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हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा सभी कार्यों में अव्वल हो। पढ़ाई में वह हमेशा आगे रहे और अपने कार्य कौशल और खूबियों से कामयाबी की नई-नई सीढ़ियां चढ़े। इसके लिए बच्चे में आत्मविश्वास का होना बेहद जरूरी है। मगर, कई बच्चों में आत्मविश्वास की कमी होती है। यदि आपका बच्चा भी उनमें से ही एक है, तो घबराने की जरुरत नहीं है। मॉम जंक्शन के इस लेख में हम आपको बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने के कई आसान तरीके बताएंगे। साथ ही यहां आपको बच्चों में आत्मविश्वास की कमी के कारण भी पता चलेंगे।

तो आइए लेख में आगे बढ़ने से पहले आत्मविश्वास क्या है, इस बारे में जान लेते हैं।

आत्मविश्वास का मतलब क्या है?

आत्मविश्वास का सीधा अर्थ है, खुद पर भरोसा। यानी आत्मविश्वास को किसी की क्षमता, गुण और विश्वासपूर्ण निर्णय लेने के रूप में परिभाषित किया जाता है। आत्मविश्वासी शख्स मुश्किल से मुश्किल काम से घबराता नहीं है। आत्मविश्वास का सही स्तर निजी और पेशेवर जीवन में कामयाबी दिलाने में  मदद कर सकता है। आत्मविश्वास न सिर्फ जीवन में लक्ष्यों को निर्धारित करना सिखाता है, बल्कि प्रबलता के साथ संवाद और आलोचनाओं से निपटने की कला भी सिखाता है।

लेख के इस भाग में हम बच्चों में आत्मविश्वास की अहमियत को समझने का प्रयास करेंगे।

बच्चों के लिए सेल्फ कॉन्फिडेंस क्यों जरूरी है?

बच्चों के लिए आत्मविश्वास कई मायनों में जरूरी होता है। इसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं (1) (2):

  • इच्छाशक्ति को बढ़ाता है।
  • सीखने की क्षमता का विकास करता है।
  • भविष्य में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
  • समस्याओं को सहजता से लेने में मदद करता हैं।
  • आत्मविश्वास बच्चों में जुनून पैदा करता है।
  • आत्मविश्वास बच्चों के मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी।
  • गलतियों से निपटने में मदद करता है।
  • विफल होने पर भी इच्छा शक्ति बनाए रखता है।
  • आत्मविश्वासी बच्चे हारने से डगमगाते नहीं हैं।
  • आत्मविश्वास बच्चों को शैक्षिक तौर पर मजबूत करता है।

अब जानते हैं कि बच्चों में आत्मविश्वास की कमी के कारण क्या हो सकते हैं।

बच्चों में आत्मविश्वास की कमी के कारण | Bachoo Me Atamvishwas Ki Kami Ke Karan

बच्चों को नहीं पता होता कि आत्मविश्वास और स्वाभिमान होना क्या है। पेरेंट्स ही बच्चों को जीवन के मूल्यों से सींचते हैं। इसलिए पेरेंट्स को भूलकर भी बच्चों के सामने ऐसे बर्ताव नहीं करना चाहिए, जिससे उनके मन को ठेस पहुंचे। वजह यह है कि कई बार पेरेंट्स खुद बच्चे में आत्मविश्वास कम करने का कारण बन सकते हैं। वैसे बच्चों में आत्मविश्वास की कमी के और भी कई कारण हो सकते हैं और ये कारण स्थाई नहीं होते हैं। समय रहते इन पर काबू पाया जा सकता है (3)

  • पेरेंट्स का बच्चों के साथ सही बर्ताव न होना
  • स्कूल में नंबर कम आना
  • स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां
  • एंजाइटी या डिप्रेशन
  • बच्चों को बात-बात पर डांटना
  • गलतियों पर नीचा दिखाना
  • किसी से तुलना करके उन्हें कम आंकना
  • उनके काम की सराहना न करना
  • बच्चों को उचित समय न देना
  • किसी काम के लिए प्रेरित न करना
  • प्रतियोगिता का माहौल ना मिलना
  • बच्चों को काम करने से रोकना
  • उन्हें खेलने से रोकना
  • उन्हें नई-नई एक्टिविटी न करने देना
  • पेरेंट्स का बच्चे को होमवर्क न कराना या इसके लिए उन्हें समय न देना

लेख में आगे बच्चों में आत्मविश्वास को बढ़ाने से जुड़ी टिप्स के बारे में जानते हैं।

बच्चों का आत्मविश्वास कैसे बढ़ाएं | 11 Tips to Increase Self Confidence in Kids in Hindi

बच्चों को वैसे तो कुछ भी सिखाना इतना आसान नहीं है, लेकिन बच्चों को सिखाने का सबसे आसान तरीका यही है कि पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा घुले-मिलें और उन्हें अपनी कार्यक्षमता पर भरोसा करना सिखाएं। इससे बच्चे में हर काम को आत्मविश्वास के साथ पूरा करने की इच्छा जागेगी। आइए जानते हैं बच्चों में कैसे पैदा करें आत्मविश्वास (4)

1. खुद पर भरोसा रखें

बच्चों में आत्मविश्वास जगाने के लिए पहले पेरेंट्स को खुद को भौतिक और मानसिक रूप से मजबूत होना पड़ेगा। बच्चों के लिए आशावादी होना और इसके लिए तैयारी करना बच्चों के लिए एक बड़ा उदाहरण हो सकता है। पर इसका मतलब यह नहीं कि आप अच्छा होने का बहाना करें। बच्चों के माहौल में अपनी चिंता को दरकिनार करें और बच्चों के सामने सकारात्मक चीजें करें। छोटी-छोटी चीजों पर बच्चों को खुश होकर दिखाएं। साथ ही बच्चों को यह भी समझाएं कि किसी भी चीज में सफलता मिलने का मतलब यह नहीं ही कि वे मायूस हो जाएं, बल्कि बच्चों को समझाएं कि इसका अर्थ यह हुआ कि उस काम में सफलता पाने के लिए बच्चे को आगे अधिक मेहनत करनी होगी।

2. बच्चों की गलतियों पर मायूस न हो

गलती तो बड़ों से भी हो जाती है, फिर बच्चों की गलतियों पर क्यों मायूस होना। अहम बात तो यह है कि बड़ा हो या बच्चा अपनी गलतियों से ही नई चीजों को सीखता है। इसलिए बच्चे की गलती पर उन्हें डांटे नहीं। इससे उनके अंदर एक डर पैदा होगा, जो उन्हें हर काम करने से रोकेगा। याद रहे आत्मविश्वासी लोगों में किसी भी बात का डर नहीं होता है। इसलिए बच्चों को आत्मविश्वासी बनने का मौका दें और उस काम को सही ढंग से करने के लिए प्रेरित करें।

3. बच्चों को समय दें

अगर आपका बच्चा पूरे दिन अकेले ही खेलेगा तो वह चिड़चिड़ा हो सकता है और इस कारण वह अकेलेपन का शिकार हो जाएगा। इसलिए पेरेंट्स को अपने बच्चों को उचित समय देकर उनकी गतिविधियों में शामिल होना चाहिए। पेरेंट्स अपने बच्चों के खेल में उनके साथी बनें। इससे बच्चों में सोचने और समझने की शक्ति मजबूत होगी और उसमें आत्मविश्वास का विकास होगा।

4. बच्चों पर भरोसा कायम करें

पेरेंट्स बच्चों की कार्य क्षमताओं पर भरोसा बनाए रखें। इस बीच आपको अधिक आशावादी बनने की भी जरूरत नहीं है। बस जरूरत है, तो अपने बच्चे को प्रेरित करने की और विश्वास दिलाने की। ताकि वह किसी भी कार्य को पूर्ण उत्साह और विश्वास के साथ पूरा कर सके।

5. बच्चों पर गुस्सा न करें

अगर आप अपने बच्चे के अड़ियल व्यवहार पर बार-बार गुस्सा करेंगे, तो इससे वह और भी ज्यादा बिगड़ जाएगा। ऐसे में वो आपकी किसी भी बात को नहीं मानेगा। साथ ही वह मानसिक रूप से कमजोर होता चला जाएगा और उसका आत्मविश्वास भी डगमगा जाएगा। इससे दो बातें होती हैं। पहला बच्चें माता-पिता से धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं और दूसरी यह कि बच्चे खुद पर भरोसा करना छोड़ देते हैं।

6. बच्चों की सराहना करें

अगर आपका बच्चा आपके सामने कोई कार्य या प्रोजेक्ट पेश करता है, तो आपको उसकी सराहना कर उसे प्रेरित करना चाहिए। भले ही उनका वह प्रोजेक्ट गलत हो। आपको सिर्फ बच्चे की इस कोशिश की तारीफ करनी है और फिर बाद में उनके साथ मिलकर उस गलती को ऐसे सुधारना है कि उन्हें पता ही नहीं चले कि उनसे गलती हुई है। ऐसा करने से बच्चों में ज्यादा से ज्यादा प्रयास करने का जज्बा जगेगा (5)

7. बच्चों को नई चीजें करने के लिए उकसाएं

बच्चों का नए-नए कार्यों में भाग लेना उन्हें भौतिक और मानसिक तौर पर सक्रिय बनाने में मदद करता है। इसलिए बच्चों को तरह-तरह की गतिविधियों में व्यस्त रखें। इस तरह से बच्चों को सक्षम और आत्मविश्वासी बनाने मदद मिलेगी, जिससे बच्चे अपने रास्ते में आने वाली बाधाओं को आसानी से पार करने में सक्षम होंगे (6)

8. बच्चों को चखने दें असफलता का स्वाद

कोई पेरेंट्स नहीं चाहते कि उनके बच्चों को विफलता का मुंह देखना पड़े, लेकिन फेल होना कोई बुरी बात नहीं है। बच्चा हो या बड़ा जिंदगी में असफल होना, उन्हें बहुत बड़ा पाठ सिखाती है। हारने और गलती करने से ही बच्चा आगे बढ़ना सीखता है। विफलता बच्चों को ज्यादा से ज्यादा प्रयास करने के लिए प्रेरित करती है (7)। इसलिए उनकी विफलताओं में भी उनमें हिम्मत दें और उस काम को अधिक मेहनत से करने के लिए प्रेरित करें।

9. बच्चों की तुलना करने से बचें

बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करना है, तो आप अपने बच्चे की किसी बच्चे से तुलना कर उसे नीचा न दिखाएं। इससे बच्चे की आत्मकुशलता पर बुरा असर पड़ता है और वह हीन भावना का शिकार हो जाता है। इससे बच्चे के आत्मविश्वास में कमी आया सकती है। ऐसे में बच्चें के सामने आपको अपनी बात कैसे रखनी है, इस बारे में अच्छे से विचार कर लेना जरूरी है।

10. बच्चों में जुनून पैदा करें

पेरेंट्स बच्चों में ऐसा जुनून पैदा करें, जिससे कि वे पढ़ाई, फिजिकल एक्टिविटिज या किसी प्रोजेक्ट को खुद से करने की हिम्मत जुटाएं। बच्चों के खुद से काम करने से उनमें पहचान की भावना विकसित होती है। ऐसे में अपनी प्रतिभाओं को बढ़ता देख उनके आत्मसम्मान को भी बल मिलेगा। इसलिए बच्चों में कुछ करने का जुनून पैदा करते रहें। ऐसा करने से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ सकता है (9)। इसके लिए उन्हें नई-नई चीजों के बारे में बताएं।

11. बच्चों को जिम्मेदारियां दें

बच्चों में आत्मविश्वास जगाना है तो उन्हें थोड़ा जिम्मेदार बनने दें। उन्हें अपनी छोटी-छोटी चीजों को करने की जिम्मेदारियां सौंपें। पेरेंट्स बच्चों के साथ मिलकर उनके काम में भागीदार बनें और फिर उन्हें ही एक-एक कर काम सौंपें। पेरेंट्स के साथ काम करके बच्चों में आत्मविश्वास की भावना जगेगी। उनका काम सही हो या गलत आपको बस सराहना करनी है, ताकि उनकी काम करने की इच्छा शक्ति बनी रहे (10)

12. व्यायाम कराए

बच्चों में आत्मविश्वास को बढ़ाने में व्यायाम अहम भूमिका निभा सकता है। एनसीबीआई पर उपलब्ध एक शोध के अनुसार, एक्सरसाइज से बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के साथ ही आत्मविश्वास को भी बढ़ावा मिलता है (11)। बता दें कि यहां व्यायाम से टापरी किसी जिम में जाकर भारी मशीनों से वर्क आउट की बात नहीं की जा रही है। बच्चों के लिए व्यायाम का अर्थ है, उनका शरीरिक गतिविधियों में भाग लेना, जिसमें दौड़ने-भागने वाले खेलों के साथ ही सामान्य तौर पर स्कूल में कराई जाने वाली पीटी (फिजिकल ट्रेनिंग) को शामिल किया जा सकता है।

लेख के अंत में बच्चों में सेल्फ कॉन्फिडेंस से होने वाले लाभ के बारे में जानते हैं।

बच्चों के लिए सेल्फ कॉन्फिडेंस के फायदे

बच्चों में आत्मविश्वास कैसे बढ़ाए, इस बारे में तो आपको जानकारी मिल गई। चलिए अब जानते हैं कि बच्चों के लिए सेल्फ कॉन्फिडेंस के फायदे जान लेते हैं।

  1. बेहतर प्रदर्शन: बच्चे में किसी भी काम को करने के लिए खुद में कॉन्फिडेंस होगा, तो वह यह सोचने में समय नहीं व्यर्थ करेगा कि यह काम उससे हो पाएगा या नहीं। इसकी बजाय वे अपनी सारी ऊर्जा उस काम को पूरा करने के लिए लगा देगा, जिससे खुद-ब-खुद किसी भी काम का परिणाम बेहतर होगा (12)
  1. हर नई चीज को सीखने के लिए होंगे तैयार: बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ेगा तो वह हर नई चीज को सीखने के लिए तैयार रहेगा, जो आज की प्रतियोगिता पूर्ण दुनिया की सबसे बड़ी मांग भी है। आप चाहे तो बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ कुकिंग, म्यूजिक, क्रिकेट, टेनिस और स्विमिंग क्लास के लिए भेज सकते हैं। इससे उनमें नई स्किल्स का भी विकास होगा।

बच्चों में आत्मविश्वास के फायदे के बारे में तो आप जान ही गए होंगे। लेख में बच्चे में कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए जरूरी टिप्स भी दी गई हैं, जो आपके लिए मददगार साबित हो सकती हैं। मगर, इसका मतलब यह नहीं है कि हर बच्चे पर यह सभी टिप्स काम आएंगी। हर बच्चे में सीखने की क्षमता भिन्न हो सकती है। ऐसे में कुछ बच्चों को खास देखभाल की जरूरत होती है। ऐसे में पेरेंट्स को अपने बच्चे की क्षमता के अनुसार उनका रास्ता तैयार करना होगा। उम्मीद है, बच्चों में आत्मविश्वास से जुड़ा यह लेख सभी के लिए लाभकारी साबित होगा। बच्चों से जुड़े ऐसे ही अन्य विषयों के बारे में जानने के लिए जुड़े रहिए मॉमजंक्शन के साथ।

References

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