Dr. Zeel Gandhi, BAMS
Written by , (शिक्षा- बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मीडिया कम्युनिकेशन)

मौसम में बदलाव कई तरह की बीमारियों को आमंत्रित कर सकता है। इन्हीं बीमारियों में से एक है ‘इओसिनोफिलिया’। हालांकि, इसके और भी कई कारण हो सकते हैं, जिनके बारे में आगे लेख में बताया गया है। संभव है कि कुछ लोगों को इओसिनोफिलिया के बारे में पहले से ही थोड़ी-बहुत जानकारी हो। वहीं, कुछ लोगों के लिए यह बीमारी नई हो सकती है। इसलिए, स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम ‘इओसिनोफिलिया’ से जुड़ी आवश्यक जानकारी देने की कोशिश करेंगे। इस लेख में इओसिनोफिलिया क्या है? इओसिनोफिलिया के कारण, लक्षण और इओसिनोफिलिया का इलाज किस प्रकार किया जा सकता है, इस संबंध में बताया जाएगा। साथ ही आप पाठकों के लिए हमारा यह सुझाव भी है कि इओसिनोफिलिया के लक्षण गंभीर हों, तो वो डॉक्टरी उपचार में देर न करें।

जब तक बीमारी की जानकारी नहीं होगी तब तक उसका सही इलाज संभव नहीं है। इसलिए, लेख के इस भाग में हम इओसिनोफिलिया क्या है? इस  बारे में जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं।

इओसिनोफिलिया क्या है? – What is Eosinophilia in Hindi

इओसिनोफिल सफेद रक्त कोशिका का एक प्रकार है। ये कोशिकाएं शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करती हैं (1), लेकिन जब इनकी संख्या रक्त में बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, तो इस स्थिति को इओसिनोफिलिया कहा जाता है (2)। इओसिनोफिलिया की अवस्था में फेफड़े, त्वचा, हृदय, रक्त वाहिकाएं, साइनस, गुर्दे और मस्तिष्क प्रभावित हो सकता है (3)।

अब बारी आती है इओसिनोफिलिया के कारण जानने की। लेख के इस भाग में हमारी कोशिश यही रहेगी कि आसान से आसान शब्दों में हम अपने पाठकों को इओसिनोफिलिया के कारण समझा सकें।

इओसिनोफिलिया के कारण – Causes of Eosinophilia in Hindi

आमतौर पर व्यक्ति के खून में बड़ी संख्या में इओसिनोफिल नहीं होते, लेकिन नीचे बताए गए कारणों से खून में इनकी संख्या बढ़ सकती है (1) (3)।

  • एलर्जी संबंधी विकार
  • त्वचा की स्थिति
  • परजीवी और फंगल संक्रमण
  • ऑटोइम्यून डिजीज (जब प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से शरीर पर हमला करती है)
  • कैंसर
  • बोन मैरो संबंधित समस्या
  • दमा
  • एलर्जिक राइनाइटिस

इसके अलावा, इओसिनोफिलिया के सामान्य कारणों में हेल्मिंथिक परजीवी संक्रमण (Helminthic Parasite Infections), एटोपिक, एलर्जी रोग या दवा का रिएक्शन भी शामिल है (4)।

किसी भी बीमारी के लक्षण जानना बहुत ही जरूरी है। इसलिए, लेख के इस भाग में हम इओसिनोफिलिया के लक्षणों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

इओसिनोफिलिया के लक्षण – Symptoms of Eosinophilia in Hindi

अगर किसी बीमारी का लक्षण पता हो, तो उसका इलाज करना आसान हो जाता है। इसलिए, हम नीचे इओसिनोफिलिया के लक्षणों की जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं। आमतौर पर इओसिनोफिलिया का कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होता है, लेकिन दुर्लभ मामलों में नीचे बताए गए लक्षण दिख सकते हैं (5)।

  • सूजन
  • खुजली
  • फेफड़ों से जुड़ी एलर्जिक समस्या
  • हृदय रोग
  • नर्व डैमेज

लेख में आगे जानते हैं कि इओसिनोफिलिया के जोखिम कारक क्या-क्या हो सकते हैं।

इओसिनोफिलिया के जोखिम कारक – Risk Factors of Eosinophilia in Hindi

नीचे बताए गए इओसिनोफिलिया के जोखिम कारकों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है। ये सारे जोखिम कारक सिर्फ एक अनुमान के तौर पर बताए जा रहे हैं। इसलिए, सही जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।

  • मौसम में बदलाव
  • परिवार में अगर किसी को इओसिनोफिलिया रहा हो
  • बढ़ती उम्र के कारण
  • एलर्जी
  • दमा

लेख के इस भाग में जानते हैं कि इओसिनोफिलिया का इलाज किस प्रकार किया जा सकता है।

इओसिनोफिलिया का इलाज – Treatment of Eosinophilia in Hindi

इओसिनोफिलिया का इलाज इसके कारण और इससे प्रभावित शरीर के हिस्से पर निर्भर करता है। डॉक्टर मरीज में इओसिनोफिलिया के प्रभाव की ठीक प्रकार से जांच करके ही इसके उपचार को आगे बढ़ाते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में एल्बेंडाजोल (Albendazole) जैसी दवा और स्टेरॉयड के जरिए भी इसका इलाज किया जा सकता है (1) (5) (6)। ध्यान रहे कि बिना डॉक्टरी परामर्श के किसी भी दवा का सेवन न करें। इसके अलावा, इओसिनोफिलिया का इलाज इस पर भी निर्भर करता है कि शरीर का कौन-सा हिस्सा प्रभावित हुआ है। इओसिनोफिलिक के  कारण किस मरीज को कैसी समस्या हुई है, इलाज उसी पर निर्भर करता है। इसलिए, यहां एक-एक विकार के बारे में विस्तार से बताना संभव नहीं है। बेहतर यही है कि मरीज को बिना देरी किए डॉक्टर के पास लेकर जाया जाए और उचित उपचार कराया जाए।

लेख के आगे के भाग में हम इओसिनोफिलिया से बचने के कुछ उपायों की जानकारी देंगे।

इओसिनोफिलिया से बचने के उपाय – Prevention Tips for Eosinophilia in Hindi

हालांकि, इओसिनोफिलिया से बचाव के लिए कोई सटीक वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है, लेकिन नीचे बताए गए उपायों का पालन कर इस समस्या से बचा जा सकता है।

  • एलर्जी पैदा करने वाले पदार्थों से दूर रहें।
  • बाहर से जब भी आएं, अच्छी तरह हाथ-पैर धोएं।
  • साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें।
  • मौसम में बदलाव के दौरान खुद का ज्यादा से ज्यादा ध्यान रखें।
  • कच्चे फल और सब्जियां खाने से पहले उन्हें अच्छे से धो लें।
  • बाहर के खाद्य पदार्थों को खाने से बचें।

आशा करते हैं कि पाठकों को इस लेख से इओसिनोफिलिया के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिल गई होगी। पाठक, इओसिनोफिलिया के लक्षण पर ध्यान देकर और लेख में बताए गए बचाव के उपायों का पालन कर इस समस्या से अपना बचाव कर सकते हैं। ध्यान रखें कि सही वक्त पर इओसिनोफिलिया का इलाज जरूरी है। जैसे ही इओसिनोफिलिया के लक्षण दिखें, बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही इस लेख को दूसरों के साथ साझा कर इओसिनोफिलिया के बारे में जागरूकता बढ़ाएं। इसके अलावा, इओसिनोफिलिया से संबंधित अन्य जानकारी के लिए नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स की मदद जरूर लें।

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Dr. Zeel Gandhi is an Ayurvedic doctor with 7 years of experience and an expert at providing holistic solutions for health problems encompassing Internal medicine, Panchakarma, Yoga, Ayurvedic Nutrition, and formulations.

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Saral Jain
Saral Jainहेल्थ एंड वेलनेस राइटर
सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ.

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