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बचपन हमारी जिंदगी के सबसे खूबसूरत पलों में से एक होता है, जिसे हर कोई दोबारा से जीना चाहता है। ये यादें ऐसी होती हैं, जो हमारे चेहरे पर मुस्कान बिखेर देती हैं। बचपन के इन्हीं खास लम्हों को एक बार फिर से ताजा करने के लिए हम मॉमजंक्शन का यह लेख लेकर आए हैं। यहां आपको 100 से भी अधिक बचपन की यादों पर शायरी, कोट्स व कविताएं पढ़ने को मिलेंगी।

लेख में सबसे पहले पढ़ें बचपन की यादों के लिए बेहतरीन शायरियां।

बचपन की यादों के लिए शायरी | Childhood Memories Shayari in Hindi

बीता हुआ पल दोबारा लौटकर नहीं आता। वो सिर्फ हमारी यादों में रह जाता है। बचपन भी कुछ ऐसा ही है। बचपन की खट्टी-मिठ्ठी यादों को एक बार फिर से ताजा करने के लिए हम नीचे बचपन पर आधारित शायरियां खास आपके लिए लेकर आए हैं।

  1. वो दिन थे बेहद खास,
    जब मम्मी पापा होते थे पास,
    अब तो जिंदगी से है बस यही आस,
    दोबारा बचपन लौट आए मेरे पास।
  1. न थी चिंता न थी कोई फिक्र,
    याद आया आज वो बिता लम्हा,
    जब तुमने किया बचपन का जिक्र।
  1. जब हम छोटे बच्चे थे,
    अकल से थोड़े कच्चे थे,
    लेकिन मन से पूरे सच्चे थे,
    जैसे भी थे हम बहुत अच्छे थे।
  1. बचपन में हम रोते-रोते हंस पड़ते थे,
    अब हालात ऐसे हैं कि हंसते-हंसते रो पड़ते हैं,
    बचपन से लेकर जवानी तक हम ऐसे ही तो सीढ़ियां चढ़ते हैं।
  1. न कुछ पाने की इच्छा, न कुछ खोने का डर,
    इस भागदौड़ भरी जिंदगी के बदले,
    काश दोबारा मिल जाए बचपन का पहर।
  1. जब बढ़ा कंधों का बोझ,
    तब यह महसूस हुआ,
    कब कैसे और कहां,
    मेरा बचपन बीत गया।
  1. बात है उन दिनों की जब हम बच्चे थे,
    बोलते थे झूठ लेकिन लगते सच्चे थे,
    सब कहते थे हम बहुत अच्छे थे,
    असल में तो हम अकल के कच्चे थे।
  1. बचपन में किसी पर भी भरोसा कर लेते थे,
    छोटी-छोटी बातों के लिए लड़ लेते थे,
    अब तो न किसी पर भरोसा होता है,
    और न ही किसी से लड़ना होता है।
  1. बचपन में मां के आंचल में सुकून था,
    बहुत कुछ कर जाने का जुनून था,
    बड़े हुए तो सब भूल गए,
    रेत पर लिखे थे सपने लहरों से धुल गए।
  1. अब मैं अक्सर अपने बचपन को याद करता हूं,
    वो दिन फिर से लौटा दे खुदा से फरियाद करता हूं,
    बहुत ही हसीन थे मेरे बचपन के दिन,
    फिर से वो दिन आ जाएं ऐसी आस रखता हूं।
  1. बचपन के दिन सबसे खास होते हैं,
    इस समय सभी अपने पास होते हैं,
    जब पढ़ाई के लिए कोई घर से दूर जाता है,
    तब घर वालों को याद करके रोता है।
  1. घर वाले होते थे मेरी शरारतों से परेशान,
    लेकिन मुझ में ही बसती थी उनकी जान,
    मिट जाती थी उनकी हर एक थकान,
    जब देखते थे वो मेरे बचपन की मुस्कान।
  1. बचपन भी बड़ा अजीब था,
    हर कोई जीवन में करीब था,
    क्या बात करूं उस जमाने की,
    हर रिश्ता खुद में अज़ीज़ था।
  1. बचपन में खूब मस्ती थी,
    पानी में कागज की कश्ती थी,
    न था कुछ खोने का डर,
    इसलिए तो जिंदगी हसीन लगती थी।
  1. बचपन में नहीं थी घड़ी मेरे पास,
    लेकिन समय का था खूब साथ,
    आज जो है घड़ी मेरे पास,
    लेकिन समय नहीं मेरे साथ।
  1. बचपन में सब पूछते थे एक सवाल,
    बड़े होकर बनोगे हकीम या नवाब,
    आज सालों बाद मिला उसका जवाब,
    चाहे जो बनें, बचपन खोने का रहेगा मलाल।
  1. बीता बचपन कितना प्यारा था,
    मां-पापा का मैं दुलारा था,
    सबकी आंखों का तारा था,
    बीता बचपन कितना प्यारा था।
  1. जब भी होता हूं उदास,
    मन में होती है एक ही आस,
    काश वापस लौटकर आ जाए,
    मेरे बचपन के दिन मेरे पास।
  1. बचपन में जब करते थे मनमानी,
    दिल में छिपी होती थी नादानी,
    जब खाते थे मम्मी से मार,
    तो याद आती थी दादी-नानी।
  1. खुशियों से अपनी दुनिया सजाएं,
    जहां बिना टेंशन खूब नाचे गाएं,
    अपने मन के गीत गुनगुनाएं,
    क्यों न एक बार फिर बचपन में खो जाएं।
  1. रिक्शेवाले का घर के बाहर आवाज लगाना,
    रोज नया बहाना कर के स्कूल न जाना,
    कुछ ऐसा ही होता था बचपन में हमारा कारनामा।
  1. याद है बचपन की वो शैतानी,
    जब अच्छे-अच्छों को पिलाता था पानी,
    फिर खुद को बचाने के लिए बनाता था कहानी।
  1. जब होती थी पढ़ाई में उलझन,
    तो कर लेता था टीवी का दर्शन,
    काश वापस लौट आता वो क्षण,
    जिसमें मिल पाता मुझे मेरा बचपन।
  1. इन कंधों पर बोझ अभी न बढ़ने दो,
    अभी तो यह केवल बचपन है,
    इसे जरा खुल के खिलने दो।
  1. जीवन चलाने के लिए खिलौनों को बेचना है,
    दिल कहता है उन खिलौनों से अब भी खेलना है,
    जिंदगी के इस दस्तूर को मुझे अभी आगे तक झेलना है।
  1. जिंदगी की परेशानियों से बचपन के दिन अच्छे थे
    भले ही थी कुछ बंदिशे,
    लेकिन यकीन मानो हम बच्चे ही अच्छे थे।
  1. जिंदगी के सफर में बढ़ना सिखा देना मां,
    जो कभी थक के हार जाऊं, तो एक बार फिर,
    बचपन की तरह चलना सिखा देना मां।
  1. बचपन में अपना अलग ही याराना था।
    जिंदगी की राह में बस चलते जाना था,
    न थी सुबह की खबर, न शाम का ठिकाना था,
    हर मुसीबत में बस हमें मुस्कुराना था।
  1. बचपन में जब लगती थी पिटाई,
    इसके बदले खाता था मिठाई,
    आज वही कहानी याद आई,
    यही तो है जिंदगी की सच्चाई।
  1. जब भी बचपन की याद आती है,
    चेहरे पर मुस्कान आ जाती है,
    तब नई चीजें पाने के लिए रूठा करते थे,
    अब रूठने पर भी कुछ नहीं मिलता है।

आगे है बचपन पर आधारित कुछ फनी कोट्स।

बचपन के यादों के लिए फनी कोट्स | funny childhood memories quotes in hindi

सभी के बचपन में कुछ-न-कुछ खट्टी-मिट्ठी यादें होती हैं। उन्हीं यादों को ताजा करने के लिए यहां हम बचपन पर आधारित कुछ फनी कोट्स लेकर आए हैं।

  1. हमें याद है आज भी वो दिन,
    जब पिटाई खाकर गुजरते थे दिन।
  1. मां मेरी आंखों में काजल लगाती थी,
    कुछ देर बाद पूरा काजल फैल जाता था,
    खुद को दर्पण में देखकर मैं डर जाता था।
  1. मम्मी के पिटाई से डरता था,
    मम्मी की बहुत परवाह करता था,
    पर कभी-कभी मस्ती में ही मैं
    अक्सर मम्मी से लड़ता था।
  1. मां बचपन में बहन के कपड़े पहना देती थी,
    बहनों के साथ ही खेलने के लिए भेज देती थी,
    अब बहने मुझे उन दिनों को लेकर चिढ़ाती हैं,
    बात-बात पर तू मेरी बहन है बोलकर सताती हैं।
  1. बचपन में घर छोड़कर जाने की धमकी देता था,
    एक दिन मम्मी ने सामान पैक कर दिया तो डर गया,
    तब से घर छोड़कर चला जाऊंगा बोलना छोड़ दिया।
  1. बचपन में केक के लिए भाइयों से लड़ता था,
    कभी-कभी फ्रिज से केक चोरी करता था,
    जब चोरी करते हुए पकड़ा जाता था,
    तब कृष्ण कन्हैया भी चोर थे कहता था।
  1. भूतों की कहानी से डर लगता था,
    पर मैं नहीं डरता ये सबसे कहता था,
    पर सबको पता था कि मुझे रात के अलावा,
    भूतों से दिन में भी डर लगता था
  1. बचपन में अमरूद चोरी करता था,
    बगीचे का रखवाला जब आ जाता था,
    तब मैं बहुत ज्यादा डरता था,
    फिर जोर-जोर से रोकर मम्मी-मम्मी करता था।
  1. बचपन में स्कूल में मन नहीं लगता था,
    कार्टून देखने के लिए देर तक जगता था,
    जब-जब स्कूल की परीक्षा आने लगती थी,
    तब-तब मैं बीमार होने का बहाना करता था।
  1. सुबह उठकर नहाना नहीं चाहता था,
    हर दिन स्कूल जाना नहीं चाहता था,
    इसलिए स्कूल बंद हो जाए,
    ऐसी रोज भगवान से प्रार्थना करता था
  1. खेल में इतने मग्न रहते थे,
    घर जाना भूल जाते थे,
    बचपन में कभी-कभी,
    स्कूल में पढ़ाई के दौरान सो जाते थे।
  1. बचपन में हम बुद्धू हुआ करते थे,
    खिलौनों से भी दोस्ती कर लिया करते थे,
    खेल-खेल में ही कई बार,
    उन खिलौनों से लड़ लिया करते थे।
  1. बचपन में खूब नखरे करता था,
    नहीं था ऐसा कोई दिन,
    जो बिना मार खाए गुजरता था।
  1. बचपन में बहुत की मस्ती,
    दोस्तों ने भी साथ खूब दिया,
    एक पल आया ऐसा जब दोस्तों को छोड़
    मां बाप ने मुझे ही कूट दिया।

स्क्रॉल कर पढ़ें बचपन की यादों के लिए दो लाइन की शायरी।

चाइल्डहुड मेमोरीज के लिए दो लाइन की शायरी | bachpan ki shayari in hindi

हर किसी का बचपन खास होता है। उन्हीं खास लम्हों को एक बार फिर से ताजा करने के लिए हम यहां दो लाइन की बेहतरीन शायरी लेकर आए हैं, जिन्हें पढ़कर आप भी अपने बचपन के दिनों में खो जाएंगे।

  1. मत कर सुकून की बात ऐ ग़ालिब,
    बचपन का रविवार अब नहीं आता।
  1. वो बचपन भी कमाल था,
    जिसका हर दिन बेमिसाल था।
  1. किस किसको सुनाऊं बचपन की शैतानियां
    अनगिनत हैं किस्से, अनगिनत हैं कहानियां।
  1. बड़ी सुहानी थी बचपन की कहानी,
    रह गई बस यादें और आ गई ये जवानी।
  1. वो दिन भी थे कितने अच्छे
    जब होते थे हम छोटे बच्चे।
  1. कब लौटेंगे वो बचपन के दिन,
    जो नहीं गुजरते थे मस्ती के बिन।
  1. वो मीठे लम्हें सबसे खास हैं,
    जिनमें बचपन की यादें साथ हैं।
  1. बचपन के दिनों में जिन लम्हों को खूब जिया,
    हर पल हर समय उन्हीं लम्हों को याद किया।
  1. मां की गोद पिता का कंधा,
    बड़ा ही निराला था वो बचपन का फंडा।
  1. जिसमें न थी रोने की वजह और हंसने का बहाना,
    न जाने कहां चला गया वो बचपन का जमाना।
  1. याद है हमें आज भी वो बचपन का जमाना,
    जब हम स्कूल न जाने का बनाते थे बहाना।
  1. चलो चलते हैं उस बचपन में यार,
    जहां मिलती थी पापा की डांट और मां का प्यार।
  1. क्यों बीत गया वो बचपन,
    जिसमें मिलता था सभी का अपनापन।
  1. कुछ ऐसा था मेरे बचपन का सफर,
    जिसमें मुझे नींद नहीं आती थी कहानी के बगैर।
  1. बोलते थे झूठ फिर भी कितने सच्चे थे,
    ये किस्सा हैं उन दिनों के जब हम बच्चे थे।
  1. बेहद मजबूत होते हैं ये खास रिश्ते,
    तभी तो बचपन के दोस्त कभी नहीं छूटते।
  1. बड़े होने पर हुआ ये एहसास,
    बचपन था हमारा बेहद खास।
  1. बीत गया बचपन आ गई जवानी,
    देखो खत्म हो गई गुड्डा-गुड़िया की कहानी।
  1. मुट्ठी में दुनिया सारी लगती है,
    बचपन की तो हर एक चीज प्यारी लगती है।
  1. बचपन के जो हैं सपने अधूरे,
    चलो मिलकर करते हैं उनको पूरे।
  1. रोते-रोते जब सुबह जागते थे,
    याद है वो दिन जब हम स्कूल से भागते थे।
  1. कुछ भी कहलो बचपन में बड़ा सुकून था,
    बीता हुआ हर लम्हा हसीन था।
  1. कितनी अजीब है ये उम्र की ढलान,
    जब हाथों से निकल जाती है बचपन की कमान।
  1. बचपन के दोस्त होते थे बहुत प्यारे,
    एक ही चॉकलेट पर दौड़े चले आते थे सारे।
  1. जीवन में एक अलग ही हरियाली थी,
    बचपन की तो बात ही निराली थी।
  1. न थी हंसने की वजह न था रोने का बहाना,
    जैसा भी था अच्छा था बचपन का जमना।
  1. बचपन का मजा ही कुछ और था
    हर तरफ मस्ती और शरारतों का दौर था।
  1. कुछ हालातों ने हमें बड़ा बना दिया,
    बचपन की यादें मिटाकर रास्तों पर कदम बढ़ा लिया।
  1. जब भी बैठता हूं अकेले तो बचपन की याद आती है,
    सोचता हूं यही कि पल भर में ये दुनिया कैसे बदल जाती है।
  1. काश लौट आता वो बचपन,
    जिसमें नहीं होती थी कोई टेंशन।
  1. जब भी देखता हूं बच्चों का खिलौना,
    याद आता है बचपन का दिन अपना।
  1. बचपन की हर शाम होती थी सुहानी,
    जब नानी की गोद में बैठकर सुनते थे परियों की कहानी।
  1. बीत गया बचपन आ गई जवानी,
    लाइफ की है बस इतनी ही कहानी।
  1. न जाने कहां खो गई बचपन की वो दुनिया,
    जिसमें हर शाम मिलती थी ढेर सारी खुशियां।
  1. मैं आज भी बड़े होने से डरता हूं,
    इसलिए तो हर रोज बचपना करता हूं।
  1. आसमान में जब उड़ती पतंग दिखाई दी,
    ऐसा लगा मानो किसी ने बचपन की झलक दिख दी।
  1. न जाने कब बचपन बीता और मैं बड़ी हो गई,
    शौक की जिंदगी अब जरूरतों में बदल गई।
  1. अभी भी याद आता है वो बचपन जो बीत गया,
    जीवन में खुशियों का पल उसी समय से छूट गया।
  1. अब तो टेंशन भरे माहौल में गुजर जाती है शाम,
    होठों पर नहीं आती अब बचपन वाली मुस्कान।
  1. बचपन में कुछ ऐसी होती थी हमारी मस्ती,
    जैसे बिन किनारे की कश्ती।
  1. मां का आंचल और पापा के कंधों की याद सताती है,
    भले ही हो रहे हैं बड़े, लेकिन बचपन की याद अब भी आती है।
  1. बचपन की तो बात ही खास है,
    छिप-छिप कर पतंगे उड़ाना आज भी याद है।
  1. जिंदगी में जब नहीं था जिम्मेदारियों का एहसास,
    इसलिए तो वो बचपन था खास।
  1. आज भी याद है वो बचपन का खिलखिलाना,
    जब होता था दोस्तों के साथ रूठना-मनाना।
  1. रब से है एक ही कामना,
    काश लौट आए मेरा बचपना।
  1. जब भी बचपन याद आता है,
    मेरा मन एक बार फिर से मचल जाता है।
  1. दादी-नानी की कहानी में होता था परियों का फसाना,
    बचपन था हमारा खुशियों का खजाना।
  1. वो बचपन तो कल ही आया था,
    जिसने हमें मुस्कुराना सिखाया था।
  1. बड़े होने से मेरा मन डरता है,
    दिल के कोने में अभी भी एक मासूम बच्चा है।
  1. हे ईश्वर! मुझे मेरा बचपन लौटा दो,
    एक बार फिर से मुझे बच्चा बना दो।
  1. मेरी जिंदगी का वो बेहतरीन हिस्सा है
    जिसमें मेरे रोने का किस्सा है।
  1. कंधे की जिम्मेदारियों को बढ़ते देखा है,
    मैंने अपने अंदर के बचपन को मरते देखा है।

लेख के अंत में पढ़ें बचपन पर आधारित कुछ कविताएं।

बचपन की यादों पर कविता | Poem On Childhood Memories in Hindi

लेख के इस हिस्से में हम बचपन पर आधारित कुछ कविताएं लेकर आए हैं, जिनको पढ़ते ही एक बार फिर से बचपन के सुनहरे दिन याद आ जाएंगे।

  1. जो बीत गया बचपन का सफर,
    लो करता हूं आज उसका जिक्र,
    खेलते थे हम सभी आंगन में,
    जो बसा था स्कूल के प्रांगण में,
    बजती थी घंटी भागते थे हम,
    रास्ते पर रुक कर चाट खाते थे हम,
    इसके बाद जब पहुंचते थे घर,
    मां होती थी खड़ी गेट पर,
    पकड़ कर हमारा कान,
    कहती थी पढ़ाई पर दो ध्यान,
    तुम्हें बढ़ानी है घर की शान,
    शाम में भागकर फिर जाते थे मैदान,
    जहां था हमारे खेलने का पूरा इंतजाम,
    खेल-खेल कर जब हम थक जाते थे,
    लौटकर वापस अपने घर आ जाते थे,
    दोबारा मां की डांट से बचने के लिए,
    भोला-सा चेहरा बना लेते थे।
  1. जब तू अपने हाथों से खिलाती थी,
    सिर्फ तेरे ही आंचल में मुझे नींद आती थी,
    हर पल तेरे माथे की बिंदिया मुस्कुराती थी,
    बेहद खास था वो बचपन का दिन,
    जब मां मुझे गले लगाती थी,
    न जाने तू क्यों रोया करती थी,
    जब भी मेरी आंख भर आती थी,
    याद आता है अब भी वो बचपन का दिन,
    जब मां मुझे गले लगाती थी।
  1. बचपन भी क्या खूब था,
    हर दिन खुशियों का साथ था,
    थी इच्छा सितारों को छूने की,
    तितलियों को पकड़ने की,
    न ही सुबह की फिक्र थी,
    न ही शाम ढलने की चिंता,
    एक था काम आता,
    थककर स्कूल से आना
    आने के बाद खेलने के लिए जाना,
    वो मां की लोरियां का जमाना था,
    परियों के किस्सों का अलबेला फसाना था,
    बचपन के दिनों का हर मौसम सुहाना था,
    दोस्तों से हो कितने भी झगड़े,
    लेकिन दोस्ती का हर रिश्ता निभाना था,
    आज जो हो गए हम इतने बड़े
    सोचते हैं बचपन के दिनों का अपना ही फसाना था।
  1. दादी नानी की कहानियों पर हम रात भर जागा करते थे,
    बचपन में एक जैसे ही खुशियों के पुल बांधा करते थे,
    हर बार गिर कर खुद को संभाला करते थे,
    बचपन के दिनों में ऐसे ही तो हिम्मत बढ़ाया करते थे,
    कितना भी हो टेंशन खेलने का समय निकाला करते थे,
    बचपन के दिनों में ऐसे ही तो मन लगाया करते थे,
    आज जो बीत गया वो दिन तो लगता है ऐसे,
    जैसे हम शायद बचपन में सपनों की दुनिया में जाया करते थे।
  1. दादी मां का था मैं सबसे प्यारा,
    घर का था राज दुलारा,
    जब पहनता था मैं कपड़े ढीला-ढाला,
    लगता था सबसे भोला-भाला,
    होती थी मेरी खूब टांग खिंचाई,
    कई बार तो मैंने डांट भी खाई,
    आज भी याद है वो लड़ाई,
    जिसमें हुई थी मेरी धुलाई,
    ऐसा ही था बचपन मेरा,
    जिसमें था खुशियों का डेरा।

इस लेख में दिए गए फनी कोट्स, शायरी और कविताएं पढ़कर आपकी बचपन की यादें जरूर ताजा हो गई होंगी। बचपन पर आधारित इन कोट्स, शायरी और कविताओं को आप अपने सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर भी पोस्ट कर सकते हैं। इसके अलावा, इन्हें आप अपने दोस्तों के साथ भी साझा कर सकते हैं। इसी तरह के अन्य कोट्स और शायरी के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।

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