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जीवन में हम कई छोटी-बड़ी बीमारियों का सामना करते हैं और उनसे निजात पाने के विकल्प और साधन भी ढूंढते हैं। वहीं, कुछ बीमारियां ऐसी हैं, जिनका विकल्प एक मात्र सर्जरी ही है। इन्हीं गिनी-चुनी बीमारियों में हर्निया का नाम भी शामिल है। यह महिला, पुरुष और बच्चों को समान रूप से प्रभावित करता है। शुरुआती दौर में पहचान कर इसे बढ़ने से रोका जा सकता है, लेकिन बच्चों में इस बीमारी को समय रहते पहचान पाना मुश्किल होता है। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम बच्चों में हर्निया के बारे में बात कर रहे हैं। लेख में हम आपको बच्चों में इस बीमारी से जुड़े लक्षण, कारण और इलाज के साथ हर छोटी-बड़ी बातें बताएंगे, ताकि इस बीमारी के भविष्य में होने वाले गंभीर जोखिमों से बच्चे को समय रहते बचाया जा सके।
लेख में आगे बढ़ने से पहले बेहतर होगा है कि हम हर्निया क्या है, थोड़ा इस बारे में जान लेते हैं।
हर्निया क्या है?
हमारे शरीर में कई आंतरिक अंग मौजूद होते हैं, जो अलग-अलग शारीरिक क्रियाओं में अपना योगदान देते हैं। यह अंग बेहद ही नाजुक होते हैं, इसलिए इनकी सुरक्षा के लिए एक प्राकृतिक आवरण इन पर मौजूद होता है। जब किसी कारणवश यह आवरण कमजोर हो जाता है या इसमें छेद हो जाता है, तो अंग उससे बाहर आ जाता है।। ऐसे में उस अंग विशेष में सूजन और दर्द की समस्या शुरू हो जाती है। इसे ही हर्निया कहा जाता है। यह मुख्य रूप से पेट से जुड़े अंगों को प्रभावित करता है (1)। वहीं, जगह और स्थान के आधार पर यह शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है। सही समय पर इलाज न करने पर भविष्य में आपको उस अंग से संबंधित कई गंभीर जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।
लेख के अगले भाग में हम बच्चों में हर्निया होने की आशंका के बारे में जानेंगे।
बच्चों में हर्निया कितना आम है?
पूर्ण विकसित और स्वस्थ बच्चों में यह समस्या बमुश्किल ही देखने को मिलती है, लेकिन समय से पूर्व जन्मे बच्चों में हर्निया होने की आशंका सामान्य से अधिक होती है। इस संबंध में किए गए शोध के मुताबिक, एक से दो प्रतिशत पूर्ण विकसित बच्चों में यह समस्या देखने को मिलती है। वहीं समय से पूर्व जन्म लेने वाले करीब 30 प्रतिशत बच्चे हर्निया की समस्या से प्रभावित होते हैं (2)।
लेख के अगले भाग में हम बच्चों में हर्निया के होने वाले विभिन्न प्रकार के बारे में बात करेंगे।
बच्चों में हर्निया के प्रकार
हर्निया के प्रकार की बात करें, तो जगह और अंग विशेष के आधार पर इसके कई प्रकार हैं, लेकिन बच्चों में मुख्य रूप से इसके दो प्रकार देखने को मिलते हैं, जिनके बारे में हम यहां बता रहे हैं (3)।
- इनगुइनल हर्निया (Inguinal Hernia) : हर्निया के इस प्रकार में आंत का एक हिस्सा कमर से जांध के मध्य भाग में किसी छेद या कमजोर परत के कारण अपने क्षेत्र से बाहर आ जाता है और जननांग को प्रभावित करने लगता है। ऐसे में इसे इनगुइनल हर्निया के नाम से जाना जाता है। हर्निया का यह प्रकार मुख्य तौर पर ऐसे बच्चों को प्रभावित करता है, जिनमें इस समस्या का पारिवारिक इतिहास हो या फिर मूत्राशय और प्रजनन अंग से संबंधित कोई समस्या हो।
- अम्बिलिकल हर्निया (Umbilical Hernia) : हार्निया का यह प्रकार मुख्य रूप से नाभि के क्षेत्र को प्रभावित करता है। यह समस्या तब पैदा होती है, जब बच्चे की गर्भनाल जिस मांसपेशी से होकर गुजरती है, वह पूरी तरह से बंद नहीं हो पाती। ऐसे में आंत का एक हिस्सा उस खुली मांसपेशी से बाहर आने का प्रयास करने लगता है। इस कारण नाभि के आस-पास सूजन या उभार जैसा दिखाई देता है। अविकसित या डाउनसिंड्रोम से ग्रस्त बच्चों में हर्निया के इस प्रकार की शिकायत देखी जाती है (4)। ऐसा सामान्य शिशुओं को भी हो सकता है।
लेख के अगले भाग में हम बच्चे में हर्निया होने के कारणों के बारे में जानेंगे।
बच्चों में हर्निया के कारण
बच्चों में हर्निया होने के कारण निम्न प्रकार से हो सकते हैं (3) (4) (5)।
- पेट की दीवार (मांसपेशियों) का कमजोर होना।
- पेट पर अधिक दबाव के कारण।
- गर्भनाल से संबंधित मांसपेशी का खुला रह जाना।
- डाउन सिंड्रोम (गुणसूत्रों से संबंधित विकार) के कारण।
कारण के बाद लेख के अगले भाग में आइए अब हम बच्चों में हर्निया के जोखिम कारकों के बारे में भी जान लेते हैं।
बच्चों में हर्निया के लिए कौन जोखिम में हैं?
आमतौर पर बच्चों में हर्निया के जोखिम कारक कई प्रकार के होते हैं (3)।
- समय पूर्व जन्म।
- अगर माता-पिता को बचपन में यह समस्या रही हो।
- सिस्टिक फाइब्रोसिस (फेफड़ों और पाचन तंत्र को प्रभावित करने वाला एक आनुवंशिक विकार)।
- हिप डिस्प्लेसिया (कूल्हे की हड्डी का पूर्ण या आंशिक रूप से अव्यवस्थित होना)।
- अनडिसेंडेड टेस्टिस (जन्म से पूर्व टेस्टिस का अपनी थैली में न होना या अव्यवस्थित होना)।
- मूत्राशय या जननांग संबंधी समस्या का होना।
हर्निया के जोखिमों को जानने के बाद अब हम इसके लक्षणों के बारे में जानकारी हासिल करेंगे।
बच्चों में हर्निया के लक्षण
नीची दिए गए कुछ बिंदुओं के माध्यम से हम बच्चों में हर्निया के लक्षणों को समझने की कोशिश करेंगे (3)।
- पूर्ण गोल पेट का दिखाई देना।
- उल्टी आना।
- पेट में दर्द या चुभन महसूस होना।
- बच्चे का चिड़चिड़ा होना।
- प्रभावित अंग पर लाली या सूजन का दिखना।
- बुखार आना।
नोट : अगर बच्चे का प्रभावित भाग लाल है, वहां सूजन है, बच्चा लगातार उल्टियां कर रहा है, पेट खराब होने के साथ-साथ बीमार है और बार-बार लड़खड़ा रहा है, तो तुरंत सर्जरी की जरूरत होती है। हां, अगर हल्की बेचैनी और सूजन के अलावा बच्चा ठीक नजर आ रहा है, तो सर्जरी को टाला जा सकता है।
बच्चों में हर्निया के लक्षण जानने के बाद अब हम इस समस्या के निदान के बारे में आपको बताएंगे।
हर्निया का निदान
हर्निया के निदान के लिए डॉक्टर निम्न तरीकों को अपना कर समस्या की मुख्य जड़ तक पहुंचने का प्रयास करते हैं (3)।
- फिजिकल चेकअप– बच्चों में हर्निया के निदान के लिए सबसे पहले डॉक्टर बच्चे के पेट का अच्छी तरह परीक्षण करेगा। डॉक्टर सुनिश्चित करेगा कि प्रभावित क्षेत्र पर हल्का दबाव देकर आंत के उभरे हिस्से को अंदर किया जा सकता है या नहीं।
- अल्ट्रासाउंड– जब एक्स-रे में कुछ साफ नहीं हो पाता या कुछ जटिलताएं नजर आती हैं, तो डॉक्टर अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दे सकते हैं। इससे समस्या को अच्छी तरह से समझकर सही उपचार किया जा सकता है।
आर्टिकल के इस अहम भाग में हम हर्निया के संभावित इलाज के बारे में बता रहे हैं।
बच्चों में हर्निया का इलाज
वैसे तो हर्निया का एकमात्र इलाज सर्जरी ही है, जिसमें प्रभावित अंग की ऊपरी मांसपेशियों को ऑपरेशन की मदद से बंद किया जाता है। वहीं, अम्बिलिकल हर्निया के मामले में देखा जाता है कि तीन से चार साल की उम्र तक यह समस्या कई बच्चों में अपने आप ठीक हो जाती है। इसलिए, हर्निया के इस प्रकार में डॉक्टर सर्जरी की सलाह तभी देते हैं, जब प्रभावित अंग बाहर की ओर उभर आया हों या फिर उनमें खून का दौरा रुक गया हो। साथ ही अगर 3-4 साल की उम्र में हर्निया अपने आप बंद नहीं होता, तो भी सर्जरी की जरूरत पड़ती है, ताकि भविष्य में कोई अन्य समस्या न हो (4) (5)।
लेख के अगले भाग में हम हर्निया ऑपरेशन के बाद की जाने वाली बच्चे की देखभाल के बारे में जानेंगे।
हर्निया ऑपरेशन के बाद बच्चे की देखभाल कैसे करें?
हर्निया के आपरेशन के बाद डॉक्टर आपको बच्चे की देखभाल संबंधी कुछ बातें बताएगा, जिन पर ध्यान देना जरूरी है (6)। डॉक्टर कुछ इस तरह के सुझाव दे सकता है :
- नियमित रूप से ऑपरेशन वाली जगह पर बताई गई क्रीम से ड्रेसिंग की जाए।
- सर्जरी के कुछ दिन बाद तक बच्चे को बिल्कुल भी न नहलाएं और प्रभावित अंग को सूखा रखें।
- नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाते रहें, ताकि डॉक्टर बता सके कि कब बच्चा सामान्य क्रियाएं कर सकता है।
- सर्जरी के कुछ समय बाद आपका बच्चा थोड़ा-थोड़ा खाना-पीना फिर से शुरू कर सकता है। इस बारे में डॉक्टर से सलाह लें।
- अगर बच्चे को तेज बुखार, सर्जरी वाले स्थान पर रक्त स्राव या बदबूदार पस महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
देखभाल के बाद हम बच्चे में अनुपचारित हर्निया की जटिलताओं के बारे में जानेंगे।
बच्चों में अनुपचारित हर्निया की क्या जटिलताएं हैं?
इनगुइनल हर्निया का इलाज न होने की स्थिति में बच्चों को मुख्य रूप से निम्न दो जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है (7)।
- इंकार्सरेशन– यह वह स्थिति है, जब छोटी आंत का एक हिस्सा कमर या अंडकोष में फंस जाता है और वापस नहीं जा पाता। इस स्थिति में बच्चे को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ सकता है।
- स्ट्रैंगयुलेशन– यह वह स्थिति है, जब लंबे समय तक हर्निया का इलाज न होने के कारण प्रभावित आंत के हिस्से में खून का प्रवाह रुक जाता है। इस कारण प्रभावित अंग पूरी तरह से खराब हो सकता है।
लेख के अगले भाग में हम आपको बच्चों में हर्निया से बचाव के कुछ उपाय बताएंगे।
बच्चों में हर्निया को कैसे रोकें?
बच्चों में हर्निया से बचाव का कोई भी तरीका नहीं है, न तो जन्म से पहले और न ही जन्म के बाद। आप केवल इसके लक्षणों को समझ कर इसका निदान और इलाज करा सकते हैं (5) (7)। इसलिए, हर्निया के लक्षण नजर आते ही जल्द डॉक्टर से संपर्क करना ही इससे बचाव का एकमात्र विकल्प है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या हर्निया अपने आप ठीक हो सकता है?
माना जाता है कि तीन से चार साल का होने पर कई बच्चों में अम्बिलिकल हर्निया के अपने आप ठीक होने की संभावना रहती है, लेकिन डॉक्टर से संपर्क करना भी जरूरी है। डॉक्टर चेकअप करके पता करेगा कि इससे कितना क्षेत्र प्रभावित है और यह बिना सर्जरी के ठीक हो सकता है या नहीं। वहीं, इनगुइनल हर्निया को बिना सर्जरी ठीक नहीं किया जा सकता है (4) (5)।
क्या मेरा शिशु को एक से अधिक बार हर्निया हो सकता है?
एक बार सर्जरी के बाद उस स्थान विशेष में दोबार हर्निया होने की आशंका बहुत कम होती है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थियों में ऐसा हो सकता है।
क्या मुझे अपने बच्चे के हर्निया को घरेलू उपचार से ठीक करने की कोशिश करनी चाहिए?
हर्निया का कोई भी घरेलू उपचार नहीं है। इसलिए, बेहतर यही होगा कि इस समस्या का पता लगते ही आप इसके इलाज के लिए इस विषय से संबंधित डॉक्टर से संपर्क करें।
क्या शिशु को रोने से हर्निया हो सकता है?
नहीं, शिशु के रोने से सिर्फ हर्निया का आकार बढ़ सकता है और शिशु रोकर अपनी तकलीफ बताने की कोशिश करते हैं। इससे हर्निया हो, यह संभव नहीं है।
अगर आपका बच्चा भी बार-बार पेट में दर्द जैसी समस्या बताता है, तो उसे बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। हो सकता है कि हर्निया के कारण उसे दर्द हो रहा हो। इसलिए, पेट या उससे जुड़े किसी भी हिस्से की तकलीफ के बारे में पता चलते ही बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं और सुनिश्चित करें कि वह दर्द सामान्य गैस और अपच का है या फिर उसकी वजह कुछ और हैं। बच्चों में हर्निया से संबंधित हल पहलू को जानने के लिए एक बार इस लेख को अच्छे से पढ़ें। उसके बाद ही किसी निष्कर्ष तक पहुंचे।
References
1.Hernia By Medlineplus
2.Male Gender and Prematurity are Risk Factors for Incarceration in Pediatric Inguinal Hernia: A Study of 922 Children By Ncbi
3.Inguinal and Umbilical Hernias in Children By Edu
4.Umbilical hernia By Medlineplus
5.Hernia By Medlineplus
6.Abdominal Wall Hernia Surgery By Edu
7.Inguinal Hernia By Niddk
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