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बदलता मौसम, इंफेक्शन और लापरवाही, ये सभी कई शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकते हैं। इन्हीं में से एक है कान बहने की समस्या। यूं तो यह एक आम समस्या है, जो किसी को भी हो सकती है, लेकिन वक्त रहते इसपर ध्यान न दिया जाए, तो यह परेशानी गंभीर हो सकती है। इसी वजह से स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम बता रहे हैं कि कान का बहना क्या है और कान बहना क्यों शुरू होता है। साथ ही आप यहां कान बहने का उपचार भी जानेंगे।
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लेख के सबसे पहले हम बता रहे हैं कि कान बहना क्या है।
कान बहना – Ear Discharge In Hindi
कान बहना कुछ और नहीं बल्कि, कानों से किसी तरह के पदार्थ का निकलना है। इस दौरान कान से रक्त, मैल (वैक्स), मवाद (पस) और अन्य तरल पदार्थ की निकासी होती है। रिसर्च में कहा गया है कि कान से निकलने वाला पदार्थ अधिकतर ईयर वैक्स ही होता है। हां, कई बार कान के परदे फटने पर कान से सफेद, थोड़ा खूनी या पीले रंग का स्राव भी हो सकता है (1)। चिकित्सकीय भाषा में इसे ओटोरिया कहा जाता है (2)। मेडिकली कान बहने को आम माना जाता है और यह समस्या पांच साल की उम्र से नीचे के बच्चों में अधिक होती है। कुछ मामलों में अन्य गंभीर समस्या के कारण भी कान बह सकता है (2)।
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कान का बहना क्या है, समझने के बाद आगे पढ़िए कि कान बहने के प्रकार कितने हैं।
कान बहने के प्रकार- Types of Ear Discharge In Hindi
कान बहना के प्रकार कई हो सकते हैं। इसे कान से निकलने वाले पदार्थ के आधार पर वर्गीकृत किया गया है, जो कुछ इस प्रकार है (4)।
1. म्यूकोप्यूरुलेंट (Mucopurulent) ओटोरिया – जब कान से मवाद और बलगम युक्त पदार्थ निकलते हैं, तो उसे म्यूकोप्यूरुलेंट डिस्चार्ज कहा जाता है।
2. फाउल स्मेलिंग (Foul smelling) ओटोरिया – इस प्रकार को बैड स्मेल प्यूरुलेंट ओटोरिया (Bad smell purulent otorrhea) भी कहा जाता है। इसमें अधिकतर किसी अन्य तरह के लक्षण नजर नहीं आते हैं। बस कान से अजीब सी दुर्गंध आती है। यह ओटोरिया का आम प्रकार नहीं है। ऐसे मामले काफी कम सामने आते हैं।
3. क्रीमी ओटोरिया – यह कान के बाहरी भाग में होने वाले फंगल इंफेक्शन है। इसके कारण कान की नली में सूजन होती है और पस बह सकता है।
4. पीला या हरा ओटोरिया – कान बहने का यह प्रकार भी एक फंगल इंफेक्शन ही है, जिस कारण कान से पीला या हरा रंग का तरल पदार्थ निकलता है।
5. एक्वियस (Aqueous) ओटोरिया – इसके पीछे का कारण बैक्टीरिया होते हैं। इस प्रकार में भी कान से मवाद बहता है, जो हल्का पानी जैसा लगता है।
6. रेड-ऑरेंज ओटोरिया – इसमें कान से लाल और नारंगी रंग का मवाद बाहर निकलता है।
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कान बहने के प्रकार जानने के बाद यहां हम कान बहने के लक्षण बता रहे हैं।
कान बहने के लक्षण- Symptoms of Ear Discharge In Hindi
कान बहते समय कान से कुछ द्रव या पदार्थ बाहर बहता रहता है। इस दौरान निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं (1)।
- कान से सफेद, पीला या खून युक्त पदार्थ निकलना
- ईयर डिस्चार्ज के साथ तेज दर्द होना
- कान बहने के साथ ही बुखार या सिरदर्द होना
- सुनने की क्षमता में कमी
- एयर कैनाल में सूजन और रेडनेस होना
- चेहरे की कमजोरी
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लेख के इस भाग में हम जानेंगे कि कान बहने की समस्या क्यों होती है।
कान बहना यह समस्या क्यों होती है – What causes ear discharge
कान बहने की समस्या के पीछे अलग-अलग वजह हो सकती हैं। नीचे हम उन्हीं के बारे में बता रहे हैं (1) (4)।
- कान में किसी बाहरी पदार्थ का घुसना
- सिर पर चोट लगना
- कान पर हवा का अचानक दवाब पड़ना
- बहुत तेज आवाज होना
- कान में किसी तरह की चोट लगना
- मध्य भाग में इंफेक्शन होना
- कान में रूई या किसी अन्य तरह की चीज डालना
- एक्जिमा या ईयर केनाल में जलन होना
- फंगस से होने वाला ईयर इंफेक्शन
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यहां हम बता रहे हैं कि कान बहने का निदान किस प्रकार से किया जा सकता है।
कान बहने का निदान – Diagnosis of Ear Discharge In Hindi
कान बहने का निदान करने के लिए डॉक्टर किसी विशेष उपकरण से जांच करते हैं या किसी टेस्ट का सुझाव दे सकते हैं। इनमें ये शामिल हैं।
ओटेस्कोप – मध्य कान में एक सक्रिय संक्रमण का पता लगाने का सबसे सरल तरीका ओटोस्कोप उपकरण से बच्चे के कान में देखना है। इस उपकरण से चिकित्सक बाहरी कान और ईयरड्रम की जांच करते हैं। ईयरड्रम की सूजन संक्रमण का संकेत देती है। ऐसे कई तरीके हैं, जिनसे मध्य कान के तरल पदार्थ की जांच होती है। न्यूमेटिक ओटोस्कोप का उपयोग भी इसके लिए होता है। इससे ईयरड्रम पर हवा मारते हैं। अगर वहां तरल पदार्थ होगा, तो ईयरड्रम नहीं हिलता है।
टाइम्पेनोमेट्री – इसे मध्य कान को जांच करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इस परीक्षण के दौरान कान के नहर में एक छोटा नरम प्लग डाला जाता है। प्लग में एक स्पीकर, माइक्रोफोन और उपकरण होता है, जो कान की नली में वायु के दवाब को बदल सकता है। इस टेस्ट से कान के मध्य भाग की अच्छी तरह जांच हो सकती है।
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आर्टिकल में यहां हम जानेंगे कि कान बहने का उपचार क्या-क्या हो सकता है।
कान बहने का उपचार – Treatment of Ear Discharge In Hindi
कान बहने की समस्या का समय पर पता लगने पर इसका उपचार करना आसान होता है। यहां हम आपको तीन तरह से किए जाने वाले कान बहने के उपचार बता रहे हैं।
कान बहने का आयुर्वेदिक उपचार
1. तेल: आयुर्वेद में कान बहने की समस्या को कर्णास्राव के नाम से भी जाना जाता है। इसमें कान बहने की परेशानी होने पर अर्का तेल विधि के जरिए उपचार किया जाता है। रिसर्च में पाया गया कि यदि अर्का तेल की पर्याप्त मात्रा यानी लगभग 10 से 15 बूंद कान में डाली जाए, तो बिना किसी साइड इफेक्ट के इलाज में यह फायदेमंद हो सकता है (5)।
2. वटी: एक कान बहने का आयुर्वेदिक उपचार मौखिक रूप से ले जाने वाली दवा यानी बटी भी है। एक रिसर्च के अनुसार, आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन करने से कान की कई समस्याएं दूर हो सकती हैं। अध्ययन में आगे बताया गया है कि मरीज को दिन में तीन बार 500 मिलीग्राम आरोग्यवर्धिनी वटी दी गई, जिसके परिणाम स्वरूप मरीजों की समस्या में कुछ कमी दिखाई दी (6)।
कान बहने का होम्योपैथिक इलाज
होम्योपैथी से कान के संक्रमण का इलाज हो सकता है। रिसर्च बताती हैं कि सही होम्योपैथिक उपचार बच्चे को कान से जुड़ी समस्या से छुटकारा दिलाने में कारगर हो सकता है। होम्योपैथिक के जरिए समग्र स्वास्थ्य को मजबूती मिलती है। इसके लिए डॉक्टर समस्या के हिसाब से बच्चे को कुछ दवाएं लेने की सलाह दे सकते हैं (7)।
अध्ययन के अनुसार, होम्योपैथी इलाज में कान बहने के मूल कारण का उपचार करके शरीर के डिफेंस सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत किया जाता है। इससे कान के संक्रमण के साथ-साथ बच्चे की अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में सुधार हो सकता है (8)।
मेडिकल ट्रीटमेंट
1. दर्दनिवारक दवाएं : कान बहने के मेडिकल उपचार के रूप में डॉक्टर एनाल्जेसिक यानी की दर्द निवारक दवा दे सकते हैं (9)।
2. ओरल टॉयलेट- यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके जरिए कान के एक्सटर्नल ऑडिटोरी मिटस में मौजूद वैक्स और अन्य तरल पदार्थ को साफ किया जाता है (3)।
3. अन्य उपचार : एंटीबायोटिक ईयरड्रॉप्स और सिस्टमिक एंटीबायोटिक्स के द्वारा भी कान बहने का ट्रीटमेंट किया जा सकता है (3)।
आगे जानें कुछ खास
अब हम बताएंगे कि कान को बहने से रोकने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है।
कान बहने की समस्या से कैसे बचा जा सकता है – How can I prevent ear discharge in Hindi
कान बहने की समस्या से बचने के लिए कान को चोट लगने या किसी भी अन्य तरह के नुकसान से बचाना होगा। इसके लिए नीचे दिए गए उपायों को अपनाया जा सकता है।
- कान में किसी ऐसी वस्तु को न डालें, जिससे वहां घाव बन जाए
- नियमित रूप से कान की जांच डॉक्टर से करवाएं
- तेज आवाज वाले ईयर फोन को कान में डालने से बचें
- नियमित रूप से कान का चेकअप कराते रहें
- तेज आवाज में कुछ भी न सुनें
- ज्यादा तेज शोर होने वाली जगहों में जाने से बचें
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लेख के इस भाग हम बता रहे हैं कि कान बहने की समस्या में डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए।
कान बहने की समस्या में डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए – When to see a doctor
कान बहने की समस्या होते ही डॉक्टर को दिखाना चाहिए। डिस्चार्ज के साथ ही नीचे बताए गए अन्य लक्षण नजर आने पर एक मिनट भी जाया किए बिना चिकित्सक से संपर्क करें (1)।
- चोट लगने के कारण डिस्चार्ज होना
- पांच से अधिक दिनों तक डिस्चार्ज होते रहना
- अन्य लक्षण जैसे कि बुखार या सिरदर्द होना
- सुनाई कम देना
इस लेख के जरिए हमने कान बहने से जुड़ी तमाम जरूरी जानकारी विस्तार से दी है। इस समस्या को लेख में दिए गए कान बहने के लक्षणों के माध्यम से पहचान कर जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं। साथ ही इस परेशानी से बचने के टिप्स भी लेख में मौजूद हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर कान को बहने से बचाया जा सकता है। अगर कान बहने की समस्या गंभीर हो, तो बिना किसी देरी के तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
कान से पानी आने पर क्या करना चाहिए?
कान से पानी आने पर घरेलू उपाय करने की जगह तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
मेरे कान से तरल पदार्थ निकलने का क्या मतलब है?
कान से तरल पदार्थ निकलने के कई कारण हो सकते है, जैसे कि कान में इंफेक्शन, कान में मैल का जमा होना या फिर कान का पक जाना और उसमें पस पड़ना (4)।
क्या कानों से तरल पदार्थ का रिसाव होना सामान्य है?
हां, कान से तरल पदार्थ का बहना आम बात है। खासकर, पांच साल से छोटी उम्र के बच्चों में (3)।
कानों के लिए सबसे अच्छा डीकॉन्गेस्टेंट क्या है?
कानों के लिए सबसे अच्छा डीकॉन्गेस्टेंट के बारे में डॉक्टर ही बता सकते हैं। इसके बारे में जानने के लिए डॉक्टर से पूछना फायदेमंद होगा।
कान का संक्रमण होने पर किस रंग का डिस्चार्ज होता है?
कान का संक्रमण होने पर खूनी, पीला या हरा डिस्चार्ज हो सकता है (4)।
मेरे कान में खुजली और अंदर से गीलापन क्यों महसूस होता है?
कान में खुजली और गीलापन होने का मतलब यह हो सकती है कि कान में मैल हो या फिर कान में संक्रमण हो गया हो (4)। ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
References
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- Ear discharge
https://medlineplus.gov/ency/article/003042.htm - Types and causes of otorrhea
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/12927287/ - Aetiological Agents of Ear Discharge: A Two Year Review in a Teaching Hospital in Ghana
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4310331/ - Otorrhea
https://cdn.gn1.link/iapo/imageBank/xiii_manual_da_iapo_ingles_28.pdf - A clinical study on the effect of Arka Taila in the management of Karnasrava (Otomycosis)
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3326880/ - Efficacy of Arogyavardhini vati with prakshalan of kshirivrikshain management of karnasrava
https://www.ijam.co.in/index.php/ijam/article/view/365/204 - The homoeopathic treatment of otitis media
https://www.vereniginghomeopathie.nl/wp-content/uploads/2020/08/Onderzoek-Oorontsteking_Friese_1997.pdf - Homoeopathy for Ear infection
https://www.researchgate.net/publication/221901665_Homoeopathy_for_Ear_nfection - THE DISCHARGING EAR: A PRACTICAL APPROACH
http://www.cmej.org.za/index.php/cmej/article/view/929/725
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