Dr. Zeel Gandhi, BAMS
Written by , (शिक्षा- बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मीडिया कम्युनिकेशन)

धूल से हर कोई बचना चाहता है, लेकिन कोई कितना भी जतन कर ले धूल से दो-चार होना ही पड़ता है। खासकर, बढ़ते प्रदूषण ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। यह गंभीर विषय इसलिए भी है, क्योंकि इसकी वजह से कई लोग डस्ट एलर्जी की चपेट में आ जाते हैं। डस्ट एलर्जी सिर्फ धूल से ही नहीं, बल्कि घर और आस-पास मौजूद कुछ चीजों की वजह से भी हो सकती है, जिनके बारे में लेख में बताया जाएगा। बस तो लेख में आगे बढ़ते हुए पढ़िए डस्ट एलर्जी के कारण और डस्ट एलर्जी से बचने के उपाय।

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चलिए, अब बात करते हैं धूल से एलर्जी के कारण की।

धूल से एलर्जी होने के कारण – Causes of Dust Allergy in Hindi

धूल से एलर्जी का सबसे बड़ा कारण इसके कण हैं, जिसे डस्ट माइट्स (Dust Mites) कहा जाता है। इन कणों में सूक्ष्मजीव यानी माइक्रोऑर्गेनाइज्म) मौजूद होते हैं, जो आंखों से नहीं देखे जा सकते हैं। इसके अलावा, जिन अन्य कारणों से डस्ट एलर्जी होती है, वो कुछ इस प्रकार हैं (1) (2)।

  1. कॉकरोच : इनके द्वारा छोड़े जाने वाले हानिकारक एलर्जन (बैक्टीरिया), एलर्जी पैदा करते हैं। ये बैक्टीरियल कण सांस लेते वक्त अंंदर जाते हैं और एलर्जी होने लगती है।
  2. मोल्ड (Mold) : मोल्ड्स पर्यावरण में मौजूद एक तरह का फंगस है। चाहे घर के अंदर हो या बाहर, हर जगह हमेशा कुछ मोल्ड मौजूद रहते हैं। ये हवा में और कई सतहों पर पाए जाते हैं। मोल्ड्स पृथ्वी पर लाखों वर्षों से हैं, जहां भी नमी होती है, ये वहां बढ़ने लगते हैं। यह भी एलर्जी का एक कारण है।
  3. जानवरों के बाल व रूसी (Animal Dander) : पालतू जानवर जैसे कुत्ते और बिल्ली के शरीर से गिरने वाले बाल और रूसी से भी डस्ट एलर्जी हो सकती है।
  4. पराग : प्रत्येक वर्ष वसंत, ग्रीष्म और पतझड़ के समय पेड़ों से पराग निकलकर हवा में मिल जाते हैं। ये पराग नाक और गले में पहुंचकर एलर्जी पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा, पेड़-पौधों में लगे फूल के पराग को सूंघने से भी एलर्जी हो सकती है। इस एलर्जी को हे फीवर (Hay Fever) के नाम से भी जाना जाता है।

नीचे भी पढ़ें

धूल से एलर्जी होने के बाद किस तरह के लक्षण नजर आते हैं, अब इस बारे में जान लेते हैं।

धूल से एलर्जी होने के लक्षण – Symptoms of Dust Allergy in Hindi

धूल से एलर्जी होने के बाद शरीर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। नीचे जानिए डस्ट एलर्जी के लक्षणों के बारे में (3) (4) (5)।

नीचे और जानकारी है

धूल से एलर्जी के घरेलू नुस्खे क्या-क्या हो सकते हैं, इस विषय पर नीचे जानकारी मौजूद है।

धूल से एलर्जी के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Dust Allergy in Hindi

डस्ट एलर्जी से राहत पाने के लिए कई प्रकार के घरेलू उपचार किए जा सकते हैं। इन उपचार के बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं।

1. सेब का सिरका

सामग्री:

  • दो चम्मच सेब का सिरका
  • एक गिलास गर्म पानी
  • आवश्यकतानुसार शहद (वैकल्पिक)

उपयोग का तरीका:

  • एक गिलास गर्म पानी में दो चम्मच सेब का सिरका डालकर अच्छी तरह से मिलाएं।
  • स्वाद के लिए थोड़ा-सा शहद मिला सकते हैं।
  • इस घोल का सेवन रोजाना 1 से 2 बार किया जा सकता है।

कैसे लाभदायक है:

सेब का सिरका यानी एप्पल साइडर विनेगर का उपयोग धूल से होने वाले एलर्जी के लिए किया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित वैज्ञानिक शोध में दिया है कि सेब के सिरके में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा दे सकता है (6 )।

साथ ही इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं, जो एलर्जी से होने वाली सूजन की समस्या को कम कर सकते हैं (7)। ये गुण मोल्ड और माइट्स की वजह से होने वाली एलर्जी से कुछ राहत दिलाने के साथ ही स्किन को संक्रमण से भी बचा सकते हैं (8)।

2. एसेंशियल ऑयल

सामग्री:

  • यूकलिप्टस (Eucalyptus) या लैवेंडर ऑयल की 3 से 4 बूंद

उपयोग का तरीका:

  • यूकलिप्टस या लैवेंडर ऑयल की बूंदों को भाप लेने वाले डिफ्यूजर में डालें।
  • अब इसकी भाप ले सकते हैं।
  • इस प्रक्रिया को रोजाना 1 से 2 बार दोहरा सकते हैं।

कैसे लाभदायक है:

धूल से एलर्जी के लिए घरेलू उपचार के लिए यूकलिप्टस या लैवेंडर ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इन दोनों ही तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण होते हैं। एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन कम करने और एनाल्जेसिक गुण एलर्जी की वजह से होने वाले दर्द को ठीक करने में मदद कर सकता है (9) (10 )। लैवेंडर ऑयल का इस्तेमाल एलर्जी की वजह से होने वाले श्वसन संबंधी परेशानी व विकार जैसे अस्थमा के इलाज के लिए भी किया जा सकता है (11)।

3. शहद

सामग्री:

  • दो चम्मच शुद्ध शहद

उपयोग का तरीका:

  • सीधे दो चम्मच शहद का सेवन किया जा सकता है।
  • इसे एक कप पानी में मिलाकर भी सेवन कर सकते हैं।
  • रोजाना एक से दो बार इस प्रक्रिया को दोहराएं।

कैसे लाभदायक है:

धूल की वजह से होने वाली एलर्जी को ठीक करने में शहद लाभदायक माना जा सकता है। एनसीबीआई के एक अध्ययन के मुताबिक, शहद की अधिक मात्रा चार से आठ हफ्तों तक लेने से एलर्जी में राहत मिल सकती है (12)। साथ ही शहद में भी एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुण मौजूद होते हैं। ये गुण सूजन की समस्या को कम कर सकते हैं, जो एलर्जी का एक लक्षण है (13)।

4. डीह्यूमिडिफायर

डीह्यूमिडिफायर ऐसे उपकरण होते हैं, जो हवा में मौजूद नमी को कम करने का काम करते हैं। जैसा कि हम बता चुके हैं कि मोल्ड मॉइस्चर यानी की नमी की वजह से पनपते हैं, तो ऐसे में डस्ट मोल्ड्स को खत्म करने में डीह्यूमिडिफायर मदद कर सकते हैं। इसी वजह से माना जाता है कि धूल से होने वाली एलर्जी और इसके लक्षणों पर डीह्यूमिडिफायर प्रभावी ढंग से काम कर सकता है (14)।

5. हल्दी

सामग्री:

  • आधा चम्मच हल्दी
  • एक कप दूध
  • एक चुटकी काली मिर्च
  • आवश्यकतानुसार शहद (वैकल्पिक)

उपयोग का तरीका:

  • एक कप दूध में आधा चम्मच हल्दी और काली मिर्च को मिलाएं।
  • सॉस पैन में इसे उबाल लें।
  • दूध को ठंडा होने के बाद इसमें शहद मिलाएं।
  • अब इस मिश्रण को पी लें।

कैसे लाभदायक है:

डस्ट एलर्जी से राहत दिलाने में भी हल्दी उपयोगी साबित हो सकती है। इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में एलर्जी को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है। दरअसल, इसमें मौजूद केमिकल कंपाउंड करक्यूमिन एंटी एलर्जिक प्रभाव प्रदर्शित करता है। ये एलर्जी से बचाने और एलर्जी के असर को कम करने का काम करता है (15)। साथ ही काली मिर्च में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है, जो सूजन की समस्या को कम कर सकता है (16)। इससे एलर्जी के कारण होने वाले सूजन भी कम हो सकती है।

6. एलोवेरा

सामग्री:

  • आवश्कतानुसार ताजा एलोवेरा

उपयोग का तरीका:

  • जूस बनाने के लिए सबसे पहले एलोवेरा के पत्ते को काट लें।
  • एलोवेरा के छिलके के साथ ही इसके पीले रंग की परत को भी निकाल लें।
  • अब इसमें से सफेद जेल निकालकर ग्राइंड कर लें।
  • ग्राइंड करते समय इसमें आवश्यकतानुसार पानी डाल सकते हैं।
  • अब करीब एक चौथाई कप एलोवेरा का जूस पिएं।
  • बाजार से शुद्ध एलोवेरा जूस खरीद कर भी इसका सेवन कर सकते हैं।
  • धूल से होने वाली एलर्जी से राहत पाने के लिए रोज दो बार इसका सेवन किया जा सकता है।

कैसे लाभदायक है:

धूल से एलर्जी के लिए घरेलू उपचार में एलोवेरा को भी शामिल किया जा सकता है। एक वैज्ञानिक रिसर्च की मानें, तो एलोवेरा में एल्प्रोजन होता है, जो एंटी-एलर्जी का काम कर सकता है। एल्प्रोजन मस्ट सेल्स (mast cells) में कैल्शियम के प्रवाह को रोकता है। इससे एलर्जी के जोखिम से बचा जा सकता है (17)।

7. नेती पॉट (Neti pot)

सामग्री:

  • एक नेती पॉट (Neti pot)
  • नमक का पानी

उपयोग का तरीका:

  • दो कप गुनगुने पानी में आधे से 1 चम्मच नमक डालें।
  • अब प्रति कप पानी में चुटकी भर बेकिंग सोडा डालकर अच्छे से मिला लें।
  • घोल तैयार होने के बाद नेती पॉट को इससे भर दें।
  • अब आगे की ओर झुकते हुए नेती पॉट के नुकीले हिस्से को एक नासिका में डालें।
  • अगर बाईं नासिका में नुकीले हिस्से को डाल रहे हैं, तो सिर को हल्का दाईं ओर झुकाएं और फिर पानी को नासिका में डालें।
  • ऐसा करते ही नमक का पानी अपने आप दूसरी नासिका से बाहर निकल जाएगा।
  • अब दूसरी नासिका से भी यही प्रक्रिया दोहराएं।
  • इस प्रक्रिया को एक से दो बार दोहराया जा सकता है।

नोट: इस प्रक्रिया को स्वयं न करें, बल्कि किसी योग्य योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें। स्वयं करने से लाभ की जगह नुकसान हो सकता है।

कैसे लाभदायक है:

योग पद्धति में इसे नेती क्रिया कहा जाता है। नेती पॉट न केवल नाक में फंसे धूल और मोल्ड्स को बाहर निकाल सकता है, बल्कि नाक में होने वाली जकड़न व सूजन को भी कम कर सकता है (18)। इसमें मौजूद बेकिंग सोडा को इंफेक्शन दूर करने के लिए जाना जाता है (19)। सोडियम बाइकार्बोनेट त्वचा के विभिन्न विकारों के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसके पेस्ट और घोल को एंटीप्रायटिक (खुजली को ठीक करने वाली दवा) के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है (20)।

8. पुदीना चाय

सामग्री:

  • एक चम्मच सूखे पुदीना के पत्ते
  • एक कप गर्म पानी
  • आवश्यकतानुसार शहद

उपयोग का तरीका:

  • एक कप गर्म पानी में पुदीने के पत्तों को मिलाएं।
  • पत्तों को 5 मिनट तक पानी में रहने दें।
  • अब इस चाय को छानकर थोड़ा ठंडा होने दें।
  • फिर आवश्यकतानुसार शहद डालकर सेवन करें।
  • रोजाना तीन बार पुदीने की चाय का सेवन किया जा सकता है।

कैसे लाभदायक है:

पुदीने का उपयोग डस्ट एलर्जी के इलाज में प्रभावी माना जा सकता है। दरअसल, पुदीने में मौजूद मेन्थॉल में एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव होता है, जो एंटीजन प्रेरित एलर्जी को दबा सकता है (21)। इस आधार पर कह सकते हैं कि यह एलर्जी की समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।

नोट : इसके उपयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें, क्योंकि संवेदनशील लोगों को इससे एलर्जी की समस्या भी हो सकती है (21)।

9. नेटल लीफ

सामग्री:

  • एक चम्मच सूखे नेटल (बिच्छू) के पत्ते
  • एक कप पानी
  • आवश्यकतानुसार शहद

उपयोग का तरीका:

  • सॉस पैन में एक कप पानी के साथ सूखे नेटल लीफ को उबालें।
  • 5 मिनट के लिए उबालने के बाद पानी को छान लें।
  • जब चाय थोड़ी ठंडी हो जाए, तो उसमें स्वादानुसार शहद मिलाकर पिएं।
  • प्रतिदिन 2 से 3 बार इस चाय का सेवन किया जा सकता है।

कैसे लाभदायक है:

धूल से एलर्जी के घरेलू नुस्खे में नेटल लिफ को भी शामिल किया जा सकता है। एक रिसर्च के मुताबिक, नेटल के अर्क में एंटी-एलर्जिक गतिविधि मौजूद होती है। इसकी मदद से डस्ट एलर्जी से बचे रहने के साथ ही इसके लक्षण को कम करने में मदद मिल सकती है (22)।

10. ग्रीन टी

सामग्री:

  • एक ग्रीन टी बैग
  • एक कप गर्म पानी
  • आवश्यकतानुसार शहद

उपयोग का तरीका:

  • एक कप गर्म पानी में ग्रीन टी के बैग को 5-10 मिनट के लिए डालें।
  • जब चाय थोड़ी ठंडी हो जाए, तो इसमें शहद मिलाकर पिएं।
  • इस उपाय को रोजाना दो से तीन बार किया जा सकता है।

कैसे लाभदायक है:

ग्रीन टी धूल से एलर्जी होने के लक्षण को कम कर सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश एक वैज्ञानिक अध्ययन में दिया है कि ग्रीन टी में ओ-मिथाइलेटेड कैटेचिन होता है, जो पोलन (पराग) एलर्जी के लक्षण को कम कर सकता है (23)। बस इसका सेवन पराग के संपर्क में आने से पहले करने की सलाह दी जाती है।

11. देसी घी

सामग्री:

  • एक चौथाई चम्मच घी
  • आवश्यकतानुसार गुड़ (वैकल्पिक)

उपयोग का तरीका:

  • लगातार आ रही छींक को रोकने के लिए एक-चौथाई चम्मच घी को खाया जा सकता है।
  • बेहतर परिणाम के लिए घी के साथ गुड़ को भी मिला सकते हैं।
  • जब भी डस्ट एलर्जी हो, इस उपाय को किया जा सकता है।

कैसे लाभदायक है:

डस्ट एलर्जी ट्रीटमेंट एट होम के लिए घी का इस्तेमाल कर सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश रिसर्च में दिया है कि घी से एलर्जी का इलाज हो सकता है। साथ ही सूजन को रोकने में भी इससे मदद मिल सकती है (24)। आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. जील गांधी की मानें, तो काली मिर्च पाउडर को घी के साथ सुबह-सुबह सेवन करके भी एलर्जी से राहत मिल सकती है। हम ऊपर बता ही चुके हैं कि काली मिर्च में एलर्जी से जुड़ी सूजन कम करने वाला प्रभाव होता है।

12. हर्बल टी

सामग्री:

  • आवश्यकतानुसार हर्बल टी (तुलसी, अदरक)
  • स्वादानुसार शहद (वैकल्पिक)

उपयोग का तरीका:

  • एक कप गर्म पानी में हर्बल टी के बैग को डाल दें।
  • दो से तीन मिनट बाद टी-बैग को निकाल लें।
  • अब इसे गरमा गरम पी लें।
  • अगर इसका स्वाद पसंद न हो, तो इसमें शहद को भी मिलाया जा सकता है।

कैसे लाभदायक है:

तुलसी और अदरक जैसी जड़ी-बूटियों की चाय भी एलर्जी से राहत पाने के लिए पी सकती हैं। अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन और दर्द को कम करते हैं। इसके अलावा, अदरक श्वसन प्रणाली में होने वाले ब्लॉकेज को भी रोक सकता है। अदरक के राइजोम (Rhizomes) यानी जड़ व तनों के घटकों को एलर्जी प्रतिक्रियाओं को रोकने में सक्षम माना जाता है। इसका उपयोग एलर्जी रोगों के लिए भी किया जा सकता है (25 )।

तुलसी में भी एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होता है, जो धूल से होने वाली एलर्जी के लक्षणों को कम कर सकता है (26)। यहां हम स्पष्ट कर दें कि हर्बल टी एलर्जी के सिर्फ लक्षणों को कुछ कम कर सकती है। वहीं, अगर एलर्जी नहीं है, तो हर्बल टी व्यक्ति को स्वस्थ रख सकती है।

13. एयर फिल्टर

धूल से एलर्जी का इलाज करने के लिए एयर फिल्टर मशीन का उपयोग कर सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, एयर फिल्टर से डस्ट माइट्स को कम किया जा सकता है। डस्ट माइट्स से छुटकारा मिलने पर धूल से होने वाले एलर्जी का जोखिम कम हो सकता है। साथ ही कमरे की हवा भी साफ हो सकती है (27)।

14. विटामिन्स

धूल से एलर्जी का इलाज करने के लिए विटामिन्स को अच्छा माना जाता है। एक मेडिकल रिसर्च में दिया है कि विटामिन-सी और टोकोफेरोल यानी विटामिन-ई एलर्जी के जोखिम को कम कर सकते हैं (28 )। इसके लिए विटामिन सी और ई से समृद्ध खाद्य पदार्थ का सेवन कर सकते हैं। साथ ही डॉक्टर की सलाह पर इनके सप्लीमेंट का सेवन भी किया जा सकता है।

15. होम्योपैथिक रेमेडी

होम्योपैथी के उपचार में आयुर्वेदिक गुणों से समृद्ध घरेलू सामग्री का इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे कि प्याज, लहसुन आदि। प्याज में एंटी-एलर्जिक गुण होता है, जो एलर्जी के जोखिम को कम करने और एलर्जी के असर को कम कर सकता है (29 )। साथ ही लहसुन में भी एंटी एलर्जिक प्रभाव होता है, जो इस स्थिति में सहायक हो सकता है (30)। इन दोनों सामग्री को आहार में शामिल कर सकते हैं।

16. हाउस प्लांट्स

ड्रैकैना अर्बोरिया – धूल एलर्जी से निपटने के लिए घर के अंदर कुछ पौधों को लगाया जा सकता है। इसके लिए ड्रैकैना अर्बोरिया जैसे पौधे को अपने घर में लगा सकते हैं। इस पौधे के पत्ते घर की हवा में मौजूद एयरबोर्न पोलन और फंगल को आकर्षित करके हवा को साफ करते हैं (31)।

अजेरेटम कोनीजोइडस – यह एक चौड़ी पत्ती वाली पौधा है, जिसका फूल हल्के बैगनी रंग का होता है। इस पौधे का उपयोग भी डस्ट एलर्जी से बचने के लिए हाउस प्लांट के रूप में किया जा सकता है। यह हवा से पोलन को आकर्षित करता है। इससे एलर्जी के जोखिम को कम किया जा सकता है (31)। इसे जंगली पुदीना भ कहा जाता है। इसे अंदर लगाने की जगह घर के दरवाजे के बाहर गमले में या कियारी में लगा सकते हैं।

पढ़ना जारी रखें

अब एक नजर धूल से एलर्जी का इलाज कैसे किया जाता है, इस पर डाल लेते हैं।

धूल से एलर्जी का इलाज – Treatment of Dust Allergy in Hindi

डस्ट एलर्जी से संबंधित हल्के लक्षण नजर आने पर यह कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो सकते हैं। अगर लंबे समय से खांसी या सांस लेने में कठिनाई हो रही है, तो धूल से एलर्जी का इलाज करने के लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। एलर्जी के प्रकार के आधार पर ही डॉक्टर मेडिकेटेड क्रीम, लोशन व खाने वाली दवा दे सकते हैं। इस दौरान डॉक्टर से मिलने वाले ट्रीटमेंट कुछ इस प्रकार हो सकते हैं (32)।

  1. एंटीहिस्टामाइन – यह एक तरह की दवाई होती है, जिसे लेने की सलाह डॉक्टर डस्ट एलर्जी के कारण होने वाली खुजली, छींक और आंखों में पानी आने से राहत मिल सकती है।
  2. डीकन्जेस्टेंट्स – इसके इस्तेमाल से भरी हुई नाक और बंद नाक से छुटकारा मिल सकता है।
  3. नसल स्टेरॉयड – यह स्टेरॉयड नाक के सूजन को कम करने का काम कर सकता है, जिससे कि डस्ट एलर्जी के वजह से होने वाली सांस लेने की समस्या कम हो सकती है।
  4. ल्यूकोट्रिएन मॉडिफायर – यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में कुछ रसायनों को रोकने का काम कर करता है, जो डस्ट एलर्जी के इलाज में फायदा पहुंचा सकता है।
  5. इम्मुनोथेरपी – डॉक्टर एलर्जी शॉट्स लेने की भी सलाह दे सकते हैं। इसे इम्युनोथेरेपी भी कहा जाता है। इसकी मदद से शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम को प्रतिक्रिया न देने के लिए ट्रेन किया जाता है।
  6. नेजर इरिगेशन – इस दौरान डॉक्टर नासिका में सलाइन सॉल्यूशन डालकर नाक और साइनस को साफ करते हैं। इससे नाक में होने वाली कसावट और एलर्जी के अन्य लक्षण से छुटकारा मिल सकता है।

लेख में बने रहें

धूल से एलर्जी का इलाज करने का तरीका बताने के बाद अब हम डस्ट एलर्जी से बचने के टिप्स देंगे।

धूल से एलर्जी से बचने के उपाय – Prevention Tips for Dust Allergy in Hindi

एलर्जी का इलाज करवाने के अलावा कुछ टिप्स की मदद से डस्ट एलर्जी से खुद को बचाया भी जा सकता है (33) (2)।

  • मोल्ड को कंट्रोल करने के लिए ह्यूमिडिटी को नियंत्रित करें।
  • घर में मॉइस्चर न आने दें। अगर खिड़कियों और पाइप से लीकेज हो रही है, तो उसे ठीक कर दें।
  • गर्म पानी (130 ° F) से सप्ताह में एक बार चादर और पिलो कवर धोएं और गर्म हवा वाले ड्रायर में सुखाएं।
  • तकिये या फाइबर वाले कंबल का इस्तेमाल करने से बचें, क्योंकि इनमें डस्ट ज्यादा होती है।
  • घर में वॉल-टू-वॉल कार्पेट की जगह हार्डवुड, लिनोलियम या टाइल्स लगाएं।
  • अगर घर में कालीन बिछा रखा है, तो उसकी धुलाई भी नियमित रूप से करते रहें।
  • ह्यूमिडिटी का स्तर 50% से कम बनाए रखें।
  • घर में मौजूद धूल को साफ करने के लिए वैक्यूम क्लिनर का उपयोग नियमित रूप से करें।
  • धूल हटाने के लिए एक नम पोछे का इस्तेमाल करें।
  • घर साफ करते वक्त मास्क पहनें।
  • अगर घर का कोई अन्य सदस्य घर की सफाई कर रहा हो, तो बेहतर है खुद को और बच्चों को घर से बाहर रखें।
  • एलर्जी से बचाव या राहत के लिए नीम का उपयोग कर सकते हैं।
  • काली मिर्च पाउडर को घी के साथ सुबह-शाम लेने से राहत मिल सकती है।
  • आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. जील गांधी की मानें, तो धूल के एलर्जी के लक्षणों से राहत पाने और इसे ठीक करने के लिए नाक में दो बूंद गुनगुना घी डालना उपयोगी हो सकता है। ऐसा सोने से पहले और सुबह उठने के बाद किया जा सकता है।

धुल से एलर्जी किसी को भी हो सकती है। ऐसे में इसे होने से रोकने के लिए लेख में दिए गए बचने के उपाय को अपना सकते हैं। बस थोड़ी सी सावधानी, साफ-सफाई और जागरूकता किसी को भी डस्ट एलर्जी से बचा सकती है। अब हम लेख में आगे पाठकों द्वारा पूछे गए कुछ सवालों के जवाब देंगे। अपने प्रियजनों को डस्ट एलर्जी से बचाने के लिए इस लेख को उनके साथ जरूर साझा करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

धूल एलर्जी के कारण आने वाली छींक को कैसे रोकें?

घर में मौजूद एयर फिल्टर को बदलने से थोड़ी राहत मिल सकती है। अगर घर में पालतू जानवर है, तो उसे घर के बाहर ही रखें। घर की सभी चादरों को धोएं और घर को धूल मुक्त करें। धूल या पराग की वजह से एलर्जी होने पर मास्क का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। फिर भी अगर लगातार छींक आ रही है, तो कुछ देर के लिए घर से बाहर निकल जाएं। बाहर जाने के बाद छींक रूक जाती है, तो समझ जाएं कि ये सब घर में मौजूद मोल्ड व डेंडर की वजह से हो रहा है। ऐसे में घर की क्लिनिंग जरूरी है (34)।

डस्ट एलर्जी के लिए सबसे अच्छी दवा क्या है?

आमतौर पर एलर्जी के लिए जो दवाई लेने की सलाह दी जाती है, वो कुछ इस प्रकार हैं (32):

  • एंटिहिस्टामाइन्स (Antihistamines)
  • स्टेरॉयड (कॉर्टिकोस्टेरॉइड – Corticosteroids)
  • ल्यूकोट्रिएन रिसेप्टर एंटागोनिस्ट (Leukotriene receptor antagonists)
  • क्रोमोन्स (मास्ट सेल स्टेबलाइजर्स)
  • डीकन्जेस्टेंट नेसल ड्रॉप और स्प्रे

नोट: किस वजह से एलर्जी हुई है, इस बात को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर ही सटीक दवा दे सकते हैं।

क्या आप लाइजोल से डस्ट माइट्स को मार सकते हैं?

माना जाता है कि लाइजोल कीटाणुओं को मारने के साथ ही डस्ट माइट्स को भी खत्म करने में मदद कर सकता है। दरअसल, इसमें कीटाणुनाशक गुण मौजूद होते हैं। इसलिए, डस्ट एलर्जी पैदा करने वाले मोल्ड्स, माइट्स और अन्य कणों पर यह प्रभावकारी माना गया है (35) (36)।

घर में किन चीजों से एलर्जी हो सकती है?

घर में मौजूद धूल, माइट्स, कॉकरोच, जानवरों के बाल, डैंड्रफ, डेड सेल्स आदि एलर्जी का कारण हो सकते हैं। कई बार घर के आस-पास मौजूद पेड़, फूल और पौधों के पराग भी एलर्जी की वजह बन जाते हैं।

मौसमी (सीजनल) एलर्जी क्या होती है?

मौसमी एलर्जी को हे फीवर या एलर्जिक राइनाइटिस भी कहा जाता है। इस दौरान इम्यून सिस्टम ऐसी चीजों पर प्रतिक्रिया करने लगता है, जो हानिकारक या परेशानी का कारण नहीं बनती हैं। खासकर, मौसमी व सीजनल एलर्जी पेड़-पौधों के पराग की वजह से होती है। उदाहरण के लिए – जैसे ही आम का सीजन आता है, तो पेड़ में आम लगने से पहले उसमें लगने वाले फूल की वजह से पूरी हवा में पराग घुल जाता है, जिस वजह से एलर्जी हो सकती है। इसके लक्षणों में छींकना, खांसी, बहती या भरी हुई नाक और आंख, नाक, मुंह व गले में खुजली शामिल हो सकती है ।

क्या धूल से होने वाली एलर्जी को ठीक किया जा सकता है?

हमेशा के लिए धूल से एलर्जी से छुटकारा नहीं पाया जा सकता है। अगर कोई धूल के प्रति संवेदनशील है, तो उसे धूल से एलर्जी होगी ही। हां, इसके लक्षण को कम करने के लिए कुछ उपाय को अपना सकते हैं, जिसमें शहद, हल्दी और एलोवेरा आदि को शामिल हैं, जिनके बारे में लेख में विस्तार से बताया गया है। साथ ही डस्ट एलर्जी ट्रीटमेंट की मदद भी ले सकते हैं।

धूल की एलर्जी कब तक रहती है?

धूल से एलर्जी कुछ लोगों में 2 से 3 घंटे में ठीक हो जाती है, तो कुछ लोगों की पूरे दिन रह सकती है। अगर किसी में डस्ट एलर्जी के लक्षण एक दिन से ज्यादा दिखाई दे रहे हैं, तो वो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

References

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  1. House Dust Mites
    https://entomology.ca.uky.edu/ef646
  2. Basic Facts about Mold and Dampness
    https://www.cdc.gov/mold/faqs.htm
  3. Hay Fever
    https://medlineplus.gov/hayfever.html
  4. Dust mite allergies: Overview
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK447098/
  5. Allergic rhinitis
    https://medlineplus.gov/ency/article/000813.htm
  6. Apple cider vinegar boosted immunomodulatory and health promoting effects of Lactobacillus casei in common carp (Cyprinus carpio)
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/28602743/
  7. Antimicrobial activity of apple cider vinegar against Escherichia coli; Staphylococcus aureus and Candida albicans, downregulating cytokine and microbial protein expression
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5788933/
  8. WHAT DOES APPLE CIDER VINEGAR NOT DO
    https://www.pacificcollege.edu/news/blog/2015/04/25/what-does-apple-cider-vinegar-not-do
  9. Analgesic and anti-inflammatory effects of essential oils of Eucalyptus
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/14611892/
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  33. dust mite and cockroaches
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  34. Sneezing
    https://medlineplus.gov/ency/article/003060.htm
  35. Environmental Control Measures for the Management of Atopy
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  36. UNITED STATES ENVIRONMENTAL PROTECTION AGENCY
    https://www3.epa.gov/pesticides/chem_search/ppls/000777-00094-20110825.pdf
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Dr. Zeel Gandhi is an Ayurvedic doctor with 7 years of experience and an expert at providing holistic solutions for health problems encompassing Internal medicine, Panchakarma, Yoga, Ayurvedic Nutrition, and formulations.

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Saral Jain
Saral Jainहेल्थ एंड वेलनेस राइटर
सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ.

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