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गर्भावस्था में फलों का सेवन फायदेमंद होता है, लेकिन गर्भवतियों को कौन-कौन से फल दिए जाने चाहिए, यह समझ पाना मुश्किल हो जाता है। इसी वजह से स्टाइलक्रेज हमेशा गर्भावस्था में सुरक्षित और नुकसानदायक फल व सब्जियों की जानकारी वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर खास आपके लिए लेकर आता है। इस लेख में भी हम ऐसी ही कोशिश कर रहे हैं। यहां प्रेगनेंसी में चीकू फल खाना चाहिए या नहीं इससे जुड़े तथ्य मौजूद हैं। सबसे पहले लेख में हम यह बताएंगे कि चीकू का सेवन गर्भावस्था के लिए सुरक्षित है या नुकसानदायक। इसके बाद उसी आधार पर हम प्रेगनेंसी में चीकू खाने के फायदे और गर्भावस्था में चीकू खाने के नुकसान की जानकारी देंगे।
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लेख के पहले भाग में जानिए कि गर्भावस्था में चीकू और इसका रस लेना सुरक्षित है या नहीं।
क्या गर्भावस्था में चीकू और इसका रस लेना सुरक्षित है?
जी हां, गर्भावस्था में चीकू और इसके रस का सेवन किया जा सकता है। एक रिसर्च में बताया गया है कि प्रेगनेंसी के समय लिए जाने वाले आहार में चीकू को शामिल करने से मां और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि गर्भावस्था के समय चीकू या चीकू के रस का सेवन करना सुरक्षित होता है (1)। दरअसल, इसमें कार्बोहाइड्रेट और एसेंशियल न्यूट्रिएंट्स होते हैं, जो गर्भवती को कई तरह के लाभ पहुंचा सकते हैं (2)। इन सभी लाभों के बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं।
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चलिए, अब जानते हैं कि प्रेगनेंसी में चीकू खाने के फायदे क्या-क्या हो सकते हैं।
प्रेगनेंसी में चीकू खाने के फायदे – Benefits of Eating Chikoo in Pregnancy In Hindi
गर्भावस्था में चीकू खाने के फायदे अनेक हैं। इसी वजह से हम नीचे चीकू के फायदों के बारे में बता रहे हैं। इन फायदों को पढ़कर आप अपनी प्रेगनेंसी डाइट में चीकू को जरूरत के अनुसार शामिल कर सकती हैं। हां, ऐसा तभी करें, जब आपकी गर्भावस्था पूरी तरह से सुरक्षित हो। अगर किसी की प्रेगनेंसी जटिल है, तो एक बार डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है। चलिए, अब पढ़ते हैं प्रेगनेंसी में चीकू खाने के फायदों के बारे में –
1. हड्डियों के लिए
प्रेगनेंसी में चीकू खाने के फायदे में हड्डियों को मजबूत करना भी शामिल है। इसमें हड्डियों के लिए जरूरी कैल्शियम, आयरन, कॉपर और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व होते हैं। ये सभी पोषक तत्व मिलकर हड्डियों को मजबूत बनाने और उनके विकास में मदद कर सकते हैं (2)। इसी वजह से कहा जाता है कि चीकू शिशु और मां दोनों की हड्डियों के लिए अच्छा साबित हो सकता है।
2. तनाव दूर करने के लिए
गर्भावस्था के समय होने वाले स्ट्रेस यानी तनाव से छुटकारा पाने में भी चीकू मदद कर सकता है। दरअसल, चीकू विटामिन-सी से समृद्ध होता है। यह विटामिन प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने व अन्य किसी वजह से हुए तनाव को दूर करने का काम कर सकता है (2)। इसलिए, गर्भावस्था में तनाव की स्थिति से बचे रहने के लिए भी चीकू का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
3. ब्लड प्रेशर नियंत्रण के लिए
रक्तचाप नियंत्रण करने के तरीके में सपोटा यानी चीकू को भी शामिल कर सकते हैं। असल में चीकू मैग्नीशियम से समृद्ध होता है, जो रक्त वाहिकाओं को गतिशील बनाए रखने में सहायक हो सकता है। इसके अलावा, चीकू में पोटैशियम भी होता है, जिसे रक्तचाप और ब्लड सर्कुलेशन को संतुलित रखने के लिए जाना जाता है (2)। ऐसे में कहा जा सकता है कि प्रेगनेंसी में चीकू के फायदे में ब्लड प्रेशर नियंत्रण भी शामिल है।
4. मतली के लिए
प्रेगनेंसी में मॉर्निंग सिकनेस यानी जी-मिचलाना और उल्टी की समस्या काफी आम है। इससे राहत पाने में चीकू सहायक साबित हो सकता है। दरअसल, इसमें कार्बोहाइड्रेट और एसेंशियल न्यूट्रिएंट्स की अच्छी मात्रा होती है, जो गर्भावस्था में होने वाली मतली को कम कर सकते हैं (2)।
5. पाचन तंत्र के लिए
एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर पब्लिश एक वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान डाइजेशन से जुड़ी समस्या कब्ज का होना आम है (3)। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए चीकू का सेवन लाभदायक हो सकता है। चीकू में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है। यह लैक्सेटिव की तरह कार्य करके पेट से मल को बाहर निकालने और पाचन में मदद करने का काम कर सकता है (2)।
6. ऊर्जा का स्रोत
गर्भावस्था में अधिक एनर्जी की जरूरत हो सकती है, जिसकी पूर्ति करने में चीकू मदद कर सकता है। चीकू को एनर्जी यानी ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत बताया जाता है। दरअसल, इसमें फ्रुक्टोज और सुक्रोज की अच्छी मात्रा होती है और यह दोनों प्राकृतिक तत्व एनर्जी बूस्टर की तरह कार्य करते हैं। इसी वजह से गर्भावस्था में होने वाली कमजोरी के एहसास को कम करने और महिला को ऊर्जावान बनाने में चीकू मदद कर सकता है (4)।
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अगले हिस्से में हम गर्भावस्था के आहार में चीकू को कैसे शामिल करना है, इसकी जानकारी दे रहे हैं।
गर्भावस्था के आहार में चीकू को कैसे शामिल करें
प्रेगनेंसी में चीकू खाने के फायदे पाने के लिए इसे आहार में कई तरह से शामिल किया जा सकता है। यह तरीके कुछ इस प्रकार हैं।
कैसे खाएं :
- गर्भवतियां चीकू को सामान्य फल की तरह खा सकती हैं।
- इसे फ्रूट सलाद की तरह भी लिया जा सकता है।
- चीकू का शेक बनाकर भी सेवन कर सकते हैं।
- इसे पानी में उबालकर काढ़े की तरह भी पिया जा सकता है।
- चीकू का हलवा भी बनाकर खा सकते हैं।
- इसकी चटनी व मीठा सॉस बनाकर स्नैक्स के साथ खाया जा सकता है।
- चीकू का जूस बनाकर पी सकते हैं।
कब खाएं : इसे फल की तरह या फ्रूट सलाद के रूप में सुबह या दोपहर के समय खा सकते हैं। इसके हलवे को मीठे के रूप में खाना खाने के बाद खाया जा सकता है।
कितना खाएं : गर्भावस्था में प्रतिदिन चीकू के सेवन की सुरक्षित मात्रा को लेकर किसी तरह की सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। हां, ऐसा बताया जाता है कि प्रतिदिन 200 ग्राम तक चीकू का सेवन सुरक्षित हो सकता है। इस संबंध में प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, प्रतिदिन 5000 mg प्रति किलो वजन के अनुसार इसे लेना सुरक्षित है। इस हिसाब से 50 किलो वजन वाले 250 ग्राम तक चीकू का सेवन कर सकते हैं (5)। वैसे, गर्भावस्था में चीकू के सेवन की सही मात्रा जानने के लिए आहार विशेषज्ञ से भी मदद ली जा सकती है।
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आइए, जानते हैं कि गर्भावस्था में चीकू खाने के नुकसान क्या हो सकते हैं।
गर्भावस्था में चीकू खाने के नुकसान- Side Effects of Chikoo in Pregnancy In Hindi
गर्भावस्था में चीकू खाने के नुकसान पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। फिर भी इसके कुछ सामान्य नुकसान इस तरह हो सकते हैं (4)।
- अगर चीकू पूरी तरह से पका नहीं हो यानी अधपका हो, तो इसमें मौजूद सैपोटिन और सैपोटिनिन नामक केमिकल कंपाउंड पेट दर्द का कारण बन सकते हैं।
- अधपके व कच्चे चीकू में लेटेक्स और टैनिन होता है, जिससे मुंह का स्वाद कड़वा हो सकता है।
- कच्चे चीकू से माउथ अल्सर, गले में खराश और सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
चीकू गर्भावस्था में पोषक तत्वों की पूर्ति करने का अच्छा माध्यम हो सकता है। पके हुए फल का सेवन करके गर्भवती खुद के और आने वाले शिशु के स्वास्थ्य को बेहतर बना सकती है। हां, महिला को अधपके फल के सेवन से बचना होगा, अन्यथा लेख में बताए गए नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। वैसे तो चीकू का सेवन गर्भवती के लिए सुरक्षित होता है, लेकिन इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करें। साथ ही अगर प्रेगनेंसी को लेकर किसी भी तरह की जटिलता हो, तो चीकू को अपने आहार में शामिल करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
References
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- Beliefs and practices regarding nutrition during pregnancy and lactation in a rural area in Karnataka, India: a qualitative study
https://pdfs.semanticscholar.org/c86f/39501577de363e5478bb16f2d0e7dd56becc.pdf - A study on nutritional and health importance of “Sapotas”
https://www.academia.edu/41780323/A_study_on_nutritional_and_health_importance_of_Sapotas_ - Treating constipation during pregnancy
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3418980/ - Traditional and Medicinal Importance of Sapota – Review
https://www.ijcmas.com/9-1-2020/M.%20Baskar,%20et%20al.pdf - Formulation Development of a Nutraceutical product comprising Manilkara zapota Fruit Pulp
https://rjpdft.com/HTMLPaper.aspx?Journal=Research%20Journal%20of%20Pharmaceutical%20Dosage%20Forms%20and%20Technology;PID=2016-8-4-4
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