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आपने अक्सर कई लोगों को बात करते वक्त अटकते और रुक-रुक बोलते यानी हकलाते हुए जरूर देखा होगा। यह समस्या बच्चों के साथ-साथ बड़ों में भी देखी जा सकती है। वहीं, कई बार लोग हकलाने की समस्या से पीड़ित व्यक्ति का मजाक तक उड़ा देते हैं, जो कि नहीं करना चाहिए। यह समस्या भले ही आम लगे, लेकिन समय के साथ-साथ यह गंभीर परिणाम प्रदर्शित कर सकती है। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम हकलाने की समस्या के विषय में पूर्ण जानकारी लेकर आए हैं। यहां आप हकलाने के कारण, लक्षण और यहां तक कि हकलाने के लिए घरेलू उपाय भी जान पाएंगे। पूरी जानकारी के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
विस्तार से पढ़ें
आइए, सबसे पहले जानते हैं हकलाने की समस्या के बारे में।
क्या है हकलाना? – What is Stammering in Hindi
हकलाने की समस्या एक स्पीच डिसऑर्डर है। इसमें व्यक्ति अटक-अटक और रुक-रुक कर बोलता है। इसके अलावा, व्यक्ति एक शब्द को बार-बार दोहराता भी है। साथ ही आवाज भी यहां खिंचती है और इसका भी दुहराव (Repetition) होता है। वहीं, हकलाने के साथ व्यक्ति अपना सिर भी हिला सकता है और होठों का भी कंपन हो सकता है। हकलाने की समस्या से पीड़ित व्यक्ति निराशा का भी सामना कर सकता है, क्योंकि जो वो बोलना चाहता है, वो बोलने में उसे दिक्कत होती है (1)।
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आइये, इस लेख में आगे जानें हकलाहट के क्या कारण होते हैं।
हकलाने के कारण – Causes of Stammering Hindi
इन निम्नलिखित कारणों की वजह से हकलाने की समस्या उत्पन्न हो सकती है। नीचे जानिए हकलाने का कारण (2) :
- हकलाने की समस्या वंशानुगत हो सकती है, यानी परिवार में यह समस्या अगर किसी को रही है, तो बच्चे में इसके होने का जोखिम बढ़ सकता है।
- दिमागी चोट के कारण, जैसे स्ट्रोक।
- कुछ मामलों में भावनात्मक आघात (emotional trauma) के कारण भी व्यक्ति हकला सकता है।
- दो से पांच साल के लड़कों में इसका जोखिम ज्यादा हो सकता है।
- वयस्कता में लड़कियों की तुलना में हकलाना लड़कों में ज्यादा बना रह सकता है।
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अब इस लेख में जानिए कि हकलाहट के लक्षण क्या होते हैं।
हकलाहट के लक्षण – Symptoms of stammering in Hindi
हकलाहट के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं (2) :
- पीड़ित द्वारा शब्दो या वाक्यों को दोहराना।
- अटक-अटक और रुक-रुक कर बोलना।
- बोलते समय व्यक्ति की दिक्कत साफ देखी जा सकती है।
- पीड़ित बोलने में झिझक महसूस कर सकता है।
- बोलने में दिक्कत के कारण निराशा।
- पीड़ित द्वारा बोलते समय एक अलग आवाज या शब्दों को शामिल करना।
- बोलते समय गंभीरता आ सकती है।
कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं :
- हकलाने के साथ आंखों का झपकना।
- सिर या शरीर के अन्य अंगों में झटके।
- जबड़े में झटके।
- मुट्ठी बांधना
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हकलाहट की समस्या के लिए घरेलू उपाय नीचे बताए गए हैं।
हकलाने की समस्या को दूर करने के घरेलू उपाय – Home Remedies for Stammering in Hindi
हकलाहट की समस्या को कम करने के लिए हकलाने के लिए घरेलू उपाय किए जा सकते हैं, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि ये हकलाने का इलाज नहीं हैं। इनका उपयोग कुछ हद तक लाभकारी हो सकता है। अब पढ़ें आगे :
1. हरा धनिया
सामग्री :
- हरे धनिए के कुछ पत्ते
- पानी आवश्यकतानुसार
कैसे उपयोग करें :
- पानी में धनिए के पत्ते डालें।
- उन्हें कम से कम 20 मिनट तक गर्म करें।
- इस पानी से हर दिन 2-3 बार गरारा करें।
कैसे है लाभदायक :
हकलाहट की समस्या को कम करने में धनिए के पत्ते के फायदे देखे जा सकते हैं। दरअसल, धनिया में न्यूरोप्रोटेक्टिव (नर्वस सिस्टम का बचाव करने वाला) प्रभाव पाया जाता है (3)। वहीं, हकलाने की समस्या नर्वस सिस्टम से भी जुड़ी हो सकती है, जिसे न्यूरोजेनिक शटरिंग के नाम से जाना जाता है। इसमें किसी मस्तिष्क संबंधी चोट के कारण मस्तिष्क बोलने से जुड़े ब्रेन के अन्य हिस्सों के साथ ठीक से तालमेल नहीं बैठा पाता है (1)। हालांकि, इस काम में हरा धनिया कितना कारगर होगा, फिलहाल इस विषय पर अभी और सटीक शोध की आवश्यकता है।
2. काली मिर्च
सामग्री :
- काली मिर्च पाउडर (चुटकी भर)
- मक्खन आधा चम्मच
- एक गिलास दूध या एक कप चाय
कैसे उपयोग करें :
- मक्खन में काली मिर्च का पाउडर मिलाएं।
- इस मिश्रण को रोजाना दो बार खाएं।
या
- रोजाना रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में चुटकी भर काली मिर्च मिलाकर पी सकते हैं।
- इसके अलावा, चाय में भी काली मिर्च का इस्तेमाल किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक :
काली मिर्च का उपयोग भी हकलाहट की समस्या में कुछ हद तक लाभकारी हो सकता है। दरअसल, काली मिर्च में मौजूद मुख्य घटक पिपेरिन में दिमागी कार्यप्रणाली में सुधार करने की क्षमता पाई जाती है। वहीं, हम बता चुके हैं कि बोलने से जुड़ी दिमागी कार्यप्रणाली के बाधित होने से भी हकलाने की समस्या हो सकती है। ऐसे में माना जा सकता है कि काली मिर्च मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में सुधार कर हकलाने की समस्या को कुछ हद तक कम करने में सहायक हो सकती है (4)। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
3. आंवला
सामग्री :
- एक आंवला
- एक गिलास पानी
कैसे उपयोग करें :
- आंवला का सेवन सीधे कर सकते हैं।
- या एक गिलास पानी में आवंला (छोटा-छोटा काटगर) डालकर उबाल लें।
- फिर छानकर इसके पानी का सेवन करें।
- इस उपाय को रोजाना किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक :
आंवला का सेवन भी हकलाने की समस्या में कुछ हद तक लाभकारी हो सकता है। दरअसल, एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में जिक्र मिलता है कि इसमें न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव पाए जाते हैं। साथ ही इसका सेवन मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है। आंवला, दिमागी कार्यप्रणाली में सुधार कर सकता है और नर्वस सिस्टम को सही से काम करने में मदद कर सकता है। इन गुणों के कारण इसे न्यूरोजेनिक शटरिंग (नर्वस सिस्टम से जुड़ी हकलाने की समस्या) में लाभकारी माना जा सकता है (5)। फिलहाल, इस विषय को लेकर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
4. गाय का घी
सामग्री :
- गाय का घी आधा चम्मच
- एक चम्मच आंवला जूस
कैसे उपयोग करें :
- गाय के घी को एक चम्मच आंवला जूस के साथ खाएं।
- यह उपाय रोजाना खाने से पहले किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक :
गाय के घी का सेवन भी हकलाहट की समस्या से उबरने में असरदार हो सकता है। दरअसल, हकलाने की समस्या बच्चों के विकास संबंधी भी हो सकती है (2)। ऐसे में घी का सेवन दिमागी विकास में मददगार हो सकता है। इस बात का पुष्टि एनसीबीआई के एक शोध में होती है। शोध में साफ जिक्र मिलता है कि घी में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है, जो मस्तिष्क विकास में सहायक हो सकता है (6)।
5. ब्राह्मी
सामग्री :
- ब्राह्मी चूर्ण (मात्रा डॉक्टरी सलाह पर)
- एक गिलास दूध
कैसे उपयोग करें :
- ब्राह्मी चूर्ण को दूध में मिलाएं।
- रात को सोने से पहले इस दूध का सेवन करें।
- डॉक्टरी परामर्श पर यह उपाय रोजाना किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक :
ब्राह्मी चूर्ण का इस्तेमाल भी हकलाने की समस्या में कुछ हद तक लाभकारी हो सकता है। दरअसल, इससे जुड़े एक शोध में साफ जिक्र मिलता है कि ब्राह्मी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव दिखा सकते हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि ब्राह्मी का सेवन नर्वस सिस्टम से जुड़ी हकलाने की समस्या में कारगर हो सकता है (7)।
नोट : हकलाने की समस्या में किसी भी घरेलू उपचार का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें, क्योंकि इस समस्या से लिए घरेलू उपचार से जुड़े सटीक वैज्ञानिक शोध का अभाव है।
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नीचे जानिए हकलाने की समस्या में कब करना चाहिए डॉक्टर से संपर्क।
हकलाने की समस्या में डॉक्टरी सलाह कब लेनी चाहिए?
निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी हो जाता है (2) :
- अगर हकलाने की समस्या बच्चे के स्कूल वर्क या उसके भावनात्मक विकास में बाधा डाल रही है।
- बच्चा अगर बोलने में असहज महसूस करता हो।
- अगर हकलाने के लक्षण 3-6 महीने तक बने रहते हैं।
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हकलाने की समस्या का डॉक्टरी इलाज कैसे किया जाता है, जानिए नीचे।
हकलाने का इलाज – Treatment of Stammering in Hindi
हकलाने की समस्या का कोई भी सटीक इलाज नहीं है। वहीं, अधिकांश शुरुआती मामले अल्पकालिक होते हैं और खुद ही ठीक हो सकते हैं। इसके अलावा, निम्नलिखित उपाय इस समस्या में मददगार हो सकते हैं (2) :
- स्पीच थेरेपी : इसके जरिए भी कुछ हद तक हकलाने की समस्या में आराम मिल सकता है। इसके अंतर्गत स्पीच थेरेपिस्ट पीड़ित की भाषा और उच्चारण संबंधी समस्या को ठीक करने में मदद करता है।
- माता-पिता के लिए जरूरी दिशा निर्देश :
- बच्चे के सामने उसकी हकलाने की समस्या को लेकर ज्यादा चिंतित न दिखें। इससे बच्चा बोलने में ज्यादा संकोच महसूस करेगा।
- बच्चे को ऐसे माहौल में न ले जाएं, जहां उसे ज्यादा असहज महसूस हो।
- जितना हो सके बच्चे को प्यार करें।
- बात करते समय उसे ज्यादा टोके नहीं।
- पीड़ित की बातों को ध्यान से सुनें।
- अगर बच्चा इस समस्या के बारे में कुछ पूछता है, तो उसे अच्छी तरह इस समस्या के बारे में समझाएं।
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हकलाने की समस्या को दूर करने के लिए व्यायाम नीचे बताए गए हैं।
हकलाने की समस्या को दूर करने के लिए व्यायाम – Exercise to reduce Stammering in Hindi
हकलाने का उपचार व्यायाम की मदद से भी किया जा सकता है। निम्न व्यायाम हकलाहट को कम करने में सहायक हो सकते हैं :
- स्वर का जोर से उच्चारण : बच्चे को सभी स्वरों (ए, ई, आई, ओ, यू) का स्पष्ट और जोर से उच्चारण करने के लिए कहें। इसका रोजाना अभ्यास हकलाने की समस्या में कुछ हद तक लाभकारी हो सकता है।
- बोलते समय रुकने का अभ्यास : इसमें बच्चे को यह सिखाया जाता है कि बोलते समय वाक्य के बीच में कहां-कहां रुकना है। जैसे वाक्य के पहले शब्द के बाद रुकना और फिर वाक्य के दो-तीन शब्द के बाद रुकना। रोजाना एक बार यह अभ्यास कराया जा सकता है।
- जबड़े की एक्सरसाइज : इसमें ज्यादा जोर न दिए जबड़े को फैलाना पड़ता है और फिर इसी मुद्रा में कुछ देर रहकर जीभ की नोक से तालू (मुंह की छत) का स्पर्श करना होता है। इसके बाद जीभ को मुंह पीछे ले जाना पड़ता है। इसके बाद कुछ सेकंड इस मुद्रा में बने रहता होता है। अंत में जीभ को जितना हो सके बाहर निकालना होता है और कुछ देर इसी पोजीशन में बने रहना होता है। इस करते हुए यह ध्यान जरूर रखें कि किसी भी तरह का अतिरिक्त जोर न लगाए। आराम से ही इसका अभ्यास रोजाना करें।
- स्ट्रॉ से पानी पीना : हकलाने की समस्या को कम करने की एक्सरसाइज में स्ट्रॉ से पानी पीना भी शामिल है।
- प्राणायाम : प्राणायाम जैसे भ्रामरी प्राणायाम के जरिए भी आवाज में सुधार हो सकता है, जिससे हकलाने की समस्या में कुछ हद तक मदद मिल सकती है (8)। इसे करने के लिए पहले किसी शांत जगह पर योग मैट बिछाकर बैठ जाएं। फिर दोनों अंगूठों से दोनों कानों को बंद करें और फिर मध्यमा, अनामिका और कनिष्का उंगली को आंखों पर रखें और तर्जनी को सिर पर रखें। फिर आंख बंद करके नाक से गहरी सांस लें और नाक से भ्रमर की तरह आवाज निकालें और धीरे-धीरे सांस छोड़ें। सांस छोड़ते हुए ओम का उच्चारण कर सकते हैं। एक बार में चार से पांच बार इसे किया जा सकता है।
नोट : डॉक्टरी परामर्श पर ही ऊपर बताए गए व्यायाम करें, क्योंकि इनसे जुड़े सटीक वैज्ञानिक शोध का अभाव है।
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हकलाने की समस्या से जूझ रहे लोगों को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, जानिए नीचे।
हकलाने में क्या खाना चाहिए – Foods to Eat for Stammering in Hindi
हकलाहट की समस्या में मस्तिष्क विकास संबंधी आहार का सेवन किया जा सकता है, जिसमें निम्नलिखित खाद्य-पदार्थ शामिल हो सकते हैं (9) :
- ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त आहारा जैसे मछली, अलसी के बीज, कीवी फल व अखरोट।
- हल्दी का सेवन। इसके लिए भोजन में हल्दी का उपयोग कर सकते हैं।
- फ्लेवोनॉयड युक्त आहार जैसे डार्क चॉकलेट और सिट्रस फल।
- डॉक्टरी परामर्श पर विटामिन-बी सप्लीमेंट।
- विटामिन-डी युक्त आहार जैसे मछली, दूध और मशरूम।
- विटामिन-ई युक्त खाद्य पदार्थ जैसे एवोकाडो, नट्स या पालक।
- विटामिन-सी युक्त आहार जैसे सिट्रस फल।
- आयरन से समृद्ध खाद्य पदार्थ जैसे पालक और दाल।
किन खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए :
- जंक फूड का सेवन न करें।
- अल्कोहल से दूर रहें।
- धूम्रपान न करें।
नोट : हकलाने की समस्या में जरूरी खाद्य पदार्थ से जुड़ी विस्तारपूर्वक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
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नीचे जानिए हकलाने की समस्या से बचाव के उपाय।
हकलाने से बचाव – Prevention Tips for Stammering in Hindi
विशेषज्ञों के मुताबिक हकलाने से बचा नहीं जा सकता है, लेकिन इसे कम करने के लिए धीरे-धीरे बोलने का अभ्यास और तनावपूर्ण माहौल से दूरी बनाई जा सकती है। साथ ही स्पीच थेरेपिस्ट की मदद ली जा सकती है (2)।
उम्मीद करते हैं कि अब आप इस लेख के जरिए हकलाने की समस्या के विषय में काफी कुछ जान गए होंगे। साथ ही हकलाने का इलाज कैसे किया जा सकता है, इसकी भी जानकारी हो गई होगी। ऐसे में अगर आप या आपके परिवार में किसी को यह समस्या है, तो लेख में बताए गए हकलाने की समस्या के लिए घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं। वहीं, समस्या अगर गंभीर है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। खासकर, माता-पिता हकलाने के लक्षणों पर विशेष ध्यान दें, ताकि बच्चे का समय रहते सही इलाज करवाया जा सके। आगे जानिए विषय से जुड़े कुछ जरूरी सवालों के जवाब।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :
स्टैमरिंग और शट्टरिंग के बीच क्या अंतर है?
दोनों ही एक हैं। हकलाने को अंग्रेजी में स्टैमरिंग और शट्टरिंग दोनों नामों से जाना जाता है।
क्या हकलाना ठीक हो सकता है?
जैसा कि हमने लेख में बताया कि हकलाने का कोई सटीक इलाज नहीं है। हालांकि, स्पीच थेरेपी और नियमित व्यायाम की मदद से इसे काफी हद तक कम किया जा सकता है। वहीं, यह समस्या कई बार अपने आप भी ठीक हो सकती है।
क्या हकलाना विकलांगता है?
नहीं, भारत सरकार ने अब तक आधिकारिक रूप से हकलाने की समस्या को विकलांगता नहीं माना है।
मैं पूरी तरह हकलाना कैसे रोक सकता हूं?
इसे एक बार में ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन स्पीच थेरेपी के जरिए कुछ हद तक इसे कम किया जा सकता है। इस विषय में जरूरी जानकारी आप डॉक्टर से जरूर लें।
मैं अपने बच्चे को हकलाने से कैसे रोकूं?
इसके लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
References
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