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गर्भधारण करने के लिए प्रजनन क्षमता का बेहतर होना जरूरी है। इसलिए, जब कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंट होने में परेशानी आती है, तो वो दवाइयों का सहारा लेती हैं। वैसे ये दवाइयां डॉक्टर की सलाह पर ही ली जाती हैं, लेकिन लंबे समय तक इसे लेना शायद सही न हो। ऐसे में अगर यह कहा जाए कि योग करना शुरू करें, तो गलत नहीं होगा। योग हर किसी को शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रखता है। इसका सकारात्मक असर प्रजनन क्षमता पर भी हो सकता है। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम इसी बारे में बात करेंगे। यहां हम कुछ ऐसे योगासनों के बारे में बताएंगे, जो गर्भधारण करने में सहायता कर सकते हैँ।
आइए, सबसे पहले जानते हैं कि योग किस हद तक गर्भधारण में सहायक है।
क्या योग महिला की प्रजनन (फर्टिलिटी) क्षमता को बढ़ा सकता है?
जी हां, योग करने से प्रजनन क्षमता में कुछ हद तक सुधार हो सकता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर पब्लिश एक मेडिकल रिसर्च द्वारा इस तथ्य को प्रमाणित किया गया है। इस शोध में दिया है कि योग करने पर महिला और पुरुष दोनों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। इससे शारीरिक दर्द, तनाव, चिंता व अवसाद की समस्या भी कुछ हद तक कम हो सकती है। परिणामस्वरूप फर्टिलिटी व असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी की सफलता दर बेहतर हो सकती है (1)।
आगे जानिए, फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए योग के लाभ किस तरह के हो सकते हैं।
फर्टिलिटी को बढ़ाने के लिए योगासन के फायदे | Benefits of yoga asanas to increase fertility
योग शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर कर फर्टिलिटी को बूस्ट करने में मदद कर सकता है। ऐसे ही फायदों के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है।
- प्रजनन क्षेत्र पर असर- योग करने से प्रजनन क्षेत्र में रक्त व ऑक्सीजन का संचार बेहतर तरीके से होता है। साथ ही उस भाग में आई किसी भी प्रकार की रुकावट भी दूर हो सकती है। इससे प्रजनन क्षमता में सुधार हो सकता है (2)।
- हार्मोनल संतुलन के लिए- योग की मदद से एंडोक्राइन सिस्टम को ठीक किया जा सकता है। इससे हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद मिल सकती है (2)। दरअसल, एंडोक्राइन सिस्टम कई ग्रंथियों का समूह होता है, जो विभिन्न हार्मोन को रक्त के माध्यम से शरीर के सभी अंगों तक पहुंचता है। इससे शरीर के सभी अंग बेहतर तरीके से काम कर पाते हैं (3)।
- तनाव कम करे- नियमित योग करने से तनाव से कुछ राहत मिल सकती है। इससे जीवन को बेहतर तरीके से जिया जा सकता है और इसका सीधा असर प्रजनन क्षमता पर नजर आता है (2)।
- फैट व ग्लूकोज पर असर- मोटापा व मधुमेह की समस्या होने पर इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है (4)। वहीं, योग करने पर शरीर में मौजूद फैट व ग्लूकोज के स्तर को कम किया जा सकता है। इससे गर्भधारण करने में कुछ हद तक मदद मिल सकती है (2)।
लेख के इस अहम भाग में हम गर्भधारण की संभावना को बेहतर करने वाले योगासनों के बारे में जानेंगे।
गर्भधारण की संभावना बढ़ाने वाले 10+ योगासन | Best And Effective Yoga Poses That Increase Conception In Hindi
फर्टिलिटी क्षमता को बढ़ाने के लिए कई योगासन किए जा सकते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है। यहां हम इन्हें करने के तरीके भी बता रहे हैं। बस ध्यान रहे कि शुरुआत में इन योगासनों को अच्छे योग प्रशिक्षक की देखरेख में किया जाना चाहिए।
1. भ्रामरी प्राणायाम
इस संबंध में प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध की मानें, तो भ्रामरी प्राणायाम मांसपेशियों के तनाव, क्रोध और चिंता से राहत दिलाकर शरीर और दिमाग को बेहतर आराम दे सकता है। इससे अच्छी तरह गर्भधारण करने में मदद मिल सकती है (2) (5)।
योग करने का तरीका :
- इस योग को करने के लिए सबसे पहले स्वच्छ जगह पर योग मैट या चटाई बिछाकर बैठ जाएं।
- अब आंखें बंद करके मन को शांत करने की कोशिश करें।
- फिर अपने दोनों हाथों के अंगूठे से कान को बंद कर मध्य और अनामिका उंगली को आंखों के ऊपर रखें।
- इसके बाद मुंह को बंद रखते हुए नाक से लंबी सांस अंदर लें। फिर मधुमक्खी जैसी ह्म्म्म्म्म आवाज करते हुए धीरे-धीरे सांस को बाहर छोड़ें।
- इस समय सांस लेने की क्रिया करीब 5 सेकंड और छोड़ने का समय लगभग 15 सेकंड तक होना चाहिए।
- ऐसा लगतार 5 से 6 बार दोहराएं।
- इस योग को कुछ सेकंड का विराम ले लेकर 5 से 10 मिनट तक कर सकते हैं।
सावधानियां :
इस योग को करने से पहले नीचे बताए गए बातों को ध्यान में जरूर रखें (6) :
- भ्रामरी प्राणायाम को हमेशा खाली पेट करें।
- इस योग के समय आंखों को उंगली से जोर से न दबाएं।
- अगर किसी को माइग्रेन की समस्या है, तो वे इस योग को करने से बचें।
2. पश्चिमोत्तानासन
फर्टिलिटी को बढ़ाने की चाह रखने वाले पश्चिमोत्तानासन भी कर सकते हैं। एक वैज्ञानिक शोध में दिया है कि यह गर्भाशय व अंडाशय को सक्रिय कर गर्भधारण करने में मदद कर सकता है। साथ ही इससे प्रजनन क्षमता के स्तर में भी सुधार हो सकता है, क्योंकि यह तनाव और अवसाद से छुटकारा दिला सकता है (2)।
योग करने का तरीका :
- सबसे पहले एक समतल स्थान पर चटाई या योग मैट बिछा लें और पैरों को सामने की तरफ फैलाकर बैठ जाएं।
- इस समय दोनों पैर आपस में सटे हुए व घुटने सीधे होने चाहिए।
- इस अभ्यास के समय सिर, गर्दन व रीढ़ की हड्डी भी सीधी रहनी चाहिए।
- फिर लंबी गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठा लें और धीमे-धीमे सांस को बाहर छोड़ते हुए सामने की ओर झुककर माथे को घुटनों पर टिकाने का प्रयास करें। साथ ही हाथों से पैरों के अंगुठों को छूने या पकड़ने की कोशिश करें।
- सामने की तरफ झुकते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि घुटने मुड़ने नहीं चाहिए।
- अब थोड़ी देर अपनी क्षमता के अनुसार इस मुद्रा में बने रहने की कोशिश करें व सामान्य रूप से सांस लेते व छोड़ते रहें।
- इसके बाद लंबी सांस लेते हुए पहले वाली मुद्रा में जाएं।
- इस योग को शुरुआत में करीब 10 मिनट तक किया जा सकता है।
सावधानियां :
- इस योग को गर्भधारण करने से पहले तक ही करना चाहिए। गर्भधारण करने के बाद इस योग को करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे पेट पर दबाव पड़ता है।
- अल्सर, अस्थमा व स्लिप डिस्क की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति इस आसन को न करें।
- अगर किसी के पीठ, कमर या पेट वाले भाग में हाल ही में सर्जरी हुई है, तो वो इस योग को करने से बचें।
- अगर किसी को डायरिया है, तो इस आसन को करने की कोशिश न करें।
3. हस्त पादासन
हस्त पादासन के नियमित अभ्यास से भी फर्टिलिटी को बढ़ावा मिल सकता है। दरअसल, यह आसन पीठ की सभी मांसपेशियों को फैलाकर तंत्रिका तंत्र और श्रोणि क्षेत्र में रक्त की आपूर्ति में सुधार कर सकता है। साथ ही यह पेट वाले भाग से तनाव को दूर कर सकता है। इससे प्रजनन क्षमता में कुछ हद तक सुधार हो सकता है (2)।
योग करने का तरीका :
- हस्त पादासन को करने के लिए योग मैट या चटाई पर दोनों पैरों को आपस में सटाकर सीधे खड़े हो जाएं।
- अब लंबी गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं और कानों से सटाकर रखें।
- इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें।
- झुकने के बाद सिर को घुटनों से लगाने का प्रयास करें और दोनों हथेलियों को पैरों के पास जमीन पर रखें।
- कुछ सेकंड के लिए इसी अवस्था में रहें व सामान्य रूप से सांस लेते व छोड़ते रहें।
- फिर गहरी सांस लेते हुए शुरुआती मुद्रा में जा जाएं।
- इस आसन को कुछ सेकंड का विराम लेकर पांच बार कर सकते हैं।
सावधानियां :
- यदि पीठ के निचले हिस्से में चोट, सर्वाइकल में दर्द और रीढ़ की हड्डी की समस्या है, तो इस आसन का अभ्यास न करें।
- इस योग को मासिक धर्म के दौरान न करें।
4. जानू शीर्षासन
जानु शीर्षासन को फर्टिलिटी बूस्ट करने वाले बेस्ट योग की सूची में शामिल किया गया है (2)। एक वैज्ञानिक अध्ययन के मुताबिक, इनफर्टिलिटी की समस्या से परेशान लोगों को कुछ योग कराया गया। इन योग से शरीर को मजबूत करने और ऊर्जा को बेहतर रूप से संचारित करने में मदद मिली, जिससे फर्टिलिटी के स्तर में कुछ सुधार नोट किया गया। इन कराए गए योग में से एक जानु शीर्षासन भी था (7)।
योग करने का तरीका :
- इस योग को करने के लिए सबसे पहले एक मैट पर दोनों पैरों को आगे की ओर फैलाकर बैठ जाएं।
- इस समय कमर एकदम सीधी होनी चाहिए।
- अब दाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए तलवे को बाएं जंघा के साथ टिका दें।
- इसके बाद गहरी सांस भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठाएं।
- फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सामने की ओर झुकें और बाएं पैर के अंगूठे को दोनों हाथों से छूने या पकड़ने की कोशिश करें।
- इस मुद्रा में आने के बाद सिर को घुटने पर रखने की कोशिश करें।
- फिर अपनी क्षमता के अनुसार थोड़ी देर उसी मुद्रा में बने रहें व सामान्य गति से सांस लेते और छोड़ते रहें।
- अब सांस लेते हुए धीरे-धीरे प्रारंभिक मुद्रा में आ जाएं।
- इसके बाद इस क्रिया को दूसरे पैर के साथ भी करें।
- शुरुआत में इस योग के तीन से पांच चक्र कर सकते हैं।
सावधानियां :
- अगर पेट का ऑपरेशन हुआ है, तो इस आसन को नहीं करना चाहिए।
- अगर पीठ के निचले हिस्से में दर्द है, तो इस आसन को करने से परहेज करें।
5. बद्धकोणासन
प्रजनन क्षमता के स्तर को बढ़ाने के लिए बद्धकोणासन यानी बटरफ्लाई पोज को भी किया जा सकता है। एक वैज्ञानिक रिसर्च में दिया गया है कि इस योग को करने पर भीतरी जांघ, ग्रोइन (पेट और जांध के बीच का भाग) और घुटनों को फैलाने में मदद मिल सकती है। साथ ही यह ग्रोइन और हिप्स वाले भाग के लचीलेपन में सुधार कर सकता है (2)। इससे फर्टिलिटी के स्तर में कुछ हद तक सुधार हो सकता है।
योग करने का तरीका :
- इस योग को करने के लिए एक स्वच्छ स्थान पर चटाई बिछाकर पैरों को सामने की तरफ फैला कर बैठ जाएं।
- फिर दोनों पैरों को घुटने से मोड़कर तलवों को जोड़ लें।
- अब दोनों हाथों से अच्छी ग्रिप बनाकर पैर के आगे वाले भाग को पकड़ लें।
- इस समय रीड़ की हड्डी सीधी व घुटने जमीन से सटे हुए होने चाहिए।
- इसके बाद दोनों घुटनों को धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करें, जिस तरह से तितली अपने पंखों को ऊपर-नीचे करती है।
- ऐसा करते समय नियमित रूप से सांस लेते और छोड़ते रहें।
- इस योग को कुछ सेकंड के विराम के साथ करीब 10 मिनट तक कर सकते हैं।
सावधानियां :
- अगर किसी को घुटने में दर्द की शिकायत या चोट लगी है, तो इस आसन को करने से बचें।
- जिनकी रीड़ की हड्डी में दर्द है, वो इस आसन को करने की कोशिश न करें।
6. विपरीत करनी
फर्टिलिटी के स्तर को बढ़ाने वाले योग में विपरीत करनी को भी शामिल किया जा सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, इस योग को नियमित रूप से करने पर श्रोणि क्षेत्र के रक्त संचार में सुधार हो सकता है। साथ ही यौन क्रिया के बाद शरीर को आराम देकर गर्भधारण की संभावना बढ़ाई जा सकती हैं (2)।
योग करने का तरीका :
- योग मैट को कमरे या बालकनी की दीवार से सटाकर बिछा लें।
- अब दीवार की तरफ मुंह करके बैठ जाएं।
- इसके बाद दोनों हाथों से सहारा लेते हुए धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकें और हिप्स व पैरों वाले हिस्से को ऊपर उठाकर सीधे दीवार से टिका दें।
- शरीर का संतुलन बनाए रखने के लिए कमर को हाथों से सहारा दें।
- इस वक्त सिर, कोहनी व कंधे जमीन पर टिके रहेंगे और शरीर का पूरा भार कोहनी व कंधों पर होगा।
- कुछ सेकंड तक इसी अवस्था में रहें और सामान्य गति से सांस लें और छोड़ें।
- अब धीरे-धीरे इस क्रिया को विपरीत करते हुए शुरुआती मुद्रा में आ जाएं।
- इस योग को कुछ सेकंड के आराम के बाद लगातार करीब 10 मिनट तक कर सकते हैं।
सावधानियां :
- इस योग को मासिक धर्म के समय और उच्च रक्तचाप की स्थिति में नहीं करना चाहिए।
- ग्लूकोमा यानी एक तरह की आंख की समस्या होने पर इस योग का अभ्यास न करें।
- अगर किसी के गर्दन में दर्द है, तो इस आसन को करने से बचना चाहिए।
7. बालासन
अगर कोई दंपति इनफर्टिलिटी की समस्या से परेशान है, तो उन्हें बालासन का अभ्यास जरूर करना चाहिए (7)। दरअसल, बालासन तनाव को कम करके शरीर को आराम देने का काम कर सकता है, क्योंकि इसे करते समय शरीर रिलैक्सेशन अवस्था में आ जाता है (8)। वहीं, शरीर को आराम देने पर गर्भधारण करने में मदद मिल सकती है।
योग करने का तरीका :
- इस योग को करने के लिए सबसे पहले योग मैट बिछाकर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
- फिर लंबी सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठाएं।
- अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सामने की तरफ झुकें और माथे को जमीन पर टिका दें।
- इसके बाद धीरे-धीरे चेस्ट को जांघों की ओर दबाने का प्रयास करें।
- इस समय दोनों हाथ व माथा जमीन पर होगा और छाती जांघों पर टिकी होगी।
- अपनी क्षमता के अनुसार इसी मुद्रा में बने रहें और सामान्य गति से सांस लेते व छोड़ते रहें।
- अब गहरी सांस भरते हुए प्रारंभिक मुद्रा में आ जाएं।
- इस आसन को करीब 5 बार किया जा सकता है।
सावधानियां :
- अगर घुटने या पीठ के निचले भाग में परेशानी है, तो इस योग का अभ्यास न करें।
- इस योग को दस्त या उच्च रक्तचाप की स्थिति में करने से बचें।
- अगर सिर को सामने की तरफ फर्श पर रखने में परेशानी हो रही हैं, तो जितना हो सके उतना ही सिर को झुकाएं।
8. शीर्षासन
शीर्षासन की मदद से फर्टिलिटी को बूस्ट किया जा सकता है। दरअसल, यह योगासन तनाव और चिंता से छुटकारा दिला सकता है। साथ ही शरीर के रक्त संचार को भी बेहतर कर सकता है (9)। इससे गर्भधारण करने की संभावना बढ़ सकती है।
योग करने का तरीका :
- शीर्षासन करने के लिए योग मैट बिछाकर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
- अब अपने दोनों हाथों की उंगलियों को एक दूसरे में फंसाकर इंटरलॉक कर लें और सामने की ओर झुककर हाथों को जमीन पर रख दें।
- इसके बाद सिर धीरे-धीरे सामने की तरफ झुकाकर हाथों के बीच में रखते हुए जमीन पर टिका दें।
- फिर धीरे-धीरे दोनों पैरों को एक साथ ऊपर उठाएं व सीधे कर लें।
- इस समय सिर के बल शरीर पूरी तरह सीधा होना चाहिए।
- इस मुद्रा में आने के बाद कुछ सेकंड तक बने रहें व नियमित रूप से सांस लें और छोड़ें।
- अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए दोनों पैरों को एक साथ नीचे कर प्रारंभिक मुद्रा में आ जाएं।
- शुरुआत में इस योग को विशेषज्ञ की मदद से दीवार के सहारे दो से तीन बार करें।
सावधानियां :
- हृदय रोग, गुर्दे की समस्या, रक्तचाप व गर्दन से जुड़ी समस्या होने पर इस मुद्रा को न करें।
- मासिक धर्म के समय इस आसन को करने से बचें।
- अगर इस आसन को करते समय किसी को सिरदर्द या चक्कर आ रहा है, तो इस आसन को करना तुरंत बंद कर दें।
- इस आसन को बिना प्रशिक्षक की निगरानी में न करें।
9. सेतु बंधासन
सेतु बंधासन करने से कई समस्याओं को दूर किया जा सकता है। इसका सकारात्मक असर फर्टिलिटी को बढ़ाने में देखा जा सकता है। दरअसल, इस योग के नियमति अभ्यास से मस्तिष्क को शांत कर तनाव से राहत मिल सकती है। साथ ही इसे करने से मासिक धर्म की परेशानी भी ठीक हो सकती है (10)। हम ऊपर बता ही चुके हैं कि प्रजनन क्षमता को कम करने के पीछे स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसे कारण जिम्मेदार होते हैं (7)। ऐसे में कहा जा सकता है कि सेतुबंधासन को करने से फर्टिलिटी बेहतर हो सकती है।
योग करने का तरीका :
- इस आसन को करने के लिए एक समतल स्थान पर योग मैट बिछाकर पीठ के सहारे लेट जाएं। साथ ही दोनों हाथों को शरीर से सटाकर रखें।
- इस समय सामान्य गति से सांस लेते और छोड़ते रहें।
- फिर धीरे-धीरे दोनों पैरों को घुटने से मोड़ें और हिप्स के पास ले आएं और एड़ियों को हाथों से पकड़ लें।
- इसके बाद हिप्स को धीरे-धीरे जितना हो सके ऊपर की ओर उठाएं। इस समय दोनों हाथ जमीन पर ही रहेंगे।
- फिर कुछ सेकंड तक इसी अवस्था में रहते हुए सामान्य गति से सांस लेते रहें।
- इसके बाद सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए हिप्स को वापस जमीन पर ले आएं। फिर पैरों को भी सीधा कर लें और कुछ सेकंड का विश्राम लें।
- इस यह आसन करीब 5-7 बार कर सकते हैं।
सावधानियां :
- अगर किसी को पीठ या घुटने में दर्द है, तो वे इस आसन का अभ्यास करने से बचें।
- जब हिप्स ऊपर होगा, तब अपने सिर को न ज्यादा हिलाएं व झुकाएं।
- यदि गर्दन में दर्द या कंधे में चोट लगी है, तो इस आसन को न करें।
10. भुजंगासन
प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में भुजंगासन मददगार साबित हो सकता है (7)। इस योग के नियमित अभ्यास से मासिक धर्म की अनियमितताओं में सुधार के साथ ही तनाव और थकान से राहत मिल सकती है। इसके अलावा, यह योग श्रोणि क्षेत्रों में रक्त व ऑक्सीजन के संचार में भी सुधार कर सकता है (11)। इससे फर्टिलिटी पर कुछ हद तक असर पड़ सकता है।
योग करने का तरीका :
- भुजंगासन करने के लिए शांत जगह पर योग मैट बिछाकर पेट के बल लेट जाएं।
- इस समय दोनों हाथों को सिर के दोनों तरफ रखें व माथे को जमीन पर रखें। साथ ही दोनों पैर तने हुए और दोनों के बीच थोड़ी दूरी होनी चाहिए।
- फिर अपनी दोनों हथेलियों को कंधों के बराबर में ले आएं और लंबी सांस भरते हुए हाथों से जमीन पर दबाव डालकर शरीर को नाभि तक ऊपर उठा लें।
- शरीर को ऊपर उठाने का क्रम में सबसे पहले मस्तक, फिर छाती व अंत में नाभि वाले भाग उठेगा।
- इस मुद्रा में आने के बाद सिर को पीछे की ओर झुकाकर आसमान की तरफ देखें व कुछ सेकंड उसी अवस्था में रहें।
- इस समय शरीर के ऊपरी हिस्से का सारा भार दोनों हाथों पर एक समान होना चाहिए और सांस लेने की क्रिया सामान्य होनी चाहिए।
- फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए शुरुआती मुद्रा में आ जाएं।
- यह इस योग का एक चक्र हुआ। ऐसे 5 चक्र किए जा सकते हैं।
सावधानियां :
भुजंगासन योग को कुछ स्थितियों में नहीं करना चाहिए, जिसके बारे में नीचे बिंदुओं के माध्यम से बता रहे हैं (12):
- गर्भवती महिला को यह आसन नहीं करना चाहिए।
- माहवारी के समय इस योग को करने से बचना चाहिए।
- अगर कोई कार्पल टनल सिंड्रोम (हाथ में दर्द व सुन्न पड़ना) से पीड़ित है, तो उसे यह योग नहीं करना चाहिए।
- अगर जोड़ों में दर्द है, तो इस आसन से परहेज करें।
- पसलियों या कलाइयों में फ्रैक्चर है, तो इस आसन से दूर रहें।
11. मलासन
इनफर्टिलिटी की समस्या को ठीक करने के लिए किए जाने वाले योग में मलासन का नाम भी शामिल है (7)। एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश रिसर्च के अनुसार, मलासन से अवसाद, चिंता व तनाव की समस्या से राहत मिल सकती है (13)। एक दूसरे शोध के मुताबिक, इन समस्याओं के कम होने पर गर्भधारण करने में मदद मिल सकती हैं।
योग करने का तरीका :
- इसे करने के लिए योग मैट या चटाई को बिछाकर सीधे खड़े हो जाएं।
- इस समय दोनों पैरों के बीच में 1 फिट तक की दूरी रखें।
- अब दोनों हाथों को सामने लगाकर जोड़ लें और छाती के सामने रखें, जिससे कि आप प्रार्थना की मुद्रा में दिखाई देंगे।
- फिर धीरे-धीरे पैरों के बल बैठ जाएं, इससे शरीर मल त्याग वाली स्थिति में दिखाई देगा।
- इस अवस्था में आने के बाद जांघों को धड़ से अधिक चौड़ा करके रखें।
- इसके बाद सांस छोड़ते हुए थोड़ा आगे की तरफ झुके, जैसे शरीर जांघों के बीच फंस गया हो।
- अब दोनों हाथों की कोहनियों को जांघ पर टिका कर रखें।
- इस योग को बार-बार करीब 10 मिनट तक किया जा सकता है।
सावधानियां :
- अगर किसी के पीठ के निचले भाग में चोट है, तो वो इस आसन को न करें।
- अगर घुटनों में दर्द या चोट हैं, तो इस योग को करने से बचें।
- कमर में दर्द या किसी तरह की परेशान हैं, तो इस आसन को न करें।
12. हलासन
हलासन के फायदे में फर्टिलिटी को बूस्ट करना भी शामिल हो सकता है। रिसर्च पेपर बताते हैं कि सभी तरह के योगासन करने से स्ट्रेस और थकान दूर हो सकते हैं (14)। इस बात का जिक्र हम ऊपर कर ही चुके हैं कि स्ट्रेस की वजह से फर्टीलिटी पर नकारात्मक असर पड़ता है (7)। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि हलासन करने से भी इनफर्टिलिटी की समस्या दूर हो सकती है
योग करने का तरीका :
- हलासन को करने के लिए एक स्वच्छ स्थान पर योग मैट बिछा लें।
- अब उस पर पीठ के सहारे सीधा लेट जाएं।
- इस मुद्रा में आने के बाद दोनों हाथों को शरीर के करीब सटाकर रखें। हथेलियों वाला भाग जमीन की तरफ होगा।
- फिर गहरी सांस भरते हुए अपने दोनों पैरों को एक साथ 90 डिग्री तक ऊपर उठा लें।
- अगर पैरों को उठाने में परेशानी हो, तो इसे उठाने के लिए कमर को दोनों हाथों से सहारा दे सकते हैं।
- इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए पैरों को सीधा करें और आराम-आराम से सिर के ऊपर से पीछे की तरफ ले जाएं।
- पैरों को पीछे ले जाकर अंगूठों से जमीन को छूने की कोशिश करें।
- फिर हाथ को कमर से हटाकर सीधे जमीन पर रख दें।
- अब अपनी क्षमता के अनुसार इसी अवस्था में रहें और नियमित रूप से सांस लें व छोड़ें।
- फिर धीरे-धीरे सांस भरते हुए शुरुआती मुद्रा में वापस आ जाएं।
- इस योग को चार से पांच बार किया जा सकता है।
सावधानियां :
- अगर कोई दस्त की समस्या से परेशान है, तो वो इस आसन को न करें।
- गर्दन में चोट होने पर इस आसन को करने से बचें।
- गर्भवती महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।
- अगर कोई अस्थमा या हाई बीपी की समस्या से परेशान है, तो वो इस योग को करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले।
13. अर्ध मत्स्येन्द्रासन
फर्टिलिटी के स्तर को बढ़ाने में अर्ध मत्स्येन्द्रासन मदद कर सकता है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने से तनाव कम होता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि भुजंगासन के साथ ही अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने से इन्फर्टिलिटी में फायदा मिल सकता है (11)।
योग करने का तरीका :
- इस योग को करने के लिए सबसे पहले योग मैट बिछाकर उस पर दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
- अब हाथ को जमीन पर रखें और रीढ़ की हड्डी को सीधा कर गहरी सांस लें।
- इसके बाद दाएं पैर को मोड़कर बाएं घुटने के ऊपर से ले जाकर पैर को जमीन पर रख दें।
- फिर बाएं पैर को मोड़कर दाएं नितंब के पास लाकर जमीन पर रखें।
- अब दाएं पैर के ऊपर से बाएं हाथ को लाएं व दाएं पैर के अंगूठे को छूने या पकड़ने की कोशिश करें।
- फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए शरीर के ऊपरी भाग को अपनी क्षमता के अनुसार बाएं तरफ मोड़ें और नजर को बाएं कंधे पर केंद्रित रखें।
- इसके बाद दाएं हाथ को जमीन पर रख दें और सामान्य गति से सांस लेते रहें।
- यह इस योग का अर्ध चक्र हुआ। कुछ सेकंड इसी मुद्रा में रहने के बाद धीरे-धीरे शुरुआती मुद्रा में आ जाएं।
- अब इस क्रिया को दूसरी ओर भी करें।
- इस प्रकार ऐसे तीन से पांच चक्र कर सकते हैं।
सावधानियां :
- अगर किसी ने हाल ही में सर्जरी करवाई है, तो वो इस योग का न करें।
- हर्निया और अल्सर की समस्या से पीड़ित व्यक्ति को इस आसन का अभ्यास करने से बचना चाहिए।
- रीढ़ की हड्डी से संबंधी गंभीर समस्या होने पर इस आसन को न करने की सलाह दी जाती है।
14. शवासन
शवासन प्रजनन क्षमता को बेहतर कर गर्भधारण करने की संभावना को बढ़ा सकता है। इस संबंध में प्रकाशित एक रिसर्च में दिया है कि शवासन चिंता, अवसाद व तनाव की समस्या से राहत दिला सकता है, जिससे फर्टिलिटी बेहतर हो सकती हैं। यह जानकारी एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश शोध में दी गई है (7) ।
योग करने का तरीका :
- शवासन को करने के लिए सबसे पहले एक शांत जगह पर योग मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।
- फिर एक से दो बार गहरी सांस लें और आंखें बंद कर लें।
- इसके बाद दोनों हाथों को शरीर से लगभग एक से दो फीट की दूरी पर फैला लें। इस समय हथेली वाला भाग ऊपर की तरफ रखें।
- फिर दोनों पैरों को भी एक दूसरे से दो फीट की दूरी तक फैला लें।
- अब धीरे-धीरे सांस लें और अपना पूरा ध्यान सांसों पर लगाएं।
- इस अवस्था में लगभग 5 मिनट तक रहें।
- अंत में आराम से उठकर बैठ जाएं और हथेलियों को आपस में रगड़कर आंखों पर रखें। इसके बाद धीरे-धीरे आंखें खोलें।
सावधानियां :
- अगर कोई पीठ दर्द व स्पाइन डिस्क की समस्या से पीड़ित है, तो वो विशेषज्ञ की सलाह पर ही इस आसन को करें।
- प्रेगनेंसी के समय इस आसन को करने से बचें।
- इस आसन को करते समय ध्यान रखें कि सो न जाएं।
- इस आसन को हमेशा योग अभ्यास के अंत में करें। इसे सबसे पहले बिल्कुल भी न करें।
नोट: ऊपर बताए गए योग को हमेशा विशेषज्ञ की निगरानी में ही करें। वहीं, कोई किसी गंभीर समस्या से ग्रसित है, तो वो डॉक्टर से चर्चा करने के बाद ही योग करें।
योग बीमारी से बचने के साथ ही शरीर को कई लाभ पहुंचाने का भी काम करता है। इनमें फर्टिलिटी के स्तर को बढ़ाना भी है, जिसके बारे में अब पूरी तरह समझ ही गए होंगे। ऐसे में ऊपर बताए गए योग को अपनाएं और फर्टिलिटी को बूस्ट करें, ताकि गर्भधारण करने में मदद मिले। हम उम्मीद करते हैं कि इस लेख में दी गई सभी जानकारियां आपके लिए मददगार साबित होगी। योग के और फायदे जानने के लिए मॉमजंक्शन के अन्य लेख पढ़ें।
References
2. Yoga – for Optimal FertilityBy RFPPL
3. Endocrine glandsBy Medilneplis
4. InfertilityBy Medilneplis
5. EXPECTANT MANAGEMENT OF ENDOMETRIOSIS PAIN REDUCTION OF INFERTILE WOMEN THROUGH YOGA TECHNIQUES: AN OBSERVATIONAL STUDYBy IJAPEY
6. International Journal of Applied Ayurved Research ISSN: 2347-6362 CRITICAL STUDY OF BHRAMARI PRANAYAMA A REVIEW ARTICLEBy Researchgate
7. Yoga Can Improve Assisted Reproduction Technology Outcomes in Couples With InfertilityBy Researchgate
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9. physio-anatomical exploration of shirshasana and its benefits in the bodyBy IJSDR
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