंटे के लिए पानी में भिगोकर रख दें।
- अब गैस पर कुकर रखें और घी गरम करें।
- जब घी गरम हो जाए, तो उसमें भिगोकर रखी रागी और दाल को डालें।
- फिर ऊपर से पानी और चुटकी भर हींग डालकर चम्मच से थोड़ा चला दें।
- अब आप कुकर को बंद कर दें और दो सीटी लगने का इंतजार करें।
- दो सीटी लगने पर कुकर को गैस से उतारें और 15 मिनट के लिए अलग रख दें।
- अब आप एक कटोरी में रागी की खिचड़ी परोसें और उसे ठंडा करके अपने बच्चे को खिलाएं।
3. रागी दलिया (एक साल या बड़े बच्चों के लिए)
सामग्री :
- दो से तीन चम्मच रागी आटा
- एक कप पानी
- एक चम्मच घी
- आधा कप दूध
- एक से दो चम्मच चीनी या थोड़ा गुड़
बनाने की विधि :
- घी को कड़ाही में डालकर गरम करें।
- अब इसमें रागी आटा डालकर लगभग एक मिनट तक भूनें।
- अब ऊपर से पानी और आधा कप दूध मिलाएं।
- इस दौरान इसे चलाते रहें, ताकि इसमें गांठ न पड़े।
- अब इसमें चीनी या गुड़ मिलाएं और अच्छे से चलाते रहें।
- जब आपके मन मुताबिक मिश्रण गाढ़ा हो जाए, तो गैस बंद कर दें।
- अब एक कटोरी में रागी का दलिया परोसें और ठंडा करके अपने बच्चे को खिलाएं।
नोट: अगर आपका बच्चा 6 महीने का हो, तो रागी रेसिपी में चीनी या हींग का उपयोग न करें। वहीं, बहुत कम मात्रा में नमक का उपयोग कर सकते हैं।
अब बात करते हैं कि क्या रागी के कुछ नुकसान भी होते हैं या नहीं।
क्या शिशु के लिए रागी के कुछ नुकसान भी हैं?
वैसे तो रागी सेहतमंद आहार है, लेकिन किसी भी चीज का अधिक सेवन हानिकारक हो सकता है। इसलिए, नीचे हम आपको रागी के कुछ नुकसान के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
- किडनी की समस्या – रागी के अधिक सेवन से शरीर में ऑक्सेलिक एसिड (Oxalic acid) की मात्रा बढ़ सकती है, जिससे किडनी की समस्या हो सकती है (10) (12)।
- सर्दी-जुकाम – सर्दियों में रागी देने से शिशु को सर्दी-जुकाम की समस्या हो सकती है, क्योंकि लोगों का कहना है कि रागी की तासीर ठंडी होती है।
नोट : अगर आप अपने शिशु को पहली बार रागी का सेवन करा रहे हैं, तो उसकी मात्रा सीमित रखें। खिलाने के बाद कुछ वक्त तक शिशु पर ध्यान रखें कि कहीं उसे कोई एलर्जी तो नहीं हो रही है। अगर ऐसा हो, तो तुरंत रागी देना बंद करें और डॉक्टर से संपर्क करें।
आशा करते हैं कि ऊपर बताए गए रागी के फायदे जानने के बाद आपकी दुविधा कम हुई होगी। अब आपको आपके शिशु के लिए रागी के रूप में एक और ठोस आहार का विकल्प मिल चुका है। इसलिए, ऊपर बताए गए बच्चों के लिए रागी रेसिपी को आजमाएं। इस लेख को अन्य माओं के साथ शेयर करें और उन्हें भी रागी के पौष्टिक तत्वों और रेसिपी से अवगत कराएं।
References
1. Milk Based Finger Millet (Ragi) Porridge: A Functional Food By Researchgate
2. Finger millet in nutrition transition: An infant weaning food ingredient with chronic disease preventive potential By Researchgate
3. Nutritional composition of weaning food using malted cereal and pulses flour for infants By Journal
4. Weaning foods: A review of the Indian experience By Journal
5. An Amazing Nutritional Value in Wonderful Finger Millet Makes This “The Most Lovable Food Crop” to the World By Scientific Journal of Food Science & Nutrition
6. Nutraceutical Value of Finger Millet [Eleusine coracana (L.) Gaertn.], and Their Improvement Using Omics Approaches By NCBI
7. Beneficial Effects of ragi (Finger Millet) on Hematological Parameters, Body Mass Index, and Scholastic Performance among Anemic Adolescent High-School Girls (AHSG) By NCBI
8. Harnessing Finger Millet to Combat Calcium Deficiency in Humans: Challenges and Prospects By NCBI
9. Significance of coarse cereals in health and nutrition: a review By NCBI
10. Finger Millet (Ragi) – Small seeds with bigger health benefits By Vikaspedia
11. Celiac Disease By Kidshealth
12. Primary hyperoxaluria By NIH
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