Written by , (शिक्षा- बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मीडिया कम्युनिकेशन)

अच्छी सेहत के लिए पर्याप्त नींद बेहद जरूरी होती है, लेकिन जब यही नींद अत्यधिक मात्रा में व्यक्ति लेने लगे तो यह बीमारी का कारण बन सकती है। स्वस्थ शरीर और दिमाग के लिए हर दिन 7 से 8 घंटे की नींद लेना पर्याप्त माना जाता है (1)। वहीं, कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें हर समय नींद आती रहती है। इससे न सिर्फ उनके अगले दिन की कार्यप्रणाली बुरी तरह से प्रभावित होती है, बल्कि स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर पड़ सकता है। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम ज्यादा नींद आने के कारण और इसके लक्षण पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

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लेख में सबसे पहले जानते हैं कि हमें प्रतिदिन कितना सोना चाहिए।

आपको कितनी नींद की आवश्यकता होती है? – How much sleep do you need?

कई शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि उम्र के हिसाब से हर किसी की नींद की आवश्यकता अलग होती है। नीचे हम नेशनल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक उम्र के हिसाब से किसे कितनी नींद की जरूरत होती है, एक तालिका के माध्यम से बता रहे हैं (2)।

उम्रआवश्यक नींद
0-3 महीने14 से17 घंटे
4-11 महीने12 से 15 घंटे
1-2 साल11 से 14 घंटे
3-5 साल10 से 13 घंटे
6-13 साल9 से 11 घंटे
14-17 साल8 से 10 घंटे
18-64 साल7 से 9 घंटे
65 साल से अधिक7 से 8 घंटे

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लेख में आगे ज्यादा नींद आने के प्रकार से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं।

ज्यादा नींद आने के प्रकार – Types of Hypersomnia in Hindi

बार-बार नींद आने को हाइपरसोमनिया कहा जाता है। नीचे क्रमवार तरीके से हाइपरसोमनिया यानी ज्यादा नींद आने के प्रकार के बारे में बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (3) (4) (5):

1. नैरोकोलेप्सी टाइप-1 (एनटी 1) : नार्कोलेप्सी टाइप-1 एक तरह का स्लीप डिसऑर्डर हैं, जो नींद के पैटर्न को प्रभावित करता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को पूरी रात पर्याप्त नींद लेने के बावजूद दिन में अत्यधिक दिन आने की समस्या हो सकती है। यह समस्या मस्तिष्क में मौजूद हाइपोथैलेमिक हाइपोकैट्रिन न्यूरॉन्स के कम होने के कारण और कैटाप्लेक्सी के कारण हो सकती है। बता दें किअचानक मांसपेशियों में कमजोरी को कैटाप्लेक्सी कहते हैं। मजबूत भावनाएं इसे ट्रिगर करती हैं।

2. नैरोकोलेप्सी टाइप-2 : यह भी हाइपरसोमनिया का एक प्रकार है, जो आमतौर पर किशोरों में देखने को मिलता है। एनटी 1 की तरह इसमें भी व्यक्ति हर समय नींद आने की शिकायत से परेशान हो सकता है। बस इसमें कैटाप्लैक्सी की समस्या नहीं होती है। इसी वजह से इसे एनटी 1 का पहला चरण भी माना जा सकता है। इससे ग्रसित लोग दिन के समय कुछ देर की नींद लेकर खुद को तरो ताजा महसूस कर सकते हैं।

3. आइडियोपैथिक हाइपरसोमनिया : आइडियोपैथिक हाइपरसोमनिया से ग्रसित लोगों को भी रात में पर्याप्त नींद लेने के बावजूद दिन भर नींद आती है। इसमें व्यक्ति का अपनी स्लीप साइकिल पर कंट्रोल नहीं रहता है। नार्कोलेप्सी से ग्रसित लोगों की तुलना में इससे पीड़ित व्यक्ति दिन में सोने के बावजूद भी तरोताजा महसूस नहीं करते हैं।

4. क्लेन-लेविन सिंड्रोम : यह भी हाइपरसोमनिया का एक प्रकार है, जो दुर्लभ है। मुख्य रूप से यह रोग किशोर पुरुषों को प्रभावित कर सकता है। इससे पीड़ित व्यक्ति लगातार 20 घंटों तक सो सकते हैं, जो सिर्फ भोजन करने के लिए जागते हैं और फिर सो जाते हैं। यह स्थिति कुछ हफ्तों या महीनों तक परेशान कर सकती है। इसके पीछे संज्ञानात्मक, व्यवहारिक और मानसिक स्थितियों से जुड़ी गड़बड़ी को मुख्य कारण माना जा सकता है।

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आइए, अब जानते हैं कि ज्यादा नींद आने के कारण क्या हो सकते हैं।

ज्यादा नींद आने के कारण – Causes of Oversleeping in Hindi

हाइपरसोमनिया यानी ज्यादा नींद आने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से मुख्य इस प्रकार हैं (4):

  • रात के समय पर्याप्त नींद न लेना: नाइट शिफ्ट में काम करना, देर रात तक टीवी देखना या पढ़ना आदि के कारण हाइपरसोमनिया की परेशानी हो सकती है।
  • मौसम के कारण: सर्दी के मौसम में ठंड लगने के कारण रात को नींद बार-बार टूट सकती है। इसी तरह गर्मी के मौसम में भी हो सकता है। रात को सोते समय गहरी नींद न आने के कारण दिन में नींद आने की समस्या हो सकती है।
  • चिंता या तनाव: कुछ लोगों को तनाव के कारण रात को ठीक से नींद नहीं आती है। इस वजह से दिन के समय ज्यादा नींद आने की परेशानी हो सकती है। बता दें कि स्वस्थ नींद के लिए रात की नींद बेहद आवश्यक है।
  • दवाओं का सेवन: एलर्जी व नींद की दवा लेने से स्लीप पैटर्न प्रभावित हो सकता है। दवाओं का सेवन भी नींद ज्यादा आने का एक कारण हो सकता है।
  • अल्कोहल का सेवन: ज्यादा नींद आने का एक कारण शराब का सेवन भी हो सकता है।
  • कैफीन युक्त ड्रिंक्स: जो लोग चाय या कॉफी का सेवन करते हैं उनकी स्लीप साइकिल प्रभावित हो सकती है। इससे भी ज्यादा नींद आने की दिक्कत हो सकती है।
  • किसी गंभीर बीमारी का होना: हाइपोथायराइड, एसोफेगल रिफ्लक्स, नॉकटर्नल अस्थमा आदि हाइपरसोमनिया के जोखिम कारक हो सकते हैं।
  •  स्लीप डिसऑर्डर: स्लीप एपनिया, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम, नींद में चलना, तनाव आदि नींद को खराब करने के साथ इस स्थिति का कारण बन सकते हैं।

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चलिए अब ज्यादा नींद आने के लक्षण क्या हो सकते हैं, इससे जुड़ी जानकारी हासिल करेंगे।

ज्यादा नींद आने के लक्षण – Hypersomnia Symptoms in Hindi

हाइपरसोमनिया के लक्षण जानना जरूरी है, क्योंकि किसी भी बीमारी के सही इलाज के लिए उसके लक्षणों से अवगत होना आवश्यक है। अगर शरीर में नीचे बताए गए लक्षण नजर आते हैं, तो ये हाइपरसोमनिया के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं (4) (6):

  • हर समय थकान महसूस होना
  • दिन में नींद आना
  • अधिक सोने के बावजूद सुबह उठने में दिक्कत होना
  • सोचने और निर्णय लेने में परेशानी होना
  • ऊर्जा की कमी महसूस होना
  • चिड़चिड़ापन
  • भूख न लगना
  • याद्दाश्त कमजोर होना
  • एकाग्रता में कठिनाई
  • बेचैनी महसूस होना

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लेख के इस भाग में ज्यादा नींद आने के निदान से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं।

ओवरस्लीपिंग का निदान -Diagnosis of Oversleeping in Hindi

नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से यह समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि हाइपरसोमनिया का निदान कैसे किया जाता है (4) (7) :

  • सबसे पहले डॉक्टर मरीज से नींद के इतिहास के बारे में जानकारी ले सकते हैं। इसके लिए मरीज के नींद के पैटर्न का पता लगाने के लिए रात के सोने और
  • जागने का रिकॉर्ड लिया जा सकता है। इससे दिन में अत्यधिक नींद आने के अन्य कारणों पर भी विचार किया जा सकता है।
  • इसके अलावा मरीज की जीवनशैली, मेडिकल हिस्ट्री, नियमित रूप से ली जाने वाली दवाओं आदि के बारे में पूछ सकते हैं।
  • डॉक्टर मानसिक स्वास्थ्य की जांच भी कर सकते हैं।

लक्षणों की जांच करने के बाद चिकित्सक हाइपरसोमनिया के निदान के लिए निम्नलिखित परीक्षण की सलाह दे सकते हैं (3 ):

  • स्लीप डायरी: मरीज के स्लीप साइकिल के रूटीन को समझने के लिए चिकित्सक उन्हें डायरी बनाने के लिए भी कह सकते हैं।
  • एपवर्थ स्लीपनेस स्केल (Epworth Sleepiness Scale): इसमें डॉक्टर मरीज की नींद की गुणवत्ता को माप सकता है। साथ ही इससे यह पता लगाया जा सकता है कि नींद किस तरह से उनको प्रभावित कर सकती है।
  • मल्टीपल-स्लीप लेटेंसी टेस्ट (Multiple Sleep Latency Test): इस टेस्ट में एक दिन पहले की नींद की अवधि व गुणवत्ता का पता लगाया जाता है।
  • नॉकटर्नल पॉलिसोमोग्राफी (nocturnal polysomnography): इस टेस्ट को नींद संबंधी परेशानियों को पता लगाने के लिए किया जाता है।

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लेख में आगे जानते हैं कि ज्यादा नींद का इलाज कैसे किया जा सकता है।

ज्यादा नींद का इलाज – Treatment For Oversleeping in Hindi

हाइपरसोमनिया का इलाज मुख्य रूप से इसके भिन्न कारणों पर निर्भर करता है। डॉक्टर इसके कारणों के आधार पर इस परेशानी का उपचार कर सकते हैं। ज्यादा नींद आने की समस्या के उपचार कुछ इस प्रकार हैं (3) (7) :

  • स्लीप हाइजीन: स्लीप हाइजीन मेंटेन करें। इसके लिए सोने से पहले हल्का खाने का सेवन करें। इसके साथ ही शराब व कैफीन युक्त ड्रिंक्स के सेवन से
  • बचें। वहीं, बेडरूम का वातावरण शांत और आरामदायक होना चाहिए।
  • सोने का समय तय करें: डॉक्टर दिन के समय निर्धारित समय पर सोने की सलाह दे सकते हैं। हालांकि, 15 से 20 मिनट तक की ही झपकी लें।
  • दवाओं का उपयोग: हाइपरसोमनिया के इलाज के लिए चिकित्सक एम्फेटामाइन सॉल्ट (Amphetamines salts) और सोडियम ऑक्सीबेट (Sodium Oxybate) दवाओं को लेने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा, कैफीन युक्त गोलियों का सेवन करने के लिए दे सकते हैं।

हाइपरसोमिया से बचाव के लिए स्लीप हाइजीन का ध्यान रखना जरूरी है। स्लीप हाइजीन को बनाए रखने के लिए नीचे बताए गए उपायों को अपनाया जा सकता है (4)।

  • सोने से पहले सिगरेट, अल्कोहॉल और कैफीन युक्त ड्रिंक्स से परहेज करें।
  • वजन को नियंत्रित रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें।
  • पोषण की कमी से बचाव के लिए पौष्टिक आहार का सेवन करें।
  • सोने के लिए तभी जाएं जब नींद आ रही हो।
  • रोजाना तय वक्त पर सोने की आदत डालें।
  • बेडरूम का तापमान न ज्यादा हो न कम हो।
  • बेडरूम में टीवी न देखें।

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लेख के अगले भाग में नींद भगाने के उपाय बता रहे हैं।

नींद भगाने के तरीके – Tips to Avoid OverSleep in Hindi

नीचे नींद भगाने के उपायों के बारे में बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:

1. कॉफी: नींद भगाने के लिए कॉफी एक बेहतर विकल्प हो सकता है। एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि कॉफी में कैफीन की मात्रा पाई जाती है। कैफीन का सेवन सीधे मस्तिष्क प्रणाली पर असर डालता है। यह दिमाग और तंत्रिका प्रणाली की एक्टिविटी बढ़ाने के लिए जाना जाता है। यह रिफ्रेश करने के साथ नींद को दूर कर सकता है। हालांकि अधिक मात्रा में कैफीन का सेवन फायदे की जगह नुकसान का कारण बन सकता है। यह नींद की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है (8)।

2. पानी: एक शोध में साफ तौर से बताया गया है कि पानी कम पीने से शरीर में थकान और किसी काम में ध्यान केंद्रित करने में समस्या होने के साथ हर समय नींद आने की परेशानी हो सकती है। ऐसे में दिनभर में पर्याप्त पानी पीना फायदेमंद साबित हो सकता है (9)।

3. प्रतिदिन एक्सरसाइज: लेख में ऊपर बताया जा चुका है कि हाइपरसोमनिया का एक कारण मोटापा है। ऐसे में हाइपरसोमनिया से पीड़ित व्यक्ति प्रतिदिन आधे से एक घंटे तक किसी भी प्रकार की कसरत कर सकते हैं। इससे वजन को नियंत्रित रखने के साथ व्यक्ति तरोताजा महसूस कर सकता है।

4. शॉवर: जब शरीर में थकान महसूस होती है, तो नींद आने लगती है। ऐसे में शॉवर लेना लाभकारी हो सकता है। नहाने से मूड रिफ्रेश होता है, जो नींद को भगाने में सहायक हो सकता है (10)। इस तरह शॉवर लेने से बहुत ज्यादा नींद आने के कारण होने वाली थकान से कुछ हद तक राहत मिल सकती है।

5. झपकी लेना: नींद आने पर एक छोटी सी झपकी लेना भी नींद से दूर रखने में मददगार हो सकता है। दरअसल, एक छोटी झपकी सुस्ती और उनींदापन को दूर करने के साथ नींद को दूर करने में लाभकारी हो सकती है। एक रिसर्च में साफ तौर पर लिखा है एक छोटी झपकी मेमोरी को तेज करने के साथ बेहतर कार्य क्षमता जैसे लाभ प्रदान कर सकती है(11)।

हाइपरसोमनिया की समस्या किसी को भी हो सकती है, लेकिन बार बार नींद आना कुछ लोगों के लिए ये जोखिम भरा हो सकता है। ऐसे में लेख में बताए गए लक्षणों को देखने के बाद डॉक्टरी सलाह जरूर लें। हालांकि, हाइपरसोमनिया का इलाज के मुताबिक किया जा सकता है। ऐसे में ज्यादा नींद आने के उपचार के लिए देर न करें और मेडिकल ट्रीटमेंट का सहारा ले सकते हैं । हम उम्मीद करते हैं लेख में बताई गई ज्यादा नींद आने के कारण, लक्षण और इसको दूर करने के तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी मिल गई होगी। अगर ये लेख पंसद आया हो तो इसे अपने दोस्तों और करीबियों के साथ जरूर शेयर करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:

क्या हाइपरसोमनिया एक मानसिक बीमारी है?

नहीं, हाइपरसोमनिया मानसिक बीमारी नहीं है। हालांकि, मानसिक रोग नींद अधिक आने के कारण में से एक हो सकते हैं (3)।

ज्यादा नींद आने की समस्या को आप कैसे ठीक कर सकते हैं?

जीवनशैली व खानपान की आदतों में बदलाव करने से बार बार नींद आने की समस्या से कुछ हद तक राहत पाई जा सकती है। इसके अलावा लेख में कुछ उपाय भी बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर हाइपरसोमनिया का इलाज किया जा सकता है। वहीं, अगर नींद बहुत आने के कारण अत्यधिक समस्या हो रही है, तो डॉक्टर से परामर्श ले सकते हैं।

क्या हाइपरसोमनिया अवसाद का कारण बनता है?

हां, हाइपरसोमनिया अवसाद का कारण बन सकता है (12)।

क्या हाइपरसोमनिया से वजन बढ़ सकता है?

हां, कुछ मामलों में हाइपरसोमनिया के कारण वजन बढ़ सकता है (13)।

डिप्रेशन में हाइपरसोमनिया कितना आम है?

हाइपरसोमनिया के मुख्य कारणों में से एक डिप्रेशन है (4)।

References

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  1. Sleep and your health
    https://medlineplus.gov/ency/patientinstructions/000871.htm
  2. Sleeping hours: what is the ideal number and how does age impact this?
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6267703/
  3. Hypersomnia
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6139790/
  4. Sleep – hypersomnia
    https://www.betterhealth.vic.gov.au/health/ConditionsAndTreatments/sleep-hypersomnia#sleep-disorders
  5. Kleine-Levin Syndrome Information Page What research is being done?
    https://www.ninds.nih.gov/Disorders/All-Disorders/Kleine-Levin-Syndrome-Information-Page
  6. Hypersomnia: What research is being done?
    https://www.ninds.nih.gov/Disorders/All-Disorders/Hypersomnia-Information-Page
  7. Diagnosis and management of central hypersomnias
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3437530/
  8. Caffeine Effects on Sleep Taken 0 3 or 6 Hours before Going to Bed
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3805807/
  9. Influence of progressive fluid restriction on mood and physiological markers of dehydration in women
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3553795/
  10. Demystifying the Showering Experience: Understanding current shower behaviour and showerhead preferences
    https://www.researchgate.net/publication/312188195_Demystifying_the_Showering_Experience_Understanding_current_shower_behaviour_and_showerhead_preferences
  11. Exploring the nap paradox: are mid-day sleep bouts a friend or foe?
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5598771/
  12. Hypersomnia and depressive symptoms: methodological and clinical aspects
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3621400/#B2
  13. Kleine-Levin Syndrome and Idiopathic Hypersomnia: Spectrum Disorders
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3271500/
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Saral Jain
Saral Jainहेल्थ एंड वेलनेस राइटर
सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ.

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