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स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए आयुर्वेद में कई तरह की जड़ी-बूटियों को उपयोग में लाया जाता है। इन जड़ी-बूटियों में विभिन्न पेड़-पौधों की जड़, तना और पत्तियां शामिल की जाती हैं। ऐसी ही एक जड़ी-बूटी है, गिलोय। अधिकतर लोगों ने इसका नाम जरूर सुना होगा, लेकिन गिलोय के औषधीय गुण की जानकारी बहुत कम को ही होगी। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम गिलोय जूस के फायदे विस्तार से बताने जा रहे हैं। साथ ही यहां आपको घर में ही गिलोय का रस बनाने की विधि बड़े ही सहज ढंग से समझाई जाएगी, जिससे आप आसानी से गिलोय के लाभ हासिल कर सकें। उससे पहले यह जरूर ध्यान रखें कि गिलोय लेख में शामिल समस्याओं में राहत पहुंचा सकता है, लेकिन उनका पूर्ण इलाज डॉक्टरी परामर्श पर ही निर्भर करता है।
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तो आइए, सबसे पहले गिलोय क्या है? यह जान लेते हैं। बाद में हम गिलोय जूस के फायदे पर चर्चा करेंगे।
गिलोय (गुडूची) क्या है?
गिलोय एक प्रकार की बेल है, जिसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। यह स्वभाव से गर्म तासीर वाली होती है। इसका तना हरा और गूदेदार होता है। वहीं, इसके फल देखने में हरी मटर के बीज के समान लगते हैं। गर्मियों के दिनों में गिलोय की बेल पर पीले रंग के फूल खिलते हैं। इन फूलों के आधार पर ही गिलोय की नर और मादा बेल की पहचान की जाती है। जहां मादा बेल में फूल अकेले नजर आते हैं, वहीं नर बेल में यह फूल गुच्छे में दिखाई देते हैं। यह बेल आमतौर पर पहाड़ों की चट्टानों, जंगलों और खेतों की मेड़ों पर पाई जाती हैं (1)।
वैज्ञानिक भाषा में गिलोय की बेल को टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया (Tinospora cordifolia) के नाम से पुकारा जाता है। चूंकि अकेले ही यह कई बीमारियों को ठीक करने की क्षमता रखती है, इसलिए इसे अमृता (अमृत के समान) भी कहा जाता है। माना जाता है कि यह जिस भी पेड़ से लिपटकर बढ़ती है, उस पेड़ के कई औषधीय गुण भी गिलोय के औषधीय गुण में समाहित हो जाते हैं। इसी कारण नीम के पेड़ से लिपटी गिलोय की बेल को अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
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लेख के अगले भाग में अब हम गिलोय जूस बेनिफिट्स जानने का प्रयास करेंगे।
गिलोय जूस के फायदे – Giloy Juice Ke Fayde in Hindi
गिलोय के औषधीय गुण का व्यापक लाभ हासिल करने के लिए मुख्य रूप से इसके जूस या काढ़े का प्रयोग किया जाता है। वजह यह है कि गिलोय का जूस या काढ़े में संपूर्ण गिलोय बेल का अर्क समाहित होता है। तो आइए, अब हम किन-किन समस्याओं में गिलोय जूस बेनिफिट्स हासिल किए जा सकते हैं, इस बारे में थोड़ा जान लेते हैं।
1. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के लिए गिलोय का जूस इस्तेमाल में लाया जा सकता है। गिलोय से संबंधित एनसिएंट लाइफ ऑफ साइंस के शोध से यह बात साफ होती है। शोध में जिक्र मिलता है कि गिलोय के तने के अर्क में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला) प्रभाव पाया जाता है (1)। इस आधार पर माना जा सकता है कि तने के इस्तेमाल से तैयार गिलोय जूस बेनिफिट्स शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करने का काम कर सकते हैं।
2. अस्थमा में फायदेमंद
अस्थमा जैसी सांस से संबंधित समस्या में भी बेनिफिट्स ऑफ गिलोय जूस लाभकारी परिणाम प्रदर्शित कर सकते हैं। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ आयुर्वेदा रिसर्च के एक शोध से इस बात की पुष्टि होती है। शोध में जिक्र मिलता है कि गिलोय के तने के अर्क में एंटीएलर्जिक और ब्रोंकोडाइलेटर (श्वसन संबंधी समस्या जैसे अस्थमा को ठीक करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। इस प्रभाव के कारण यह पुरानी खांसी और अस्थमा की समस्या में लाभकारी साबित हो सकता है (2)। इस तथ्य के आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि तने के उपयोग से तैयार गिलोय का जूस अस्थमा की समस्या में राहत पहुंचा सकता है।
3. डायबिटीज को करे नियंत्रित
डायबिटीज की समस्या में भी गिलोय जूस बेनिफिट्स कारगर साबित हो सकते हैं। इस बात को एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) के एक शोध में स्पष्ट तौर पर स्वीकार किया गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि गिलोय में एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक (ब्लड शुगर कम करने वाला) गुण पाया जाता है। इस गुण के कारण गिलोय का सेवन बढ़े हुए बल्ड शुगर को कम करने में मदद कर सकता है (2)।
4. तनाव को दूर करे
अत्यधिक तनाव की स्थिति से आराम पाने के लिए भी गिलोय के जूस का सेवन सहायक हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इसकी जड़ के साथ ही संपूर्ण गिलोय बेल में एंटीस्ट्रेस (तनाव दूर करने वाला) प्रभाव मौजूद होता है (2)। इस आधार पर तनाव मुक्ति के लिए बेनिफिट्स ऑफ गिलोय जूस उपयोगी माने जा सकते हैं।
5. पाचन में सहायक
पाचन क्षमता को बढ़ाने में भी गिलोय के जूस को इस्तेमाल में लाया जा सकता है। गिलोय से संबंधित एनसीबीआई के एक शोध में इस बात को माना गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि इसमें आंतों को मजबूती प्रदान कर पाचन क्षमता में सुधार करने का भी गुण मौजूद होता है। इसके साथ ही यह डायरिया और डिसेंट्री जैसी पाचन संबंधी समस्याओं में भी राहत पहुंचा सकता है (2)। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि पाचन शक्ति को बढ़ाने में गिलोय का जूस कारगर साबित हो सकता है।
6. पीलिया में लाभकारी
बेनिफिट्स ऑफ गिलोय जूस पीलिया की समस्या में भी सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकते हैं। गिलोय के औषधीय गुण से संबंधित एक शोध से यह बात प्रमाणित होती है। शोध में माना गया कि गिलोय की बेल में हेपेटोप्रोटेक्टिव (लिवर को सुरक्षा देने वाला) गुण मौजूद होता है। इस कारण यह लिवर की बिगड़ी प्रक्रिया को ठीक कर पीलिया की समस्या से राहत पाने में मदद कर सकता है (2)।
7. एनीमिया से करे बचाव
एनीमिया की समस्या से बचाव के लिए भी गिलोय जूस को फायदेमंद माना जाता है। गिलोय से संबंधित दो अलग-अलग शोध से इस बात की पुष्टि होती है। गिलोय से संबंधित एक शोध में जिक्र मिलता है कि यह शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति में मदद कर सकता है। साथ ही आयरन के अवशोषण को भी बढ़ावा दे सकता है, जिससे एनीमिया की समस्या से राहत मिल सकती है (3)। वहीं, दूसरे शोध में माना गया है कि यह लेड विषाक्तता के प्रभाव को कम कर खून में लाल और श्वेत रक्त कोशिकाओं को बढ़ावा दे सकता है। इससे एनीमिया की समस्या में लाभ हासिल हो सकता है (4)।
8. रयूमेटाइड आर्थराइटिस में मददगार
रयूमेटाइड आर्थराइटिस (हाथ-पैर के जोड़ों में सूजन) की समस्या में भी गिलोय के फायदे हासिल किए जा सकते हैं। दरअसल, गिलोय में एंटी-आर्थराइटिक (जोड़ों की सूजन और दर्द को कम करने वाला) और एंटी-ओस्टियोपोरेटिक (हड्डियों को मजबूती प्रदान करने वाला) प्रभाव पाए जाते हैं। गिलोय के यह दोनों प्रभाव रयूमेटाइड आर्थराइटिस के साथ ही ओस्टियोपोरोसिस और ओस्टियोआर्थराइटिस जैसे हड्डियों से संबंधित विकारों में भी राहत पहुंचा सकते हैं (1)। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि रयूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या में बेनिफिट्स ऑफ गिलोय जूस सहायक हो सकते हैं।
9. बुखार के लिए कारगर
अन्य शारीरिक समस्याओं के साथ बुखार की समस्या में भी गिलोय का जूस लाभकारी प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है। इस बात का जिक्र एनसीबीआई के एक शोध में मिलता है। शोध में माना गया है कि गिलोय की जड़ और तने का अर्क बुखार से राहत दिलाने का काम करता है (2)। इस आधार पर माना जा सकता है कि गिलोय के जूस का उपयोग बुखार में भी उपयोगी माना जा सकता है।
10. लिवर के लिए उपयोगी
लिवर को सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी गिलोय का जूस इस्तेमाल में लाया जा सकता है। गिलोय से संबंधित एक शोध से इस बात का प्रमाण मिलता है। शोध में माना गया कि गिलोय के अर्क में हेप्टोप्रोटेक्टिव (लिवर की सुरक्षा करने वाला) गुण पाया जाता है। गिलोय में मौजूद यह गुण लिवर को होने वाली क्षति से बचाने के साथ-साथ लिवर की कार्य क्षमता में सुधार करने का भी काम कर सकता है (2)। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि लिवर की समस्याओं से बचाव करने में गिलोय का जूस कारगर साबित हो सकता है।
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11. यौनेच्छा को बढ़ावा दे
यौनेच्छा को बढ़ाने के मामले में भी गिलोय का जूस पीछे नहीं हैं। गिलोय की बेल का अर्क शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर ऊर्जा का प्रसार करने का कम कर सकता है। साथ ही इसमें मौजूद एफ्रोडिसिएक (Aphrodisiac) यानी यौन इच्छा बढ़ाने वाला गुण भी मौजूद होता है (5)। इस तथ्य के आधार पर यह माना जा सकता है कि यौनेच्छा को बढ़ावा देने के मामले में गिलोय का जूस सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है।
12. श्वास संबंधी समस्याओं में लाभकारी
श्वसन तंत्र से संबंधित समस्याओं से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी गिलोय का जूस फायदेवर माना जाता है। गिलोय से संबंधित एक शोध में जिक्र मिलता है कि इसके तने का इस्तेमाल श्वसन तंत्र से जुड़े संक्रमण के लिये किया जा सकता है (6)। वहीं, गिलोय का उपयोग इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने में मदद कर सकता है, जिससे श्वसन तंत्र से संबंधित संक्रमण से लड़ने में मदद मिल सकती है (7)। इन आधार पर इसे श्वास संबंधी समस्याओं से राहत पाने के लिए भी उपयोगी माना जा सकता है। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
13. बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करे
बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने के लिए भी गिलोय के जूस को कारगर माना गया है। गिलोय से संबंधित एक शोध में इस बात को स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है। शोध में माना गया है कि गिलोय का अर्क मानसिक स्वास्थ्य के साथ जीवन काल को बढ़ाने का काम कर सकता है। इसके साथ ही यह एक बेहतरीन एंटीएजिंग (बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने वाला) भी माना जाता है (8)। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि गिलोय का जूस एंटी एजिंग एजेंट के तौर पर भी सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है।
14. गठिया की समस्या में लाभकारी
लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि गिलोय के अर्क में एंटीआर्थराइटिक (जोड़ों में दर्द से राहत दिलाने वाला) गुण पाया जाता है। इसके साथ ही इसमें एंटीइन्फ्लामेट्री (सूजन को कम करने वाला) प्रभाव भी मौजूद होता है। यह दोनों प्रभाव संयुक्त रूप से गठिया यानी गाउटी आर्थराइटिस में आराम पहुंचा सकते हैं (2)।
15. आंखों की रोशनी बढ़ाएं
आंखों की रोशनी बढ़ाने के घरेलू उपाय के तौर पर भी गिलोय के अर्क का इस्तेमाल किया जाता है। एनसीबीआई के एक शोध में जिक्र मिलता है कि गिलोय की जड़ का अर्क आंखों में डालने से आंखों से जुड़े विकार दूर हो सकते हैं (2)। ऐसे में आंखों की रोशनी बढ़ाने के मामले में भी इसे उपयोगी माना जा सकता है।
16. इयर वैक्स की समस्या में सहायक
इयर वैक्स यानि कि कान के खूंट को साफ करने के लिए भी गिलोय के अर्क को इस्तेमाल में लाया जा सकता है। गिलोय से संबंधित एक शोध में जिक्र मिलता है कि गिलोय के अर्क में एंटीइन्फ्लामेट्री (सूजन कम करने वाला) और एंटीसेप्टिक (बैक्टीरिया के प्रभाव को काम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। यह दोनों ही प्रभाव संयुक्त रूप से इयर वैक्स के कारण होने वाले कान के इन्फेक्शन से राहत दिला सकते हैं (9)। हालांकि, यह इयर वैक्स को निकालने में कितना कारगर होगा, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
17. मूत्र विकार में लाभदायक
बुजुर्गों में होने वाले मूत्र विकार (जैसे:- पेशाब न होना या रुक-रुक कर पेशाब होना) में भी गिलोय को लाभदायक माना गया है। गिलोय के संबंधित एक शोध से भी इस बात कि पुष्टि होती है। शोध में जिक्र मिलता है कि गिलोय के अर्क में ड्यूरेटिक (मूत्रवर्धक) गुण पाया जाता है। इस गुण के कारण गिलोय का जूस मूत्र की मात्रा को बढ़ाकर मूत्र मार्ग से संबंधित समस्या को कम कर में मदद सकता है (2)।
18. बवासीर में गिलोय
बवासीर की समस्याओं की समस्या में भी गिलोय काफी हद तक उपयोगी साबित हो सकता है। गिलोय के अर्क से संबंधित एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है। शोध में माना गया है कि गिलोय के अर्क में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो खूनी बवासीर की समस्या से राहत दिला सकते हैं (10)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि गिलोय के जूस का सेवन बावासीर की समस्या में राहत पहुंचा सकता है। हालांकि इस बात की स्पष्ट जानकारी मौजूद नहीं है की यह बवासीर की समस्या में यह किस प्रकार लाभ पहुंचाता है। इस संबंध में अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
19. त्वचा के लिए लाभदायक
त्वचा से संबंधित संक्रमण को दूर करने के लिए भी गिलोय का अर्क इस्तेमाल किया जा सकता है। इस बात को गिलोय से संबंधित एक शोध में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि इसमें एंटीलेप्रोटिक (कुष्ट रोग को ठीक करने वाला) और अन्य त्वचा संक्रमण को ठीक करने के गुण पाए जाते हैं (2)। बता दें कि कुष्ट रोग में अन्य भागों के साथ त्वचा भी प्रभावित होती है (11)। इस आधार पर माना गया है कि इसके तने से निकाले गए अर्क का सेवन करने से त्वचा संबंधी संक्रमण में लाभ मिल सकता है। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
20. बालों के लिए गिलोय
गिलोय का अर्क बालों पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। दरअसल, गिलोय से संबंधित एक शोध में माना गया है कि गिलोय के तने की छाल का उपयोग तेल बनाने में किया जाता है। वजह यह है कि गिलोय के तने की छाल समय पूर्व बालों की सफेदी से बचाव करने में उपयोगी साबित हो सकती है (12)। ऐसे में तने से तैयार गिलोय के जूस को बालों के लिए भी उपयोगी माना जा सकता है।
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लेख के अगले भाग में अब हम गिलोय के पौष्टिक तत्व से जुड़ी जानकारी देंगे।
गिलोय के पौष्टिक तत्व – Giloy Nutritional Value in Hindi
लेख में हमने आपको पहले ही बताया कि गिलोय एक प्रकार की बेल है। यही वजह है कि इसमें मौजूद रसायन ही इसके औषधीय गुणों के भंडार का कारण हैं। आइए, उन पर डालते हैं एक नजर (13)।
- क्विनोन्स
- फ्लेवेनॉइड
- पॉलीफेनोल्स और टैनिन
- कूमैरिन्स
- टरपेनोइड्स और एसेंशियल ऑयल्स
- अल्कालोइड्स
- लैक्टिक और पॉलीपेप्टाइड
- ग्लाइकोसाइड
- सैपोनिंस
- स्टेरायड्स
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लेख के अगले भाग में अब हम आपको गिलोय का जूस बनाने की विधि बताएंगे।
गिलोय जूस बनाने की विधि – Giloy Juice Recipe in Hindi
तो आइए यहां हम गिलोय का जूस बनाने की विधि जान लेते हैं।
सामग्री :
- करीब दो मीटर लंबी गिलोय की बेल
- करीब एक लीटर पानी
बनाने का तरीका :
- सबसे पहले गिलोय की बेल को अच्छे से धो लें।
- अब इस बेल को तोड़ कर अच्छे से पीस लें।
- अब एक बर्तन में पानी लेकर तैयार पेस्ट को पानी में मिलाएं।
- अब पेस्ट मिले पानी को गैस पर चढ़ा दें और उबलने के लिए छोड़ दें।
- इसे तब तक उबालें जब तक पानी आधा न रह जाए।
- अच्छे से उबल जाने के बाद अब गिलोय का जूस तैयार हो गया है।
- इसे अलग बर्तन में छानकर अलग कर लें और ठंडा होने के लिए रख दें।
- ठंडा हो जाने के बाद तैयार जूस को पीने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
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लेख के अगले भाग में अब हम आपको गिलोय का जूस लेने की मात्रा और लिए जाने के समय के बारे में बताएंगे।
कितनी मात्रा में और कब गिलोय जूस का सेवन किया जाना चाहिए?
करीब 15 मिली गिलोय के जूस का सेवन चिकनगुनिया के प्रभाव से बचाने में कारगर माना जाता है (14)। इस तथ्य को देखते हुए यह माना जा सकता है कि गिलोय के लाभ हासिल करने के लिए 15 मिली गिलोय के जूस का सेवन सुबह के समय किया जा सकता है। हालांकि, समस्या के अनुसार इसके सेवन की मात्रा में बदलाव हो सकता है, इसलिए इससे संबंधित जानकारी डॉक्टर से जरूर लें।
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लेख के अगले भाग में अब हम गिलोय जूस साइड इफेक्ट्स जानने का प्रयास करेंगे।
गिलोय जूस के नुकसान – Giloy Juice Ke Nuksan in Hindi
निम्न बिंदुओं के माध्यम से हम गिलोय जूस साइड इफेक्ट्स को समझ सकते हैं, जो इसके अधिक सेवन के कारण देखने को मिल सकते हैं।
- यह ब्लड शुगर को कम कर सकता है, इसलिए डायबिटीज की दवा लेने वाले इसके उपयोग में सावधानी बरतें, नहीं तो ब्लड शुगर काफी कम हो सकता है (2)।
- हालांकि, इसे पाचन शक्ति के लिए सहायक माना गया है, लेकिन गर्म तासीर के कारण इसकी अधिक मात्रा पेट से संबंधित कुछ समस्याएं जैसे :- जलन और गैस की समस्या का कारण बन सकती है। फिलहाल, इस तथ्य से जुड़े सटीक वैज्ञानिक शोध का अभाव है।
- गर्भावस्था में बिना डॉक्टर की सलाह के गिलोय के जूस का सेवन न करें, नहीं तो गिलोय जूस साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं। कारण यह है कि इसके अर्क में एंटी फर्टिलिटी (भ्रूण को नष्ट करने वाला) प्रभाव पाया जाता है ।
गिलोय जूस सेहत और स्वास्थ्य के लिए कितना उपयोगी है? यह तो आपको अब अच्छे से समझ आ गया होगा। ऐसे में गिलोय जूस के फायदे हासिल करने के लिए इसे आप इस्तेमाल भी जरूर करना चाहेंगे। तो फिर सोचना क्या? लेख में बताई गिलोय जूस बनाने की विधि को अपनाएं और आज से ही इसे प्रयोग में लाएं। साथ ही गिलोय जूस साइड इफेक्ट्स पर भी जरूर ध्यान दें, ताकि इससे होने वाले दुष्प्रभावों को पास आने से रोका जा सके। उम्मीद है सेहत और स्वास्थ्य से जुड़ा यह लेख आपको काफी पसंद आया होगा। ऐसी ही अन्य जानकारी हासिल करने के लिए पढ़ते रहें स्टाइलक्रेज।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
गिलोय की तासीर कैसी होती है?
गिलोय की तासीर गर्म होती है।
गिलोय को रामबाण दवा क्यों कहते हैं?
गिलोय के औषधीय गुण कई समस्याओं में काफी प्रभावी माने जाते हैं, जिनके बारे में लेख में आपको बताया जा चुका है। इसलिए, इसे रामबाण (तुरंत असर करने वाली) दवा कहा जाता है।
गिलोय कहां पाई जाती है?
गिलोय मुख्य रूप से जंगलों, खेतों की मेड़ों और पहाड़ों की चट्टानों पर पाई जाती है।
गिलोय कहां से खरीद सकते हैं?
जैसा कि आपको लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि गिलोय मुख्य रूप से जंगलों, खेतों की मेड़ों और पहाड़ों की चट्टानों पर पाई जाती है। इसलिए, इसका बाजार में मिलना मुश्किल है। आप चाहें, तो इसके बने-बनाए जूस या काढ़े को किसी भी आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर से खरीद सकते हैं।
गिलोय का काढ़ा कैसे बनाएं?
दो कप पानी में करीब एक-एक इंच गिलोय के चार या पांच टुकड़े डालकर चाय की तरह पका लें। साथ ही आप इसमें अदरक और कुछ तुलसी के पत्ते भी डाल सकते हैं।
क्या गिलोय बच्चों के लिए सुरक्षित है?
हां, बच्चों को भी गिलोय का जूस दिया जा सकता है। एक शोध में बालशोशा (पोषक तत्वों से संबंधित विकार) और जलन की समस्या में इसे बच्चों के लिए उपयोगी बताया गया है (2)। हालांकि, पांच साल से कम उम्र के बच्चों को इसे न देने की सलाह दी जाती है।
गिलोय जूस के वेरिएन्ट्स क्या हैं?
गिलोय जूस के प्रभाव को बढ़ाने के लिए इसके वेरिएन्ट्स के रूप में इसमें तुलसी, आंवला, नीम और व्हीटग्रास आम तौर पर शामिल किए जाते हैं।
गिलोय की अन्य सेवन विधि?
जूस के अलावा गिलोय की सेवन विधि में इसके काढ़े का प्रयोग शामिल है, जिसे शहद के साथ लिया जा सकता है।
References
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https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2924974/ - Ayurvedic preparations for the management of Iron Deficiency Anemia: A systematic review
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5822980/ - Beneficial Effects of Tinospora cordifolia on Blood Profiles in Male Mice Exposed to Lead
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2964740/ - A Review on Plants Used for Improvement of Sexual Performance and Virility
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http://www.phytopharmajournal.com/Vol4_Issue4_08.pdf - Tinospora cordifolia: Ethnobotany, phytopharmacology and phytochemistry aspects
https://www.researchgate.net/publication/236969021_Tinospora_cordifolia_Ethnobotany_phytopharmacology_and_phytochemistry_aspects - A review on Otitis media Ayurvedic aspects and treatment
https://iaimjournal.com/wp-content/uploads/2015/01/19-A-review-on-Otitis-media.pdf - Phytochemistry and Pharmacology of Tinospora cordifolia: A Review
https://www.sysrevpharm.org/fulltext/196-1568989905.pdf - Mycobacterium leprae: genes, pseudogenes and genetic diversity
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3076554/ - Biodiversity of ayurvedic cosmetic plants of Bangalore urban.
https://www.academia.edu/15137483/Biodiversity_of_ayurvedic_cosmetic_plants_of_Bangalore_urban - TINOSPORA CORDIFOLIA: ETHNOBOTANY, PHYTOPHARMACOLOGY AND PHYTOCHEMISTRY ASPECTS
http://citeseerx.ist.psu.edu/viewdoc/download?doi=10.1.1.278.6775&rep=rep1&type=pdf - MANAGEMENT OF CHIKUNGUNYA THROUGH AYURVEDA AND SIDDHA
http://citeseerx.ist.psu.edu/viewdoc/download;jsessionid=F825C1B314D7B13B2E5EC91E0E9F9F82?doi=10.1.1.732.5859&rep=rep1&type=pdf
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