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कहते हैं कि इलाज से बेहतर है बचाव और इसमें आयूर्वेदिक जड़ी बूंटियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। वैसे तो दुनिया भर में अनगिनत जड़ी बूटी मौजूद है, लेकिन स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम जिस औषधि के बारे में जानकारी देने वाले हैं, वह अपने खूबियों के लिए ही प्रसिद्ध है। यहां हम जानकारी दे रहे हैं इंद्रायन की। इस लेख में हम इंद्रायण के लाभ बताने के साथ-साथ इन्द्रायण की जड़ का उपयोग करने के तरीकों को भी बताएंगे। तो चलिए, इंद्रायन के फायदे और नुकसान जानने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

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लेख में सबसे पहले समझिए इंद्रायन क्या होता है।

इंद्रायन क्या है? – What is Indrayan in Hindi

इंद्रायन के पके फल, बीज और इसके अन्य भागों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम सिट्रुलस कोलोसिन्थिस् (Citrullus colocynthis) है और यह कुकुरबिटेसी (Cucurbitaceae) परिवार से आता है। इसे कई अन्य नामों, जैसे – कोलोसिंथ (Colocynth), बीटर एप्पल, बीटर कुकुम्बर (Bitter cucumber) से भी जाना जाता है। वहीं, भारत देश में यह तुम्बा (Tumba ) के नाम से जाना जाता है। इंद्रायन स्वाद में तीखा और कड़वा जरूर होता है, लेकिन स्वास्थ के लिए यह कई मायनों में लाभकारी साबित हो सकता है। इसमें एंटीडायबिटिक (Antidiabetic – ब्लड शुगर को कम करे वाला), एंटीकैंसर (Anticancer – कैंसर के प्रभाव को कम करने वाला), एंटीऑक्सिडेंट ( Antioxidant – मुक्त कणों से लड़ने वाला), एंटी बैक्टीरियल ( Antimicrobial – बैक्टीरियाओं से लड़ने वाला), एंटी इंफ्लामेट्री (Anti-inflammatory- सूजन को कम करने वाला) गुण सहित कई अन्य औषधीय गुण भी मौजूद होते हैं (1)।

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क्या आप इंद्रायन के फायदे जानते हैं, अगर नहीं तो लेख के अगले भाग में जानिए।

इंद्रायन के फायदे – Benefits of Indrayan in Hindi

यहां हम क्रमवार तरीके से इंद्रायन के फायदे बताने जा रहे हैं, लेकिन इससे पहले हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि इंद्रायन किसी भी तरह से किसी गंभीर बिमारी का संपूर्ण इलाज नहीं है। यह केवल उनके लक्षणों को कुछ हद तक कम कर सकता है। अब आगे पढ़ें इन्द्रायण की जड़ का उपयोग किन समस्याओं के लिए किया जा सकता है:

1. मधुमेह की समस्या के लिए

इन्द्रायण का उपयोग मधुमेह की समस्या से बचाव या राहत पाने के लिए किया जा सकता है। इससे संबंधित एक शोध में बताया गया है कि इंद्रायन के बीज और उसके पत्ते दोनों में ही एंटी डायबेटिक (Antidiabetic) गुण मौजूद होते हैं, जो ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में काफी हद तक मददगार साबित हो सकते हैं (2)। यही वजह है कि मधुमेह की समस्या के लिए इंद्रायन का सेवन लाभकारी माना गया है।

2. कब्ज की समस्या के लिए

कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए भी इंद्रायन के फायदे देखे जा सकते हैं। इंद्रायन के पौधे पर हुए शोध में साफ तौर से इस बात जिक्र मिलता है कि स्थानीय लोग इन्द्रायण का उपयोग कब्ज की समस्या से राहत पाने के लिए इसका उपयोग करते चले आ रहे हैं (3)। हालांकि, इसके पीछे इसका कौन सा गुण काम करता है, फिलहाल इस संबंध में अभी और रिसर्च किए जाने की आवश्यकता है।

3. बवासीर की समस्या के लिए

बवासीर को हेमोर्रोइड्स के नाम से भी जाना जाता है। इस समस्या में गुदा या मलाशय के निचले हिस्से में मौजूद नसों में सूजन आ जाती है (4)। ऐसे में इस समस्या से राहत पाने के लिए इंद्रायन के फायदे देखे जा सकते हैं। इस बारे में एनसीबीआई की वेबसाइट पर एक शोध प्रकाशित है, जिसमें इंद्रायन के फल को बवासीर के लिए उपयोगी माना गया है (5)। इसके अलावा, एक अन्य शोध में इंद्रायन के पत्तों को भी हेमोर्रोइड्स के इलाज के लिए उपयोगी माना गया है। वहीं, इसके पीछे एंटी इंफ्लेमेटरी गुण को जिम्मेदार माना जा सकता है, जो सूजन की समस्या को कम कर आराम दिला सकता है (3)।

4. सूजन की समस्या के लिए

इंद्रायण के लाभ सूजन सबंधी समस्याओं के लिए भी देखे जा सकते हैं। इस बात की पुष्टि इससे संबंधित एक शोध में मिलती है। इस शोध में बताया गया है कि इंद्रायन में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो सूजन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसका उपयोग स्तनों और जोड़ों के सूजन के लिए लाभकारी हो सकता है (3)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि सूजन की समस्याओं से राहत पाने के लिए इन्द्रायण का उपयोग लाभकारी साबित हो सकता है।

5. आंतो के परजीवों की समस्या के लिए

परजीवों से संबंधित समस्याओं के लिए भी इंद्रायन के फायदे देखे जा सकते हैं। इससे संबंधित एक शोध में साफतौर से यह बताया गया है कि इंद्रायन का इस्तेमाल आंतों के परजीवों के लिए किया जा सकता है (6)। इसके अलावा, एक अन्य शोध की मानें तो इन्द्रायण की जड़ का उपयोग भी परजीवों से लड़ने के लिए किया जा सकता है (3)। दरअसल, इंद्रायन के फल का अर्क एंथेल्मिंटिक प्रभाव (Anthelmintic effect – परजीवों से लड़ने वाला) प्रदर्शित कर सकता है (7)। यही वजह है कि उपयोग आंतो के परजीवों की समस्या के लिए करना फायदेमंद साबित हो सकता है।

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इंद्रायण के लाभ जानने के बाद लेख के इस हिस्से में जाने इंद्रायन के पौष्टिक तत्व।

इंद्रायन के पौष्टिक तत्व – Indrayan Nutritional Value in Hindi

यहां हम इंद्रायन में मौजूद पौष्टिक तत्वों की जानकारी दे रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (3) :

पोषक तत्वमात्रा (प्रति 100 ग्राम)
प्रोटीन13.19 ग्राम
फैट18.59 ग्राम
पानी4.91 ग्राम
ऐश2 एमजी
कैल्शियम569 एमजी
पोटाशियम465 एमजी
मैग्नीशियम210 एमजी
फास्फोरस30.0 एमजी
सोडियम11.9 एमजी
आयरन11.6 एमजी
कॉपर5.1  एमजी
जिंक1.1  एमजी

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आगे पढ़ें इन्द्रायण का उपयोग करने के तरीकों में बारे में ।

इंद्रायन खाने का सही तरीका – How to Use Indrayan in Hindi

इंद्रायन के फायदे पाने के लिए इन्द्रायण का उपयोग का तरीका भी सही होना आवश्यक है। ऐसे में लेख के इस भाग में हम इन्द्रायण या इन्द्रायण की जड़ का उपयोग करने के तरीके जानेंगे। तो स्वास्थ लाभ के लिए इंद्रायन का उपयोग निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:

  • इन्द्रायण की जड़ का उपयोग चूर्ण के रूप में किया जा सकता है।
  • चाहें तो इंद्रायन के पत्तों को मलहम के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं।
  • इन्द्रायण के तेल का उपयोग कर सकते हैं।
  • इंद्रायन के बीज का सेवन किया जा सकता है (8)। हालांकि, सीधे तौर पर इसके सेवन से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

कब खाएं और कितना खाएं : इंद्रायन का सेवन सुबह और शाम किसी भी समय किया जा सकता है। वहीं, अगर बात करें इसकी मात्रा की तो, 50 से 100 एमजी तक इसका सेवन सुरक्षित माना जा सकता है। हालांकि, शोध में थोड़े समय के लिए ही इसके सेवन की सलाह दी गई है (9)। वहीं, उम्र और स्वास्थ के आधार पर इसकी मात्रा में बदलाव हो सकते हैं। इसलिए बेहतर परिणाम के लिए एक बार डॉक्टरी सलाह जरूर ले लें।

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लेख के अंत में हम इंद्रायन के नुकसान की चर्चा कर रहे हैं।

इंद्रायन के नुकसान – Side Effects of Indrayan in Hindi

इंद्रायन के फायदे जानने के बाद इंद्रायन के नुकसान के बारे में भी जानकारी होनी जरूरी है। यहां हम क्रमवार तरीके से इंद्रायन के नुकसान क्या हो सकते हैं, इस बारे में बता रहे हैं :

  • स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी इसके सेवन से परहेज करना चाहिए।
  • इंद्रायन की विषाक्तता के कारण लिवर को भी नुकसान पहुंच सकता है। हालांकि यह पूरी तरह से इसकी मात्रा पर निर्भर करता है (10)।
  • इसके अलावा, इंद्रायन में गर्भपात (Abortifacient) करने वाले गुण भी मौजूद होते हैं (11)। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान इसे सेवन से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें।

उम्मीद करते हैं कि इस लेख के माध्यम से अब आपको इंद्रायन के फायदे, उपयोग और नुकसान के बारे में जानकारी मिल गई होगी। यहां हमने उन समस्याओं के बारे में भी बताया है, जिसे निजात दिलाने में इंद्रायन काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। वहीं, इंद्रायन के नुकसान से बचने के लिए इसके सेवन के समय इसकी मात्रा का ध्यान जरूर रखें। अब आगे हम अपने पाठकों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब दे रहे हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या रोजाना इंद्रायन का सेवन किया जा सकता है?

नहीं, रोजाना इंद्रायन का सेवन नहीं किया जा सकता है।

क्या इंद्रायन को खाली पेट में खा सकते हैं?

हां, सुबह खाली पेट इंद्रायन का सेवन किया जा सकता है।

इंद्रायन का असर होने में कितना दिन लगता है?

इंद्रायन का असर कितने दिनों में हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस समस्या के लिए लिया जा रहा है। अगर समस्या छोटी है तो इसका अगर कुछ ही दिनों में दिक सकता है। वहीं, अगर समस्या बड़ी है तो इसका असर दिखने में महीनों लग सकते हैं।

क्या इंद्रायन होम्योपैथी में इस्तेमाल किया जाता है?

हां, इंद्रायन होम्योपैथी में दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है (12)।

References

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  1. A Brief Review on Bitter Apple – Pharmacological Activities
    https://www.ijcmas.com/7-12-2018/Rashmi%20Sagar%20and%20V.K.%20Dumka.pdf
  2. Bitter Apple (Citrullus colocynthis): An Overview of Chemical Composition and Biomedical Potentials
    https://www.researchgate.net/publication/209860743_Bitter_Apple_Citrullus_colocynthis_An_Overview_of_Chemical_Composition_and_Biomedical_Potentials
  3. Citrullus colocynthis an Important Plant in Indian Traditional System of Medicine
    https://www.phcogrev.com/sites/default/files/PharmacognRev-14-27-22.pdf
  4. Hemorrhoids
    https://medlineplus.gov/ency/article/000292.htm
  5. An Evidence-Based Study on Medicinal Plants for Hemorrhoids in Medieval Persia
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5871264/
  6. Phytochemical and antibacterial screening of Citrullus colocynthis of South-west Algeria
    https://www.jocpr.com/articles/phytochemical-and-antibacterial-screening-of-citrullus-colocynthis-of-southwest-algeria.pdf
  7. In vitro anthelmintic effect of Citrullus colocynthis on tegument of amphistome Orthocoelium scoliocoelium (Trematoda: Digenea)
    https://www.ijcmas.com/vol-3-6/G.Swarnakar%20and%20A.Kumawat.pdf
  8. Effects of essential oil extracted from Citrullus colocynthis (CCT) seeds on growth of phytopathogenic bacteria
    https://www.researchgate.net/publication/229653811_Effects_of_essential_oil_extracted_from_Citrullus_colocynthis_CCT_seeds_on_growth_of_phytopathogenic_bacteria
  9. Hepatotoxic or hepato protective: A review of hepatic effects of Citrullus colocynthis
    https://www.phytojournal.com/archives/2018/vol7issue1/PartQ/7-1-193-628.pdf
  10. The Toxic Effect of Alcoholic Extract of Citrullus colocynthis on Rat Liver
    https://www.researchgate.net/publication/43561250_The_Toxic_Effect_of_Alcoholic_Extract_of_Citrullus_colocynthis_on_Rat_Liver
  11. A Review on Citrullus colocynthis Schrad.: From Traditional Iranian Medicine to Modern Phytotherapy
    https://www.researchgate.net/publication/229073609_A_Review_on_Citrullus_colocynthis_Schrad_From_Traditional_Iranian_Medicine_to_Modern_Phytotherapy
  12. Citrullus colocynthis
    https://www.sciencedirect.com/topics/agricultural-and-biological-sciences/citrullus-colocynthis
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