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कोलेस्ट्रोल का नाम तो आप सभी ने सुना होगा, लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि कुछ खास हॉर्मोन और विटामिन-डी के निर्माण के लिए कोलेस्ट्रोल की जरूरत होती है। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए हमारा शरीर (लिवर) जरूरी कोलेस्ट्रोल खुद बना लेता है। मांस, अंडा और पनीर जैसे दुग्ध उत्पादों में भी कोलेस्ट्रोल पाया जाता है (1)। वहीं, जब शरीर में इस कोलेस्ट्रोल की अधिकता हो जाती है, तो हृदय रोग, हार्ट अटैक व अन्य शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं (2)। हालांकि, इस समस्या का प्रभाव मुख्य रूप से वयस्कों में ही देखा जाता है, लेकिन कुछ मामलों में बच्चों को भी हाई कोलेस्ट्रोल की शिकायत हो सकती है (3)। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम बच्चों में हाई कोलेस्ट्रोल (डिसलिपिडेमिया) होने के कारण, लक्षण और उसका इलाज बता रहे हैं।

आइए, बिना इधर-उधर के बात किए पहले हम बच्चों में हाई कोलेस्ट्रोल क्या है, यह समझ लेते हैं।

बच्चों में डिसलिपिडेमिया या उच्च कोलेस्ट्रोल क्या है? | High Cholesterol In Children In Hindi

कोलेस्ट्रोल मोम और वसा जैसा एक पदार्थ है, जो शरीर में मौजूद हर कोशिका में पाया जाता है। लिवर इस पदार्थ को आवश्यकतानुसार खुद बनाता है। जब किसी कारण से यह पदार्थ शरीर में जरूरत से अधिक हो जाता है, तो यह खून में मौजूद कुछ खास तत्वों के साथ मिलकर धमनियों में प्लाक (वसा का जमाव) बनाने लगता है। कोलेस्ट्रोल के कारण धमनियों में होने वाला यह जमाव धमनियों के भीतरी हिस्से को सकरा या जाम कर सकता है (1)। इस कारण धमनियों से जुड़े विकार या हृदय विकार होने का जोखिम बढ़ जाता है। इसे ही डिसलिपिडेमिया या उच्च कोलेस्ट्रोल की स्थिति कहा जाता है। बच्चों में इस स्थिति के पैदा होने के कुछ अहम कारण हो सकते हैं, जिनके बारे में हम लेख में आगे विस्तार से बताएंगे (3)

बच्चों में कोलेस्ट्रोल की अधिकता कितनी आम है, आगे हम इसी बारे में बताएंगे।

बच्चों में कोलेस्ट्रोल बढ़ने की समस्या कितनी आम है?

अमेरिका की साल 2015-2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 7 प्रतिशत बच्चों में हाई कोलेस्ट्रोल की समस्या देखी गई (4)। वहीं, भारत की बात करें, तो साल 2017 में जयपुर के करीब 237 बच्चों की जांच में पाया गया कि करीब 6.8 प्रतिशत बच्चे हाई कोलेस्ट्रोल की समस्या से ग्रस्त थे। इसके अलावा, पुणे के 477 बच्चों पर किए गए अध्ययन में करीब 5.6 प्रतिशत बच्चों में हाई कोलेस्ट्रोल की पुष्टि हुई (5)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि बच्चों को कोलेस्ट्रोल की आशंका कम ही रहती है, लेकिन इस आधार पर इसके होने की आशंका को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता है। यह समस्या बच्चे को शारीरिक रूप से पूरी जिंदगी परेशान कर सकती है। इसलिए, सही समय पर इसके होने के कारण और लक्षणों को पहचान कर सही समय पर बच्चों में इसकी रोकथाम की जा सकती है। लेख में आगे बढ़ने पर आपको इस विषय से संबंधित हर जानकारी मिलेगी।

आगे हम जानेंगे कि कौन से बच्चे जल्दी कोलेस्ट्रोल का शिकार हो जाते हैं।

किन बच्चों में कोलेस्ट्रोल बढ़ने की आशंका ज्यादा होती है?

कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, जिनके होने की स्थिति में बच्चों को कोलेस्ट्रोल होने का जोखिम अधिक रहता है। यह स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं कुछ इस प्रकार हैं (6):

  • बच्चों में लिवर से जुड़ी समस्या

लेख के अगले भाग में अब हम बच्चों में हाई कोलेस्ट्रोल होने के कारण जानेंगे।

बच्चों में हाई-कोलेस्ट्रोल होने के कारण | Bachoo Mein High Cholesterol Ka Hona

निम्न बिन्दुओं के माध्यम से हम बच्चों में हाई कोलेस्ट्रोल होने के कारण समझ सकते हैं, जो इस प्रकार हैं (6):

  • माता-पिता या किसी परिवारिक सदस्य को हाई कोलेस्ट्रोल होने की वजह से।
  • बच्चे में मोटापा या अधिक वजन के कारण।
  • असंतुलित आहार यानी अनहेल्दी डायट के कारण (खासकर वसायुक्त आहार का सेवन)।

यहां अब हम बच्चों में हाई कोलेस्ट्रोल के लक्षण बताएंगे।

बच्चों में हाई-कोलेस्ट्रोल होने के लक्षण

बच्चे हो या फिर व्यस्क, बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल के सामान्य तौर पर कोई भी लक्षण देखने को नहीं मिलते हैं। बच्चे को हाई कोलेस्ट्रोल की शिकायत है या नहीं, यह केवल ब्लड टेस्ट के माध्यम से ही स्पष्ट हो सकता है। हाई कोलेस्ट्रोल के जोखिम बढ़ाने वाली समस्याओं या कारणों को ध्यान में रखते हुए हाई कोलेस्ट्रोल के लिए टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है (3) (7)

लेख के इस भाग में हम बच्चे में कोलेस्ट्रोल के स्तर को समझने का प्रयास करेंगे।

बच्चों में कोलेस्ट्रोल का स्तर

निम्न बिन्दुओं के माध्यम से हम बच्चों में कोलेस्ट्रोल के स्तर को समझ सकते हैं (6)

  • एलडीएल (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन) : 110 मिलीग्राम/डेसीलीटर से कम होना चाहिए।
  • एचडीएल (हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन) : 45 मिलीग्राम/डेसीलीटर से अधिक होना चाहिए।
  • टोटल कोलेस्ट्रोल : 170 मिलीग्राम/डेसीलीटर से कम होना चाहिए।
  • ट्राइग्लिसराइड : 9 साल तक के बच्चों में 75 मिलीग्राम/डेसीलीटर से कम होना चाहिए। वहीं, 10 से 19 साल के बच्चों में इसका स्तर 90 मिलीग्राम/डेसीलीटर से कम होना चाहिए।

आगे आप जानेंगे कि बच्चों में हाई कोलेस्ट्रोल की जांच कैसे की जाती है।

बच्चों में हाई-कोलेस्ट्रोल का निदान

बच्चों में कोलेस्ट्रोल के निदान यानी जांच के लिए ब्लड टेस्ट की आवश्यकता होती है। इसके माध्यम से खून में एलडीएल, एचडीएल, टोटल कोलेस्ट्रोल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को मापा जाता है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि इस टेस्ट से करीब 8 घंटे पूर्व से ही कुछ भी न खाने की सलाह दी जाती है। बच्चों के टेस्ट से पूर्व इस बारे में एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लेना चाहिए (7)

बच्चों में कोलेस्ट्रोल जांच कब करानी चाहिए, आगे हम इस बात को समझने की कोशिश करेंगे।

बच्चों में कोलेस्ट्रोल की जांच कब कराएं?

नेशनल हार्ट, लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट बच्चों में निम्न उम्र पड़ाव के मध्य कोलेस्ट्रोल की जांच कराने की सलाह देता है, ताकि समय रहते इस समस्या की स्थिति को परखा जा सके। बच्चों के लिए जांच से संबंधित उम्र के यह पड़ाव कुछ इस प्रकार हैं (6):

  • 9 से 11 साल की उम्र के बीच।
  • फिर 17 से 21 साल की उम्र के बीच।

बच्चों में कोलेस्ट्रोल का इलाज कैसे किया जाए, आगे हम इस बारे में बात करेंगे।

बच्चों में डिसलिपिडेमिया या उच्च कोलेस्ट्रोल का इलाज

बच्चों में उच्च कोलेस्ट्रोल का इलाज करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले खान-पान और जीवनशैली में बदलाव करने की सलाह देते हैं। वहीं, अगर इन बदलावों के बावजूद कोलेस्ट्रोल के स्तर में अधिक प्रभावी कमी नहीं देखने को मिलती है, तो डॉक्टर कोलेस्ट्रोल को कम करने वाली दवाओं को लेने का सुझाव दे सकते हैं। यहां हम इलाज के सभी चरणों को क्रमवार समझाने का प्रयास कर रहे हैं।

1. जीवनशैली में बदलाव

बच्चों में कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिए जीवनशैली में निम्न जरूरी बदलाव किए जाने की सलाह दी जाती है:

  • शारीरिक रूप से बच्चों को अधिक प्रेरत करने का प्रयास करें। इसके लिए टीवी, कम्प्यूटर, फोन और टैबलेट जैसे उपकरणों के साथ बैठ कर समय बिताने की सीमा को सीमित करें। साथ ही बच्चों को शारीरिक व्यायाम वाले खेल-कूद में भाग लेने के लिए बढ़ावा दें।
  • मीठे, सैचुरेटेड और ट्रांस फैट वाले खाद्यों का इस्तेमाल कम से कम करें। वहीं, इन खाद्यों की जगह फल, सब्जियों और साबुत अनाज को आहार में जगह दें।
  • अगर बच्चे का वजन सामान्य से अधिक है, तो उस वजन को कम करने का प्रयास करें।

2. दवाई से इलाज

अगर जीवनशैली में बदलाव के बावजूद बच्चे में बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल का स्तर कम नहीं होता है, तो डॉक्टर कोलेस्ट्रोल को कम करने वाली दवा (Statins) लेने की सलाह दे सकते हैं (6)। डॉक्टर निम्न स्थितियों को ध्यान में रखते हुए ही बच्चों को कोलेस्ट्रोल की दवा लेने की सलाह दे सकते हैं (3)

  • बच्चा कम से कम 10 साल का हो।
  • करीब छह महीने तक खान-पान में बदलाव और व्यायाम करने के बाद भी एलडीएल (बैड कोलेस्ट्रोल) का स्तर 190 मिलीग्राम/डेसीलीटर से अधिक हो।
  • एलडीएल (बैड कोलेस्ट्रोल) का स्तर 160 मिलीग्राम/डेसीलीटर से अधिक हो और हृदय विकार का जोखिम अधिक हो।
  • अगर आनुवंशिक रूप से कोलेस्ट्रोल की शिकायत हो।

नोटअधिक कोलेस्ट्रोल होने की स्थिति में डॉक्टर जरूरत पड़ने पर 10 साल से कम उम्र के बच्चों को भी कोलेस्ट्रोल को कम करने वाली दवा लेने की सलाह दे सकते हैं (6)

लेख के अगले भाग में हम बच्चों में हाई कोलेस्ट्रोल से बचाव के उपाय बताएंगे।

बच्चों को हाई-कोलेस्ट्रोल से कैसे बचाएं?

कुछ बिंदुओं के माध्यम से हम बच्चों में हाई कोलेस्ट्रोल से बचाव संबंधी जरूरी उपायों को समझ सकते हैं, जो इस प्रकार हैं (8):

  • वसा युक्त दूध और फलों के जूस का सेवन संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए, ताकि बच्चे में कैलोरी की अधिकता न हो।
  • किसी भी स्थिति में बच्चों को तंबाकू उत्पादों के संपर्क से दूर रखना चाहिए।
  • दो साल की उम्र से पहले बच्चों को मोबाइल और टीवी के संपर्क में बिल्कुल न आने दें।
  • वहीं, दो साल से बड़े बच्चों के लिए सुनिश्चित करें कि वो दिन में 2 घंटे से ज्यादा टीवी और मोबाइल न देखें।
  • यह भी ध्यान रखें कि बड़े बच्चे और किशोर दिन में दो घंटे शारीरिक रूप से खेलकूद में हिस्सेदारी लें।

आगे अब हम जानेंगे कि हाई कोलेस्ट्रोल में बच्चों को क्या नहीं खाना चाहिए।

बच्चों को डिसलिपिडेमिया या कोलेस्ट्रोल बढ़ने पर क्या-क्या नहीं खाना चाहिए?

हाई कोलेस्ट्रोल में बच्चों को जिन चीजों से दूर रखने की सलाह दी जाती है, वो इस प्रकार है (6):

  • मीठी व अधिक वसा युक्त खाद्य पदार्थों से दूर रहने की सलाह दी जाती है।
  • चीनी युक्त उत्पाद या पेय (सॉफ्टड्रिंक, कोला) पदार्थों को न लेने की सलाह दी जाती है।
  • इन दौरान बच्चों को लाल मांस बिल्कुल भी नहीं देना चाहिए।

अंत में हम बताएंगे कि कोलेस्ट्रोल की जांच पर कितना खर्चा होता है।

बच्चों में डिसलिपिडेमिया या उच्च कोलेस्ट्रोल की जांच की अनुमानित लागत क्या है?

गुणवत्ता, सटीकता और डॉक्टर द्वारा सुझाई गई टेस्टिंग की टेक्नोलॉजी के आधार पर कोलेस्ट्रोल टेस्टिंग की लागत करीब 100 रुपये से लेकर 1200 रुपये तक हो सकती है। वहीं, शहर, डॉक्टर या अस्पताल के आधार पर इस कीमत में संभावित परिवर्तन भी देखे जा सकते हैं।

बच्चे जितने ज्यादा शारीरिक गतिविधियों में शामिल रहेंगे और अच्छी डाइट लेंगे, उतना वो स्वस्थ रहेंगे। फिर कोलेस्ट्रोल क्या, कोई भी बीमारी उनके पास तक नहीं आएगी। फिर भी अगर किसी भी कारण से बच्चा हाई कोलेस्ट्रोल का शिकार हो भी जाता है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। इस अवस्था में माता-पिता को संयम से काम लेना चाहिए। उन्हें तुरंत डॉक्टर से मिलकर अपने बच्चे का इलाज करवाना चाहिए। अगर डॉक्टर दवा लेने की सलाह देते हैं, तो इसे तय समय पर जरूर दें। इससे बच्चा पूरी उम्र स्वस्थ जीवन जी सकता है। उम्मीद है कि यह लेख सभी को पसंद आएगा। बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी ऐसी ही अन्य जरूरी जानकारी के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।

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