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हर इंसान अपने स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहता है। किसी भी प्रकार की समस्या होने पर लोग डॉक्टर की सलाह जरूर लेते हैं, लेकिन सर्दी-जुकाम जैसी छोटी-मोटी समस्याओं को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। आगे चल कर यही छोटी-मोटी समस्याएं ब्रोंकाइटिस जैसी बड़ी बीमारी का कारण बन सकती हैं। ब्रोंकाइटिस को श्वसनीशोथ भी कहते हैं। अगर शुरुआत में ही ब्रोंकाइटिस के लक्षण पर ध्यान देकर उपचार किया जाए, तो समस्या गंभीर होने से बच सकती है। स्टाइलक्रेज के इस लेख से हम ब्रोंकाइटिस का घरेलू इलाज की जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं। अगर हल्के सर्दी-जुकाम में घरेलू इलाज को अपनाया जाए, तो ब्रोंकाइटिस जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। इसलिए, बिना देर करते हुए जानिए ब्रोंकाइटिस के लक्षण, घरेलू इलाज और ब्रोंकाइटिस से जुड़ी अन्य विशेष जानकारियां।
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सबसे पहले बारी आती है ब्रोंकाइटिस रोग क्या है, यह जानने की।
ब्रोंकाइटिस क्या है? – What is Bronchitis in Hindi
श्वास नली को ब्रोंकाई या ब्रोंकियल नलियां कहते हैं। जब इन नलियों में संक्रमण हो जाए, सूजन आ जाए या बलगम बन जाए, तो उस अवस्था को ब्रोंकाइटिस कहते हैं। ऐसा अक्सर वायरस या बैक्टीरिया के कारण होने वाले श्वसन संक्रमण से होता है। ब्रोंकाइटिस के कारण खांसी की समस्या होती है और यह बलगम का रूप भी ले सकती है। सांस लेने में तकलीफ, हल्का बुखार, घरघराहट, थकान और सीने में जकड़न जैसी समस्याएं ब्रोंकाइटिस के लक्षण हो सकते हैं (1)। हिंदी में ब्रोंकाइटिस का मतलब श्वसनीशोथ होता है।
ब्रोंकाइटिस क्या है यह जानने के बाद ब्रोंकाइटिस या श्वसनीशोथ के प्रकार के बारे में बात करते हैं।
ब्रोंकाइटिस के प्रकार – Types of Bronchitis Hindi
मुख्य रूप से ब्रोंकाइटिस दो प्रकार के होते हैं (2) :
- तीव्र या एलर्जिक ब्रोंकाइटिस (acute Bronchitis) – यह ब्रोंकाइटिस का सबसे सामान्य प्रकार है। यह वायरस या बैक्टीरिया की वजह से फैलता है और एलर्जी के कारण भी हो सकता है। आमतौर पर यह कुछ दिनों में ठीक हो जाता है, लेकिन संक्रमण दूर होने के बाद भी व्यक्ति को कुछ दिनों तक खांसी की समस्या रह सकती है (3)।
- दीर्घकालीन या क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस (Chronic Bronchitis)- यह क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव डिजीज (COPD) यानी फेफड़ों से संबंधित समस्या है, जिसकी वजह से सांस लेने में समस्या हो सकती है। इसके कारण श्वास नली में अधिक मात्रा में बलगम भी बन सकती है। इसका मुख्य कारण धूम्रपान हो सकता है (4)।
पढ़ते रहें यह आर्टिकल
अब जानते हैं श्वसनीशोथ यानी ब्रोंकाइटिस के कारण क्या-क्या हो सकते हैं।
ब्रोंकाइटिस के कारण – Causes of Bronchitis Hindi
नीचे हम ब्रोंकाइटिस के प्रकार के अनुसार इसके होने के कारण के बारे में जानकारी दे रहे हैं (3) (4):
एक्यूट ब्रोंकाइटिस के कारण :
- एलर्जिक ब्रोंकाइटिस या एक्यूट ब्रोंकाइटिस आमतौर पर उसी वायरस के कारण होता है, जिससे सर्दी और जुकाम होता है।
- संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने या हवा के माध्यम से इस वायरस के फैलने की आशंका अधिक होती है।
- तंबाकू का सेवन, धूम्रपान, वायु प्रदूषण भी इसका कारण हो सकता है।
क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस के कारण :
- प्रदूषित हवा और धूम्रपान क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस की वजह बनते हैं।
- धूल-मिट्टी वाले वातावरण में अधिक समय तक रहने से भी क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है।
- किसी की उपयोग की गई सिगरेट के इस्तेमाल से और रासायनिक धूल के कारण भी ऐसा हो सकता है।
- दुर्लभ मामलों में अल्फा-1 एंटीट्रीप्सिन (AAT-एक प्रकार का प्रोटीन) की कमी से भी क्रोनिक ब्रोंकाइटिस हो सकता है।
लक्षणों के बारे में जानें
ब्रोंकाइटिस क्या है के साथ-साथ इसके प्रकार व लक्षणों के बाद अब इसके लक्षणों के बारे में जानते हैं।
ब्रोंकाइटिस के लक्षण – Symptoms of Bronchitis in Hindi
ब्रोंकाइटिस के लक्षण बहुत ही साधारण होते हैं, जिन पर अक्सर लोग ध्यान नहीं देते हैं। अगर नीचे दिए गए लक्षण अधिक समय तक दिखें, तो सावधान हो जाएं और तुरंत ब्रोंकाइटिस का घरेलू इलाज या डॉक्टरी सलाह लें। हम ब्रोंकाइटिस के लक्षणों को भी एक्यूट और क्रोनिक के अनुसार बांट रहे हैं।
एलर्जिक या एक्यूट ब्रोंकाइटिस के लक्षण (5):
एलर्जिक श्वसनीशोथ के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं :
- सीने में बेचैनी या असुविधा महसूस होना।
- बलगम पैदा करने वाली खांसी – बलगम साफ या पीला-हरा हो सकता है।
- थकान महसूस होना।
- बुखार – आमतौर पर हल्का बुखार।
- सांस की तकलीफ।
- अस्थमा से परेशान लोगों की छाती में घड़घड़ाहट।
क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस के लक्षण (4)
नीचे पढ़ें क्रॉनिक श्वसनीशोथ के लक्षण:
- बार-बार खांसी या बलगम वाली खांसी
- घरघराहट
- सांस लेते समय सीटी या तीव्र आवाज होना
- सांस की तकलीफ, खासकर शारीरिक गतिविधि करते वक्त
- छाती में जकड़न महसूस होना
ब्रोंकाइटिस के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं (6) :
- सूखी या बलगम वाली खांसी
- गला सूखना
- सीने में दर्द
- थकान
- हल्का सिरदर्द
- शरीर में हल्का दर्द या अकड़न
- आंखों से पानी निकलना
- हल्का बुखार
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अब विस्तार से जानते हैं कि ब्रोंकाइटिस का घरेलू इलाज क्या-क्या हो सकता है।
ब्रोंकाइटिस (श्वसनीशोथ) के घरेलू उपाय – Home Remedies for Bronchitis in Hindi
ध्यान रहे कि नीचे बताए जा रहे ब्रोंकाइटिस के घरेलू इलाज ब्रोंकाइटिस के शुरुआती लक्षणों को कम करने या उनसे राहत दिलाने के लिए सहायक हो सकते हैं। इन्हें ब्रोंकाइटिस के लिए स्थायी इलाज मानकर समस्या को अनदेखा न करें। वहीं, अगर समस्या गंभीर हो, तो डॉक्टरी परामर्श को प्राथमिकता दें।
1. ब्रोंकाइटिस का घरेलू इलाज – हल्दी
सामग्री :
- एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर
- एक गिलास दूध
उपयोग का तरीका :
- दूध को गर्म करें।
- दूध गर्म करते वक्त उसमें हल्दी मिलाएं।
- थोड़ी देर दूध को उबलने दें, फिर गैस बंद कर दें।
- अब दूध को एक गिलास में डालें।
- और धीरे-धीरे ठंडा-ठंडा कर करके पीएं।
कैसे फायदेमंद हो सकता है?
हल्दी का उपयोग एक बेहतरीन घरेलू उपाय के तौर पर किया जाता रहा है। आयुर्वेद के अनुसार, हल्दी का उपयोग अस्थमा, श्वास संबंधी समस्याओं और एलर्जी के लिए प्रभावकारी हो सकता है (7)। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, हल्दी में मौजूद बायोएक्टिव यौगिक करक्यूमिन का कैप्सूल ब्रोंकियल अस्थमा के इलाज के लिए एक ऐड-ऑन थेरेपी के रूप में प्रभावी और सुरक्षित पाया गया है (8)। इसलिए, ब्रोंकाइटिस के घरेलू उपचार के लिए हल्दी औषधि की तरह काम कर सकती है।
2. शहद और लहसुन
सामग्री :
- एक छोटा चम्मच शहद
- एक छोटा चम्मच लहसुन का रस
- चुटकीभर काली मिर्च पाउडर
उपयोग का तरीका :
- शहद, लहसुन के रस और काली मिर्च पाउडर को मिला लें।
- अब इस मिश्रण को दवा की तरह कुछ दिनों तक रोज एक बार सेवन करें।
कैसे फायदेमंद हो सकता है ?
शहद का उपयोग कई सालों से सेहत और त्वचा के लिए किया जाता रहा है। वहीं, लहसुन भी किसी औषधि से कम नहीं है। गले में खराश हो, सर्दी-जुकाम हो या ब्रोंकाइनल अस्थमा हो, शहद और लहसुन काफी प्रभावकारी हो सकते हैं। यह आयुर्वेदिक दवा की तरह असर कर सकता है और ब्रोंकाइटिस के घरेलू उपचार के रूप में प्रभावकारी हो सकता है (9)।
3. प्याज
सामग्री :
- दो प्याज
- एक साफ छोटा तौलिया
- पानी
उपयोग करने का तरीका :
- प्याज को काटकर हल्का उबाल लें।
- पानी को छानकर प्याज को तौलिये के बीच में रखें और इसे सीने पर लपेट लें।
- इसे 10 से 12 मिनट तक सीने पर रखें। ध्यान रहे कि प्याज अधिक गर्म न हो।
- इस प्रक्रिया को दिन में दो बार किया जा सकता है।
कैसे फायदेमंद हो सकता है ?
प्याज न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ा सकता है, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। प्याज ब्रोंकाइटिस के घरेलू उपचार के तौर पर भी उपयोग में लाया जा सकता है। प्याज फेफड़ों और ब्रोंकियल ट्रैक्ट के ब्लॉकेज को साफ कर सकता है। इसका उपयोग ब्रोंकियल अस्थमा के लिए भी किया जाता रहा है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार, प्याज सर्दी-जुकाम, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और आवाज बैठने जैसी समस्याओं के लिए एक उपयोगी घरेलू उपचार हो सकता है (10)। ऐसे में अपने आहार में भी नियमित रूप से प्याज को शामिल करें, ताकि इस तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का जोखिम कम हो सके।
4. एसेंशियल ऑयल
ब्रोंकाइटिस के लक्षण को कम करने और समस्या से थोड़ी राहत दिलाने के लिए एसेंशियल ऑयल का उपयोग भी किया जा सकता है। यूकेलिप्टस ऑयल, टी ट्री ऑयल और थाइम जैसे एसेंशियल ऑयल का उपयोग ब्रोन्काइट्स या ब्रोन्काइट्स अस्थमा की समस्या के लिए लाभकारी हो सकता है। गर्म पानी में इनमें से किसी भी तेल की कुछ बूंदें डालकर भाप लेना या इन्हें सीने पर लगाना लाभकारी हो सकता है (11)। बच्चों, गर्भवती महिला और स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर इनका उपयोग करने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
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5. भाप
सामग्री :
- एक बड़ा कटोरा पानी
- तौलिया
उपयोग का तरीका :
- पानी को उबाल लें और तौलिया से अपना सिर ढक कर भाप लें।
- चाहें तो अपना पसंदीदा एसेंशियल ऑयल भी पानी में मिला सकते हैं।
- 10 से 15 मिनट तक भाप लें।
- इस प्रक्रिया को दिन में दो बार कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद हो सकता है ?
ब्रोंकाइटिस का इलाज घरेलू तरीके से करने के लिए यह अच्छा, आसान और असरदार विकल्प हो सकता है। भाप श्वास नली में बने बलगम को पिघलाकर शरीर से निकालने में मदद कर सकती है। साथ ही गर्म पानी से नहाना भी ब्रोंकाइटिस के लक्षण से राहत दिलाने में सहायक हो सकता है (3)।
6. नीलगिरी का तेल
सामग्री :
- नीलगिरी का तेल
- एक रूमाल
उपयोग का तरीका :
- अपने रूमाल पर कुछ बूंदें नीलगिरी तेल की गिराएं।
- फिर इसे सूंघें।
- ऐसा आराम न मिलने तक करें।
कैसे फायदेमंद हो सकता है?
ब्रोंकाइटिस के उपाय के तौर पर नीलगिरी तेल लाभकारी हो सकता है। दरअसल, एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, नीलगिरी तेल में मौजूद तत्व सिनोल (Cineole) ब्रोंकाइटिस के लिए लाभकारी पाया गया है (12)। इसमें मौजूद एंटीमाइक्रोबियल व एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण ब्रोंकाइटिस, अस्थमा व अन्य फेफड़ों से संबंधित समस्या से राहत दिलाने में मददगार साबित हो सकता है (13)।
7. अदरक
सामग्री :
- थोड़ा-सा अदरक
- एक कप पानी
- चीनी और चाय पत्ती
उपयोग का तरीका :
- पानी में चाय पत्ती, चीनी और अदरक डालकर उबाल लें।
- फिर कुछ देर के लिए इसे सामान्य होने दें।
- जब पानी हल्का गुनगुना हो जाए, तो इसे छानकर पिएं।
- इस चाय का सेवन दिनभर में दो से तीन बार किया जा सकता है।
कैसे फायदेमंद हो सकता है ?
ब्रोंकाइटिस के उपाय के तौर पर अदरक का उपयोग भी लाभकारी हो सकता है। दरअसल, अदरक का एंटीवायरल गुण श्वसन संक्रमण के लिए प्रभावकारी हो सकता है (14)। अदरक का उपयोग कफ और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस संबंधी परेशानियों के लिए घरेलू उपचार के तौर पर किया जाता रहा है (15)। ध्यान रहे कि यह ब्रोंकाइटिस के लिए स्थायी इलाज नहीं, बल्कि समस्या को कम करने में राहत दिला सकता है।
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8. अजवायन
सामग्री :
- दो से तीन अजवायन की टहनियां लें (बाजार में उपलब्ध)
- एक से डेढ़ कप पानी
- एक गिलास
उपयोग का तरीका :
- पहले अजवायन की टहनियों को अच्छी तरह से धो लें।
- अब पानी को उबाल लें।
- जब पानी उबलता रहे, उस वक्त अजवायन की टहनियों को काटकर एक गिलास में डालें।
- फिर उबलते हुए पानी को गिलास में डालें और कुछ मिनट के लिए गिलास को ढक दें।
- कुछ मिनट बाद पानी को छान लें और इसका सेवन करें।
- चाहें तो सलाद में सूखे अजवायन (बाजार में उपलब्ध) की ड्रेसिंग कर उसका सेवन कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद हो सकता है?
ब्रोंकाइटिस का घरेलू इलाज अजवायन से किया जा सकता है। यह असरदार भी हो सकता है और यह बात एक शोध में सिद्ध हुई है। इस विषय पर किए गए एक स्टडी में थाइम यानी अजवायन और प्रिमरोज का उपयोग एक्यूट ब्रोकाइटिस में लाभकारी पाया गया है (16)। ऐसे में व्यक्ति चाहे तो थाइम और प्रिमरोज एसेंशियल ऑयल को मिलाकर भी उपयोग में ला सकता है।
9. ओर्गेनो या ओर्गेनो तेल
सामग्री :
- दो से तीन बूंद ओर्गेनो तेल (बाजार में उपलब्ध)
- एक गिलास पानी
उपयोग का तरीका :
- ओर्गेनो तेल को पानी में मिलाएं।
- फिर इसका सेवन करें।
- अगर तेल का उपयोग नहीं करना है, तो ओर्गेनो हर्ब्स को सलाद या खाने में ड्रेसिंग की तरह भी उपयोग कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद हो सकता है?
कई लोग ओर्गेनो का उपयोग न सिर्फ सर्दी-जुकाम में करते हैं, बल्कि इससे ब्रोंकाइटिस का इलाज भी किया जा सकता है (17)। हालांकि, यह ब्रोंकाइटिस में कितना असरदार हो सकता है इस बारे में अभी कोई सटीक शोध उपलब्ध नहीं है। फिर भी ब्रोंकाइटिस का घरेलू उपचार ओर्गेनो का उपयोग करके किया जा सकता है।
10. इचिनेशिया
सामग्री :
- थोड़े से सूखे इचिनेशिया (बाजार या ऑनलाइन उपलब्ध)
- चाहें तो इचिनेशिया की चाय भी ले सकते हैं
- दो कप गर्म पानी
उपयोग का तरीका :
- गर्म पानी में इचिनेशिया के पत्तों को डालकर 10 मिनट तक छोड़ दें।
- गुनगुना होने के बाद इसे पिएं।
- कुछ दिनों तक इसे दिनभर में एक से दो बार पिएं।
क्यों है उपयोगी?
इचिनेशिया उत्तरी अमेरिका में पाया जाने वाला एक प्रकार का फूल है। यह श्वास नली की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकता है, जिससे इसमें होने वाले संक्रमण से बचा जा सकता है। उत्तरी अमेरीका में इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से बचने के लिए किया जाता है। यह कफ की समस्या से छुटकारा दिलाने में भी मददगार साबित हो सकता है। साथ ही इसका उपयोग ब्रोंकाइटिस के लिए भी लाभकारी हो सकता है (18)। डॉक्टरी परामर्श से इचिनेशिया के सप्लीमेंट का उपयोग भी ब्रोंकाइटिस के उपाय के लिए कर सकते हैं।
11. तुलसी टी
सामग्री :
- चार से पांच तुलसी की पत्तियां
- एक से डेढ़ कप पानी
- एक पैन
- एक कप
उपयोग का तरीका :
- तुलसी की पत्तियों को अच्छे से धो लें।
- फिर एक पैन में पानी डालें और गैस ऑन करके उस पर पैन रखें।
- अब उस पानी में तुलसी की पत्तियां डालें और पानी को थोड़ी देर उबलने दें।
- इससे तुलसी के गुण पानी में आ जाएंगे।
- थोड़ी देर पानी के उबलने के बाद गैस बंद कर दें।
- फिर इसे छान लें और गर्म-गर्म पिएं।
कैसे फायदेमंद हो सकता है?
तुलसी के फायदे अनेक हैं और उन्हीं में से एक लाभ है सर्दी-जुकाम से राहत। भारतीय घरों में तुलसी की चाय या तुलसी का काढ़ा काफी चर्चित है। तुलसी में कई औषधीय गुण है और उन्हीं में से एक है एंटीबैक्टीरियल गुण। इसके साथ ही यह ब्रोंकाइटिस में होने वाली असुविधा खिचखिच की परेशानी (demulcent), और बलगम को पिघलाने (expectorant) में भी सहायक हो सकता है। अगर ब्रोंकाइटिस की वजह से बुखार हो तो तुलसी का डायाफोरेटिक गुण (diaphoretic) बुखार को कम करने में भी सहायक हो सकता है। डायाफोरेटिक प्रभाव पसीने के माध्यम से शरीर के तापमान को कम करता है (19)। एक स्वस्थ व्यक्ति भी हर रोज एक या दो तुलसी के पत्तों का सेवन कर सकता है। यह ब्रोंकाइटिस के लिए स्थायी इलाज तो नहीं, लेकिन बचाव में सहायक हो सकता है। ऐसे में तुलसी से ब्रोंकाइटिस का घरेलू उपचार किया जा सकता है।
12. अजवाइन
सामग्री :
- एक से डेढ़ चम्मच अजवाइन
- एक गिलास गुनगुना पानी
उपयोग का तरीका :
- गुनगुने पानी के साथ अजवाइन का सेवन करें।
- चाहें तो अजवाइन को पानी में डालकर उबाल लें।
- फिर उस पानी को छानकर उसका सेवन कर सकते हैं।
कैसे फायदेमंद हो सकता है?
ब्रोंकाइटिस के घरेलू उपचार के तौर पर अजवाइन का उपयोग भी किया जा सकता है। अजवाइन में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। अजवाइन के फायदे सर्दी-जुकाम के साथ-साथ ब्रोंकाइटिस के लिए भी हो सकते हैं। इसमें ब्रोंकोडाइलेटर(bronchodilatory) गुण होता है, जो ब्रोंकियल नली को आराम पहुंचाने का काम कर सकता है (20)। यह ब्रोंकाइटिस का घरेलू उपचार आसान और असरदार हो सकता है।
13. मुलीन
सामग्री :
- एक से दो छोटे चम्मच मुलीन के सूखे पत्ते
- एक कप गर्म पानी
- एक छोटा चम्मच शहद (आवश्यकतानुसार)
उपयोग का तरीका :
- मुलीन को पानी में 10 से 15 मिनट तक डालकर छोड़ दें।
- फिर पानी को छान लें और इसमें शहद मिलाकर पिएं।
- कुछ दिनों तक इस चाय को रोज एक बार पी सकते हैं।
कैसे फायदेमंद हो सकता है?
ब्रोंकाइटिस का घरेलू उपचार मुलीन से भी किया जा सकता है। मुलीन एक प्रकार का औषधीय पौधा है। अधिकतर मुलीन का उपयोग श्वास संबंधी समस्याओं के लिए ही किया जाता है। कई जगह इसका उपयोग सर्दी-जुकाम, गले में खराश व ब्रोंकाइटिस के लिए किया जाता है। इसमें एंटीस्पास्मोडिक (antispasmodic- अकड़न को ठीक करना) गुण होता है और ब्रोंकाइटिस में इसका उपयोग न सिर्फ बलगम को निकालने में सहायक हो सकता है, बल्कि राहत भी दिला सकता है (21)।
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ब्रोंकाइटिस का घरेलू इलाज जानने के बाद अब पता करते हैं कि किन स्थितियों में डॉक्टरी से मिलना चाहिए।
ब्रोंकाइटिस के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?
अगर नीचे बताए गए ब्रोंकाइटिस के लक्षण दिखें, तो बिना देर करते हुए डॉक्टर की सलाह लें (5) (22):
- अगर तीन हफ्ते से ज्यादा ब्रोंकाइटिस के लक्षण रहें।
- अगर बलगम के साथ खून आए।
- अगर हरे या पीले रंग का बलगम और उसमें गंध भी हो।
- अगर लगातार सांस लेने में तकलीफ रहे।
- सीने में दर्द हो।
- अगर बहुत तेज बुखार रहे या ठंड लगने के साथ बुखार आए।
- अगर किसी को हृदय या फेफड़े से संबंधित बीमारी हो।
अब लेख के इस भाग जानते हैं कि ब्रोंकाइटिस का निदान कैसे किया जा सकता है।
ब्रोंकाइटिस का निदान – Diagnosis of Bronchitis in Hindi
नीचे दिए गए तरीकों से ब्रोंकाइटिस का निदान किया जा सकता है (4) (5) :
एक्यूट ब्रोंकाइटिस का निदान :
- डॉक्टर स्टेथोस्कोप से व्यक्ति के फेफड़ों में सांस लेने की आवाज को सुन सकते हैं। हो सकता है ब्रोंकाइटिस की वजह से सांस की आवाज असामान्य हो।
- अगर डॉक्टर को निमोनिया का शक हो, तो सीने का एक्स-रे करने की राय दे सकते हैं।
- पल्स ऑक्सीमेट्री (Pulse oximetry), यह एक दर्द रहित जांच है, जिसके जरिए खून में ऑक्सीजन की मात्रा का पता लगाया जा सकता है।
क्रोनिक ब्रोंकाइटिस का निदान :
- डॉक्टर मरीज से उनके और उनके परिवार के मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछ सकते हैं।
- मरीज से विभिन्न प्रकार के लक्षणों के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
- लैब टेस्ट करवा सकते हैं, जैसे – लंग फंक्शन टेस्ट (फेफड़ों से जुड़ा टेस्ट), सीने का एक्स-रे या सीटी स्कैन और ब्लड टेस्ट।
आगे है और जानकारी
अब जानते हैं ब्रोंकाइटिस का इलाज कैसे किया जा सकता है।
ब्रोंकाइटिस का इलाज – Treatment of Bronchitis in Hindi
नीचे बताए गए तरीकों से ब्रोंकाइटिस का इलाज किया जा सकता है :
- एक्यूट ब्रोंकाइटिस का इलाज : एक्यूट ब्रोंकाइटिस वायरस की वजह से होता है, जिस कारण मरीज को एंटीबायोटिक्स की कुछ खास जरूरत नहीं होती है। इसलिए, नीचे बताए गए कुछ उपायों को अपनाने से परेशानी कम हो सकती है और कुछ ही दिनों में ठीक भी हो सकता है (5)।
- अधिक मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन।
- अगर किसी को अस्थमा है, तो इन्हेलर का उपयोग करने की सलाह दी जा सकती है।
- ज्यादा से ज्यादा आराम करना।
- बुखार होने पर एस्पिरिन या एसिटामिनोफेन दवाइयों का सेवन। ध्यान रहे बच्चों को एस्पिरिन न दें या उन्हें डॉक्टरी सलाह पर ही दवा दें।
- ह्यूमिडिफायर का उपयोग करने की या भाप लेने की सलाह दी जा सकती है।
- डॉक्टर एंटीवायरल और सूजन को कम करने की दवाइयां दे सकते हैं।
- अगर डॉक्टर को लगे कि बैक्टीरिया की वजह से एलर्जिक ब्रोंकाइटिस हुआ है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक्स दे सकते हैं।
क्रोनिक ब्रोंकाइटिस उपचार
क्रोनिक ब्रोंकाइटिस उपचार कुछ इस प्रकार है (4):
- अगर कोई धूम्रपान करता है, तो उसे धूम्रपान छोड़ने की सलाह दी जा सकती है।
- सेकंड हैंड स्मोक और उन जगहों में जाने से बचने की सलाह दी जा सकती है, जहां प्रदूषित वायु का खतरा ज्यादा हो।
- फिजिकल एक्टिविटी और व्यायाम के बारे में डॉक्टर से जानकारी लें। फिजिकल एक्टिविटी से मांसपेशियों को मजबूती मिल सकती है।
- डाइट प्लान के बारे में पूछें, जो पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा कर सके।
- कुछ खास तरह की दवाइयां जैसे स्टेरॉइड्स जो सूजन को कम कर सके।
- एंटीबायोटिक दवाइयां।
- कुछ मामलों में वैक्सीन भी दी जा सकती है।
- ऑक्सीजन थेरेपी, जिससे कि मरीज को सांस लेने में आसानी हो।
- पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन (Pulmonary rehabilitation), यह एक सेंटर होता है जहां, एक्सरसाइज, काउंसलिंग और अन्य तरीके से इलाज किया जा सकता है।
- लंग ट्रांसप्लांट, यह ऑपरेशन की प्रक्रिया है, जहां व्यक्ति के फेफड़ों को बदला जाता है। यह तब किया जाता है, जब ब्रोंकाइटिस का इलाज दवाइयों से भी संभव नहीं हो पाता है।
लेख अभी बाकी है
अब जानते हैं ब्रोंकाइटिस में क्या खाना चाहिए।
ब्रोंकाइटिस के लिए जरूरी खाद्य पदार्थ
ब्रोंकाइटिस से बचाव या शुरुआती लक्षणों से राहत के लिए जानिए कि ब्रोंकाइटिस में क्या खाना चाहिए (23) :
- एंटीऑक्सीडेट, विटामिन और फाइबर युक्त डाइट ले सकते हैं।
- हरी पत्तेदार सब्जियां और फलों का सेवन कर सकते हैं।
- मछली खा सकते हैं।
- डेयरी प्रोडक्ट ले सकते हैं।
- चाय भी फायदेमंद हो सकती है।
- ज्यादा से ज्यादा पेय पदार्थों का सेवन करें।
- गर्म खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं।
नोट : डॉक्टर ब्रोंकाइटिस के मरीज की स्थिति के अनुसार उन्हें विशेष डाइट चार्ट देते हैं। ऊपर बताए गए खाद्य पदार्थ नमूने के तौर दिए गए हैं, मरीज की स्थिति और ब्रोंकाइटिस के प्रकार के अनुसार इनमें बदलाव हो सकते हैं।
ब्रोंकाइटिस में क्या खाना चाहिए के बाद अब जानते हैं कि इस बीमारी में कौन से योग लाभकारी हो सकते हैं।
ब्रोंकाइटिस से बचने के लिए योग और व्यायाम
सांस संबंधी योग और व्यायाम ब्रोंकाइटिस के लक्षण को कम करने में सहायक हो सकते हैं। शोध में यह बात सामने आई है कि 4 हफ्ते तक प्राणायाम और अन्य आसन करने से क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस में फायदे देखे गए हैं (24)। जानिए कौन से हैं ये योग और एक्सरसाइज (25) :
1. अनुलोम विलोम प्राणायाम
करने का तरीका :
- सबसे पहले समतल जमीन पर योग मैट या साफ चादर बिछा लें।
- अब उस पर पद्मासन या सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
- अगर कोई व्यक्ति नीचे नहीं बैठ सकता है, तो वो बेड पर या कुर्सी पर सीधे बैठ सकता है।
- अब कमर को सीधी रखने के साथ आंखों को बंद करें।
- फिर लंबी गहरी सांस भरते हुए ध्यान लगाने की कोशिश करें।
- इसके बाद अपने दाएं हाथ के अंगूठे से अपनी दाईं नाक (नसिका) बंद करें और बाईं नाक से धीरे-धीरे से सांस लें।
- ध्यान रहे कि सांस लेने में ज्यादा जोर न लगाएं, जितनी गहरी सांस ले सकते हैं उतनी ही लें।
- अब दाएं हाथ की सबसे छोटी व उसके साथ वाली उंगली से बाईं तरफ की नासिका को बंद करें और इसी दौरान दाईं नासिका से अंगूठे को हटाने के बाद सांस छोड़ें।
- फिर दाईं नासिका से सांस लें और दाएं अंगूठे से दाईं नासिका को बंद कर बाईं नासिका से सांस छोड़ें।
- फिर इस प्रक्रिया को अपनी सुविधानुसार 5-6 बार दोहराएं।
2. सुखासन योग
करने का तरीका :
- सबसे पहले समतल जमीन पर योग मैट या चादर बिछा लें।
- अब उस पर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
- फिर अपने हाथों को घुटनों पर रखें, जैसे कि ध्यान मुद्रा में रखा जाता है।
- कमर, रीढ़ की हड्डी और सिर को सीधा रखें।
- अब आंखों को बंद करके आराम से बैठें।
- इस मुद्रा में सामान्य तरीके से सांस लेते रहें।
- फिर धीरे-धीरे आंखें खोलें और सामान्य अवस्था में आ जाएं।
3. शवासन
करने का तरीका :
- सबसे पहले जमीन पर मैट या चादर बिछा लें।
- अब आराम से मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
- पैरों के बीच थोड़ी दूरी रखें।
- अब अपने आपको रिलैक्स करें और इसी मुद्रा में बने रहें।
- ध्यान रहे इस मुद्रा में सोना नहीं है, बल्कि अपने मस्तिष्क और शरीर को आराम देना है।
- यह काफी आसान योगासन है और इसे हर रोज किया जा सकता है।
अब ब्रोंकाइटिस से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रिवेंशन टिप्स जानते हैं।
ब्रोंकाइटिस से बचाव – Prevention Tips for Bronchitis in Hindi
नीचे जानिए ब्रोंकाइटिस से बचाव से जुड़ी कुछ जरूरी बातें (6) :
- ब्रोंकाइटिस से बचाव के लिए साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें।
- धूम्रपान, रसायन, धूल-मिट्टी और प्रदूषित हवा से जितना हो सके बचने की कोशिश करें।
- वैक्सीन के बारे में सारी जानकारी रखें और जरूरत के अनुसार खुद को व अपने बच्चे को भी वैक्सीन लगवाएं।
- खांसी और छींक आने पर नाक व मुंह को अवश्य ढकें।
- अगर घर में किसी को फ्लू या ब्रोंकाइटिस के लक्षण दिखें, तो उनसे दूरी बनाएं।
कहते हैं जागरूकता किसी भी प्रकार की बीमारी से बचाव करने में सहायक हो सकती है। यही कारण है कि हमने ब्रोंकाइटिस क्या है और इससे जुड़ी सभी जानकारियों को इस लेख के जरिए पाठकों तक पहुंचाने की कोशिश की है। वक्त रहते अगर ब्रोंकाइटिस के लक्षण पता चल जाए, तो शुरुआती चरण में ब्रोंकाइटिस का घरेलू इलाज कर इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। हालांकि, अगर समस्या ज्यादा गंभीर होती दिखाई दे, तो डॉक्टर द्वारा ब्रोंकाइटिस का इलाज कराने से देरी न करें। साथ ही इस लेख को दूसरों के साथ शेयर करके ब्रोंकाइटिस से बचाव में सहयोग करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस रोग क्या है?
जब ब्रोंकाइटिस की समस्या लंबे समय तक रहती है, उस स्थिति को क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस कहते हैं। इस दौरान श्वास नली में अधिक मात्रा में बलगम बन जाती है, जो खांसी के माध्यम से शरीर से बाहर निकलती है। धूम्रपान क्रॉनिकल ब्रोंकाइटिस का मुख्य कारण है (4)।
वायरल ब्रोंकाइटस रोग क्या है?
वायरल संक्रमण के माध्यम से होने वाले ब्रोंकाइटिस को वायरल ब्रोंकाइटिस कहते हैं। ज्यादातर वायरल संक्रमण से एक्यूट ब्रोंकाइटिस होता है (2)।
क्या ब्रोंकाइटिस संक्रामक है?
ज्यादातर ब्रोंकाइटिस संक्रामक वायरस के कारण होते हैं। जब कोई खांसता या छींकता है, तो ये हवा के माध्यम से फैल सकते हैं (26)।
ब्रोंकाइटिस कब तक रहता है?
एक्यूट ब्रोंकाइटिस कुछ दिनों में ठीक हो सकता है (3)। वहीं, क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस कई महीनों तक रह सकता है, जबकि कुछ मामलों में यह ठीक होने के बाद फिर से हो सकता है (2)।
क्या ब्रोंकाइटिस निमोनिया में बदल सकता है?
हां, अगर वक्त रहते ब्रोंकाइटिस के लक्षण का उपाय न किया जाए, तो आगे चलकर निमोनिया भी हो सकता है (27)।
क्या भाप लेना ब्रोंकाइटिस में असरदार हो सकता है ?
हां, भाप लेना ब्रोंकाइटिस में प्रभावकारी हो सकता है (3)।
क्या ब्रोंकाइटिस से रात में ज्यादा परेशानी होती है ?
हां, अक्सर ब्रोंकाइटिस में लोग रात को ज्यादा खांसने लगते हैं (28)।
ब्रोंकाइटिस रोग किससे संबंधित है ?
ब्रोंकाइटिस रोग श्वास नली से संबंधित रोग है।
क्या श्वसनीशोथ अपने आप ठीक हो सकता है ?
अगर सही वक्त रहते घरेलू उपचार किया जाए, तो एक्यूट ब्रोंकाइटिस अपने आप कुछ दिनों में ठीक हो सकता है।
References
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