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डिलीवरी के बाद हर महिला चाहती है कि उसका शरीर पहले वाले आकार और सही वजन में आ जाए। इसके लिए वो कई तरह के उपाय अपनाती हैं। इन उपायों में खान-पान में परिवर्तन के साथ ही योग और व्यायाम को भी शामिल किया जाता है, लेकिन क्या स्तनपान करने वाली महिला के लिए योग करना लाभदायक है? अगर हां, तो इस दौरान कौन-कौन से योग करने चाहिए। ऐसे तमाम सवालों के जवाब आपको मॉमजंक्शन के इस लेख में मिलेंगे। लेख के अंत में हमने योग से जुड़े कुछ जरूरी टिप्स भी बताए हैं। इसलिए, यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें।

लेख के पहले भाग में इस सवाल का जवाब जानते हैं कि स्तनपान कराने वाली महिला योग करें या नहीं।

क्या ब्रेस्टफीडिंग महिलाओं के लिए योग करना सुरक्षित है?

हां और इसकी पुष्टि एक वैज्ञानिक शोध से होती है। वैज्ञानिक परीक्षण के अनुसार, स्तनपान कराने वाली महिलाओं को तनाव की समस्या हो सकती है (1)। ऐसे में तनाव को कम करने के लिए योग मददगार हो सकता है। योग से तनाव के साथ ही चिंता और अवसाद भी कम हो सकती है (2)। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि ब्रेस्टफीडिंग करने वाली महिलाओं के लिए योग करना सुरक्षित हो सकता है। स्तनपान के अलावा गर्भावस्था में भी योग किया जा सकता है।

आगे जानिए, स्तनपान के दौरान योग करने के लाभ क्या-क्या हो सकते हैं।

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान योग करने के फायदे

स्तनपान करने वाली महिलाओं के द्वारा योग करने पर उन्हें कई फायदे हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:

  1. दूध के उत्पादन में वृद्धि : इस संबंध में एक वैज्ञानिक अध्ययन के मुताबिक, स्तनपान कराने वाली महिलाओं के दूध के उत्पादन की मात्रा को योग करने से पहले और बाद में मापा गया है। इस रिसर्च के दौरान पता चला कि योग करने से पिट्यूटरी ग्लैंड को उत्तेजित किया जा सकता है। इससे प्रोलैक्टिन हार्मोन में वृद्धि हो सकती है, जिससे स्तन में दूध के उत्पादन को बढ़ावा मिल सकता है। लिहाजा, ऐसा कहा जा सकता है कि योग करने से ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं में दूध की मात्रा में वृद्धि हो सकती है (3)
  1. रक्त संचार में सुधार : स्तनपान कराने वाली महिलाओं के नियमित रूप से योग करने पर एंडोक्राइन ग्लैंड की कार्यप्रणाली में सुधार हो सकता है। साथ ही इससे पूरे शरीर व मस्तिष्क में रक्त संचार बेहतर तरीके से काम कर सकता है। इससे स्तन के चारों ओर रक्त संचार में वृद्धि हो सकती है, जिससे स्तन की मांसपेशियां मजबूत हो सकती हैं (3)
  1. फेफड़ों की क्षमता में वृद्धि : योग के दौरान मुख्य रूप से सांस लेने और छोड़ने की क्रिया पर ध्यान दिया जाता है। इस ब्रीदिंग तकनीक के कारण सांस लेने के लिए फेफड़ों की क्षमता बेहतर हो सकती है। ऐसे में स्तनपान कराने वाली महिलाओं के फेफड़ों के लिए योग करना अच्छा साबित हो सकता है (3)
  1. पीठ दर्द से राहत : अगर किसी स्तनपान कराने वाली महिला को पीठ के ऊपरी भाग में जकड़न या तनाव महसूस होता है, तो वह महिला योग कर इस समस्या से छुटाकार पा सकती है। इस संबंध में प्रकाशित एक वैज्ञानिक अध्ययन में भी इसकी पुष्टि की गई है (4)
  1. तनाव, चिंता और अवसाद में कमी : ब्रेस्टफीडिंग करने वाली महिलाओं द्वारा योग करने पर मानसिक शांति प्राप्त हो सकती है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर पब्लिश एक रिसर्च में दिया है कि नियमित योगाभ्यास से स्तनपान कराने वाली महिला के तनाव, चिंता और अवसाद के स्तर में कमी आ सकती है (2)। इसके अलावा, ऐसा माना जाता है कि स्तनपान कराने के लिए अधिक समय तक एक पोश्चर में बैठने के कारण पोश्चर खराब हो सकता है। ऐसे में योग की मदद से शरीर के पोश्चर को बेहतर किया जा सकता है।

चलिए, अब आगे जानते हैं कि स्तनपान कराने वाली महिलाएं कौन-कौन से योग कर सकती है।

ब्रेस्टफीडिंग मां के लिए 10 बेस्ट योगासन

अगर स्तनपान कराने वाली महिलाएं सही योग करती हैं, ताे ही उन्हें सही लाभ मिल सकता है। यहां हम ऐसे ही 10 सबसे असरदार योगासनों के बारे में बता रहे हैं (4):

1. हस्त पादंगुष्ठासन

Manual pedestalisation
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हस्त पादंगुष्ठासन तीन शब्दों के मेल से बना है। हस्त का मतलब हाथ, पद यानी पैर व अंगुष्ठ का मतलब पैर का अंगूठा है। इस योग के दौरान एक पैर पर खड़े होना पड़ता है। ऐसे में शरीर को संतुलित रखने के लिए शुरुआत में आप दीवार का सहारा ले सकती हैं।

योग करने का तरीका:

  • हस्त पादंगुष्ठासन को करने के लिए साफ सुथरे स्थान पर योग मैट बिछाकर ताड़ासन की मुद्रा में सीधे खड़े हो जाएं।
  • अब गहरी सांस लेते हुए बाएं पर को घुटनों से मोड़कर पेट के बराबर तक ऊपर उठा लें।
  • इस समय दाएं पैर पर शरीर का पूरा भार होगा।
  • फिर दाएं हाथ को कमर कर लें। उसके बाद बाएं हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़कर सामने की तरफ जितना हो सके, उतना पैर फैलाकर ऊपर उठाने की कोशिश करें। पैर को फैलाने पर अंगूठा छुटना नहीं चाहिए।
  • इस स्थिति में आने के बाद कुछ देर रुकें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
  • अब बाएं पैर को नीचे जमीन पर लाकर और कुछ देर आराम दें। फिर इस प्रक्रिया को दूसरे पैर के साथ भी दोहरा सकते हैं।
  •  इस आसन को 10 मिनट तक कर सकते हैं।

2. बद्ध कोणासन

Bound konasana
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इस आसन को बटरफ्लाई पोज भी कहा जाता है। दरअसल, इस योग को करने पर पैर तितली के पंख जैसे आकार में आ जाते हैं, इसलिए इसे बटरफ्लाई पोज कहा जाता है। इस योग को स्तनपान कराने वाली महिला के लिए लाभकारी माना जा सकता है।

योग करने का तरीका:

  • इस आसन को करने के लिए चटाई या योग मैट बिछाकर सुखासन की अवस्था में बैठें।
  • अब दोनों पैरों के तलवों को आपस में मिला लें और दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाकर ग्रिप बनाकर पैरों को पकड़ लें।
  • इसके बाद पैरों को शरीर के पास ले आएं।
  • फिर गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें। ऐसा दो से तीन बार करें।
  • इसके बाद सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकते हुए सिर को जमीन से लगाने का प्रयास करें।
  • कुछ देर इसी मुद्रा में रहें और सामान्य गति से सांस छोड़ते और लेते रहें।
  • इस योग को 5 से 10 मिनट तक कर सकते हैं।

3. हस्त पादासन

Manual footwear
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हस्त पादासन संस्कृत के तीन शब्दों से मिलकर बना है।  नमें पहला हस्त यानी हाथ, दूसरा पाद यानी पैर और तीसरा आसन यानी मुद्रा है। इन सभी के मिलने पर अर्थ निकलता है कि इस आसन में हाथों और पैरों की अहम भूमिका होती है।

योग करने का तरीका:

  • हस्त पादासन के लिए योग मैट या चटाई बिछाकर ताड़ासन की मुद्रा में खड़े हो जाएं।
  • अब दो से तीन पर गहरी सांस ले और पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें।
  • इसके बाद हाथों को सीधा ऊपर की ओर ले जाएं और फिर सांस छोड़ते हुए कमर को मोड़ते हुए धीरे-धीरे सामने की ओर झुकें।
  • हथेलियों को पैरों के पास जमीन के साथ सटाने का प्रयास करें।
  • शुरुआत में हाथों से जमीन छूने में परेशानी हो सकती है। ऐसे में  शरीर के साथ जोर जबरदस्ती न करें।
  • इस स्थिति में आने के बाद सिर को घुटनों के साथ स्पर्श करने का प्रयास करें।
  • कुछ सेकंड इसी मुद्रा में बने रहें और सामान्य गति से सांस लेते रहें। फिर धीरे-धीरे प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
  • शुरुआत में इस योगासन को 5 से 10 मिनट तक किया जा सकता है।

4. पश्चिमोत्तानासन

Paschimottanasan
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पश्चिमोत्तानासन में पश्चिम का अर्थ शरीर के पीछे का हिस्सा यानी पाठी होता है। वहीं, उत्तान का मतलब खिंचाव होता है। इस योग का मुख्य असर रीढ़ की हड्डी पर पड़ सकता है। ऐसा माना जाता है कि इस आसन को करने पर शरीर में लचीलापन आ सकता है।

योग करने का तरीका:

  • पश्चिमोत्तानासन को करने के लिए एक साफ सुथरे और शांत जगह पर योग मैट या चटाई बिछाकर पैरों को सामने की तरह सीधे फैलाकर बैठ जाएं।
  • दोनों पैर आपस में सटाकर रखें। साथ ही घुटने, सिर, गर्दन व रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
  • इसके बाद दोनों हाथों को सीधे ऊपर की तरफ उठाए और धीरे-धीरे सांसों को छोड़ते हुए सामने की तरफ झुकें। सामने झुकने के बाद माथे को घुटनों पर टिकाने का प्रयास करें और हाथों से पैरों के अंगुठों को छूने या पकड़ने की कोशिश करें।
  • ध्यान रहे कि इस दौरान घुटने सीधे रहने चाहिए।
  • लगभग 15 से 20 सेकंड तक इसी मुद्रा में बने रहें और नियमित रूप से सांस लेते रहें।
  • फिर गहरी सांस लेते हुए ऊपर उठें और शुरुआती मुद्रा में आ जाएं।
  • इस आसान को 10 मिनट तक कर सकते हैं।

5. सर्वांगासन

Sarvangasan
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सर्वांगासन के नाम से स्पष्ट है कि यह आसन से शरीर के सभी अंग पर असर पहुंचा सकता है। इस आसन के दौरान शरीर उल्टा होता है यानी सिर जमीन पर और पैर आसमान की तरफ ऊपर होते हैं। ऐसे में इस आसन को शुरुआत में सहारे के बिना नहीं करना चाहिए।

योग करने का तरीका:

  • सबसे पहले एक योग मैट या चटाई बिछा लें और उस पर पीठ के बल लेट जाएं।
  • इस समय दोनों हाथों को सीधे व शरीर से सटाकर रखें।
  • इसके बाद धीरे-धीरे सांस लेते हुए शरीर का निचला हिस्सा यानी पैरों, कूल्हों व कमर को ऊपर की तरफ उठाएं।
  • पैरों, कूल्हों व कमर को ऊपर उठाने के लिए हाथों से कमर को सहारा दें और कोहनियों को जमीन पर टिका दें।
  • जब पैर को ऊपर उठाएं, तब वो सीधे और आपस में सटे हुए होने चाहिए।
  • इस समय शरीर का पूरा भार कोहनियों, कंधों व सिर पर होगा। साथ ही ठुड्डी छाती को टच कर रही होगी।
  • कुछ सेकंड इस अवस्था में बने रहने की कोशिश करें।
  • फिर धीरे-धीरे इस योग की प्रक्रिया को विपरीत करते हुए सामान्य अवस्था में आ जाएं।

6. हलासना

To laugh
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हलासन को दो शब्दों को जोड़कर बनाया गया है, जिसमें पहला हल और दूसरा आसन है। इस योग के दौरान शरीर जमीन को जोतने वाले हल यानी एक कृषि यंत्र के आकार का दिखाई देता है। स्तनपान कराने वाली महिला के द्वारा इस आसन को करने पर कई लाभ हो सकते हैं।

योग करने का तरीका:

  • हलासन को करने के लिए एक समतल स्थान पर योग मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।
  • इस समय हाथों को सीधा शरीर से सटाकर रखें और पंजे जमीन की तरफ होनी चाहिए।
  • इसके बाद धीरे धीरे सांस लेते हुए अपने पैरों को 90 डिग्री तक ऊपर की ओर उठाएं।
  • पैरों को ऊपर की तरफ उठाने के लिए कमर या हिप्स को हाथ से सहारा दे सकते हैं।
  • फिर सांस को धीरे धीरे छोड़ते हुए पैरों को सिर के ऊपर से पीछे ले जाएं।
  • पैरों को पीछे ले जाने के बाद जमीन से टिकाने की कोशिश करें।
  • इसके बाद हाथों को कमर से हटाकर पहले की तरह जमीन पर सीधा रख दें।
  • अपने क्षमता के अनुसार इस अवस्था में बने रखने का प्रयत्न करें और सामान्य तरीके से सांस लेते व छोड़ते रहे।
  • इसके बाद सांस लेते  हुए योग की क्रिया को विपरीत करते हुए पहले वाले अवस्था में आ जाएं।
  • इस योग के तीन से पांच चक्र कर सकते हैं।

7. शलभासन

Shalabhasan
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शलभासन को दो शब्दों को मिलाकर बनाया गया है, जिसमें शलभ यानी टिड्डी और आसन यानी मुद्रा है। इस आसन के दौरान शरीर टिड्डे के जैसा दिखाई देने लगता है। इसी वजह से ही इस आसन का नाम शलभासन पड़ा है।

योग करने का तरीका:

  • एक योग मैट पर पेट के बल लेट जाएं।
  • अपने दोनों हाथों को सीधे पीछे की तरफ रखें व हथेलियों को जांघों की ओर रखें।
  • इस समय दोनों पैर आपस में जुड़े हुए होने चाहिए।
  • इसके बाद हल्की-हल्की सांस लेते हुए एक पैर को ऊपर की ओर उठाएं। जब पैर को ऊपर उठाएं, तो बिल्कुल सीधा होना चाहिए।
  • कुछ सेकंड बाद पैर को नीचे ले आएं और इस प्रक्रिया को दूसरे पैर के साथ भी करें।
  • इसके बाद दोनों पैर को एक साथ जितना संभव हो पीछे की तरफ खींचते हुए ऊपर उठाएं।
  • अब सिर और छाती को ऊपर की तरफ उठाने का प्रयास करें।
  • इस समय शरीर का पूरा भार पेट वाले हिस्से पर होगा।
  • शलभासन के चार से पांच चक्र कर सकते हैं। हर एक चक्र को करने के बाद थोड़ी देर विराम करें।

8. मकरासन

Makarasan
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मकरासन को मकर व आसन शब्द के मेल से बनाया गया है। इस आसन के दौरान शरीर की मुद्रा नदी में शांत बैठे मगरमच्छ की तरह होती है। यह आसन स्तनपान करने वाली महिलाओं के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

योग करने का तरीका:

  • मकरासन को करने के लिए योग मैट या चटाई बिछाकर पेट के सहारे लेट जाएं।
  • पैरों के बीच कुछ दूरी रखें और पंजे बाहर की ओर व एड़ियों अंदर की तरफ होंगी।
  • अब दाहिने हाथ को बाएं कंधे पर और बाएं हाथ को दाएं कंधे पर रखें। इस समय कोहनियां जमीन पर टिकी होगी।
  • फिर सिर को हाथों के ऊपर रखकर आराम की अवस्था में आ जाएं।
  • अब आंखों को बंद कर लें और मन को शांत रखते हुए सामान्य गति से सांस लेते रहें।
  • ऐसा 5 मिनट तक कर सकते हैं।

9. प्राणायाम

Pranayama
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योग में सबसे अच्छा ब्रीदिंग एक्ससाइज यानी प्राणायाम को माना जाता है। यह ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिला के लिए भी लाभकारी है। इसके लिए कपालभाति प्राणायाम को कर सकते हैं।

योग करने का तरीका:

  • इस आसन को करने के लिए स्वच्छ स्थान पर योग मैट बिछाकर पद्मासन या सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
  • दोनों हाथों को घुटनों पर रखें।
  • रीढ़ की हड्डी एकदम सीधा होनी चाहिए।
  • अब मन को शांत रखें और गहरी सांस लेकर धीरे-धीरे छोड़े दें। सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को दो से तीन बार करें।
  • फिर नाक से लगातार सांसे छोड़े। ऐसा करते समय पेट को अंदर की तरफ खींचना है।
  • इस क्रिया के दौरान मुंह पूरी तरह बंद रहेगा।
  • नाक से सांस छोड़ने पर सांस लेने की क्रिया अपने आप होती है।
  • सांस छोड़ने की क्रिया को एक बारी में 15 से 20 बार करें।
  • इस आसन को 10 मिनट तक कर सकते हैं।

10.  शवासन

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शवासन को करते समय शरीर मृत की तरह नजर आता है, इसलिए इस आसन का नाम शवासन पड़ा है। यह दिमाग को शांत रखने में अहम भूमिका निभा सकता है।

योग करने का तरीका:

  • इस आसन को करने के लिए साफ सुथरे व शांत स्थान पर योगा मैट बिछा लें।
  • अब मैट पर पीठ के सहारे लेट जाएं व आंखों को बंद कर मन को शांत करें।
  • इस समय दोनों हथेलियों को शरीर से लगभग एक फीट की दूरी व पैरों को एक दूसरे से दो फीट की दूरी पर रखें। साथ ही पंजे ऊपर की तरफ हो।
  • अब धीरे-धीरे सांसें लें और छोड़े। इस समय अपना पूरा ध्यान सांस पर रखने का प्रयत्न करें।
  • इसे लगभग 10 मिनट तक कर सकते हैं।
  • इस योग को हमेशा सबसे अंत में किया जाता है।

नोट:  ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिला ऊपर बताए गए योगासन को प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें।

चलिए, अब आगे जानते हैं मांओं को योग करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

स्तनपान के दौरान योग करने के टिप्स

स्तनपान कराने वाली महिलाओं को योग करते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी होता है, जो इस प्रकार है:

  • प्रसव के कम से कम 6 महीने बाद ही योग करना शुरू करें।
  • जिनकी सिजेरियन डिलीवरी हुई है, वो बिना डॉक्टरी सलाह के योग न करें। इससे टांके वाली जगह पर दर्द होने का जोखिम बना रहता है।
  • स्तनपान कराने वाली महिलाओं को बिना डॉक्टर और योग विशेषज्ञ के अनुमति के नहीं करना चाहिए।
  • अगर सिजेरियन डिलीवरी है, तो ऐसे योग को न करें, जिसका ज्यादा असर पेट पर पड़े।
  • योग के दौरान शरीर के किसी भी हिस्से में तेज दर्द होता है, तो उस योग को करना बंद कर दें।
  • अकेले में उन योग को बिल्कुल न करें, जिससे शरीर के संतुलन बिगड़ने पर गिरने का डर हो।

योग करने से फायदा हर किसी हो सकता है, चाहे वो गर्भवती हो या स्तनपान करने वाली। बस योग को लेकर सही सलाह मिलना जरूरी होता है, इसलिए स्तनपान कराने वाली महिलाओं को सही योग विशेषज्ञ की जरूरत होगी। विशेषज्ञ के मदद से प्रतिदिन योग कर सकते हैं, इससे ऊपर बताए गए लाभ हो सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे इस लेख में दिए गए सभी जानकारी आपके लिए फायदेमंद साबित होगी। ऐसे ही और उपयोगी जानकारी के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।

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