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गर्भावस्था को एक महिला की जिंदगी का सबसे संवेदनशील समय कहा जाता है। इस दौरान वह सबसे कठिन दौर से गुजरती है, जिसमें कई मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। इनमें से अधिकतर समस्याओं का समाधान वे किसी न किसी से पूछ के कर लेती हैं। वहीं, कुछ समस्याएं ऐसी भी होती हैं, जिन्हें वे किसी के साथ शेयर करने में झिझक महसूस करती हैं। ऐसी ही एक समस्या है गर्भावस्था में बवासीर, जिसे अंग्रेजी में हेमोर्रोइड्स (hemorrhoids) या पाइल्स के नाम से भी जाना जाता है। मॉमजंक्शन के इस लेख में हमारे साथ जानिए प्रेगनेंसी में पाइल्स के कारण, लक्षण और इससे निजात पाने के कुछ कारगर उपाय।

आइए, सबसे पहले जान लेते हैं कि गर्भावस्था में पाइल्स क्या है।

गर्भावस्था में बवासीर क्या है?

गर्भावस्था के दौरान बवासीर एक गर्भवती की परेशानी को बढ़ाने का काम कर सकता है। बता दें कि पाइल्स ऐसी शारीरिक समस्या है, जिसमें गुदे में और मलाशय के निचले क्षेत्र की नसों में सूजन हो जाती है (1)। इसके होने का सबसे आम कारण कब्ज को माना जाता है। वहीं, गर्भावस्था के दौरान इसके होने के पीछे कई अन्य कारण भी जिम्मेदार होते हैं, जिन्हें लेख में आगे बताया गया है।

आइए, जान लेते हैं कि प्रेगनेंसी में बवासीर की समस्या कितनी आम है।

क्या गर्भावस्था में बवासीर होना आम बात है? | Piles In Pregnancy In Hindi

बवासीर गर्भावस्था के दौरान कभी भी हो सकता है, विशेषकर तीसरी तिमाही में और प्रसव के दौरान या उसके तुरंत बाद।

एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार भी, गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान बवासीर की समस्या ज्यादा होने का जिक्र मिलता है (2)वहीं, एक रिपोर्ट के अनुसार गर्भावस्था के दौरान लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं बवासीर का शिकार होती हैं। इन तथ्यों के आधार पर गर्भावस्था में बवासीर को आम कहा जा सकता है (3)

लेख में आगे जानिए गर्भावस्था में बवासीर के लक्षण।

गर्भवती महिलाओं में बवासीर के लक्षण

गर्भवती महिलाओं में बवासीर के लक्षण कुछ इस प्रकार दिखाई दे सकते हैं (2) (4)

  • मलद्वार से रक्तस्राव।
  • गुदा क्षेत्र में दर्द के साथ सूजन।
  • गुदा क्षेत्र में जलन और खुजली की शिकायत।
  • मलद्वारा के पास एक या एक से अधिक गांठ बनना।

गर्भावस्था में बवासीर होने के कारण जानने के लिए स्क्रॉल करें।

गर्भावस्था के दौरान बवासीर होने का क्या कारण है?

गर्भावस्था के दौरान बवासीर होने के कई कारण हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं (1) (4) (5)

  • हॉर्मोन में बदलाव
  • पेट के निचले हिस्से में दबाव
  • शौचालय में अधिक समय तक बैठने पर
  • कब्ज की समस्या होने पर
  • सिरोसिस (क्रॉनिक लिवर डैमेज)
  • फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का कम सेवन
  • पाइल्स की फैमली हिस्ट्री की वजह से भी यह हाे सकता है।

अब सीधा आगे बढ़ते हैं गर्भावस्था के दौरान बवासीर के इलाज की ओर।

गर्भावस्था के दौरान बवासीर का इलाज | Pregnancy Piles Treatment In Hindi

गर्भावस्था के दाैरान अगर बवासीर का इलाज नहीं किया गया, तो यह समस्या ज्यादा दर्दनाक हो सकती है। यहां हम गर्भावस्था के दौरान होने वाले बवासीर के इलाज के बारे में बता रहे हैं (4) (6)

  • टाॅपिकल ट्रीटमेंट : गुदा क्षेत्र में सूजन और दर्द को कम करने के लिए एनाल्जेसिक और एंटी इंफ्लेमेटरी युक्त मलहम के उपयोग की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं।
  • स्टूल सॉफ्टनर : मल को मुलायम बनाने के लिए स्टूल साॅफ्टनर लेने की सलाह दी जा सकती है, ताकि कब्ज की दिक्कत ना हो।
  • ओरल फ्लेवोनोइड्स : बवासीर के उपचार के लिए मौखिक दवा के रूप में फ्लेवोनोइड (माइक्रोनाइज्ड डायोस्मिन 90% और हेसिपरिडिन 10%) का उपयोग किया जा सकता है। एक शोध में बवासीर के उपचार के लिए माइक्रोनाइज्ड डायोस्मिन और हेसिपरिडिन को प्रेगनेंसी में सुरक्षित और प्रभावी बताया गया है (7)
  • सर्जरी : बवासीर की जटिल अवस्था में सर्जरी का फैसला भी लिया जा सकता है। इसे अंतिम उपचार के तौर पर देखा जा सकता है।

प्रेगनेंसी में बवासीर का घरेलू इलाज जानने के लिए स्क्रॉल करें।

गर्भावस्था के दौरान बवासीर का घरेलू उपचार

गर्भावस्था के दौरान बवासीर होने पर कुछ घरेलू उपचार मददगार हो सकते हैं। नीचे इसी से जुड़ी जानकारी दी जा रही है।

  1. सिट्ज बाथ (Sitz Bath) : सिट्ज बाथ का उपयोग बवासीर की समस्या में राहत देने का काम कर सकता है। यह एक तरह की थेरेपी होती है, जिसमें दिन में दो बार 10 से 15 मिनट तब गुदे को सहने योग्य गर्म पानी में डुबाकर रखना होता है। शोध के अनुसार सिट्स बाथ से गुदे में होने वाली सूजन, खुलजी, दर्द और जलन की समस्या में मदद मिल सकती है (8) (9) डॉक्टरी परामर्श पर यह उपाय किया जा सकता है।
  1. विच हेजल : गर्भावस्था में बवासीर के उपचार के लिए विच हेजल के फायदे देख जा सकते हैं। दरअसल, इससे जुड़े एक शोध में जिक्र मिलता है कि विच हेजल का टॉपिकल इस्तेमाल बवासीर में फायदेमंद साबित हो सकता है। इसका उपयोग बवासीर में होने वाली सूजन को कुछ हद तक कम करने में मदद कर सकता है (10)
  1. नारियल का तेल : नारियल तेल का उपयोग गर्भावस्था के दौरान बवासीर में आराम पाने के लिए भी किया जा सकता है। शोध में पाया गया है कि नारियल तेल से युक्त ऑइंटमेंट का इस्तेमाल गर्भावस्था में बवासीर के लक्षणों से आराम दिलाने में मददगार हो सकता है (11)। दरअसल, नारियल के तेल में एनाल्जेसिक यानी दर्द निवारक और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। ये दोनों गुण दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं (12)
  1. तिल का तेल : तिल के तेल का उपयोग भी बवासीर के उपचार के लिए किया जा सकता है। इससे जुड़े एक शोध में पाया गया कि तिल का तेल अंदरूनी और बाहरी बवासीर के उपचार में फायदेमंद हो सकता है (13)
  1. फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ : जैसा कि हमने बताया कब्ज भी बवासीर की समस्या का एक कारण हो सकता है। इससे निजात पाने के लिए आहार में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है। फाइबर मल निकासी की प्रक्रिया को आसान बनाकर बवासीर में आराम पहुंचाने का काम कर सकता है। इसके लिए डॉक्टर से प्रेगनेंसी में सुरक्षित फाइबर युक्त आहार की जानकारी ली जा सकती है (4)
  1. ग्रीन टी : ग्रीन टी का उपयोग बवासीर की समस्या में आराम पहुंचाने में मददगार हो सकता है। एक शोध में पाया गया है कि ग्रीन टी में एनाल्जेसिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं (14)। ये गुण पाइल्स के दौरान होने वाली सूजन और दर्द को कम करने में कुछ हद तक मददगार हो सकते हैं (15)। वहीं, ग्रीन टी का सेवन प्रेगनेंसी में सुरक्षित माना जाता है (16)
  1. एलोवेरा : बवासीर के दौरान एलोवेरा का उपयाेग फायदेमंद हो सकता है। शोध में पाया गया है कि एलोवेरा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं (17)। यह गुण सूजन की समस्या को कम कर सकते हैं। साथ ही इसका उपयोग खुजली और जलन से राहत दिला सकता है (18)
  1. आइस-पैक : आइस पैक का उपयोग भी बवासीर से राहत दिलाने का काम कर सकता है (19)। बवासीर से प्रभावित स्थान पर आइस पैक को 3 से 4 मिनट के अंतराल में कुछ देर तक रखा जा सकता है (5)। वहीं, प्रभावित हिस्से पर आइस बॉल का उपयोग दर्द और रक्तस्राव जैसे बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है (21)
  1. एप्सम सॉल्ट : अन्य उपचारों के साथ ही एप्सम सॉल्ट का उपयोग बवासीर की समस्या में किया जा सकता है। शोध के अनुसार, अगर एप्सम सॉल्ट को ग्लिसरीन में मिलाकर उपयोग किया जाए, तो यह बवासीर में फायदेमंद हो सकता है (22) इसके अलावा, एक अन्य शोध में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि यह मिश्रण नसों की सूजन में फायदेमंद हो सकता है (23)
  1. जात्यादि तेल : जात्यादि तेल का उपयोग भी बवासीर की समस्या में फायदेमंद साबित हो सकता है (24)। एक शोध में जिक्र मिलता है कि जात्यादि तेल में घाव भरने के गुण पाए जाते हैं (25)। ऐसे में कहा जा सकता है कि प्रेगनेंसी में बवासीर की समस्या से आराम पाने में यह नुस्खा लाभकारी हो सकता है।

घरेलू उपचार के बाद यहां हम बता रहे हैं कि गर्भावस्था में बवासीर से बचाव कैसे करें।

गर्भावस्था के दौरान बवासीर से कैसे बचें?

गर्भावस्था के दौरान बवासीर से बचने के लिए कई प्रकार के उपाय किए जा सकते हैं। यहां हम कुछ जरूरी उपायों के बारे में बता रहे हैं, जो इस समस्या से बचाव में फायदेमंद हो सकते हैं (1)

  • अधिक मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें और दिन भर में कम से कम 8-12 गिलास पानी पिएं।
  • उन खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जिनमें फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जैसे – फल, सब्जियां और साबुत अनाज।
  • फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं। वहीं फाइबर के सप्लीमेंट का उपयोग भी किया जा सकता है, लेकिन इसके सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह जरूरी है।
  • शौचालय में अधिक समय तक न बैठें, इससे बवासीर की समस्या बढ़ सकती है।

अब जानते हैं कि गर्भावस्था में बवासीर होने पर डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए।

डॉक्टर से कब परामर्श करें?

लेख में बताए गए बवासीर के घरेलू उपचार अगर काम नहीं कर रहे हैं और बवासीर की स्थिति में सुधार नहीं दिख रहा है, तो जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, ताकि समय रहते जरूरी उपचार कराए जा सकें। ध्यान रखें कि गर्भावस्था एक नाजुक समय होता है, इसलिए इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही हानिकारक हो सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या प्रसव के बाद बवासीर ठीक हो जाता है?

ज्यादातर महिलाओं में प्रसव के बाद बवासीर के लक्षण अपने आप ठीक हो सकते हैं (4)

बवासीर होने का जोखिम किस तिमाही में अधिक होता है?

गर्भावस्था में बवासीर होने का जोखिम तीसरी तिमाही में अधिक रहता है (4)

प्रेगनेंसी में बवासीर से जुड़ी जरूरी जानकारी के बाद हम उम्मीद करते हैं कि अब आप इसके बारे में बहुत कुछ जान गई होंगी। ऐसे में प्रेगनेंसी में इस समस्या को कम करने और इससे निजात पाने के लिए ऊपर बताए गए घरेलू उपाय किए जा सकते हैं। वहीं, अगर समस्या ज्यादा बढ़ रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर जरूरी उपचार कराएं। इसके अलावा, खान-पान का ध्यान रखें और स्वस्थ जीवनशैली का पालन करें। गर्भावस्था से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए पढ़ते रहिए मॉमजंक्शन।

References

1. Hemorrhoids By MedlinePlus
2. Hemorrhoids By NCBI
3. Body changes and discomforts By womenshealth
4. Hemorrhoids in pregnancy By NCBI
5. External Hemorrhoid By NCBI
6. Hemorrhoids: From basic pathophysiology to clinical management By NCBI
7. Micronized flavonoid therapy in internal hemorrhoids of pregnancy By NCBI
8. Hemorrhoids: Modern Remedies for an Ancient Disease By NCBI
9. Hemorrhoids during pregnancy: Sitz bath vs. ano-rectal cream: A comparative prospective study of two conservative treatment protocols By NCBI
10. Herbal Treatment for Dermatologic Disorders By NCBI
11. Effect of Coconut oil ointment on the symptom of Hemorrhoids in pregnant women: Randomized clinical trial By mums
12. Anti-inflammatory, analgesic, and antipyretic activities of virgin coconut oil By NCBI
13. EFFECT OF BLACK SEED OIL VERSUS SESAME OIL TO ENHANCE EXTERNAL AND INTERNAL ANAL HEMORRHOIDS HEALING By JIARM
14. Evaluation of the anti-inflammatory and analgesic effects of green tea (Camellia sinensis) in mice By NCBI
15. An Evidence-Based Study on Medicinal Plants for Hemorrhoids in Medieval Persia By NCBI
16. Effect of the consumption of green tea extract during pregnancy and lactation on metabolism of mothers and 28d-old offspring By NCBI
17. ALOE VERA: A SHORT REVIEW By NCBI
18. Enlarged hemorrhoids: How can you relieve the symptoms yourself? By NCBI
19. Hemorrhoid removal – discharge By MedlinePlus
20. Management of haemorrhoids By NCBI
21. Haemorrhoids treated by cryotherapy: a critical analysis. By NCBI
22. Use of enzyme and heparin paste in acute haemorrhoids By NCBI
23. Effectiveness Magnesium Sulphate Crystal Fomentation Vs Paste Application for Phlebitis among Children Receiving Peripheral Infusion who are Admitted at Selected Hospital at Mangalore By Nitte University Journal of Health Science
24. Management of internal bleeding piles by ligation and plication followed by Matra Basti – A case report By NCBI
25. Wound healing efficacy of Jatyadi Taila: in vivo evaluation in rat using excision wound model By NCBI

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