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गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होना स्वाभाविक है। जहां एक तरफ कई तरह के हार्मोंस के स्तर में परिवर्तन आता है, वहीं समय के साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु का आकार भी बढ़ता रहता है। हालांकि, ये सभी बदलाव स्वस्थ शिशु के जन्म के लिए जरूरी हैं, लेकिन कुछ परिवर्तन ऐसे भी होते हैं, जो पीड़ादायक होते हैं। पेल्विक गर्डल पेन यानी श्रोणि में होने वाला दर्द भी उन्हीं में से एक है। आंकड़ों के अनुसार करीब 80 प्रतिशत महिलाओं को इस पीड़ा का सामना करना पड़ता है (1)

मॉमजंक्शन के इस लेख में हम बताएंगे कि पेल्विक गर्डल पेन यानी श्रोणि में दर्द क्यों होता है। साथ ही उन व्यायाम व उपचार के बारे में बात करेंगे, जो इस पीड़ा से राहत दिलाने में कारगर साबित हो सकते हैं।

श्रोणि क्या होती है और यह गर्भावस्था में कैसे बदलती है?

श्रोणि शरीर के निचले हिस्से में पेट और पैरों के बीच स्थित होती है। यहां दोनों कूल्हों की हड्डियां होती हैं। दाएं और बाएं तरफ स्थित ये दोनों हड्डियां मिलकर श्रोणि के एक हिस्से का निर्माण करती हैं, जिसे पेल्विक गर्डल कहा जाता है। ये पीछे सैक्रम बोन से और आगे सिम्फिसिस प्यूबिस नामक मजबूत जोड़ से जुड़ी होती हैं। यह जगह आंतों, मूत्राशय व प्रजनन अंगों को सुरक्षा प्रदान करती है। लिगामेंट का मजबूत नेटवर्क इन्हें घेरकर रखता है, जिस कारण ये सुरक्षित रहते हैं (2)

वहीं, गर्भावस्था के समय शरीर में रिलैक्सिन नामक हार्मोन का निर्माण होता है। यह श्रोणि भाग के लिगामेंट को शिथिल बना देता है, ताकि उनमें आसानी से खिंचाव हो सके। इससे शिशु को बाहर आने में आसानी होती है। यही कारण है कि गर्भावस्था के समय और डिलीवरी के बाद श्रोणि क्षेत्र के अधिकतर भाग हिलते रहते हैं (3)

आइए, अब जानते हैं कि पेल्विक गर्डल पेन किसे कहते हैं।

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क्या होता है पेल्विक गर्डल पेन (पीजीपी)?

यह दर्द श्रोणि के आगे के भाग से लेकर पिछले भाग में हो सकता है। साथ ही यह कूल्हों, कमर, पेट के निचले हिस्से, जांघों और योनी क्षेत्र में हो सकता है। यह दर्द हल्का या तेज किसी भी तरह का हो सकता है। इससे चलना-फिरना और रोजमर्रा के काम करना मुश्किल हो सकता है। यह दर्द गर्भावस्था के दौरान या फिर डिलीवरी से दो-चार हफ्ते पहले शिशु के पेल्विक क्षेत्र में आ जाने से होता है। कुछ मामलों में यह डिलीवरी के बाद भी रहता है (4)

आगे पढ़िए कि कब होता है पीजीपी।

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गर्भावस्था में पीजीपी कब विकसित होता है?

  • अमूमन यह दर्द गर्भावस्था के शुरुआत (पहली तिमाही) में या फिर डिलीवरी से कुछ दिन पहले महसूस होता है।
  • इसके अलावा, गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में जब शिशु का सिर पेल्विक एरिया की ओर हो जाता है, तब भी यह दर्द होता है।
  • यह दर्द डिलीवरी के बाद भी रह सकता है (5)
  • अगर आपको पहली गर्भावस्था में यह दर्द रहा है, तो दूसरी गर्भावस्था के दौरान भी यह दर्द होने की आशंका बढ़ जाती है। वहीं, अगर आपने पहली बार में इसका उपचार ठीक तरह से करवाया था, तो दूसरी बार में यह दर्द सहनीय होगा।

लेख के इस भाग में हम योनी में दर्द के कारणों के बारे में जानेंगे।

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गर्भावस्था में योनी में दर्द होने के कारण?

पीजीपी का पहला और सबसे अहम कारण भ्रूण की स्थिति नीचे यानी पेल्विक एरिया में होना है। वहीं, जब शिशु का आकार बढ़ता है, तो उसका दबाव पेल्विक हड्डियों, जोड़ों और लिगामेंट पर पड़ता है। इससे गर्भवती को चलने-फिरने और अपनी दिनचर्या को ठीक तरह से नियमित रखने में दिक्कत होती है। इसके अलावा, अन्य कारण भी हैं, जिनके चलते योनी में दर्द होता है (6) (7) :

  • पेल्विक जोड़ों की कार्यप्रणाली में असमानता आने पर।
  • एक पेल्विक जोड़ के असामान्य रूप से काम करने पर दूसरे पर दबाव पड़ना।
  • गर्भावस्था के दौरान शरीर में विकसित होने वाले हार्मोंस के कारण कनेक्टिव टिशू का प्रभावित होना।
  • कठोर शारीरिक गतिविधियों के कारण।
  • व्यायाम के कारण पेल्विक एरिया पर दबाव पड़ना।
  • अगर कभी कमर के निचले हिस्से या फिर पेल्विक में दर्द रहा हो।

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किस वजह से बढ़ता है योनी का दर्द?

वैसे तो पेल्विक पेन के तेज होने के पीछे कोई एक कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अधिक चलने या फिर शारीरिक श्रम करने पर ऐसा होता है।

पेल्विक पेन का पता कैसे लगाया जाए, इस बारे में जानने के लिए पढ़ते रहें यह आर्टिकल।

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पीजीपी का पता कैसे चलता है?

जब भी आपको पेल्विक एरिया में कुछ अजीब-सा लगे या फिर आप असहज महसूस करें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर जांच करते हुए आपसे पूछ सकते हैं कि पेल्विक एरिया में दर्द किस जगह से शुरू हो रहा है और उसकी तीव्रता कितनी है। साथ ही आप डॉक्टर को अपनी दिनचर्या और शारीरिक गतिविधियों के बारे में भी विस्तार से बताएं। इसके अलावा, डॉक्टर आपके पोश्चर, कमर व कूल्हों की गतिशीलता को नोट करेंगे। डॉक्टर इसी के आधार पर तय करेंगे कि आपके श्रोणि क्षेत्र में दर्द पीजीपी के कारण हो रहा है या फिर किसी अन्य कारण से (8)

इसके अलावा, डॉक्टर पोस्टीरियर पेल्विक पेन प्रोवोकेशन टेस्ट (P4) और एक्टिव स्ट्रेट लेगराइज (ASLR) के जरिए भी पीजीपी का पता लगा सकते हैं (9) (10)

आइए, अब पीजीपी के उपचार की बात करते हैं।

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पीजीपी का उपचार कैसे होता है?

श्रोणि भाग में होने वाले दर्द को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए बस आपको कुछ जरूरी टिप्स पर ध्यान देने और अपनी दिनचर्या में जरूरी परिवर्तन करने की जरूरत है (7)

  • दर्द को बढ़ाने वाली शारीरिक गतिविधियों को कम कर दें। जिस पोश्चर में आपको आराम मिले, उसी में आराम करें।
  • दर्द को कम करने के लिए कुछ व्यायाम किए जाते हैं। इससे आपके पेल्विक की मांसपेशियां मजबूत होंगी।
  • आप डॉक्टर से पूछें कि चलते समय, खड़े होने की अवस्था और अन्य शारीरिक गतिविधियां करते समय किस तरह से पेल्विक को लॉक करना है।
  • अगर दर्द ज्यादा है, तो संभव है कि डॉक्टर आपको पेल्विक को सपोर्ट करने के लिए बेल्ट दे सकते हैं।
  • पानी में की जाने वाली कुछ एक्सरसाइज कर सकते हैं। इससे आपको दर्द से आराम मिल सकता है। हां, इस बात का ध्यान जरूर रखें कि ट्रेनर गर्भवती महिलाओं को इस तरह के व्यायाम कराने में निपुण हो।
  • एक्यूपंक्चर की मदद से भी इस दर्द को कम किया जा सकता है, लेकिन इसे उसी विशेषज्ञ से करवाएं, जो पीजीपी का इलाज करने में प्रशिक्षित हो।
  • गर्म पानी से स्नान या फिर गर्म व ठंडे पानी की सिकाई भी की जा सकती है।
  • संभव है कि आपकी स्थिति को देखते हुए डॉक्टर कोई दर्दनिवारक दवा दे सकता है।

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गर्भावस्था के दौरान पेल्विक गर्डल पेन से कैसे निपटें?

प्रेग्नेंसी के दौरान और उसके बाद होने वाले पेल्विक पेन को इन उपायों की मदद से कम किया जा सकता है (11):

  • जितना हो सके शारीरिक रूप से सक्रिय रहें और बीच-बीच में आराम भी करते रहें।
  • उठते-बैठते या फिर चलते-फिरते समय ऐसी मुद्रा को अपनाएं, जिससे दर्द कम से कम हो।
  • हमेशा करवट लेकर लेटें और अपनी टांगों व पेट को तकिये के जरिए सहारा दें।
  • सीढ़ियां चढ़ते समय पहले उस पैर को रखें जिसमें दर्द नहीं है।
  • कोई भी सामान उठाने का प्रयास न करें, इससे पेल्विक में दर्द बढ़ सकता है।
  • अगर आप शारीरिक संबंध बनाते हैं, तो इसे सुरक्षित मुद्रा में करें।
  • चलते समय छोटे-छोटे कदम उठाएं।
  • टांगों को आपस में क्रॉस करके न बैठें।
  • हंसते, खांसते व छींकते समय सावधान रहें।
  • कुर्सी पर बैठते समय पीठ के पीछे तकिया या कुशन जरूर रखें।
  • बेड से उतरते समय अपने घुटनों को एक साथ रखें।
  • बिना हील वाले और आरामदायक चप्पल, सैंडल व जूतों का इस्तेमाल करें।
  • दर्द से राहत पाने के लिए किसी विशेषज्ञ से मसाज भी ले सकते हैं।

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पेल्विक गर्डल पेन के लिए व्यायाम

बेशक, कुछ व्यायाम आपके इस दर्द को कम कर सकते हैं, लेकिन इन्हें करने से पहले अपने डॉक्टर से एक बार पूछ जरूर लें। उनके कहने पर ही इन्हें करें (12)

  1. ब्रिज एक्सरसाइज : जमीन पर लेट जाएं और घुटनों को मोड़ लें। फिर सांस छोड़ते हुए और पेल्विक एरिया को सिकोड़ते हुए कूल्हों को ऊपर उठाएं। करीब तीन-चार सेकंड तक इसी अवस्था में रहें और वापस सामान्य स्थिति में आ जाएं। इसे आप कई बार कर सकते हैं।

Bridge Exercise

  1. हिप लिफ्ट : घुटनों के बल आकर आगे झुकते हुए अपनी हथेलियों को जमीन पर रख दें। फिर एक पैर को पीछे की ओर सीधा करते हुए ऊपर उठाएं और वापस नीचे ले आएं। ऐसा ही दूसरे पैर से करें।

Hip lift

  1. लेग प्रेस : एक तरफ करवट लेकर लेट जाएं और घुटने को छाती से लगाने का प्रयास करें। फिर पेल्विक एरिया की मांसपेशियों को सिकोड़ते हुए पैर को वापस ले आएं। ऐसा ही दूसरी तरफ से भी करें।

leg press

  1. लेग लिफ्ट : एक तरफ करवट लेकर लेटें और अपनी टांग को ऊपर उठाएं। ध्यान रहे कि टांग को ज्यादा ऊपर तक न ले जाएं। फिर आराम से नीचे ले आएं।

Leg lift

इनके अलावा, आप पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज जैसे – पेल्विक टिल्ट, कीगल एक्सरसाइज, कैट स्ट्रेच और हिप ब्रिज एक्सरसाइज भी कर सकते हैं। साथ ही स्टेबिलिटी बॉल एक्सरसाइज भी कर सकते हैं।

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क्या पीजीपी से प्रसव पर असर पड़ता है?

पेल्विक पेन के चलते नॉर्मल डिलीवरी के समय टांगों को खोलने में दिक्कत हो सकती है। अगर आप भी इस समस्या का सामना कर रही हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें। डॉक्टर नॉर्मल डिलीवरी की संभावना को बढ़ाने के लिए निम्न प्रकार के पोजिशन की प्रैक्टिस करने की सलाह दे सकते हैं :

  • सीधे या फिर घुटनों के बल बैठें।
  • पीठ के बल लेटने से परहेज करें।

अगर अधिक दर्द के कारण नॉर्मल डिलीवरी करना मुश्किल होता है, तो डॉक्टर सी-सेक्शन का सहारा ले सकते हैं। यह सबसे अंतिम विकल्प होता है, लेकिन इसके बाद पेल्विक पेन से उबरने में और ज्यादा समय लग सकता है।

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पेल्विक पेन होने पर डॉक्टर के पास कब जाएं?

अगर पेल्विक पेन में निम्नलिखित लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें :

  • अगर दर्द के साथ बुखार आए या ठंड लगे।
  • अगर दर्द लगातार रहे और आराम करने पर भी न जाए।
  • पेट के निचले हिस्से में दर्द होना, जो कम न हो।
  • अगर यूरिन के समय जलन महसूस हो।
  • अगर लगातार चक्कर आ रहे हों और जी-मिचलाने जैसी समस्या हो।
  • अगर अधिक रक्तस्राव हो या फिर हरे रंग का पानी डिस्चार्ज हो।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

पेल्विक गर्डल पेन कितनी जल्दी ठीक हो जाएगा?

डिलीवरी के बाद कुछ ही हफ्तों या महीनों में पेल्विक गर्डल पेन अपने आप ठीक हो जाता है। अगर डिलीवरी के समय स्थिति गंभीर रहती है, तो बाद में पेल्विक पेन से उबरने में मुश्किल हो सकती है (13)

क्या अगली गर्भावस्था में पीजीपी फिर से हो सकता है?

हां, अगली गर्भावस्था में भी पीजीपी की समस्या हो सकती है, लेकिन अगर आप संतुलित भोजन करते हैं और स्वस्थ रहते हैं, तो इससे निपटना आसान होता है। साथ ही अगली गर्भावस्था के लिए कुछ वर्षों का इंतजार करें और वजन को कम करने का प्रयास करें। इसके अलावा, पेट और पेल्विक एरिया की मांसपेशियों को मजबूत करने से भी इस आशंका को कम किया जा सकता है।

क्या पेल्विक गर्डल पेन और साइटिका समान है?

कई बार पेल्विक गर्डल पेन और साइटिका में फर्क करना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि ये दोनों पीठ के निचले हिस्से और कूल्हों के पास होते हैं। साइटिका पीठ के निचले हिस्से से शुरू होकर कूल्हों की तरफ और एक या दोनों पैरों में होता है। वहीं, पीजीपी श्रोणि क्षेत्र के किसी भी हिस्से से लेकर योनी क्षेत्र में हो सकता है।

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बेशक, पेल्विक गर्डल पेन किसी भी गर्भवती महिला को हो सकता है, लेकिन उससे निपटना बेहद आसान है। आप इस आर्टिकल में बताए गए टिप्स और संतुलित आहार व स्वस्थ दिनचर्या की मदद से इस परेशानी का सामना आसानी से कर सकेंगी। इसके अलावा, समय-समय पर डॉक्टर से चेकअप भी करवाते रहें। अगर आपके सर्कल में कोई महिला गर्भवती है, तो इस आर्टिकल को उसके साथ जरूर शेयर करें। आप अपने अनुभव हमारे साथ नीचे दिए कमेंट बॉक्स में साझा कर सकते हैं।

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