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बच्चे बहुत कोमल होते हैं और बड़ों की तुलना में इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती है। ऐसे में बच्चों को मौसम बदलने से सर्दी-जुकाम और कई तरह की बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। इन्हीं बीमारियों में से एक है, अस्थमा या दमा। कई बार बच्चों में अस्थमा के लक्षण काफी आम होते हैं, जिसे वक्त रहते माता-पिता समझ नहीं पाते, लेकिन इसका परिणाम आगे चलकर गंभीर भी हो सकता है। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम न सिर्फ बच्चों में अस्थमा के कारण आपको बताएंगे, बल्कि उसके इलाज के बारे में भी जानकारी देंगे।

सबसे पहले जान लें कि बच्चों में अस्थमा (दमा) क्या होता है। जब आप इसके बारे में जानेंगे तभी आपके लिए इसका इलाज करना आसान हो सकेगा।

बच्चों में अस्थमा (दमा) क्या होता है?

अस्थमा (दमा) सांस संबंधी समस्या है, जिसमें एयरवे (airways) जो कि एक ट्यूब की तरह होता है और हवा को फेफड़े तक पहुंचाता और निकालता है, उसमें सूजन आ जाती है। इस कारण सांस लेने में तकलीफ और अन्य कई परेशानियां होने लगती है। बच्चों और यहां तक कि बड़ों में भी अस्थमा काफी आम समस्या हो चुकी है (1) (2) (3)

आगे जानिए कि बच्चों में अस्थमा के कारण क्या-क्या हो सकते हैं।

किन कारणों से बच्चों में बढ़ता है अस्थमा

बच्चों में अस्थमा निम्नलिखित कारणों से बढ़ सकता है – (1) (2) (3)

  • मौसम में बदलाव
  • प्रदूषण
  • वायरल संक्रमण या सर्दी-जुकाम, बुखार के कारण
  • जानवर के बाल से
  • आनुवंशिक
  • मोटापा

आगे जानिए बच्चों में अस्थमा के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं।

बच्चों में अस्थमा के लक्षण | chote bacho me asthma ke lakshan

माता-पिता को बच्चों में अस्थमा के लक्षण पर ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि कई बार कुछ सामान्य से दिखने वाले लक्षण दमा का संकेत दे सकते हैं। नीचे जानिये बच्चों में अस्थमा के लक्षण (4)

  • खांसना और रात को खांसी ज्यादा होना
  • सीने में कसाव महसूस होना
  • सांस लेने में परेशानी होना
  • व्हीजिंग (wheezing) यानी सांस लेते वक्त सीटी जैसी आवाज निकलना

हो सकता है, ये लक्षण सुबह और रात के वक्त और ज्यादा दिखें।

आगे जानिए कि बच्चों में अस्थमा का निदान कैसे करें।

बच्चों में अस्थमा का निदान | Bacho Mein Asthma Ka Nidan

बच्चों में दमा का निदान करना थोड़ा मुश्किल भरा हो सकता है, क्योंकि जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि बच्चों में दमा के लक्षण बहुत ही सामान्य, सर्दी-जुकाम की तरह हो सकते हैं। नीचे जनिए बच्चों में दमा के निदान किस प्रकार किया जा सकता है (5) (3)

1. डॉक्टर के सवाल – डॉक्टर माता-पिता से बच्चे के सर्दी-जुकाम और व्हीजिंग के बारे में जानकारी ले सकता है। सही जांच के लिए डॉक्टर कुछ इस प्रकार सवाल पूछ सकता है-

  • बच्चे को खांसी किस वक्त सबसे ज्यादा होती है?
  • क्या बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होती है?
  • क्या बच्चा तेज सांस लेता है?
  • जब बच्चे को सर्दी-जुकाम था, तो क्या वो किसी जानवर के आसपास गया था?
  • क्या बच्चे के आसपास धूम्रपान किया जाता है?

2. परिवार की मेडिकल हिस्ट्री – फिर डॉक्टर परिवार के सदस्य और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछताछ करेगा कि परिवार में किसी को दमा की समस्या रही हो या माता-पिता में से किसी को दमा, ब्रोंकाइटिस, लगातार सर्दी-जुकाम व साइनस जैसी समस्या तो नहीं है।

3. चेस्ट एक्स रे – डॉक्टर सीने का एक्स-रे करने का सुझाव दे सकते हैं। इसे चेस्ट रेडियोग्राफी (Chest Radiography) भी कहा जा सकता है।

4. एलर्जी टेस्टअस्थमा में एलर्जी टेस्ट भी किया जा सकता है, जिससे पता चल सके कि बच्चे को किसी विशेष तरह के खाद्य पदार्थ या अन्य किसी चीज से एलर्जी तो नहीं हो रही है। यह स्किन टेस्ट या ब्लड टेस्ट के रूप में किया जा सकता है।

5. फेफड़े की जांच – डॉक्टर फेफड़े की जांच (Pulmonary function tests) का सुझाव दे सकता है। हालांकि, यह 6 साल के या उससे बड़े बच्चों के लिए होता है। यह सांस संबंधी जांच होती है, इसमें एक स्पायरोमीटर (spirometer) यंत्र होता है, जिसमें फुंका जाता है। सांस लेने और छोड़ने की इस प्रक्रिया को करने के दौरान इस मशीन में वायु प्रवाह (air flow) का विश्लेषण होगा, जिसके आधार पर यह पता चलेगा कि बच्चे को दमा है या नहीं।

इस लेख के आगे के भाग में जानिए बच्चों में अस्थमा का इलाज।

बच्चों में अस्थमा का इलाज | Bacho Mein Asthma Ka Ilaaj

दमा का कोई इलाज नहीं है, लेकिन कुछ सावधानियों के साथ इसको कम किया जा सकता है और इन्हीं के बारे में हम आपको नीचे जानकारी दे रहे हैं (2) (3) (6)

जल्द असर करने वाली दवाइयां – कई बार डॉक्टर तुरंत असर करने वाली दवाइयां देते हैं। यह उस वक्त के लिए दिया जाता है, जब मरीज को अचानक से दमा का अटैक होता है और स्थिति गंभीर होने लगती है। यह मरीज की स्थिति में जल्द से जल्द सुधार करने में मदद कर सकता है। रोज इसमें नेबुलाइजर या इनहेलर की भी मदद ली जाती है। नेब्युलाइजर में दवा डालते ही वो धुंध में बदल जाती है, जिसे ऑक्सीजन मास्क द्वारा मरीज को खींचने में आसानी होती है और यह जल्द असर करती है।

लंबे वक्त तक चलने वाली दवाइयां – लंबे वक्त तक चलने वाली दवाइयां मरीज को रोज लेनी होती हैं। इन दवाइयों से दमा के लक्षण नियंत्रित रहते हैं। कुछ दवाइयां खाने के लिए होती हैं, जबकि कुछ खास किस्म की दवाइयों को इनहेलर या पंप की सहायता से लेने के लिए कहा जाता।

बचाव – दवाइयों के अलावा, बच्चों और उनके माता-पिता को सावधानी के बारे में बताया जाता है। उन चीजों से दूर रहने का सुझाव दिया जाता है, जो दमा होने का कारण बन सकती हैं। बच्चों के स्कूल में भी बच्चे की स्थिति के बारे में बताया जाता है, ताकि टीचर बच्चों को दवा लेने में मदद कर सके। साथ ही साथ टीचर को बच्चे में अस्थमा के लक्षण के बारे में भी बताया जाता है। माता-पिता को बच्चों की दवा का पूरा ध्यान रखने के लिए भी कहा जाता है।

आगे जानिए बच्चों में अस्थमा के घरेलू उपचार।

बच्चों में अस्थमा के घरेलू उपचार

  1. शहद – अस्थमा से बचाव करने के लिए शहद एक गुणकारी उपाय हो सकता है। यह तो सभी जानते हैं कि शहद स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है और दमा के मरीज को अगर शहद सुंघाया जाए, तो यह उनके लिए लाभकारी हो सकता है। शहद सूजन और दमा के लक्षण को कम करने में मदद कर सकता है (7) (8)
  1. सरसों का तेल – सरसों के तेल को कपूर के साथ मिलाकर अगर छाती पर लगाया जाए, तो दमा से काफी हद तक राहत मिल सकती है। इससे गर्माहट का एहसास होगा और सांस लेने में आसानी होगी (9)
  1. हल्दी – सालों से हल्दी का इस्तेमाल एक कारगर आयुर्वेदिक दवा के रूप में किया जा रहा है। शरीर के लिए हल्दी-दूध के फायदे लगभग हर किसी को पता हैं। अस्थमा में हल्दी-दूध का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है (9)

नोट : ऊपर बताए गए बच्चों के लिए अस्थमा के घरेलू उपचार करने से पहले सुनिश्चित कर लें कि कहीं बच्चे को बताई गई चीजों से एलर्जी तो नहीं। इसके अलावा, अच्छा होगा इन घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करने से पहले आप एक बार डॉक्टर से सलाह मशविरा कर लें।

आगे जानिए बच्चों को अस्थमा के खतरे से कैसे बचाएं।

बच्चों को अस्थमा होने से कैसे रोकें? | Chote Bacho Ko Asthma Se Kaise Bachaye

अगर अपने बच्चे को अस्थमा के जोखिम से बचाना है, तो नीचे बताई गई बातों का ध्यान जरूर रखें (10) (11) (12)

  • घर को हमेशा साफ रखें और नियमित रूप से बच्चे के बडे़ की चादर को बदलें और उन्हें गर्म पानी से धोएं।
  • बच्चे को धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों से दूर रखें।
  • बच्चों के खिलौनों को साफ करें और बच्चे के कमरे में कहीं भी धूल न जमने दें।
  • बच्चे को पालतू जानवर से दूर रखें या अपने पालतू जानवर को बच्चे के कमरे या बेडरूम में न आने दें।
  • टीवी और इंटरनेट पर मौसम और हवा की जानकारी लें। अगर प्रदूषण ज्यादा हो, तो बच्चे को बाहर न ले जाएं।
  • नियमित रूप से घर की साफ-सफाई करते रहें, ताकि घर में कीटाणु फैलाने वाले कीड़े-मकोड़े प्रवेश न कर सकें।
  • बच्चे के कमरे में कारपेट न रखें।

सिर्फ साफ-सफाई ही नहीं, बल्कि अस्थमा में बच्चे के खानपान पर भी ध्यान रखना जरूरी है। इसलिए, नीचे हम आपको उन खाद्य पदार्थों के बारे में बताएंगे, जिसका सेवन नहीं करना चाहिए।

बच्चों को अस्थमा में कौन से खाद्य पदार्थ से दूर रखें?

अगर आपके बच्चे को अस्थमा है, तो नीचे बताए गए खाद्य पदार्थ बच्चे को बिल्कुल न दें (9) (13):

  • ठंडी चीजें जैसे – आइसक्रीम, लस्सी, ठंडा पानी, जूस, बर्फ
  • अंडा
  • मीट
  • मछली
  • मूंगफली

आगे जानिए कि क्या चीजें अस्थमा या दमा के लिए जोखिम कारक हो सकती हैं।

बच्चों में अस्थमा के जोखिम कारक

एक्जिमा – अस्थमा का एक जोखिम कारक एक्जिमा भी हो सकता है। शोध के मुताबिक, 60 प्रतिशत लोग जिन्हें एक्जिमा या एटॉपिक डर्मेटाइटिस (atopic dermatitis) था, उनमें आगे चलकर अस्थमा भी देखा गया। एक्जिमा का दूरगामी परिणाम अस्थमा के रूप में सामने आ सकता है (14) (15)

खाने की एलर्जी – जिन बच्चों को कुछ खास तरह के खाद्य पदार्थों से एलर्जी होती है और साथ ही अगर उन्हें अस्थमा भी है, तो उनमें अस्थमा अटैक का जोखिम बढ़ सकता है। ऐसे बच्चों को खास देखभाल की जरूरत होती है और साथ ही उनके खानपान पर भी ध्यान देना जरूरी होता है (16)

एलर्जी – हवा में मौजूद कीटाणु भी अस्थमा का एक जोखिम कारक हो सकते हैं। हवा में मौजूद एलर्जेन एक तरह के पदार्थ होते हैं, जो एलर्जिक रिएक्शन पैदा करते हैं। एलर्जेन के संपर्क में आने से शरीर में आसानी से जा सकता है और फिर यह अस्थमा को बढ़ा सकता है (17)

उच्च इओसिनोफिल – इओसिनोफिल एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं और इसकी मात्रा बढ़ने से एलर्जी का खतरा हो सकता है। रक्त और लार में अधिक इओसिनोफिल होने से बच्चे को अस्थमा का खतरा हो सकता है (18) (19)

लेख के इस भाग में हम आपको बताएंगे कि आपको कब डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए

अगर आपको नीचे बताए गए लक्षण अपने बच्चे में दिखें, तो बिना देर करते हुए डॉक्टर से संपर्क करें (2) (20)

  • बच्चे को सांस लेने में तकलीफ।
  • चेहरे और होंठ का रंग बदलना या नीला पड़ना।
  • लगातार पसीना आना।
  • अगर आपका बच्चा इनहेलर या तुरंत असर करने वाली दवाइयों पर प्रतिक्रिया न दे पा रहा हो।
  • दवाइयां असर न कर रही हों।
  • अगर आपका बच्चा ठीक से कुछ बोल नहीं पा रहा हो।
  • अगर आपके बच्चे को सांस लेते वक्त लगातार घरघराहट हो रही हो।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या अस्थमा किसी और बीमारी के होने का लक्षण है?

हां, कुछ अन्य बीमारियों में भी घरघराहट, सांस की तकलीफ और सीने में जकड़न जैसे लक्षण होते हैं, जो अस्थमा से मिलते हैं (21)

  • निमोनिया
  • एपिग्लोटाइटिस (Epiglottitis)
  • ब्रोंकाइटिस
  • ब्रोन्किइक्टेसिस (Bronchiectasis)

याद रखें, इन बीमारियों के कुछ और लक्षण भी होते हैं, जो अस्थमा से अलग होते हैं। साथ ही इनके निदान का तरीका भी दमा से अलग होता है।

क्या बेबी पाउडर से अस्थमा होता है?

हां, जिन बच्चों को पहले से ही अस्थमा है, उनमें बेबी पाउडर या किसी भी टैल्कम पाउडर से अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ सकता है।

क्या पानी में तैरने से अस्थमा होता है?

कभी-कभी तैरने के प्रशिक्षण से अस्थमा के रोगियों को लाभ हो सकता है क्योंकि यह एरोबिक फिटनेस को बढ़ा सकता है। हालांकि, स्विमिंग वॉटर में मौजूद क्लोरीन से वायुमार्ग में जलन जैसी समस्या हो सकती है, लेकिन इसका अस्थमा से कोई संबंध नहीं है।

क्या अस्थमा से बच्चे की मौत हो सकती है?

हां, अगर वक्त रहते अस्थमा का इलाज नहीं हुआ, तो यह बच्चे के लिए जानलेवा हो सकता है (22) (23)

क्या नेब्युलाइजर शिशु के लिए सही रहता है?

डॉक्टर की देखरेख में शिशु को नेब्युलाइजर का उपयोग कराया जा सकता है (24) (25)। इसके अलावा भी इंहेलेशन थेरेपी के लिए कई अन्य मोड्स भी हैं।

क्या बच्चों को अस्थमा की दवा की आदत लग सकती है?

नहीं, अस्थमा के उपचार के लिए उपयोग की जाने वाली किसी भी दवा की लत नहीं लगती है।

आशा करते हैं कि इस लेख से आपको बच्चों में अस्थमा के लक्षण और उन्हें रोकने की पर्याप्त जानकारी मिल गई होगी। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप ऊपर बताई गई जानकारी पर कितना ध्यान देते हैं। अपने बच्चे को अस्थमा होने से या उसके जोखिम को कम करने के लिए पहले से ही सावधानियां बरतें, क्योंकि वक्त रहते ध्यान न दिया जाए, तो आगे चलकर यह आपके नन्हे के लिए मुसीबत बन सकता है।

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