Written by , (शिक्षा- बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मीडिया कम्युनिकेशन)

बाहरी चोट की वजह से शरीर पर घाव होना सामान्य है। वहीं, इन घाव के पीछे कुछ ऐसी अंदरूनी समस्याएं भी होती हैं, जिनके बारे में जल्द पता नहीं लग पाता। बेडसोर एक ऐसी ही समस्या है, जो उपचार के अभाव में शरीर पर गंभीर घावों का कारण बन सकती है। ऐसे में जरूरी है कि व्यक्ति बेडसोर के विषय में जरूरी जानकारी रखे। यहां स्टाइलक्रेज का यह लेख पाठकों के लिए लाभदायक हो सकता है, क्योंकि इस लेख में न सिर्फ बेडसोर के कारण साझा किए गए हैं, बल्कि बेडसोर के लक्षण और बेडसोर के घरेलू इलाज के विषय में भी बताया गया है। पाठक ध्यान दें कि लेख में शामिल किए गए बेडसोर के घरेलू इलाज, इस समस्या को कम करने में कुछ हद तक मददगार हो सकते हैं। अगर समस्या गंभीर है, तो इसका डॉक्टरी इलाज जरूर करवाएं।

सबसे पहले विस्तार से जानिए कि बेडसोर (दबाव अल्सर) क्या होता है।

बेडसोर क्या है – What are Bed Sores in Hindi

जब व्यक्ति किसी एक करवट या पॉजिशन में लंबे समय तक बना रहता है तो उस तरफ की त्वचा पर दवाब पड़ने लगता है। ऐसा अक्सर उस अंगों में होता है, जहां त्वचा और हड्डी के बीच अधिक मांस नहीं होता, जैसे टखने, पीठ, कोहनी, एड़ी और कूल्हा। दबाव के कारण उस हिस्से की त्वचा को नुकसान पहुंचने लगता है और वहां घाव बनने लगते हैं। इन जख्मों को बेडसोर या दबाव अल्सर कहा जाता है। यह समस्या उन लोगों को ज्यादा हो सकती है, जो व्हीलचेयर पर हैं, बुढ़ापे या किसी शारीरिक समस्या के कारण ज्यादा समय बिस्तर पर बिताते हैं या जिन्हें अपना बॉडी पोश्चर बदलने में परेशानी होती हो। कुछ मामलों में बेडसोर के कारण गंभीर किस्म के संक्रमण भी हो सकते हैं, जिनमें से कुछ जानलेवा भी हो सकते हैं (1)।

आगे जानिए कि बेडसोर के चरण कितने होते हैं।

बेडसोर के चरण – Stages of Bed Sores in Hindi

बेडसोर को चार चरणों में बांटा गया है, जो हर बढ़ते चरण के साथ गंभीर रूप लेने लगता है। नीचे जानिए दबाव अल्सर के चार चरणों के बारे में (2) :

चरण 1 – इस चरण में प्रभावित त्वचा का रंग, तापमान और कंसिस्टेंसी (त्वचा की थिकनेस) बदलने लगती है। हालांकि, इस चरण में त्वचा किसी तरह से छिलती नहीं है, न कोई फोड़ा होता है और ना ही त्वचा के टिश्यू प्रभावित होते हैं। इस दौरान कुछ मामलों में प्रभावित क्षेत्र की त्वचा अलग दिखने लगती है और कुछ मामलों में वह सामान्य दिखती है। त्वचा के सामान्य दिखने के मामलों में त्वचा में आने वाले बदलाव को छू कर पता लगाया जा सकता है।

चरण 2 – इस चरण में बेडसोर का प्रभाव त्वचा की ऊपरी परत (Epidermal layer) पर पड़ने लगता है और यह धीरे-धीरे अंदरूनी परत तक पहुंच सकता है। इस चरण में त्वचा पर घाव दिखने लगते हैं। कुछ मामलों में ये घाव खुले होते हैं और कुछ मामलों में इनमें पस या सेरोसेनगाइनस (खून और एक तरह का पतला पीला पदार्थ) से भरे फफोले होने लगते हैं। इस चरण में प्रभावित क्षेत्र की त्वचा के आस पास की त्वचा पर भी समस्या हो सकती है।

चरण 3 – इस चरण में दबाव अल्सर का प्रभाव त्वचा की सबसे अंदरूनी परत तक पहुंच जाता है। इस दौरान प्रभावित त्वचा के नीचे की मांसपेशियां, हड्डियां और फेशिया (त्वचा के नीचे मौजूद एक प्रकार के कनेक्टिव टिश्यू) दिखने लगते हैं, लेकिन अल्सर का सीधे तौर से इन पर कोई प्रभाव नहीं होता। इस दौरान घाव पर नेक्रोटिक स्लो टिश्यू दिखने लगते हैं। ये एक तरह के मृत टिश्यू (Non-Viable Tissues) होते हैं, जिनमें खून का संचार कम होने लगता है और उनका रंग क्रीम जैसा या पीला होने लगता है (3)।

चरण 4 – यह दबाव अल्सर का अंतिम चरण होता है। इस चरण में अल्सर का प्रभाव त्वचा के साथ प्रभावित क्षेत्र की मांसपेशियों और हड्डियों पर भी पड़ने लगता है। चरण 3 और चरण 4 से पीड़ित लोगों को खास तरह के मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है।

लेख के अगले भाग में हम आपको बताएंगे कि बेडसोर के कारण क्या-क्या हो सकते हैं।

बेडसोर (दबाव अल्सर) के कारण – Causes of Bed Sores in Hindi

नीचे जानिए बेडसोर के कारण (4) –

  1. दबाव – बेडसोर के कारण में सबसे मुख्य कारण है एक ही स्थिति में अधिक समय तक बैठना या लेटना। इससे प्रभावित त्वचा पर सीधा दबाव बनता है। जब शरीर के दबे हुए भाग पर निरंतर दबाव बना रहता है तो उस हिस्से के नरम ऊतक (Soft Tissue) आसामन्य आकार लेने लगते हैं। इसके साथ ही, उस अंग की रक्त वाहिकाएं मुड़ने लगती हैं, जिसके परिणामस्वरूप वहां खून का संचार कम होने लगता है। अगर यह संचार एक से दो घंटे के लिए कम रहे तो यह दबाव अल्सर का कारण बन सकता है।
  1. शियर – शियर का अर्थ है किसी चीज का मुड़ना और रक्त का संचार कम करने में दबाव के साथ, वाहिकाओं का मुड़ना भी एक अहम कारण है। इस वजह से यह कहा जा सकता है कि वाहिकाओं का मुड़ना भी बेडसोर के कारण में शामिल है।
  1. फ्रिक्शन – किन्हीं दो चीजों का आपस में रगड़ना, फ्रिक्शन कहलाता है। दबाव और शियर के साथ, इसे भी बेडसोर के कारण में शामिल किया जाता है। दरअसल, फ्रिक्शन के कारण ही, शियर का प्रभाव बनता है। दबाव के कारण जिन क्षेत्र की त्वचा में खून में कमी हो जाती है, वहां फ्रिक्शन का प्रभाव आसानी से पड़ता है, जो आगे घाव का कारण बनता है।
  1. गतिहीनता – यह अपने आप में एक कारण नहीं है, लेकिन इसकी वजह अन्य कारक बेडसोर के कारण बनते हैं। कुछ बीमारियों में जब व्यक्ति बिना ज्यादा हिले-डुले लंबा समय बिस्तर पर गुजारता है, तो ऐसी स्थिति में बेडसोर होने की आशंका बढ़ जाती है।
  1. रिएक्टिव हाइपरेमिया साइकिल की विफलता – जब शरीर के किसी अंग के टिश्यू में दबाव के कारण रक्त का संचार कम होने लगता है तो शरीर में मौजूद सुरक्षा प्रणाली दबाव को कम करके, रक्त संचार को सामान्य करने की कोशिश करती है। इस प्रक्रिया को रिएक्टिव हाइपरेमिया कहा जाता है। वहीं, इस प्रक्रिया की विफलता के कारण व्यक्ति में बेडसोर की आशंका बढ़ जाती है।

इनके साथ ही कुछ जोखिम कारक भी हैं जिन्हें बेडसोर के कारण में शामिल किया जा सकता है, जैसे (5) :

  • व्हीलचेयर का उपयोग या लंबे समय तक बिस्तर पर रहना।
  • उम्रदराज व्यक्ति।
  • बिना सहायता के शरीर के कुछ हिस्सों को न हिला पाना।
  • ऐसी बीमारी से पीड़ित, जो रक्त संचार को प्रभावित करती हो, जैसे मधुमेह।
  • अल्जाइमर रोग या कोई अन्य स्थिति जिससे मानसिक स्थिति प्रभावित होती हो।
  • नाजुक त्वचा।
  • मूत्राशय या बाउल पर नियंत्रण न रहना।
  • पर्याप्त पोषण न मिलना।

लेख के इस भाग में आप जानेंगे कि बेडसोर के लक्षण क्या-क्या होते हैं।

बेडसोर (दबाव अल्सर) के लक्षण – Symptoms Of Bed Sores in Hindi

बेडसोर के आम लक्षण कुछ इस प्रकार सामने आ सकते हैं – (6)

  • प्रभावित त्वचा के रंग में बदलाव और सूजन।
  • प्रभावित हिस्से का गर्म होना।
  • प्रभावित हिस्से की त्वचा का नर्म होना।
  • प्रभावित हिस्से में दर्द।

बेडसोर के गंभीर लक्षण कुछ इस प्रकार सामने आ सकते हैं –

  • त्वचा का फटना
  • फफोले पड़ना
  • अल्सर का बनना
  • घाव से पस निकलना

लेख के अगले भाग में जानिए दबाव अल्सर के लिए घरेलू उपाय किस तरह काम आ सकते हैं।

बेडसोर (दबाव अल्सर) के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Bed Sores in Hindi

बेडसोर के लिए घरेलू उपाय नीचे बताए गए हैं :

1. सिट्ज बाथ (Sitz Bath)

सामग्री:

  • एक बाथ टब
  • गुनगुना पानी

उपयोग की विधि :

  • एक बाथ टब में लगभग चार से पांच इंच तक गुनगुना पानी भरें।
  • अब बेडसोर से प्रभावित हिस्से को इसमें डुबो कर बैठ जाएं।
  • तकरीबन 10 से 15 मिनट बैठने के बाद साफ तौलिए से उस अंग को पोंछ लें।
  • सिट्ज बाथ लेते समय बाथ टब में साबुन, बॉडी वाश या अन्य कोई सामग्री न डालें।
  • इस प्रक्रिया को दिन में दो बार दोहराया जा सकता है।

कैसे काम करता है :

जैसा कि ऊपर हम आपको बता चुके हैं कि शरीर के किसी अंग के नर्म ऊतक (सॉफ्ट टिश्यू) पर दबाव पड़ने से वहां रक्त संचार में कमी हो सकती है। परिणामस्वरूप, यह दबाव अल्सर का कारण बनता है। ऐसे में, सिट्ज बाथ दबाव अल्सर के लिए घरेलू उपाय के रूप में काम कर सकता है। गर्म पानी में बेडसोर को डूबा कर बैठने से यह घाव को ठीक करने में मदद कर सकता है। सिट्ज बाथ रक्त वाहिकाओं को फैलाने (Vasodilation) में मदद कर सकता है, जिससे रक्त संचार बेहतर हो सकता है। साथ ही, यह सूजन को कम करने में सहायक साबित हो सकता है। वैज्ञानिक रूप से इस विषय पर अभी और शोध किए जा रहे हैं (7)।

2. विच हेजल (Witch Hazel)

सामग्री :

  • विच हेजल वॉटर
  • आवश्यकतानुसार रुई

उपयोग की विधि :

  • सबसे पहले रुई को विच हेजल वॉटर में भिगोएं।
  • अब इसे कुछ देर के लिए प्रभावित क्षेत्र पर रखें।
  • जब पानी सूख जाए तो रुई को बेडसोर से हटा दें।
  • इस उपाय को दिन में दो से तीन बार अपनाया जा सकता है।

कैसे काम करता है :

विच हेजल का उपयोग बेडसोर के घरेलू उपचार में लाभदायक हो सकता है। विच हेजल में एंटीइन्फ्लामेट्री गुण पाए जाते हैं, जो बेडसोर के घाव की सूजन को कम करने में भी लाभदायक हो सकते हैं। साथ ही, इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं, जो घाव पर मौजूद कीटाणुओं को खत्म करके, उसे साफ रखने में मदद कर सकते हैं। विच हेजल के गुण बेडसोर के लिए घरेलू उपाय के रूप में कुछ हद तक फायदेमंद साबित हो सकते हैं (8)।

3. टी ट्री ऑयल

सामग्री :

  • टी ट्री ऑयल की एक से दो बूंद
  • एक चम्मच जैतून का तेल
  • रुई (आवश्यकतानुसार)

उपयोग की विधि :

  • एक बाउल में जैतून के तेल में टी ट्री ऑयल मिला लें।
  • अब तेल के इस मिश्रण को रुई की मदद से प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।
  • इस प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार दोहराया जा सकता है।

कैसे काम करता है :

टी ट्री ऑयल में कई गुण मौजूद होते हैं, जिनके कारण यह एसेंशियल ऑयल बेडसोर के लक्षण को कम करने में लाभदायक साबित हो सकता है। इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो सूजन को कम करने के साथ-साथ कुछ हद तक दर्द से राहत देने में मदद कर सकते हैं। इसके साथ ही, टी ट्री ऑयल में एंटीमाइक्रोबियल गुण भी मौजूद होते हैं, जिनके कारण घाव को बैक्टीरिया की वजह से होने वाले संक्रमण से बचाया जा सकता है (9)। टी ट्री ऑयल के फायदे के कारण इसका उपयोग बेडसोर के लिए घरेलू उपाय के रूप में किया जा सकता है।

4. एलोवेरा

सामग्री :

  • ताजा एलोवेरा जेल (आवश्यकतानुसार)

उपयोग की विधि :

  • एलोवेरा के पत्ते से थोड़ा-सा एलोवेरा जेल निकाल लें।
  • अब इस जेल को दबाव अल्सर से प्रभावित हिस्से पर लगाएं।
  • लगभग 15-20 मिनट के बाद, एक साफ टिश्यू पेपर की मदद से जेल को साफ कर दें।
  • इस प्रक्रिया को दिन में तीन से चार बार दोहराया जा सकता है।

कैसे काम करता है :

एलोवेरा का उपयोग त्वचा से जुड़ी कई तरह की समस्याओं से आराम पाने में किया जाता है। इसके फायदे बेडसोर के लक्षण जैसे सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसमें मौजूद एंटीसेप्टिक गुण, घाव को फंगल, वायरस और बैक्टीरियल संक्रमण से बचाने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही, एलोवेरा में वूंड हीलिंग गुण भी पाए जाते हैं, जो घाव को जल्दी भरने में मदद कर सकते हैं (10)। एनसीबीआई (NCBI – नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, बेडसोर का इलाज करने के लिए उपयोग की जाने वाले जेल (ऑइंटमेंट) में भी एलोवेरा का उपयोग किया जाता है और यह इसे ठीक करने में कुछ हद तक लाभकारी हो सकता है (11)।

5. नारियल का तेल

सामग्री :

  • आवश्यकतानुसार वर्जिन कोकोनट ऑयल

उपयोग की विधि :

  • उंगलियों की मदद से थोड़ा सा नारियल का तेल प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।
  • तेल लगाने के बाद इसे त्वचा में अवशोषित होने के लिए छोड़ दें।
  • इस प्रक्रिया को दिन में चार से पांच बार दोहराया जा सकता है।

कैसे काम करता है :

बेडसोर के कारण हुए घाव पर नारियल का तेल लगाने से मरीज को आराम मिल सकता है। इन फायदों के पीछे काम करते हैं इसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी, एनाल्जेसिक और एंटी पायरेटिक गुण। ये गुण बेडसोर के लक्षण जैसे सूजन और दर्द को कम करने के साथ त्वचा के तापमान को सामान्य करने में मदद कर सकते हैं (12)। इनके अलावा, वर्जिन कोकोनट ऑयल का टॉपिकल (त्वचा पर) उपयोग घाव भरने में भी मदद कर सकता है (13)। फिलहाल, इस विषय पर सीधे तौर पर कोई शोध उपलब्ध नहीं है, जिससे यह कहा जा सके कि बेडसोर का इलाज करने में नारियल का तेल कितना लाभकारी हो सकता है।

6. लहसुन

सामग्री :

  • लहसुन की दो से तीन कलियां
  • एक कप पानी
  •  रुई

उपयोग की विधि :

  • सबसे पहले लहसुन की कलियों को छील लें।
  • अब इन कलियों को एक कप पानी में उबाल लें।
  • जब पानी का रंग बदल जाए तो गैस बंद कर दें और पानी को ठंडा होने दें।
  • ● सामान्य तापमान पर आ जाने के बाद, इस पानी को ठंडा होने के लिए फ्रिज में रख दें।
  • ● जब पानी ठंडा हो जाए तो रुई की मदद से उसे घाव पर 10 से 15 मिनट के लिए लगाएं।
  • ● इस उपाय को दिन में दो बार किया जा सकता है।

कैसे काम करता है :

दबाव अल्सर के लिए घरेलू उपाय के रूप में लहसुन का उपयोग करने से उसके लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। लहसुन में पाए जाने वाले एंटी इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं और वहीं, इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण घाव को संक्रमण से बचा सकते हैं। त्वचा पर उपयोग के साथ, आप चाहें तो लहसुन का उपयोग खाने में भी कर सकते हैं। इसमें पॉलीसल्फाइड (एक तरह का केमिकल कंपाउंड) पाया जाता है, जो रक्त वाहिकाओं को फैलाकर रक्त संचार को बेहतर करने में मदद कर सकता है (14)।

7. जात्यादि तेल (Jatyadi Oil)

सामग्री :

  • एक चम्मच जात्यादि तेल
  • दो गिलास पानी
  • रुई

उपयोग की विधि :

  • एक छोटी कटोरी में एक चम्मच जात्यादि तेल लें।
  • इसके बाद एक छोटे पतीले में दो गिलास पानी डाल कर उबालें।
  • जब पानी उबलने लगे तो पतीले में एक छोटा स्टैंड रख दें और उस स्टैंड के ऊपर जात्यादि तेल की कटोरी रखें।
  • जब कटोरी में तेल गुनगुना हो जाए तो गैस बंद कर दें और कटोरी गैस से उतार लें।
  • अब किसी एंटीसेप्टिक लिक्विड और रुई की मदद से घाव को अच्छी तरह साफ करें।
  • फिर इस गुनगुने तेल को रुई की सहायता से घाव पर लगाएं।

कैसे काम करता है :

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिसर्च द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में यह पाया गया है कि जात्यादि ऑयल में वूंड हीलिंग गुण होते हैं, जो घाव को भरने में मदद कर सकते हैं। माना जाता है कि घाव पर जात्यादि तेल का उपयोग करने से बेडसोर के कारण हुए घाव को जल्दी भरने में मदद मिल सकती है (15)।

8. शहद

सामग्री :

  • शहद (आवश्यकतानुसार)
  • रुई
  • सफेद बैंडेज

उपयोग की विधि :

  • उंगली की मदद से थोड़ा सा शहद घाव पर लगाएं।
  • अब इसके ऊपर रुई लगाकर, सफेद बैंडेज से ड्रेसिंग कर लें।
  • लगभग 30 मिनट के बाद पट्टी खोलकर, गुनगुने पानी की मदद से शहद को घाव से साफ कर लें।

कैसे काम करता है :

साउथ एशियन जर्नल ऑफ कैंसर के एक शोध में यह पाया गया है कि शहद का उपयोग दबाव अल्सर के लिए घरेलू उपाय के रूप में किया जा सकता है। कैंसर के मरीजों पर किए गए इस अध्ययन के परिणाम में यह पाया गया है कि दबाव अल्सर पर शहद का उपयोग करने से न सिर्फ घाव के दर्द और सूजन में आराम मिल सकता है बल्कि घाव को जल्दी भरने में मदद मिल सकती है। इसके साथ ही, इसमें एंटीमाइक्रोबियल गुण भी मौजूद होते हैं, जो घाव को संक्रमण से बचाने में मदद कर सकते हैं (16)।

9. संतुलित आहार

जैसा कि बेडसोर के कारण में हम आपको बता चुके हैं कि पोषक तत्वों की कमी से भी बेडसोर हो सकता है। ऐसे में, अपने आहार में जरूरी पोषक तत्वों को शामिल करना जरूरी हो जाता है। भोजन में जरूरी विटामिन (के, ए, ई और सी) और मिनरल (जिंक, कॉपर और प्रोटीन) को शामिल करना आवश्यक है। ये सभी पोषक तत्व घाव को जल्दी भरने में मदद कर सकते हैं। इसके साथ ही, प्रभावित टिश्यू तक सही रक्त संचार के लिए शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी की भी जरूरत होती है। इसलिए, संतुलित आहार के साथ, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना भी जरूरी है (17)।

10. अंडे का सफेद भाग

सामग्री :

  • एक अंडे का सफेद भाग
  • रुई

उपयोग की विधि :

  • एक अंडे को फोड़ कर, उसका सफेद भाग एक बाउल में निकाल लें।
  • अब रुई की मदद से इसे घाव पर लगाएं।
  • अब अपने ब्लो ड्रायर की कूल एयर सेटिंग की मदद से घाव पर लगे अंडे के सफेद तरल को सुखाएं।
  • इस प्रक्रिया के बाद, घाव पर पट्टी बांधने की आवश्यकता नहीं है।

कैसे काम करता है :

दबाव अल्सर के लिए घरेलू उपाय के रूप में अंडे के सफेद भाग को उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है। वेस्ट वर्जिनिया यूनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित एक शोध के अनुसार, अंडे का सफेद भाग घाव को जल्दी भरने में मदद कर सकता है। यह घाव के ऊपर ग्लू की तरह काम करता है और उसे बंद करने में मदद कर सकता है (18)। यहां हम बता दें कि यह शोध लैब में किया गया है और मनुष्यों पर इसके सही प्रभाव जानने के लिए अभी और शोध की आवश्यकता है।

11. हल्दी

सामग्री :

  • एक चम्मच हल्दी
  • पानी (आवश्यकतानुसार)

उपयोग की विधि :

  • एक बाउल में हल्दी और जरूरत अनुसार पानी मिला कर पेस्ट बना लें।
  • इस पेस्ट को प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं और रात भर के लिए छोड़ दें।
  • सुबह उठकर, गुनगुने पानी और रुई की मदद से घाव को साफ कर लें।

कैसे काम करता है :

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हल्दी का उपयोग सदियों से किया जा रहा है। यहां तक की बेडसोर के लिए घरेलू उपाय के रूप में भी हल्दी का उपयोग किया जा सकता है। हल्दी में मौजूद वूंड हीलिंग, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीबायोटिक गुणों के कारण इसका पेस्ट घाव को जल्दी भरने में मदद कर सकता है (19)। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, हल्दी में मौजूद मुख्य तत्व, करक्यूमिन (Curcumin) टिश्यू को पहुंची क्षति को ठीक करके, घाव को जल्दी भरने में मदद कर सकता है (20)।

12. ग्रीन टी

सामग्री :

  • एक ग्रीन टी बैग
  • एक कप गुनगुना पानी
  • एक चम्मच शहद

उपयोग की विधि :

  • एक कप गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाएं।
  • अब इसमें लगभग दो से तीन मिनट के लिए एक ग्रीन टी बैग डालें।
  • अब ग्रीन टी का सेवन करें।

कैसे काम करता है :

दबाव अल्सर के लिए घरेलू उपाय के रूप में भी ग्रीन टी का उपयोग किया जा सकता है। इसमें एपिगैलोकैटेचिन-3-गैलेट (epigallocatechin-3-gallate – एक प्रकार का कैटेचिन) पाया जाता है, जो रक्त वाहिकाओं को आराम पहुंचाकर रक्त संचार में मदद कर सकता है, जिससे बेडसोर से आराम मिल सकता है (21)। इसके अलावा, ग्रीन टी में एंटीइन्फ्लामेट्री और वूंड हीलिंग गुण भी पाए जाते हैं, जो प्रभावित त्वचा की सूजन को कम करने और घाव को जल्दी भरने में मदद कर सकते हैं (22)।

बेडसोर के लिए घरेलू उपाय जानने के साथ, बेडसोर के उपचार के बारे में जानना भी आवश्यक है। लेख के अगले भाग में जानिए मेडिकल रूप से बेडसोर का इलाज कैसे किया जा सकता है।

बेडसोर (दबाव अल्सर) का इलाज – Treatment for Bed Sores in Hindi

मेडिकल रूप से बेडसोर का इलाज नीचे बताए गए तरीकों से किया जा सकता है (4) :

डिब्राइडमेंट (Debridement) – इस प्रक्रिया में घाव से डैमेज टिश्यू को हटाया जाता है। यह सर्जरी या मशीन की मदद से किया जा सकता है। इस प्रक्रिया से घाव को जल्दी भरने में मदद मिलती है। डिब्राइडमेंट की प्रक्रिया पानी की तेज धार (High Pressure Water Jets), अल्ट्रासाउंड या लेजर की मदद से भी की जा सकती है।

घाव की ड्रेसिंग – इस प्रक्रिया में बेडसोर के कारण हुए घाव पर उसके चरण के अनुसार ड्रेसिंग की जाती है। अगर घाव संक्रमित और ताजा है, तो बार बार ड्रेसिंग करने की जरूरत पड़ती है। कई बार हर तीन से चार घंटों में ड्रेसिंग की जाती है। वहीं, अगर घाव सूखा है और भर रहा है, तो हर रोज ड्रेसिंग न करने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से, ड्रेसिंग की बैंडेज के साथ नए स्वस्थ सेल्स त्वचा से निकल सकते हैं। बेडसोर के अनुसार, ड्रेसिंग भी कई तरह की हो सकती हैं, जैसे –

  • हाइड्रोकार्बन ड्रेसिंग – यह नए सेल्स को बढ़ने में मदद करती है और प्रभावित क्षेत्र के आस पास की स्वस्थ त्वचा को सूखा रखने में मदद करती है।
  • एलजीनेट ड्रेसिंग – यह ड्रेसिंग सोडियम और कैल्शियम से समृद्ध सीवीड (Seaweed) से की जाती है। ये घाव को जल्दी भरने में मदद करती है। इसके अलावा, शहद से बनी एलजीनेट ड्रेसिंग दबाव अल्सर के घाव को जड़ से खत्म करने का काम कर सकती है।
  • नैनो सिल्वर ड्रेसिंग – इस प्रकार की ड्रेसिंग में चांदी के एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो अल्सर को साफ करने में मदद करते हैं।
  • क्रीम और मलहम – त्वचा के टिश्यू को नुकसान से बचाने और घाव को जल्दी भरने में मदद करने के लिए अक्सर मेडिकल क्रीम एवं मलहम का उपयोग किया जाता है।

एंटीबायोटिक दवाइयां – सभी तरह के बेडसोर में एंटीबायोटिक दवाइयां देने की जरूरत नहीं पड़ती। ये सिर्फ उन मामलों में दी जाती हैं, जहां दबाव अल्सर संक्रमित हो जाता है। एंटीबायोटिक दवाइयां संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद करती हैं। एंटीबायोटिक गोलियों के अलावा, घाव से बैक्टीरिया हटाने के लिए इन पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगाने की सलाह भी दी जा सकती है।

सर्जरी – कुछ मामलों में चरण 3 और चरण 4 के बेडसोर के घाव भर नही पाते। इन मामलों में डॉक्टर सर्जरी करने की सलाह दे सकते हैं। इन सर्जरी में अक्सर घाव के दोनों सिरों को आपस में सिलकर घाव को बंद किया जाता है। बेडसोर के अनुसार डॉक्टर अलग-अलग तरह की सर्जरी करने की सलाह दे सकते हैं।

इस लेख के आखिरी भाग में जानिए बेडसोर से बचाव कैसे किया जा सकता है।

बेडसोर से बचाव – Prevention Tips for Pressure Sores in Hindi

बेडसोर से बचाव के लिए नीचे बताई गईं बातों को ध्यान में रखने से फायदा मिल सकता है (23) –

  • नहाते समय त्वचा पर नर्म स्पंज या कपड़े का उपयोग करें। ज्यादा जोर से स्क्रब न करें।
  • प्रतिदिन त्वचा पर मॉइस्चराइजर का उपयोग करें।
  • नहाने के बाद, स्तनों के नीचे व पेट और जांध के बीच के भाग को अच्छी तरह पोंछें।
  • टैल्कम पाउडर या त्वचा को खुश्क बनाने वाले साबुन का उपयोग न करें।
  • प्रतिदिन नहाने से बचें। इससे त्वचा ज्यादा रूखी बन सकती है।
  • संतुलित आहार का सेवन करें और भरपूर पानी पिएं।
  • टाइट कपड़े पहनने से बचें।
  • साथ ही त्वचा पर घाव, लालपन या त्वचा के कठोर हो जाने की स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करें।

जिन लोगों को बिस्तर पर रहने की सलाह दी गई है, वे बेडसोर से बचाव के लिए नीचे बताए गए उपाय अपना सकते हैं –

  • बिस्तर पर करवट बदलते समय त्वचा को चादर से रगड़ने से बचाएं। इससे बेडसोर होने का खतरा बढ़ सकता है।
  • मरीज की करवट बदलते समय, उनके शरीर को खिसकाने की जगह, उठा कर बदलें।
  • हर एक से दो घंटे में मरीज की पोजीशन बदलें।
  • मरीज के बिस्तर पर बिछी चादर समतल हो। ध्यान रखें कि उस पर सिलवटें न हो।
  • मरीज के सिर को 30 डिग्री से अधिक न उठाएं। इससे ज्यादा उठाने से शरीर बिस्तर पर फिसलने लगता है।

इस बात को अब आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि बेडसोर क्या होते हैं। लेख को पढ़ने के बाद आपको बेडसोर के कारण से लेकर बेडसोर के लक्षण तक की सारी जानकारी मिल गई होगी। इस लेख में बताई गई बातों को ध्यान में रखकर दबाव अल्सर से बचने में मदद मिल सकती है। इन बातों के साथ, दबाव अल्सर के लिए घरेलू उपाय का उपयोग करते समय यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि ये बेडसोर का इलाज नहीं हैं। बेडसोर से पूरी तरह आराम पाने के लिए डॉक्टर उपचार जरूरी है। उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपके लिए लाभकारी होगा।

अक्सर पूछे जाने सवाल

बेडसोर से बचने के लिए रोगी की करवट कितनी बार बदलनी चाहिए?

बेडसोर से बचाव के लिए हर एक से दो घंटे में मरीज की करवट बदलने की सलाह दी जाती है (23)।

बेडसोर का इलाज करने के लिए सबसे अच्छी क्रीम कौन सी उपलब्ध है?

इस समस्या के लिए मेपेंटोल, डर्मालेक्स और कॉनोट्रेन जैसी क्रीम का उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, बेडसोर का इलाज करने के लिए सबसे लाभदायक क्रीम, बेडसोर के चरण और घाव पर निर्भर करती है और इस बारे में सटीक जानकारी डॉक्टर ही दे पाएगा (24)।

टनलिंग घाव का क्या मतलब है?

जब बेडसोर के कारण घाव के आसपास की त्वचा भी प्रभावित होने लगती है, तो उसे टनलिंग घाव कहा जाता है (25)।

बेडसोर को पूरी तरह ठीक होने में कितना समय लगता है?

बेडसोर को पूरी तरह ठीक होने में कितना समय लग सकता है, यह मरीज और घाव की स्थिति पर निर्भर करता है। साथ ही, यह भी माना जाता है कि चरण 1 और 2 की तुलना में चरण 3 और 4 के अल्सर को पूरी तरह ठीक होने में ज्यादा समय लग सकता है (5)

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Saral Jain
Saral Jainहेल्थ एंड वेलनेस राइटर
सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ.

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