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महिलाओं में गर्भाशय से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। किसी को अनियमित पीरियड्स की शिकायत है, तो किसी को अत्यधिक रक्तस्राव की। ऐसी ही एक समस्या है, गर्भाशय रसौली, जिसे गर्भाशय फाइब्रॉएड भी कहा जाता है। इसका उपचार आसान है, लेकिन थोड़ी-सी अनदेखी और लापरवाही से गर्भाशय फाइब्रॉएड के कारण कई गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। हैरानी की बात, तो यह है कि अधिकतर महिलाओं को गर्भाशय रसौली के बारे में पता ही नहीं है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम इसी मुद्दे पर बात करेंगे। हम न सिर्फ फाइब्रॉएड का मतलब समझाएंगे, बल्कि इससे निपटने के लिए गर्भाशय फाइब्रॉएड के घरेलू उपचार भी आपके साथ शेयर करेंगे।
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लेख के शुरुआत में हम बता रहे हैं कि गर्भाशय फाइब्रॉएड क्या होता है?
गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) क्या है?
यह गर्भाशय में मांसपेशियों व कोशिकाओं की एक या एक से ज्यादा गांठ होती हैं। आम भाषा में बात करें, तो यह गर्भाशय की दीवारों पर पनपने वाला एक प्रकार का ट्यूमर है। चिकित्सीय भाषा में इसे लियम्योमा (Leiomyoma) या फिर म्योमा (Myoma) कहा जाता है। फाइब्रॉएड एक या एक से ज्यादा ट्यूमर के तौर पर विकसित होता है। ये ट्यूमर आकार में सेब के बीज से लेकर चकोतरे (ग्रेपफ्रूट) जितने बड़े हो सकते हैं। असामान्य स्थिति में इनका आकार ग्रेपफ्रूट से भी बड़ा हो सकता है (1)।
यहां एक बात और ध्यान में रखने वाली है कि ये ट्यूमर कभी कैंसर का कारण नहीं बनते हैं। यह जरूरी नहीं कि जिन महिलाओं को यह समस्या हैं, उन सभी में गर्भाशय फाइब्रॉएड के लक्षण नजर आएं। गर्भाशय में रसौली के लक्षण जिन महिलाओं में नजर आने लगते हैं, उन्हें तेज दर्द और अधिक रक्तस्राव का सामना करना पड़ता है। इन ट्यूमर के साथ जीना मुश्किल हो सकता है। यूट्रस फाइब्रॉएड (Uterus Fibroid) यानी रसौली का इलाज पूरी तरह से महिला में नजर आ रहे लक्षणों पर निर्भर करता है (2)।
बने रहें हमारे साथ
अब फाइब्रॉएड के प्रकार के बारे में जानते हैं। इसके बाद हम गर्भाशय फाइब्रॉएड के कारण बताएंगे
गर्भाशय फाइब्रॉएड के प्रकार – Types of Fibroids in Hindi
गर्भाशय में रसौली के प्रकार को उसके स्थान के हिसाब से इसका वर्गीकरण किया जाता है। उनके बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं (3)।
- सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड – यह गर्भाशय में मांसपेशियों की परत के बीच विकसित होते हैं। इसके कारण मासिक धर्म के दौरान दर्द के साथ अत्यधिक मात्रा में रक्तस्राव हो सकता है। साथ ही गर्भधारण करने में भी परेशानी हो सकती है।
- इंट्राम्युरल फाइब्रॉएड – यह गर्भाशय की दीवार पर पनपने वाला आम फाइब्रॉएड होता है। इसके कारण गर्भाशय फूल जाता है और बड़ा नजर आने लगता है। साथ ही दर्द व रक्तस्राव होता है और गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है।
- सबसेरोसल फाइब्रॉएड – यह गर्भाशय की बाहरी दीवार पर विकसित होता है। यह आंत, रीढ़ की हड्डी और ब्लैडर पर दबाव डालता है। इसके कारण श्रोणी में तेज दर्द होता है।
- सर्वाइकल फाइब्रॉएड – यह मुख्य तौर पर योनि और गर्भाशय की गर्दन पर पनपता है।
- इंट्रालिगमेंटरी फाइब्रॉएड – यह गर्भाशय के साथ जुड़े टिश्यू में विकसित होते हैं। इससे मासिक धर्म अनियमित हो जाते हैं।
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आइए, अब जान लेते हैं कि किन-किन कारणों से महिलाओं को यह बीमारी होती है।
गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) के कारण – Causes of Fibroids in Hindi
गर्भाशय फाइब्रॉएड के कारण कई हो सकते हैं, लेकिन वैज्ञानिक तौर पर किसी एक कारण की निश्चित तौर पर पुष्टि नहीं की गई है। नीचे हम कुछ प्रमुख गर्भाशय फाइब्रॉएड के कारण बता रहे हैं (3) (4)।
- आयु – फाइब्रॉएड प्रजनन काल के दौरान विकसित होते हैं। खासतौर पर 30 की आयु से लेकर 50 की आयु के बीच या फिर रजनोवृत्ति शुरू होने तक इसके होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है। माना जाता है कि रजनोवृत्ति शुरू होने के बाद ये कम होने लगते हैं।
- आनुवंशिक – अगर परिवार में किसी महिला को यह समस्या रही है, तो आशंका है कि आगे की पीढ़ी में से किसी अन्य को इसका सामना करना पड़ सकता है। अगर घर में मां को यह समस्या रही है, तो बेटी को यह होने का खतरा तीन गुना तक बढ़ सकता है।
- मोटापा – अगर किसी महिला का वजन अधिक है, तो उसमें फाइब्रॉएड होने की आशंका अन्य महिलाओं के मुकाबले ज्यादा होती है।
- स्ट्रेस – बताया जाता है कि गर्भाशय फाइब्रॉएड का एक कारण स्ट्रेस भी है। इसी वजह से तनाव लेने से बचना चाहिए। अधिक परेशान व तनावग्रस्त रहने से इसका खतरा बढ़ सकता है।
- हार्मोंस – शरीर में एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की मात्रा अधिक होने पर भी गर्भाशय फाइब्रॉएड हो सकता है।
- विटामिन–डी – शरीर में विटामिन-डी की कमी होने और आयरन की मात्रा बढ़ने पर भी महिलाएं यूट्रस फाइब्रॉएड (uterus fibroid) की चपेट में आ सकती हैं।
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लेख के इस भाग में हम गर्भाशय में रसौली के लक्षण क्या होते हैं, यह बताएंगे।
गर्भाशय फाइब्रॉएड के लक्षण – Symptoms of Fibroids in Hindi
वैसे तो गर्भाशय फाइब्रॉएड के लक्षण नजर नहीं आते हैं, लेकिन फाइब्रॉएड से ग्रस्त कुछ महिलाओं में इस तरह के परिवर्तन दिखाई दे सकते हैं (3) (5):
- अत्यधिक रक्तस्राव और पीरियड्स के दौरान असहनीय दर्द होना।
- एनीमिया यानी शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी आना।
- पेट के निचले हिस्से यानी पेल्विक एरिया में भारीपन महसूस होना।
- पेल्विक एरिया का फूलना।
- बार-बार पेशाब आना।
- यौन संबंध के समय दर्द होना।
- कमर के निचले हिस्से में दर्द होना।
- कुछ मामलों में प्रजनन क्षमता में कमी यानी बांझपन, बार-बार गर्भपात होना, गर्भावस्था के दौरान सी-सेक्शन का खतरा बढ़ना।
- पीरियड्स में होने वाला दर्द होना।
महत्वपूर्ण जानकारी नीचे है
गर्भाशय फाइब्रॉएड के लक्षण के बाद अगले भाग में हम गर्भाशय फाइब्रॉएड के घरेलू उपचार के बारे में बताएंगे।
गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) के घरेलू उपचार – Home Remedies for Fibroids in Hindi
नीचे हम गर्भाशय फाइब्रॉएड के घरेलू उपचार बता रहे हैं। ध्यान रहे, ये घरेलू उपाय गर्भाशय फाइब्रॉएड से बचाव और इसके जोखिम को कम करने में कुछ हद तक मददगार हो सकते हैं। इन्हें किसी भी तरीके से गर्भाशय फाइब्रॉएड का इलाज न समझा जाए। अब पढ़ें आगे –
1. लहसुन
सामग्री :
- लहसुन की तीन से पांच कलियां
- एक गिलास दूध
उपयोग करने की विधि :
- इन कलियों को खाली पेट खाएं।
- अगर लहसुन का स्वाद और गंध तेज लगे, तो उसे खाने के बाद एक गिलास दूध पी सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
हम खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए लहसुन को अपने भोजन में शामिल करते हैं। साथ ही यह गर्भाशय रसौली का इलाज करने में सहायक हो सकता है। दरअसल, लहसुन में मौजूद एलिसिन कंपाउंड एंटीप्रोलिफेरेटिव प्रभाव दिखाता है, जो ट्यूमर सेल्स को बढ़ने नहीं देता है। इसके अलावा, यह कंपाउंड एंटीऑक्सीडेंट व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी प्रदर्शित करता है, जो गर्भाशय में ट्यूमर को विकसित होने से रोक सकते हैं (6)। इससे यूट्रस फाइब्रॉएड (Uterus Fibroid) से आराम मिल सकता है। साथ ही यह पाचन तंत्र को भी बेहतर बना सकता है।
2. हल्दी
सामग्री :
- एक से तीन ग्राम या फिर ½ इंच हल्दी की जड़
- एक गिलास कोई भी पसंदीदा जूस
- वैकल्पिक रूप से दो चम्मच हल्दी पाउडर और एक गिलास पानी ले सकते हैं।
उपयोग करने का तरीका:
- हल्दी की जड़ को या तो काट लें या फिर पीस लें।
- अब इसे एक गिलास जूस में डालकर पी जाएं।
- स्वाद के लिए इसमें चुटकी भर काली मिर्च भी मिलाई जा सकती है।
- इसके अलावा, इसे खाने में भी मिला कर खाया जा सकता हैं। खाने में हल्दी मिला रहे हैं, तो दिनभर में एक चम्मच हल्दी पर्याप्त है।
- वैकल्पिक रूप से पानी में हल्दी मिलाएं और करीब 15 मिनट तक उबालें। इसके बाद पानी को ठंडा होने दें और फिर पी लें।
कैसे लाभदायक है :
गर्भाशय फाइब्रॉएड के घरेलू उपचार के लिए हल्दी का सेवन किया जा सकता है। हल्दी में करक्यूमिन नामक पॉलीफेनोल होता है। इसमें एंटीप्रोलिफेरेटिव और एंटीफिब्रोटिक प्रभाव होते हैं। एंटीप्रोलिफेरेटिव इफेक्ट ट्यूमर सेल को बढ़ने से रोक सकता है और एंटीफिब्रोटिक प्रभाव रसोली को कम करने के लिए जाना जाता है (6)।
3. आंवला
सामग्री :
- आंवला पाउडर का एक चम्मच
- एक चम्मच शहद
उपयोग करने का तरीका:
- आंवला पाउडर और शहद को मिलाकर रोज सुबह खाली पेट सेवन करें।
- अच्छे परिणाम के लिए करीब एक माह तक नियमित रूप से सेवन करें।
कैसे लाभदायक है :
एक वैज्ञानिक शोध में कहा गया है कि आंवले में एंटी-फाइब्रोटिक प्रभाव होता है। स्टडी के मुताबिक मोनोसोडियम ग्लूटामेट (MSG – फ्लेवर एनहांसर) की वजह से होने वाली गर्भाशय रसौली में आंवला बेहतर हो सकता है। इसमें मौजूद फेनोलिक और अन्य घटक के कारण यह फाइब्रॉएड के लिए लाभकारी हो सकता है। इसके अलावा, आंवला का एंटी-ऑक्सीडेंट प्रभाव में इसमें मदद कर सकता है (7)। इसी वजह से आंवला या आंवले के चूर्ण का इस्तेमाल रसौली का घरेलू इलाज करने के लिए किया जा सकता है।
4. ग्रीन-टी
सामग्री :
- एक ग्रीन टी बैग
- एक कप पानी
उपयोग करने का तरीका:
- पानी को गर्म कर लें और फिर उसमें ग्रीन-टी बैग डाल लें।
- स्वाद के लिए इसमें शहद भी मिला सकते हैं।
- फिर इसे चाय की तरह पिएं।
कैसे फायदेमंद है:
ग्रीन-टी में एपिगलोकेटेशिन गलेट (Epigallocatechin Gallate) नामक पॉलिफेनॉल कंपाउंड पाया जाता है, जो फाइब्रॉएड पर कारगर तरीके से काम कर सकता है। लैब में किए गए परीक्षण के मुताबिक यह कंपाउंड गर्भाशय फाइब्रॉएड सेल को खत्म करने में सहायक हो सकता है (8)। साथ ही यह एस्ट्रोजन के स्तर को भी कम करने में सक्षम है। इस लिहाज से रसौली का इलाज में घर पर करने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।
5. दूध
सामग्री:
- दूध का एक गिलास
- एक चम्मच धनिया पाउडर
- हल्दी पाउडर एक चम्मच
- एक चम्मच त्रिफला पाउडर
उपयोग करने का तरीका:
- सबसे पहले दूध को गर्म कर लें।
- अब इसमें अन्य सामग्रियों को डालकर अच्छी तरह मिला लें।
- फिर इस दूध का सेवन करें।
कैसे लाभदायक है:
फाइब्रॉएड की समस्या जल्द दूर करने की चाहत रखने वाले अपनी डाइट में योगर्ट व दूध जैसे डेयरी प्रोडक्ट को शामिल कर सकते हैं। डेयरी प्रोडक्ट कैल्शियम और फॉस्फोरस से भरपूर होते हैं। ये सभी मिनरल्स फाइब्रॉएड के ट्यूमर को बढ़ने से रोक सकते हैं। इतना ही नहीं, दूध के वसा में ब्यूटिरिक एसिड होता है, जो एक शक्तिशाली एंटीटूमोरजेनिक एजेंट की तरह कार्य कर सकता है। यह फाइबरोइड को फैलने और ब्लड वेसल को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकता है (9)। हालांकि, इस शोध में डेयरी उत्पाद से घर में गर्भाशय फाइब्रॉएड उपचार करने के संबंध में अधिक शोध करने की बात भी कही गई है।
6. सैल्मन मछली
सामग्री:
- सैल्मन मछली।
उपयोग करने का तरीका:
- हफ्ते में एक या दो बार सैल्मन मछली को आहार में शामिल किया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:
रसौली का घरेलू इलाज सैल्मन मछली से भी किया जा सकता है। दरअसल, गर्भाशय में रसौली का एक कारण विटामिन-डी की कमी भी है, जिसका सैल्मन मछली अच्छा स्रोत है। इसलिए, कहा जा सकता है कि सैल्मन मछली के जरिए विटामिन-डी की पूर्ति कर गर्भाश्य रसौली के जोखिम से बचा जा सकता है। शोध में मछली के सेवन के साथ ही योग करने की भी सलाह दी गई है (10)।
7. खट्टे फल (Citrus Fruits)
सामग्री:
- आधा कप संतरे, मौसमी या अन्य खट्टे फल
उपयोग करने का तरीका:
- रोज खट्टे फलों का सेवन करें।
कैसे लाभदायक है:
सिट्रस फलों में मौजूद विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट रसौली का घरेलू इलाज माना जा सकता है। एक स्टडी में कहा गया है कि सिट्रस फ्रूट फाइब्रॉएड के जोखिम को कम कर सकता है। साथ ही इसी अध्ययन में इस बात का भी जिक्र है कि इसका असर फल खाने से सकारात्मक होता है, लेकिन जूस पीने से नहीं। हालांकि, इसका कारण अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। इसी वजह से इस विषय पर अधिक शोध करने की सलाह दी गई है (11)।
8. बरडॉक रूट
सामग्री :
- आधा चम्मच सूखी बरडॉक रूट
- एक कप पानी
उपयोग करने का तरीका:
- पानी को अच्छी तरह से उबाल लें।
- इसके बाद बरडॉक रूट को उसमें डाल दें।
- करीब 15 मिनट बाद पानी को छान लें और पिएं।
कैसे लाभदायक है:
बरडॉक रूट एक प्रकार की सब्जी है, जो एशिया और यूरोप में अधिक मात्रा में पाई जाती है। इसके सेवन से लिवर की कार्य क्षमता बेहतर हो सकती है। लिवर सही होने से वह एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर को नियंत्रित कर सकता है। जैसा कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि एस्ट्रोजन हार्मोन का असंतुलित होना फाइब्रॉएड का कारण बन सकता है (12)।
साथ ही बरडॉक रूट में मूत्रवर्धक और एंटइंफ्लेमेटरी गुण हैं, जो शरीर से विषैले जीवाणु बाहर निकालने और सूजन से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। इतना ही नहीं बरडॉक फ्रूट व बीज में एंटी-ट्यूमर प्रभाव भी होता है, जो फाइब्रॉएड ट्यूमर के आकार को कम कर सकता है (13)। इसी वजह से इसे फाइब्रॉएड सिकुड़ने के लिए खाद्य पदार्थ के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
9. अदरक
सामग्री :
- अदरक का एक मध्यम आकार का टुकड़ा
- एक कप पानी
उपयोग करने का तरीका:
- अदरक के टुकड़े करके पानी में डाल दें और कुछ देर के लिए उबालें।
- फिर इसे छान कर पिएं।
- कुछ दिन तक लगातार प्रतिदिन एक से दो कप पी सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
अदरक ऐसी गुणकारी आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका उपयोग सालों से किया जा रहा है। अदरक फाइब्रॉएड को कम करने में मददगार हो सकता है। एक शोध में कहा गया है कि एमएसजी (मोनोसोडियम ग्लूटामेट – फ्लेवर एनहांसर) के कारण होने वाले गर्भाशय फाइब्रॉएड, पिट्यूटरी ग्लैंड के साथ ल्यूटिनाइजिंग (Luteinizing) और फॉलिक्यूलर स्ट्यूमलेटिंग हार्मोन्स (Follicular Stimulating Hormones) के स्तर पर असामान्य प्रभाव दिखते हैं। इस रिसर्च की मानें, तो अदरक का अर्क इस प्रभाव को उलट सकता है। शोध में माना गया है कि अदरक में फाइब्रॉएड से बचाव और इसे कम करने के गुण पाए जाते हैं।
10. ब्रोकली
सामग्री:
- आधा कप ब्रोकली
उपयोग करने का तरीका:
- ब्रोकली को सलाद के साथ, उबाल कर, करी या फिर सूप में डालकर सेवन किया जा सकता है।
- प्रतिदिन की डाइट में इसे शामिल कर सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
फाइब्रॉएड में ब्रोकली खाने के फायदे हो सकते हैं। ब्रोकली में सल्फोराफेन नामक कंपाउंड होता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीफाइब्रोटिक प्रभाव होते हैं। यह फाइब्रोड से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं (6)। इसी वजह से कहा जाता है कि ताजा फलों और ब्रोकली की मात्रा को डाइट में बढ़ाने से गर्भाशय रसौली से बचा जा सकता है (14)।
11. कच्ची सब्जियां :
सामग्री:
- क्रूसिफेरस (Cruciferous) सब्जियां। जैसे – फूलगोभी, पत्तागोभी, केल (kale), बॉक चोय, ब्रोकली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स और इसी तरह की हरी पत्तेदार सब्जियां।
उपयोग करने का तरीका:
- प्रतिदिन के खान-पान में हरी व कच्ची सब्जियों को शामिल करें।
- इन सब्जियों को मिलाकर सलाद बनाकर भी खा सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करके भी फाइब्रोइड के खतरे से बचा जा सकता है। एक शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि क्रूसिफेरस सब्जियां और टमाटर के सेवन से गर्भाशय फाइब्रॉएड से बचाव किया जा सकता है (14)।
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चलिए, अब जानते हैं कि फाइब्रॉएड सिकुड़ने के लिए खाद्य पदार्थ लाभकारी होते हैं या नहीं। अगर हां, तो रसौली में क्या खाना चाहिए।
गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) में क्या खाना चाहिए – What to Eat During Fibroids in Hindi
कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ होते हैं, जिनका सेवन करने से गर्भाशय रसौली होने का जोखिम कम किया जा सकता है। साथ ही उनके सेवन से रसौली के बाद उसे बढ़ने से रोकने में मदद करते हैं। अब आगे पढ़ते हैं फाइब्रॉएड सिकुड़ने वाले खाद्य पदार्थों के बारे में (14) (6) (15)
- मलबेरी
- मूंगफली
- टमाटर
- सेब
- ब्रोकली
- हाई फाइबर फूड
- विटामिन-डी युक्त खाद्य पदार्थ
- मछली
आगे है और जानकारी
नीचे जानिए गर्भाशय फाइब्रॉएड में क्या परहेज किए जाने चाहिए।
गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) में परहेज – What to Avoid During Fibroids in Hindi
गर्भाशय रसौली के लिए फायदेमंद खाद्य पदार्थ के बाद इस दौरान किन चीजों से बचना चाहिए, उसके बारे में पता होना भी जरूरी है। चलिए, नीचे रसौली के परहेज के बारे में जानते हैं (1) (16) (17)।
लाल मांस के सेवन से बचें : रेड मीट भी गर्भाशय रसौली को बढ़ा सकता है। इसी वजह से इसके सेवन से बचा जाना चाहिए। अगर किसी को यह बहुत पसंद है और इसे खाना नहीं छोड़ सकता है, तो कम-से-कम इसकी मात्रा को नियंत्रित कर लेना चाहिए। अन्यथा रसौली का जोखिम बना रहेगा।
शराब से दूरी : शराब का सेवन हार्मोन मेटाबॉलिज्म में बदलाव कर गर्भाशय रसौली का कारण बन सकता है। इसलिए, जितना हो सके शराब से दूरी बनाकर रखें।
प्रोसेस्ड फूड न खाएं : इस तरह के खाद्य पदार्थों में कई प्रकार के हानिकारक तत्व और केमिकल रंग मिले होते हैं, जो हार्मोंस के स्तर को असंतुलित कर सकते हैं और फाइब्रॉएड की समस्या को बढ़ा सकते हैं।
मीठे खाद्य पदार्थों से बचें : फाइब्रोइड की समस्या से जूझ रहे लोगों को मीठे खाद्य पदार्थ के सेवन से बचना चाहिए। कहा जाता है कि ये फाइब्रॉएड के जोखिम को यह बढ़ा सकते हैं।
सोया मिल्क का सेवन न करें : सोयाबीन से बने पदार्थों को भी रसौली का जोखिम कारक माना जाता है। इसी वजह से रिसर्च सोया मिल्क और इससे बने उत्पादों से दूरी बनाए रखने की सलाह देते हैं।
पढ़ते रहें लेख
अब हम डॉक्टर से संपर्क करने का समय बता रहे हैं। इसके बाद फाइब्रॉएड का इलाज क्या हो सकता है, यह बताएंगे।
गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?
भारी रक्तस्राव, ऐंठन में वृद्धि, पीरियड्स के बाद ब्लीडिंग और निचले पेट में भारीपन होने पर अनिवार्य रूप से विशेषज्ञ से संपर्क करें (15)। इसके अलावा, गर्भाशय फाइब्रॉएड के लेख में बताए गए लक्षण नजर आने पर या दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क किया जाना चाहिए। डॉक्टर इसके कारण का पता लगाकर रसौली का इलाज शुरू कर सकते हैं।
जानकारी बाकी है
आगे जानते हैं कि रसोली उपचार किस तरीके से हो सकता है।
गर्भाशय फाइब्रॉएड (रसौली) का इलाज – Other Treatment Process for Fibroids in Hindi
रसौली का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि इस बीमारी के लक्षण कैसे हैं। अगर फाइब्रॉइड है, लेकिन कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं, तो रसोली उपचार की शायद जरूरत न पड़े। फिर भी डॉक्टर से नियमित रूप से चेकअप करवाते रहना चाहिए। अगर रसौली के लक्षण नजर आ रहे हैं, तो फाइब्रॉएड का इलाज व्यक्ति की स्थिति के अनुसार होता है। आइए, इसके बारे में नीचे विस्तार से जानते हैं (18)।
इलाज से पहले डॉक्टर उम्र, स्वास्थ्य, लक्षण की गंभीरता, गर्भाशय फाइब्रॉएड के प्रकार और आकार जैसी बातों पर गौर करते हैं। इसके बाद डॉक्टर गर्भाशय फाइब्रॉएड उपचार के लिए नीचे बताई गए तीन विकल्पों में से किसी एक की सलाह दे सकते हैं।
1. आम मेडिकल ट्रीटमेंट :
रसोली उपचार करने के लिए फाइब्रॉएड के लक्षण के अनुसार डॉक्टर कुछ दवाएं दे सकते हैं, जो फाइब्रॉएड के प्रभाव को कम करने का काम करेंगी। ये दवाएं इस प्रकार हैं (19) :
- दर्द निवारक दवा : हल्का या कभी-कभी होने वाले दर्द में ओवर-द-काउंटर या फिर कोई अन्य दवा दी जा सकती है।
- गर्भनिरोधक गोलियां : इन दवाइयों के सेवन से अत्यधिक रक्तस्राव और दर्दनाक मासिक धर्म से राहत मिलती है, लेकिन कभी-कभी ये दवाइयां लेने से फाइब्रॉएड की समस्या और बढ़ सकती है।
- प्रोजेस्टिन–रिलीजिंग इंट्रायूटरिन डिवाइस (IUD) : इससे अत्यधिक रक्तस्राव और दर्द से राहत मिल सकती है, लेकिन फाइब्रॉएड का इलाज करने में यह सक्षम नहीं है। ऐसी महिलाएं, जिनके फाइब्रॉएड का आकार बड़ा है, उन्हें इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
- गोनाडोट्रोपिन–रिलीजिंग हार्मोन एगोनिस्ट (GnRHa) : रसौली उपचार के तौर पर यह दवा लेने से शरीर में वो हार्मोंस बनने बंद हो जाते हैं, जो ओवलेशन और पीरियड्स का कारण बनते हैं। साथ ही यह दवा फाइब्रॉएड के आकार को भी छोटा कर सकती है। यह दवा लाभकारी तो है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं।
इसे लेने से रजोनवृत्ति होने जैसा आभास हो सकता है और हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। इसलिए, डॉक्टर सर्जरी से पहले फाइब्रॉएड का आकार छोटा करने के लिए या फिर एनीमिया का इलाज करने के लिए यह दवा देते हैं।
- एंटीहार्मोनल एजेंट या हार्मोन मॉड्यूलेटर : इस दवा में यूलिप्रिस्टल एसीटेट, मिफेप्रिस्टोन और लेट्रोजोले शामिल होते हैं, जो फाइब्रॉएड को विकसित होने से रोक सकते हैं या उनकी गति को धीमा कर सकते हैं। साथ ही रक्तस्राव को भी कम कर सकते हैं।
नोट : ध्यान रहे कि ये दवाएं फाइब्रॉएड से अस्थायी तौर पर ही राहत दिला सकती हैं। जैसे ही दवाओं को लेना बंद किया, फाइब्रॉएड फिर से हो सकता है। साथ ही इन दवाओं के साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, इसलिए इन्हें डॉक्टरी सलाह पर ही लिया जाना चाहिए।
2. सर्जरी:
जब लक्षण बेहद गंभीर हों, तो डॉक्टर गर्भाशय फाइब्रॉएड उपचार के लिए सर्जरी करने का निर्णय लेते हैं। यहां हम कुछ प्रमुख सर्जरी की प्रक्रियाओं के बारे में बता रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि इनमें से कुछ सर्जरी के बाद महिला के गर्भवती होने की संभावना न के बराबर हो जाती है। इसी वजह से सर्जरी कराने से पहले एक बार डॉक्टर से विस्तार से बात कर लेनी चाहिए (20) (21)।
- एब्डोमिनल हिस्टेरेक्टॉमी : डॉक्टर पेट में कट लगाकर गर्भाशय को बाहर निकाल कर फाइब्रॉएड को हटाते हैं। यह प्रक्रिया उसी प्रकार होती है, जैसे सिजेरियन डिलीवरी के दौरान होती है। इस तरह की सर्जरी में मरीज को लंबे समय तक अस्पताल में रखा जाता है और ठीक होने में लंबा समय लगता है।
- वजाइनल हिस्टेरेक्टॉमी : डॉक्टर पेट में कट लगाने की जगह योनी के रास्ते गर्भाशय को बाहर निकालते हैं और फाइब्रॉएड को हटाते हैं। यह सर्जरी एब्डोमिनल हिस्टेरेक्टॉमी के मुकाबले कम जोखिम भरी है और इसमें मरीज को ठीक होने में समय भी कम लगता है। अगर फाइब्रॉएड का आकार बड़ा है, तो डॉक्टर इस सर्जरी को नहीं करने का निर्णय लेते हैं।
- लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी : वजाइनल हिस्टेरेक्टॉमी की तरह यह सर्जरी भी कम जोखिम भरी है और इसमें मरीज को रिकवर होने में कम समय लगता है। यह सर्जरी सिर्फ कुछ मामलों में ही प्रयोग की जाती है।
- रोबोटिक हिस्टेरेक्टॉमी : इन दिनों यह सर्जरी तेजी से प्रचलित हो रही है। इसमें डॉक्टर एक रोबोटिक आर्म के जरिए सर्जरी करते हैं। अन्य सर्जरी के मुकाबले इसमें पेट और गर्भाशय में छोटा-सा कट लगाया जाता है। इसलिए, मरीज तीन से चार हफ्ते में ठीक हो सकते हैं।
- मायोमेक्टोमी : इस सर्जरी में गर्भाशय की दीवार से फाइब्रॉएड को हटाया जाता है। अगर भविष्य में गर्भवती होना चाहता है, तो डॉक्टर सर्जरी के लिए इस विकल्प को चुन सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि यह सर्जरी हर गर्भाशय फाइब्रॉएड के प्रकार के लिए उपयुक्त नहीं है। डॉक्टर स्थिति के अनुसार इसे करने या न करने का निर्णय लेते हैं।
- हिस्टेरेक्टॉमी रिसेक्शन ऑफ फाइब्रॉएड : इसमें फाइब्रॉएड को हटाने के लिए पतली दूरबीन (हिस्टेरोस्कोपी) और छोटे सर्जिकल उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। इसके जरिए गर्भाशय के अंदर पनपन रहे फाइब्रॉएड को निकाला जाता है। जो महिलाएं भविष्य में गर्भवती होना चाहती हैं, उनके लिए यह सर्जरी सबसे उपयुक्त है। इसमें दूरबीन को योनि के जरिए गर्भाशय तक ले जाया जाता है, इसलिए इसमें किसी भी प्रकार का चीरा और टांके नहीं लगते और महिला उसी दिन वापस घर जा सकती है।
- हिस्टेरेक्टॉमी मोरसेलेशन ऑफ फाइब्रॉएड : यह आधुनिक तकनीक है, जिसमें हिस्टेरोस्कोपी को ग्रीवा के रास्ते गर्भाशय के अंदर तक ले जाया जाता है और फाइब्रॉएड टिशू को काटकर बाहर निकाला जाता है। यह नई तकनीक है और इसकी उपयोगिता व कार्यक्षमता पर विस्तार से अध्ययन होना बाकी है।
3. अन्य प्रक्रियाएं :
गर्भाशय फाइब्रॉएड को दवाओं व सर्जरी के अलावा अन्य प्रक्रियाओं से भी ठीक किया जा सकता है। ये प्रक्रियाएं इस प्रकार हो सकती हैं :
- यूटरिन आर्टरी एम्बोलिजेशन (UAE) : हिस्टेरेक्टॉमी व मायोमेक्टोमी की जगह विकल्प की तौर पर इसे चुना जा सकता है। जिन महिलाओं का फाइब्रॉएड आकार में बड़ा है, उनके इलाज के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है। एक छोटी-सी ट्यूब (कैथेटर) को टांगों की रक्त वाहिकाओं के जरिए शरीर में प्रवेश कराया जाता है और फिर एक तरल पदार्थ को अंदर डाला जाता है। इस तरल पदार्थ की मदद से फाइब्रॉएड को सिकोड़ा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को एक्स-रे मशीन से नियंत्रित किया जाता है। इस उपचार के बाद गर्भधारण करना संभव है (22)।
- एंडोमेट्रियल एब्लेशन : यह ट्रीटमेंट छोटे आकार वाले फाइब्रॉएड के लिए किया जाता है। इसमें गर्भाशय की परतों को हटाया जाता है। इसका प्रयोग अत्यधिक रक्तस्राव को कम करने के लिए भी किया जा सकता है (23) (24)।
- एमआरआई अल्ट्रासाउंड सर्जरी: यह एक थर्मल एब्लेशन विधि है, जिसमें सबसे पहले एमआरआई स्कैन करके पता लगाया जाता है कि फाइब्रॉएड कहां है। फिर साउंड वेव की मदद से लक्षित ऊतकों का तापमान बढ़ाया जाता है और 55°C तक तापमान को पहुंचाकर उन कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है (25)।
रसौली के लिए टिप्स पढ़ें
फाइब्रॉएड से बचाव करने और इस बीमारी से ग्रस्त लोगों को इससे राहत पाने के लिए नीचे दी गईं बातों का खास ध्यान देना होगा।
गर्भाशय फाइब्रॉएड के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips for Fibroids in Hindi
महिलाओं को होने वाली रसौली के बारे में इतना कुछ जान लेने के बाद इससे जुड़े कुछ टिप्स हम खास पाठकों के लिए लाए हैं। इनकी मदद से कोई भी रसौली की समस्या से अच्छी तरह से निपट सकता है।
फल व सब्जियां खाएं : कई शोधों में इस बात की पुष्टि की गई है कि सेब, ब्रोकली व टमाटर जैसे ताजे फल व सब्जियां खाने से फाइब्रॉएड के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। साथ ही पौष्टिक अनाज के सेवन से इसके लक्षणों में कमी आ सकती है (14)।
रक्तचाप पर रखें नजर : अगर रक्तचाप असंतुलित है, तो गर्भाशय की रसौली तंग कर सकती है। इसलिए, अपने डॉक्टर से परामर्श लें कि रक्तचाप को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है (26)।
तनाव से मुक्ति : कई समस्याओं की जड़ तनाव होता है। इसलिए, जितना हो सके इससे दूर रहें। खुद को शांत रखें। इसके लिए योग कर सकते हैं या फिर मसाज करवा सकते हैं।
नियमित व्यायाम और योग : प्रतिदिन व्यायाम व योग करना भी जरूरी है। व्यायाम करने से प्राकृतिक रूप से विषैले जीवाणु शरीर से बाहर निकल जाते हैं। एरोबिक्स, सेतुबंध सर्वागासन, सुप्तविरासन, विपरीत दण्डासन जैसे योगासन और व्यायाम किए जा सकते हैं (12)।
पानी पिएं : फाइब्रॉएड के मरीज को अत्यधिक तरल पदार्थ लेना चाहिए। पानी के साथ दिनभर में जूस, सूप या फिर अन्य तरल पदार्थ भी ले सकते हैं। इससे शरीर में जमे विषैले जीवाणु पेशाब के जरिए बाहर निकल जाते हैं।
यह तो स्पष्ट हो चुका है कि फाइब्रॉएड कोई गंभीर समस्या नहीं है, लेकिन अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो कई दिक्कतें हो सकती हैं। ध्यान रहे कि इस लेख में बताए गए गर्भाशय फाइब्रॉएड के घरेलू उपचार तभी उपयोगी साबित होंगे, जब अपने खान-पान और दिनचर्या को संतुलित रखा जाएगा। आगे हम गर्भाशय रसौली से संबंधित पाठकों द्वारा अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब दे रहे हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :
क्या उपचार के बाद फाइब्रॉएड वापस आ सकते हैं?
उपचार के बाद अक्सर फाइब्रॉएड ठीक हो जाता है, लेकिन कभी-कभी फाइब्रॉएड के इलाज के बाद भी यह वापस आ सकता है।
क्या फाइब्रॉएड कैंसर में तब्दील हो सकते हैं?
नहीं, जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि फाइब्रॉएड के ट्यूमर नॉन-कैंसरस होते हैं। हालांकि, बहुत कम रसौली कैंसर युक्त फाइब्रॉएड होती हैं, जिसे लेयोमायोसार्कोमा (Leiomyosarcoma) कहा जाता है (1)।
मुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे फाइब्रॉएड है?
समय-समय पर डॉक्टर से चेकअप करवाने से इसका पता चल सकता है। फाइब्रॉएड रसौली की गांठ को डॉक्टर ऑर्डिनरी पेल्विक एग्जाम के दौरान उंगली से चेक करके पता लगा सकता है। इसके अलावा, गर्भाशय, अंडाशय और योनि की जांच करने से फाइब्रॉएड का पता चल सकता है (1)।
फाइब्रॉएड का दर्द कैसा महसूस होता है?
जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि फाइब्रॉएड में मासिक धर्म के दौरान होने जैसा दर्द और पेट में ऐंठन होती है।
क्या फाइब्रॉएड थक्के के रूप में बाहर आ सकते हैं?
नहीं, रसौली थक्के के रूप में बाहर नहीं आ सकती है।
क्या पीरियड्स के दौरान फाइब्रॉएड निकल सकते हैं?
हम ऊपर बता ही चुके हैं कि अधिकतर फाइब्रॉएड को इलाज की जरूरत नहीं होती है और वो रजोनिवृत्ति के बाद खुद ठीक हो सकते हैं। लेकिन, ये फाइब्रोएड पीरियड्स के दौरान बाहर नहीं आते हैं।
क्या फाइब्रॉएड से वजन बढ़ सकता है?
हां, फाइब्रॉएड के कारण वजन बढ़ सकता है। इसके कारण एबडोमिनल डिस्टेंशन यानी पेट के हिस्से का बढ़ना, फूलने और गैस की समस्या होती है (27)।
फाइब्रॉएड के अन्य दुष्प्रभाव क्या हैं?
लेख में बताए गए फाइब्रॉएड के लक्षण ही इसके साइड इफेक्टस हैं। सामान्य महिलाओं में इसके अलावा, कोई अन्य नकारात्मक प्रभाव गर्भाशय रसौली का नहीं होता है (3)। हां, अगर कोई महिला गर्भवती है, तो बच्चे का समय से पहले जन्म, बर्थ कैनाल का ब्लॉक होना और बच्चे को जन्म देने के बाद ज्यादा रक्तस्राव जैसे दुष्प्रभाव का महिला को सामना करना पड़ सकता है (28)।
क्या रसौली ठीक करने के लिए गर्भाशय का आयुर्वेदिक इलाज हो सकता है?
सभी अन्य बीमारियों की तरह रसौली ठीक करने के लिए गर्भाशय का आयुर्वेदिक इलाज हो सकता है। लेकिन, रसौली की गंभीरता को देखते हुए ही गर्भाशय का आयुर्वेदिक इलाज करने या न करने का फैसला लिया जाना चाहिए।
References
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