अकबर-बीरबल की कहानी: खाने के बाद लेटना | Khane Ke Baad Letna Story in Hindi
June 17, 2024 द्वारा लिखित Sweta Shrivastava
दोपहर का समय था, राजा अकबर अपने दरबार में बैठे कुछ सोच रहे थे। अचानक उन्हें बीरबल की कही हुई एक बात याद आई। उन्हें याद आया कि एक बार बीरबल ने उन्हें एक कहावत सुनाई थी, जो कुछ इस तरह से थी – खाने के बाद लेटना और मारने के बाद भागना एक सयाने मनुष्य की निशानी होती है।
राजा सोचने लगे, “अभी दोपहर का समय है। यकीनन बीरबल खाने के बाद सोने की तैयारी में होगा। चलो आज उसकी बात को गलत साबित किया जाए।” यह सोचकर उन्होंने एक सेवक को आदेश दिया की इसी वक्त बीरबल को दरबार में उपस्थित होने का संदेश दिया जाए।
बीरबल अभी खाना खाकर बैठे ही थे कि सेवक राजा का आदेश लेकर बीरबल के पास पहुंचा। बीरबल आदेश के पीछे छिपे राजा की मंशा भली भांति समझ गए। उन्होंने सेवक से कहा, “तुम थोड़ी देर रुको। मैं कपड़े बदलकर तुम्हारे साथ ही चलता हूं।”
अंदर जाकर बीरबल ने अपने लिए एक तंग पजामा चुना। पजामा तंग था तो उसे पहनने के लिए उन्हें बिस्तर पर लेटना पड़ा। पजामे को पहनने का बहाना कर वे थोड़ी देर बिस्तर पर ही लेटे रहे और फिर सेवक के साथ दरबार की ओर चल दिए।
दरबार में राजा बीरबल की ही राह देख रहे थे। उनके वहां पहुंचते ही राजा ने पूछा, “क्यों बीरबल। आज खाने के बाद लेटे थे या नहीं?” बीरबल ने जवाब दिया, “जी महाराज। जरूर लेटा था।” यह सुनकर राजा को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने बीरबल से पूछा, “इसका मतलब यह है कि तुमने मेरे आदेश का असम्मान किया। तुम उसी समय मेरे सामने क्यों उपस्थित नहीं हुए? इसके लिए मैं तुम्हें सजा देता हूं।”
बीरबल ने तुरंत जवाब दिया, “महाराज। ये सच है कि मैं थोड़ी देर लेटा था, लेकिन मैंने आपके आदेश की अवहेलना नहीं की है। आपको मुझ पर यकीन न हो तो आप सेवक से इस बारे में पूछ सकते हैं। हां, ये अलग बात है कि मुझे इस तंग पजामे को पहनने के लिए बिस्तर पर लेटना पड़ा था।”
बीरबल की इस बात को सुनकर अकबर हंसे बिना रह न सके और उन्होंने बीरबल को दरबार से जाने दिया।
कहानी से सीख –
इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि परिस्थिति को भांपते हुए हमारे द्वारा उठाया गया एक कदम हमें अनेक मुसीबतों से बचा सकता है।