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प्रसव के बाद महिलाओं के शरीर में काफी कमजोरी आ जाती है, जिस वजह से उन्हें खास ख्याल रखने की हिदायत दी जाती है। इस दौरान महिलाओं को पोषक तत्वों की कमी के चलते भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, जिनमें एक नाम पोस्टपार्टम एनीमिया है। यदि वक्त रहते इसका इलाज न कराया जाए, तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम पोस्टपार्टम एनीमिया के बारे में बात करेंगे। इसके साथ ही पोस्टपार्टम एनीमिया के कारण और इससे बचने के उपाय के बारे में भी चर्चा करेंगे।

लेख में सबसे पहले हम बता रहे हैं कि पोस्टपार्टम एनीमिया क्या है।

पोस्टपार्टम एनीमिया क्या होता है?

पोस्टपार्टम एनीमिया दुनिया भर में एक आम समस्या है। 10 से 30 प्रतिशत प्रसवोत्तर महिलाओं को इस परेशानी से गुजरना पड़ता है (1)। जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है कि प्रसव के बाद महिला के शरीर में खून की कमी होती है, जिसे पोस्टपार्टम एनीमिया कहते हैं। प्रसव के दौरान होने वाले रक्त की हानि के कारण यह समस्या हो सकती है। एनसीबीआई पर उपलब्ध एक शोध के अनुसार, प्रसव के एक हफ्ते बाद यदि महिला के शरीर में हीमोग्लोबिन का लेवल 110 ग्राम/लीटर से निम्न है और आठवें हफ्ते तक यह 120 ग्राम/लीटर बना रहता है, तो इसका मतलब महिला पोस्टपार्टम एनीमिया से ग्रसित है (2)

लेख में आगे पोस्टपार्टम एनीमिया के कारण के बारे में जानते हैं।

प्रसव के बाद एनीमिया होने के कारण

प्रसव के बाद कई कारणों के चलते एनीमिया की समस्या हो सकती है, जिनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं:

  • अधिक रक्तस्राव: प्रसव के दौरान अधिक मात्रा में रक्स्राव महिलाओं के शरीर में खून की कमी का कारण बन सकता है। इससे पोस्टपार्टम एनीमिया की संभावना अधिक हो सकती है (1)
  • खराब डाइट: गर्भावस्था के दौरान प्रतिदिन4 मिलीग्राम आयरन लेने की सलाह दी जाती है (3)। इसके लिए चिकित्सक आयरन युक्त खाद्य पदार्थ व सप्लीमेंट लेने की सलाह देते हैं। गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त मात्रा में आयरन न लेने के कारण भी डिलीवरी के बाद एनिमाया की शिकायत हो सकती है।
  • आंत संबंधी परेशानियां: प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़े रोग जैसे सीलिएक रोग, क्रॉन्स रोग, इंफ्लेमेटरी बोवेल सिंड्रोम आदि आयरन के अवशोषण को प्रभावित कर, प्रसव के बाद एनीमिया के जोखिम को अधिक कर सकते हैं (4)
  • पोषक तत्वों की कमी: शरीर में विटामिन ए, फोलेट, विटामिन बी 12 और राइबोफ्लेविन आदि की कमी भी एनीमिया के जोखिम को बढ़ा सकती है (1)
  • अन्य कारण: सिकल सेल रोग और थैलेसीमिया जैसे वंशानुगत हीमोग्लोबिन विकार भी एनीमिया की आशंका को बढ़ा सकते हैं (1)

लेख के अगले भाग में गर्भावस्था के बाद एनीमिया के लक्षण के बारे में बता रहे हैं।

पोस्टपार्टम एनीमिया के लक्षण और संकेत

गर्भावस्था के बाद होने वाले एनीमिया के कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जैसे कि (1) (5) (6):

  • थकान
  • ऑल्टर्ड कॉग्निशन (यह एक मानसिक स्थिति है। भ्रम, भूलने की बीमारी, सतर्कता नहीं होना और कन्फ्यूजन इसके लक्षण हैं।
  • तनाव
  • टैकीकार्डिया यानी ​अनियमित दिल की धड़कन
  • सांस लेने में दिक्कत होना
  • चक्कर व बेहोशी की हालत
  • हाइपोटेंशन यानी लो ब्लड प्रेशर
  • अधिक थकान महसूस होना
  • सिरदर्द
  • त्वचा का पीला पड़ना
  • बालों का झड़ना

आगे पढ़ें प्रसव के बाद एनीमिया से क्या क्या खतरे हो सकते हैं।

प्रेगनेंसी के बाद एनीमिया से होने वाले खतरे

प्रसव के बाद एनीमिया के कारण कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि (1) (7) (8):

  • अधिक मात्रा में रक्तस्राव होना
  • आयरन की कमी
  • शारीरिक कमजोरी
  • अधिक मात्रा में रक्तस्राव मृत्यु का कारण भी बन सकता है
  • हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप
  • शारीरिक अक्षमता
  • संज्ञानात्मक समस्याएं
  • मानसिक विकार

लेख में आगे पोस्टपार्टम एनीमिया से ब्रेस्टफीडिंग पर क्या असर पड़ता है, इस पर चर्चा करेंगे।

क्या प्रेगनेंसी के बाद एनीमिया से स्तनपान पर असर पड़ता है?

हां, पोस्टपार्टम एनीमिया का असर स्तनपान पर पड़ता है। एक शोध में इस बात का जिक्र है कि प्रसव के बाद होने वाला एनीमिया इनसुफिसिएंट मिल्क सिंड्रोम यानी कि अपर्याप्त दूध विकार से जुड़ा होता है। यह सिंड्रोम पूर्ण स्तनपान की अवधि यानी कि बच्चों को दूध पिलाने के समय को कम कर सकता है। इस कारण कम उम्र में ही दूध छुड़ाना पड़ सकता है, जिस वजह से बच्चे का वजन कम हो सकता है (9)

नीचे पढ़ें प्रसव के बाद एनीमिया का उपचार कैसे कर सकते हैं।

डिलीवरी के बाद एनीमिया का ट्रीटमेंट

प्रसवोत्तर एनीमिया का उपचार जरूरी है। इसका इलाज आहार और जीवनशैली में कुछ बदलाव के साथ निम्न तरीकों से किया जा सकता है (8)  (10):

  • दवाएं: शिशु के जन्म के बाद मां में आयरन की कमी होने पर डॉक्टरी सलाह पर 100 से 200 मिलीग्राम की मात्रा में दैनिक रूप से आयरन सप्लीमेंट्स का सेवन किया जा सकता हैं। इसके अलावा, गंभीर आयरन की कमी होने पर चिकित्सक आयरन की दैनिक खुराक 800 से 1500 मिलीग्राम बढ़ा भी सकते हैं।
  • इंजेक्शन: आयरन की कमी के गंभीर मामलों में डॉक्टर इंजेक्शन लगा सकते हैं।
  • खून चढ़ाना: शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की पूर्ति के लिए दूसरे व्यक्ति का ब्लड नसों के जरिए चढ़ाया जा सकता है।
  • एरिथ्रोपोइटिन ट्रीटीमेंट: इसके अलावा एरिथ्रोपोइटिन ट्रीटीमेंट से शरीर में लाल रक्त कोशिका के गठन को बढ़ाया जा सकता है।

स्क्राॅल करके पढ़ें कि गर्भावस्था के बाद हाेने वाले एनीमिया से कैसे बचाव किया जा सकता है।

प्रेगनेंसी के बाद एनीमिया से बचाव

गर्भावस्था के बाद एनीमिया से बचाव के लिए निम्न उपायों को अपनाया जा सकता है, जो कुछ इस तरह हैं (11)  (12):

  • डिलीवरी से पहले एनीमिया की बेहतर जांच और उपचार लेने से पोस्टपार्टम एनीमिया का जोखिम काफी हद तक कम हो सकता है।
  • कुछ ऐसे पेय पदार्थ भी हैं, जो एनीमिया की स्थिति को बिगाड़ सकते हैं। इसके लिए कॉफी और चाय पीने से परहेज करें। ये आयरन को अवशोषित करने की क्षमता को कमजोर कर सकते हैं।
  • प्रसव के बाद एनीमिया से बचाव के लिए डॉक्टर खानपान का खास ख्याल रखने की हिदायत देते हैं। ऐसे में महिला को आहार में आयरन और विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए।
  • हेल्दी तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
  • पर्याप्त आराम करना चाहिए।

लेख में आगे बढ़ते हुए हम प्रसवोत्तर एनीमिया से निपटने के लिए कुछ टिप्स बता रहे हैं।

प्रसवोत्तर एनीमिया को ठीक करने के लिए उपाय

प्रसव के बाद होने वाले एनीमिया का उपचार नीचे दिए गए टिप्स को अपनाकर किया जा सकता है, जो कुछ इस प्रकार हैं:

  1. आयरन सप्लीमेंट: डिलीवरी के बाद आयरन का स्तर सुधारने के लिए डॉक्टर आयरन सप्लीमेंट लेने की सलाह दे सकते हैं। चिकित्सक की सलाह के अनुसार कैप्सूल, टैबलेट या टॉनिक को आयरन सप्लीमेंट के रूप में लिया जा सकता है (1)
  1. आयरन युक्त खाद्य पदार्थ: शरीर में आयरन की पूर्ति के लिए आयरन सप्लीमेंट के अलावा डॉक्टर की सलाह से आयरन युक्त खाद्य पदार्थाें को भोजन में शामिल किया जा सकता है। आयरन युक्त खाद्य पदार्थों में निम्न चीजों का सेवन किया जा सकता है (12):
  • नट्स
  • ड्राय फ्रूट्स
  • आयरन-फोर्टिफाइड ब्रेड और अनाज
  • फलियां  जैसे कि मिक्स बीन्स, बेक्ड बीन्स, दाल, छोले
  • हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, सिल्वर बीट, ब्रोकली
  • जई
  • टोफू
  1. विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थ: विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से भी पोस्टपार्टम एनीमिया का जोखिम कम हो सकता है। दरअसल, विटामिन-सी आयरन के अवशोषण बढ़ाने में सहायक हो सकता है। इसलिए विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ जैसे टमाटर, कीवी, बैरी आदि का सेवन आयरन की कमी को दूर करने में सहायक हो सकता है (12)
  1. हाइड्रेटेड रहें: खुद को जितना हो सके हाइड्रेट रखें। तरल पदार्थों का अधिक सेवन रक्त के थक्कों और मूत्र पथ के संक्रमण को रोकने में मददगार हो सकता है। इसके साथ ही यह सूजन का कारण बनने वाली आयरन की खुराक से निपटने के लिए तरल पदार्थ मदद कर सकते हैं। प्रसव के बाद प्रति दिन तीन लीटर से अधिक तरल पदार्थ का सेवन किया जा सकता है (13)
  1. पर्याप्त आराम करें: जैसा कि लेख में ऊपर बताया गया है कि पोस्टपार्टम एनीमिया के कारण अत्यधिक थकान की शिकायत हो सकती है। ऐसे में अपने और बच्चे के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जितना हो सके आराम करें।
  1. संक्रमण से खुद को बचाएं: एनीमिया शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है, जिसके कारण संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है (14)। संक्रमण का कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंज डॉक्टर से संपर्क करें।
  1. डॉक्टर से संपर्क करें: प्रसवोत्तर एनीमिया की समस्या से बचने के लिए नियमित रूप से अपना चेकअप कराना जरूरी है। डॉक्टर की सलाह पर अन्य परीक्षण के साथ ही रक्त परीक्षण भी करवाएं। यदि आयरन का लेवल गिरना जारी रहता है, तो डॉक्टरी सलाह पर आयरन सप्लीमेट का सेवन करें।

इस लेख के जरिए गर्भावस्था के बाद होने वाली एनीमिया यानी कि खून की कमी से संबंधित आपको सभी जानकारी मिल गई होगी। यदि किसी महिला में प्रसव के बाद आयरन की कमी के लक्षण नजर आते हैं, तो बिना देरी करें इसका इलाज कराएं। इसके साथ ही यहां आपको प्रसवोत्तर एनीमिया की समस्या से बचने के उपायों के बारे में भी बताया गया है, जिन्हें फॉलो करके इस स्थिति से बचाव किया जा सकता है। इसकी जानकारी हर गर्भवती महिला के साथ ही उनके परिवार के लिए भी होना जरूरी है। इसलिए इस आर्टिकल को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों व सोशल सर्कल में जरूर साझा करें।

References

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