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कहा जाता है कि अगर बच्चों में छोटी उम्र से ही पढ़ने की आदत डाल दी जाए, तो न सिर्फ बच्चे का दिमाग तेज होता है, बल्कि उसकी सोचने समझने की क्षमता भी बेहतर होने लगती है। हालांकि, छोटे बच्चों को पढ़ाना इतना आसान भी नहीं है। कई बार देखा गया है कि माता पिता इसी उलझन में रहते हैं कि बच्चों को पढ़ाना कब शुरू करें। साथ ही उनमें किताबें पढ़ने की आदत कैसे डालें। मॉमजंक्शन का हमारा यह लेख माता-पिता की इसी उलझन को दूर करने के लिए है। यहां हम बताएंगे कि कौन सी उम्र में बच्चों को पढ़ाना शुरू कर देना चाहिए। इसके अलावा यहां आपको बच्चों को इंग्लिश और हिंदी पढ़ाने की कुछ बेहतरीन टिप्स भी मिलेंगी।
चलिए सबसे पहले समझते हैं कि बच्चों को पढ़ना कौन सी उम्र में सीखाना चाहिए।
बच्चे पढ़ना (Reading) किस उम्र में सीखते हैं?
बच्चों में पढ़ना सीखने की सही उम्र की बात करें तो, इस विषय पर हुए एक शोध से जानकारी मिलती है कि 4 महीने की उम्र में शिशुओं के सामने पुस्तक पढ़ाना शुरू कर देना चाहिए। इससे बच्चों में बेहतर शिक्षा कौशल का विकास होता है। इस शोध के मुताबिक, जब जीवन के शुरुआती महीनों में बच्चों के सामने पुस्तक पढ़ी जाती है या कहानी और गीत सुनाया जाता है, तो इससे बच्चों में भाषा और मस्तिष्क का विकास होता है। साथ ही उनमें पढ़ने की ललक भी पैदा होती है (1)।
हालांकि, जब बात बच्चों के पढ़ने की आती है, तो सामान्य तौर 3 साल की उम्र से बच्चे को पढ़ाना शुरू किया जा सकता है। इस क्रम में कुछ बच्चे 4 या 5 साल की आयु में ही पढ़ना सीख लेते हैं। वहीं कुछ बच्चे 6 या 7 साल की उम्र तक पढ़ना सीखते हैं। वहीं, कुछ बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुझान अधिक देखने को मिलता है। ऐसे बच्चों में आगे चलकर स्कूल में अच्छा प्रदर्शन करने की संभावना अधिक रहती है (2)। वहीं यह भी माना जाता है कि जिन बच्चों की माताएं बचपन में बच्चों को गणित से संबंधित खिलौने लाकर देती हैं, उन बच्चों का रुझान गणित में अधिक देखा जाता है। इससे यह बात भी स्पष्ट होती है कि माता-पिता शुरुआती दौर में बच्चों को सिखाने के लिए जिस विषय में अधिक रूचि दिखाते हैं, बड़े होकर बच्चे में उसी विषय के प्रति अधिक रुझान देखने को मिलता है (3)।
यहां अब हम बच्चों को पढ़ना सिखाने के कुछ आसान तरीकों के बारे में बताएंगे।
छोटे बच्चों को पढ़ना कैसे सिखाएं?
छोटे बच्चे को पढ़ना सिखाने के लिए कुछ अहम बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। नीचे हम उन्हीं बातों का जिक्र कर रहे हैं, जिनकी मदद से बच्चों को आसानी से पढ़ना सिखाया जा सकता है (4)।
- पढ़ना सिखाने के कौशल को समझें – बच्चों को पढ़ना सिखाने से पहले माता-पिता को पढ़ना सिखाने के कौशल को समझना चाहिए। बता दें कि पढ़ना सिखाने के लिए कई प्रकार के कौशल की आवश्यकता होती है। जो कुछ इस प्रकार है –
- शब्दों की ध्वनियों को जोड़ तोड़ कर सुनने का कौशल।
- अक्षरों की ध्वनियों के बीच के संबंध को पहचानने का कौशल।
- किताबों में लिखे हुए शब्दों के अर्थों को समझने का कौशल।
- शब्दों को समझते हुए उसे सही गति के साथ ठीक से पढ़ने का कौशल।
- किताब का सही चुनाव करें- पढ़ाने के कौशल को समझने के बाद बच्चों को पढ़ना सिखाने के लिए हमेशा उसके लिए उसकी उम्र के हिसाब से ही किताबों का चुनाव करें। अगर बच्चे की उम्र 6 महीने से कम की है, तो उसके लिए प्लास्टिक वाली किताबों का उपयोग करें। वहीं, अगर बच्चा एक साल से अधिक का है, तो उसे चित्रों और शब्दों वाली स्टोरी दें। इसके अलावा अगर बच्चे की उम्र दो साल या उससे अधिक है। तो ऐसे में उसे ऐसी किताबें दें, जिसमें वो कहानी और शब्दों की पहचान कर सके और उन्हें समझ सके।
- कविताओं और गीतों का इस्तेमाल करें – बच्चों को पढ़ाने के लिए नर्सरी के कविताओं और गानों का प्रयोग करें। इन कविताओं को उन्हें गाकर सुनाएं। आमतौर पर यह देखा जाता है कि बच्चों को सरल शब्दों के गाने जल्दी याद हो जाते हैं। ऐसे में अगर बच्चों को कविताओं और गीतों को गाकर पढ़ाया जाएगा, तो बच्चे उसकी तरफ जल्दी आकर्षित होंगे साथ ही उनकी रूचि भी बढ़ेगी।
- किताबों पर उंगलियां रखकर पढ़ाएं – बच्चों को पढ़ना सिखाने के लिए, बच्चों के साथ-साथ माता-पिता को भी पढ़ना चाहिए। साथ ही पढ़ते समय अक्षरों पर उंगलियां रखें। इससे बच्चे को अक्षरों का ज्ञान होगा। इससे बच्चे पढ़ाए जाने वालों अक्षरों या शब्दों को आसानी से पहचान सकेंगे।
- सरल शब्दों का कार्ड बनाएं – घर पर ही बच्चों के लिए सरल शब्दों का कार्ड बनाएं, जिसमें जानवर या खिलौनों के नाम हों। जैसे :- ए फॉर एप्पल, बी फॉर बैट, सी फॉर- कैट आदि। फिर इन नामों को बच्चों को बोलना सिखाएं और उस कार्ड को चुनने के लिए दें। इस तरह से बच्चों को वर्णमाला के अक्षरों की समझ होगी और सीखने में उनकी रूचि भी बढ़ेगी।
- अर्थ समझाकर जोर से पढ़ना सिखाएं – किताबों में दिए गए कविताओं को बच्चों को जोर-जोर से पढ़ना सिखाएं साथ ही उसका अर्थ भी समझाएं। अगर बच्चे कविता का अर्थ समझ जाएंगे, तो वह उसे आसानी से याद भी रख पाएंगे और बेहतर तरीके से पढ़ भी पाएंगे।
- किताबों के पात्रों को एक्टिंग के माध्यम से समझाएं – आम तौर पर देखा जाता है कि बच्चों को कार्टून में अधिक रुचि होती है। ऐसे में अगर बच्चों को पढ़ाने के लिए किताबों में दिए गए पात्रों की एक्टिंग कर उन्हें समझाते हैं, तो बच्चे आसानी से समझ जाएंगे साथ ही बच्चों का मन पढ़ाई में लगा रहेगा।
- शब्दों का खेल खिलाएं – बच्चों को पढ़ना सिखाने के लिए खेल के माध्यम को भी अपनाया जा सकता है। इसके लिए घर में ही बच्चों के लिए इनडोर गेम्स के तौर पर शब्दों का खेल खेलाएं। जैसे :- A से लेकर Z तक के अक्षरों वाले टॉयज को आपस में मिला दे। फिर क्रमवार तरीके के उसे बच्चों को चुनने के लिए कहें साथ ही उस अक्षर को बोलने के लिए प्रोत्साहित करें।
- कविताओं और कहानियों को भागों में बांट कर पढ़ाएं – कहानियां बच्चों के लिए बहुत प्रेरक मानी जाती हैं। इससे वे बहुत कुछ सीखते हैं। इसलिए उन्हें पढ़ाने के लिए कहानी या फिर कविताओं की मदद ली जा सकती है। बच्चों को पढ़ना सिखाने के लिए पढ़ाई जाने वाली कविताओं और कहानियों को कई भागों में बांट लें। फिर बारी-बारी से उन भागों को बच्चों को पढ़ाएं। इस तरह से बच्चों को कहानी या कविता भारी नहीं लगेगी और वे उसे आसानी से याद रख पाएंगे और पढ़ भी सकेंगे।
- चित्र बनाकर पढ़ाएं – ऐसा अक्सर देखा गया है कि बच्चों को चित्रों में अधिक रूचि रहती है। इसलिए बच्चों को पढ़ाने के लिए इस तरीके को भी अपनाया जा सकता है। इसके लिए बच्चों को जो शब्द पढ़ाना चाहते हैं, सबसे पहले उसका चित्र बनाएं फिर उसे बच्चे को पहचाने के लिए कहें। जैसे :- अगर ए फॉर एप्पल बताना चाह रहे हैं, तो सेब का चित्र बनाएं। ऐसे में बच्चे में पढ़ाई के प्रति रुचि भी बढ़ेगी। साथ ही उनमें चीजों को याद रखने की क्षमता का भी विकास होगा।
- बच्चों से प्रश्न पूछें – अगर बच्चे की उम्र 3 साल से अधिक की है, तो उसे पढ़ाने के बाद पढ़ाए गए विषय से संबंधित प्रश्न पूछें। वहीं आप चित्रों को दिखाकर उसे पहचानने के लिए भी कह सकते हैं। ऐसा करने से बच्चे की सोचने और समझने की क्षमता में बढ़ोतरी होगी।
- बच्चों का उत्साह बढ़ाते रहें – बच्चों को पढ़ाते समय बीच-बीच में उनका उत्साहवर्धन करते रहें। जब बच्चा किसी नए शब्द को ठीक से बोलने या पढ़ने लगे, तो उसकी तारीफ करें। इससे उनका उत्साह और आत्मविश्वास बढ़ेगा। इससे वह आगे चलकर अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
- धैर्य रखें और गुस्सा न करें – बच्चे को पढ़ाते समय धैर्य जरूर रखें और गुस्सा न करें। हो सकता है कि कभी-कभी बच्चा किसी चीज को सीखने में अधिक समय लगाए या फिर बार-बार गलती करे। ऐसी स्थिति में उसे डांटें नहीं बल्कि प्यार से समझाएं। अगर माता-पिता बच्चे को डांटते हैं, तो इससे बच्चे के मन में डर बैठ जाएगा और वह कुछ भी नया करने या सवाल पूछने से डरेगा। इससे उनके पढ़ने और सीखने की प्रक्रिया प्रभावित होगी, जो उनके भविष्य के लिए ठीक नहीं है।
लेख के इस भाग में जानिए बच्चों को इंग्लिश पढ़ना कैसे सिखाएं।
बच्चों को इंग्लिश पढ़ना कैसे सिखाएं?
छोटे बच्चों को इंग्लिश पढ़ना सिखाने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि उन्हें अल्फाबेट और वॉवेल की पहचान कराई जाए। इसके लिए आप निम्नलिखित तरीकों को अपना सकते हैं :
- बच्चों को वॉवेल (a,e,i,o,u) की पहचान कराने के लिए सबसे पहले एक पेज में पूरे अल्फाबेट को लिखे और उसमें से उन्हें पांचों वॉवेल की पहचान कर उसे गोल घेरे में करने के लिए कहें।
- इसके अलावा, एक वर्कशीट बनाकर भी उसमें बच्चों को वॉवेल और बाकी के कॉन्सोनेंट लिखने के लिए कह सकते हैं। अगर बच्चा वॉवेल और कॉन्सोनेंट की पहचान करना सीख जाता है, तो इसका मतलब है कि बच्चा अब इंग्लिश सीखने के लिए तैयार है।
- इसके बाद बारी-बारी से वॉवेल के अक्षरों से शब्द बनाना सिखाएं और उन्हें बोलना सिखाएं। ताकी बच्चों को वे अक्षर याद हो जाएं। इसके लिए आप वर्क शीट बना सकते हैं, (जैसे- a + g = ag (एग) )। अब इसे बोलना सिखाएं। इससे बच्चे a बोलना सीख जाएंगें। इसी तरह बाकी वॉवेल शब्दों का भी अभ्यास कराएं।
- जब बच्चे दो अक्षरों से बने शब्दों को पढ़ना सीख जाएं, तो फिर उन्हें तीन अक्षरों के शब्दों को बोलना सिखाएं (जैसे – इससे पहले उन्हें ag (एग) बोलना सिखाया था, अब इसके आगे में b लगाकर शब्द बनाएं bag (बैग) और उसे बोलना सिखाएं)।
- अब बारी आती है, चित्रों के माध्यम से बच्चों को शब्द पहचानना सिखाने की। माना जाता है कि चित्र बच्चों की स्मृति को तेज बना सकते हैं। इसलिए बच्चे को जो भी शब्द सिखाना चाहते हैं, उसका चित्र बनाएं। जैसे- अगर बच्चे को bag बोलना सिखाना चाहते हैं, तो एक बैग यानी बस्ते की चित्र बनाएं। अगर बच्चा चित्रों को ठीक से पहचान ले रहा है, तो इसका मतलब है कि बच्चे में पढ़ने का कौशल धीरे-धीरे विकसित हो रहा है।
- जब बच्चा इस प्रक्रिया को अच्छे से सीख लेता है, तो फिर उन शब्दों को जोड़ कर वाक्य बनाना सिखाएं। जैसे अगर बच्चा कैट (cat) बोलना सीख जाए, तो उसे सिखाएं कैट ऑन ‘अ’ मैट (cat on a mat)।
- इसी तरह आगे के वॉवेल के लिए भी वर्कशीट बनाकर बच्चों को इंग्लिश पढ़ना सिखाएं। इससे बच्चे में पढ़ने की क्षमता बढ़ेगी और वह स्पेलिंग में गलतियां भी नहीं करेगा।
- बच्चों के लिए इंग्लिश वर्कशीट – बच्चों की इंग्लिश को मजबूत करने के लिए माता-पिता लेख में दी गई इस वर्कशीट को डाउनलोड कर सकते हैं और बच्चों को आसानी से इंग्लिश लिखने और बोलने का अभ्यास करा सकते हैं।
बच्चों को हिंदी पढ़ना कैसे सिखाएं?
बच्चे को इंग्लिश पढ़ना सिखाने के बाद अब बारी आती है, बच्चे को हिंदी पढ़ना सिखाने की। बता दें कि बच्चे को हिंदी सिखाने के लिए उसे सबसे पहले बिना मात्रा वाले शब्दों को पढ़ना सिखाएं। तो चलिए जानते हैं बच्चों को हिंदी पढ़ाने की टिप्स :
- बच्चों को हिंदी सिखाने के लिए सबसे पहले उन्हें सारे वर्णमाला में शामिल अक्षरों से परिचित कराएं। इसके लिए उन्हें बारी-बारी से वर्णमाला लिख कर उसे पढ़ना सिखाएं। जैसे – क,ख,ग,घ…….आदि।
- जब बच्चे वर्णमाला बोलना सीख जाएं, तो उन्हें बिना मात्रा वाले शब्दों से परिचित कराएं। इसके लिए आप एक वर्कशीट तैयार करें, जिसमें साइड में तीन चार शब्दों को लिख दें और फिर बीच में गोला बनाकर एक शब्द को डालें और बच्चे से कहें कि गोले में दिए गए शब्द को जोड़कर अधूरे शब्द को पूरा करे और उसे पढ़े। जैसे – अनब + न = अनबन, उपव + न = उपवन।
- बच्चा जब वर्णों को पहचानना सीख जाए, तो फिर उसे खाली स्थान में वर्णों को भरना सिखाएं। (जैसे – दम_ल = न/क)। इस तरह की शीट बनाकर बच्चे को दें और उसे वहां पर सही वर्ण भरने के लिए कहें। इससे बच्चे की मानसिक क्षमता विकसित होगी।
- इसके बाद बच्चों को चित्रों के माध्यम से शब्दों को पूरा करना सिखाएं और उसे बोलने के लिए कहें। (जैसे- खटमल का चित्र बनाएं और उसे बच्चों को पहचानने के लिए कहें या फिर, _टमल लिखकर आगे में उस गायब वर्ण को भर कर शब्द पूरा करने के लिए कहें)।
- इसके अलावा बच्चों को वर्णों को जोड़कर एक साथ लिखकर बोलने के लिए भी कह सकते हैं। जैसे कि आप एक शीट पर ‘द म क ल’ लिख दें और बच्चे को उसे जोड़ कर पढ़ने के लिए कहें और फिर उसे लिखवाएं।
- जब बच्चा यह सारी प्रक्रिया अच्छे से सीख जाता है, तो उसे फिर चित्रों वाली कविताओं को धीरे-धीरे पढ़ना सिखाएं।
इस लेख के माध्यम से आपको अपने बच्चे को पढ़ाने की शानदार टिप्स मिल गई होंगी। साथ ही यहां आपने यह भी जाना कि बच्चों को पढ़ाना कब शुरू करना चाहिए। मगर, सबसे अहम बात यह है कि बच्चे को पढ़ाते वक्त बिल्कुल भी डांटे नहीं। बिना गुस्सा किए उन्हें प्यार से समझाएं। इसके अलावा उन्हें पढ़ाने के तरीकों को मजेदार बनाने का प्रयास करें, ताकि पढ़ाई में बच्चे की दिलचस्पी बनी रहें। हमें उम्मीद है कि लेख में शामिल टिप्स आपके काम आएंगी। बच्चों से संबंधित अन्य विषयों के बारे में जानने के लिए जुड़े रहें मॉमजंक्शन के साथ।
References
1. Early storybook reading and childhood development: A cross-sectional study in Iran – By NCBI
2. A study of primary school students’ interest, collaboration attitude, and programming empowerment in computational thinking education – By Researchgate
3. The Development and Correlates of Academic Interests from Childhood through Adolescence – By NCBI
4. Educational Practices – By NCBI
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