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जैसे ही घर में एक छोटा बच्चा आता है तो हर कोई उसकी देखभाल में लग जाता है। उसके दूध पीने के समय से लेकर उसके खिलौने, कपड़े और यहां तक की उसके बिस्तर तक का ख्याल रखा जाता है। साथ ही बच्चे का ध्यान रखने के लिए दादी-नानी के घरेलू तरीके भी आजमाएं जाते हैं। इन्हीं नुस्खों की कड़ी में शामिल है सरसों यानी राई का तकिया। भारतीय घरों में छोटे बच्चे के लिए सरसों के बीज से बने तकिए का इस्तेमाल करना काफी लोकप्रिय है। यही वजह है कि मॉमजंक्शन का यह लेख इसी विषय के बारे में आपको जानकारी दे रहा है। यहां आप न सिर्फ बच्चों के लिए राई के तकिये के फायदे जानेंगे, बल्कि यहां आपको बच्चों के लिए राई का तकिया बनाने की विधि भी सीखने को मिलेगी। तो बच्चों के लिए राई के तकिये से जुड़ी ज्यादा से ज्यादा जानकारी के लिए लेख को अंत तक पढ़ें।

लेख के सबसे पहले भाग में जानते हैं कि राई का तकिया क्या होता है।

राई का तकिया (मस्टर्ड पिलो) क्या है? | Rai Ka Takiya For Baby

राई का तकिया या मस्टर्ड पिलो सरसों के दानों से बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए मुलायम कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है। सबसे पहले मुलायम कपड़े को तकिये के खोल का आकार दिया जाता है। उसके बाद उस खोल में सरसों के दाने भरकर उसे बंद कर दिया जाता है। लोगों का मानना है कि इसकी मदद से नवजात शिशु के सिर का आकार गोल होने में मदद मिल सकती है।

लेख के इस भाग में जानिए कि शिशु के लिए सरसों के तकिए का उपयोग क्यों किया जाता है।

बच्चों के लिए राई के तकिए का उपयोग क्यों और कब करना चाहिए?

जन्म के दौरान शिशु के सिर पर दबाव पड़ने से शिशु के सिर का आकार असामान्य हो सकता है। दरअसल, नवजात शिशु की सिर की हड्डियां नरम और लचीली होती हैं, जिसमें हड्डी के प्लेटों के बीच गैप होते हैं। बच्चे के जन्म के दौरान हड्डी के बीच के यही गैप बच्चे के सिर के आकार के बदलाव के जिम्मेदार हो सकते हैं (1)। वहीं, कई बार कुछ शिशुओं में सही पोजीशन में न सोने के कारण फ्लैट हेड सिंड्रोम (Flat Head Syndrome) की समस्या हो सकती है (2)। ऐसे में बच्चे के सिर के आकार से जुड़ी हल्की-फुल्की समस्याओं को ठीक करने के लिए, लोग कई बार सरसों के तकिये का उपयोग करने की सलाह देते हैं। लोगों का मानना है कि इस दौरान बच्चे के सिर के नीचे ऐसा तकिया रखना चाहिए, जो उनके सिर को नुकसान पहुंचाए बिना उनके सिर का सही आकार बनाए रखें।

वहीं, राई का तकिया काफी मुलायम होता है, साथ ही इसके इस्तेमाल से नवजात शिशु के सिर को प्राकृतिक आकार में ढालने में मदद मिल सकती है। इससे बच्चे के सिर का आकार बिगड़ने से रोका जा सकता है। इसके अलावा, इस तकिए के इस्तेमाल से नवजात शिशु को फ्लैट हेड सिंड्रोम (सपाट सिर) होने से भी बचाया जा सकता है (3)। लोगों का मानना है कि इसका इस्तेमाल शिशु के जन्म के पश्चात ही शुरू कर सकते हैं और शिशु के 8 से 9 माह की उम्र होने तक इसका उपयोग जारी रख सकते हैं। हालांकि, हम यह स्पष्ट कर दें कि बच्चों के लिए सरसों के तकिये से जुड़े सटीक वैज्ञानिक शोध की कमी है। इससे जुड़ी ज्यादा से ज्यादा जानकारी लोक मान्यताओं के आधार पर दिए गए हैं।

इस भाग में आपको राई का तकिया इस्तेमाल करने से बच्चे को होने वाले फायदों से जुड़ी जानकारी मिलेगी।

बच्चों के लिए राई के तकिया के फायदे

जैसे कि हमने लेख की शुरुआत में ही जानकारी दी है कि बच्चों के लिए राई के तकिये से जुड़े वैज्ञानिक शोध का अभाव है। ऐसे में यहां बताए गए अधिकतर लाभ, लोक मान्यताओं के आधार पर दिए गए हैं। तो लोगों के अनुसार बच्चों के लिए राई के तकिये के फायदे नीचे विस्तार से बताए गए हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:

1. फ्लैट हेड सिंड्रोम से बचाव

जैसा कि लेख में पहले ही बताया गया है कि बच्चे के सिर को सही आकार देने के लिए राई के तकिए का इस्तेमाल किया जाता है। यह बच्चे को सपाट यानी फ्लैट सिर की समस्या से बचा सकता है। दरअसल, सोते या लेटते समय शिशु अक्सर एक ही तरफ सिर को मोड़ लेते हैं। वहीं, शिशुओं के सिर की हड्डी काफी मुलायम होती है और उनके गर्दन की मांसपेशियां भी कमजोर होती हैं, जिस वजह से उनके सिर की हड्डी पर दबाव पड़ सकता है। यह दबाव खासतौर पर बच्चे के सिर के उस तरफ अधिक होता है, जिस तरफ बच्चा सिर को अधिक मोड़कर सोता है और इस कारण बच्चे का सिर चपटा हो सकता है। इसके अलावा, बच्चे का लगातार पीठ के बल सोने के कारण भी सिर पीछे की तरफ चपटा हो सकता है। इस समस्या को फ्लैट हेड सिंड्रोम (Flat Head Syndrome) कहते हैं (2)

ऐसे में लोगों का मानना है कि बच्चे के सिर में इस तरह के हल्के-फुल्के आकार संबंधी समस्याओं से बचाव के लिए सरसों के तकिए का इस्तेमाल उपयोगी हो सकता है। सरसों का तकिया बच्चे के सिर को सही पोजीशन में रखने में सहायक हो सकता है। हालांकि, हम यह स्पष्ट कर दें कि अगर बच्चे के सिर के आकार की समस्या गंभीर है, तो डॉक्टरी इलाज को ही प्राथमिकता दें।

2. सिर सुरक्षित रखे

लोगों का मानना है कि कॉटन व फोम के तकिये के मुकाबले राई के तकिये का आकार आसानी से खराब नहीं होता है। यह बच्चे के लिए सुरक्षित हो सकता है, क्योंकि इस तकिये की वजह से शिशु अपने सिर को धीरे-धीरे से हिला-डुला सकता है, जिस वजह से शिशु के सिर को ज्यादा मुड़ने या टेढ़ा होने से भी रोका जा सकता है। साथ ही यह बच्चे के सिर को सपोर्ट देकर बच्चे के सिर या गर्दन में मोच आने का जोखिम भी कम कर सकता है।

3. प्राकृतिक गर्माहट दे

सरसों का उपयोग कई लोग सर्दी-जुकाम से बचाव के लिए भी करते हैं (4)। वहीं, कहा जाता है कि सरसों की तासीर गर्म होती है। इस आधार पर मान सकते हैं कि सरसों के बीज से बने तकिये से बच्चे के सिर को प्राकृतिक रूप से गर्माहट मिल सकती है। ऐसे में बच्चे को सर्दी-खांसी की समस्या से बचाने के लिए सरसों का तकिया उपयोगी हो सकता है। यह बच्चे को प्राकृतिक गर्माहट देकर सर्दी-जुकाम के जोखिम को कम कर सकता है।

4. सिर पर दबाव कम हो सकता है

बच्चों के लिए राई के तकिये के फायदे की बात की जाए, तो लोगों के अनुसार इसके इस्तेमाल से सिर पर दबाव पड़ने से बचाव हो सकता है। कई बार बच्चे एक ही तरफ सिर करके सोते हैं, जिस वजह सिर के उस तरफ की हड्डियों पर अधिक दबाव पड़ सकता है। ऐसे में बच्चे के सिर या गर्दन के मुड़ने का खतरा बढ़ सकता है। इस स्थिति से बचाव के लिए लोगों का मानना है कि राई के तकिये का इस्तेमाल करना उपयोगी हो सकता है। दरअसल, राई के तकिये पर बच्चे का सिर अगर किसी भी पोजिशन में रहे, तो सोते वक्त बच्चे के सिर पर दबाव कम से कम पड़ सकता है।

5. सिर का सही आकार रखे

जन्म के दौरान शिशु के सिर पर दबाव पड़ने से उनके सिर का आकार बिगड़ सकता है (1)। इसके अलावा, जन्म के बाद कभी-कभी शिशु को गलत पोजिशन में सुलाने से भी शिशु के सिर का आकार बेडोल हो सकता है। ऐसे में लोगों का मानना है कि जन्म के बाद से ही शिशु को सरसों के तकिये पर सुलाने से शिशु के सिर का आकार खराब होने से काफी हद तक बचाव हो सकता है। हालांकि, हम यह स्पष्ट कर दें कि इस बारे में वैज्ञानिक शोध का अभाव है और यह लोगों के अनुभवों और मान्यताओं के आधार पर माना जा सकता है।

6. आरामदायक हो सकता है

सरसों का तकिया शिशु के लिए आरामदायक हो सकता है। शिशु जब सिर को घुमाने की कोशिश करता है, तो यह तकिया उसी तरफ अनुकूलित (ऐडजस्टेबल) हो सकता है। वहीं, सरसों के तकिये के मुलायम फैब्रिक से उनकी सिर की त्वचा छिलने से बच सकती है। इसके अलावा, यह तकिया नर्म होता है, जिस कारण उन्हें आराम भी मिल सकता है और इससे बच्चों को अच्छी नींद भी आ सकती है।

आगे हम बच्चों के लिए सरसों का तकिया बनाने की विधि व इसके लिए उपयोग की जाने वाली जरूरी चीजों की जानकारी दे रहे हैं।

बच्चों के लिए घर में ही राई का तकिया कैसे बनाएं? | Bachoo Ke Liye Sarso Ka Takiya Kaise Banaye

बच्चों के लिए तकिया बनाना आसान होता है। मस्टर्ड सीड पिलो फॉर बेबी आप आसानी से घर में ही बना सकते हैं। इसे बनाने की विधि नीचे विस्तार से दी गई है, जो कुछ इस प्रकार है:

आवश्यक सामाग्री

  • लगभग 500 ग्राम सरसों के दाने
  • एक मीटर मुलायम मलमल का कपड़ा
  • सुई-धागा

कैसे बनाएं

  • सबसे पहले राई के दानों को धोकर प्राकृतिक तौर पर धूप में सुखाएं।
  • पूरी तरह से दानों से नमी खत्म होने तक इसे सूखने दें।
  • इसके बाद एक नर्म और मुलायम कपड़ा लें।
  • कपड़े को गर्म पानी और एंटीसेप्टिक लिक्विड में धोकर सूखा लें, ताकि कपड़ा फंगस या बैक्टीरिया मुक्त हो सके।
  • अब बच्चे के सिर के आकार के अनुसार तकिये के आकार में कपड़े की कटिंग करें।
  • इसके बाद दोनों कपड़ों के टुकड़ों को एक साथ रखें।
  • फिर इसके तीन तरफ के हिस्सों की सिलाई कर दें और एक तरफ का हिस्सा खुला रहने दें।
  • अब इसके खुले हुए हिस्से से कपड़े के अंदर राई भरें।
  • फिर इस हिस्से की सिलाई करके इसे भी बंद कर दें।
  • इस तकिये के ऊपर से भी एक मुलायम कपड़े का कवर लगा दें, ताकि गंदा होने पर उसे आसानी से धोया जा सके।

यहां हम बच्चे के लिए राई का तकिया बनाने की वीडियो भी आपके साथ साझा कर रहे हैं, ताकि इस वीडियो के जरिए बच्चों के लिए राई का तकिया बनाने का तरीका सीखने में और आसानी हो। तो देखें बच्चों के लिए राई का तकिया बनाने का यह वीडियो:

अंत में जानें बच्चों के लिए राई के तकिये का इस्तेमाल करते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

राई के तकिया का उपयोग करते समय बरती जाने वाली सावधानियां

बच्चों के लिए राई के तकिये का उपयोग करना भारतीय परंपरा के तौर पर एक घरेलू उपाय माना जा सकता है। लेख में इसके कई फायदे भी बताए गए हैं, लेकिन इसके इस्तेमाल के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है। ये जरूरी बातें क्या है, इसके बारे में नीचे जानकारी दी गई है:

  • कपड़े में राई के दानें तभी भरें जब सरसों की नमी पूरी तरह से सूख जाए। नमी युक्त राई के दाने भरने से उनमें सड़न हो सकती है।
  • तकिए में बहुत ज्यादा राई के दानें न भरें। ऐसा करने से राई का तकिया कठोर हो सकता है। इसलिए कम मात्रा में ही कपड़े में राई के दानें भरें, ताकि यह नर्म रहे।
  • राई के तकिए को धोएं नहीं। राई का तकिया बनाने के बाद उसपर मुलायम कपड़े की कवर चढ़ाएं, ताकि सिर्फ तकिए का खोल गंदा हो और उसे आसानी से धोया जा सके।
  • शुरू-शुरू में बच्चे का सिर राई के तकिए पर कैसे रखें, इसमें नई माताओं को परेशानी हो सकती है। ऐसे में वो घर के बड़े-बुजुर्ग या नर्स की मदद लें।
  • बच्चे के लिए राई का तकिया इस्तेमाल करते समय बच्चे के सिर के पोजिशन का खास ध्यान रखें। साथ ही थोड़े-थोड़े समय पर बच्चे के सिर और गर्दन के पोजीशन को बदलते भी रहें।
  • गर्मी के दिन में बच्चे को सरसों के तकिये पर न सुलाएं।
  • सरसों का तकिया देते वक्त ध्यान रखें कि तकिये की सिलाई मजबूत हो और तकिया चारों तरफ से पूरी तरह से सिला हो। अगर तकिया फटा हुआ होगा, तो सरसों के दाने बच्चे के कान में जाने का जोखिम हो सकता है।

उम्मीद करते हैं कि इस लेख में दी गई जानकारी से आपको बच्चों के लिए तकिया बनाना व इसके इस्तेमाल से जुड़ी जरूरी जानकारियां मिल गई होगी। वैसे एक नई मां के लिए बच्चे के लिए राई का तकिया थोड़ा नया हो सकता है। ऐसे में यहां बताई गई जानकारियों और अपने घर के बड़े-बुजुर्गों से इस बारे में बात करके इससे जुड़ी और जानकारी हासिल कर सकते हैं। अगर बच्चे को ऊपर बताई गई कोई हल्की-फुल्की परेशानी हो तो राई के तकिये का उपयोग कर सकते हैं। वहीं, अगर किसी बच्चे को सिर के आकार से जुड़ी या अन्य कोई गंभीर समस्या हो, तो सरसों के तकिये के उपयोग से पहले डॉक्टरी सलाह लेना अच्छा विकल्प हो सकता है। उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपके लिए उपयोगी होगा। बच्चों से जुड़ी ऐसी ही अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए आप मॉमजंक्शन के अन्य लेख भी पढ़ सकते हैं।

References

1. Newborn head molding By Medlineplus
2. Preventing flat heads in babies who sleep on their backs By NCBI
3. Journey of The First 1000 Days By Rashtriya Bal Swasthya Karyakram Ministry of Health & Family Welfare Government of India
4. The evaluation of efficacy and safety of Cough (EMA) granules used for upper respiratory disorders By WHO

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