अलिफ लैला – भद्र पुरुष और उसके तोते की कहानी
June 17, 2024 द्वारा लिखित nripendra
बादशाह सुलेमान के कहने पर वजीर ने उसे ‘भद्र पुरुष और उसके तोते की कहानी’ सुनाते हुए कहा कि बहुत समय पहले की बात है सुदूर गांव में एक भद्र पुरुष रहता था जिसकी पत्नी बहुत सुंदर थी। भद्र पुरुष अपनी पत्नी से बेहद प्रेम करता था और उसे अपनी आंखों के सामने से दूर नहीं होने देता था।
एक दिन भद्र पुरुष किसी काम से नगर से बाहर दूसरे शहर गया हुआ था। काम निपटाने के बाद बाजार घूमते हुए उसे एक अद्भुत तोता दिखाई दिया। तोते की यह विशेषता थी कि वह आम मनुष्य की तरह बोल सकता था। तोता अपनी आंखों के सामने घटित होने वाली हर घटना को मालिक के पूछने पर उसे सच-सच बता देता था। यह देखकर वह व्यक्ति बेहद प्रभावित हुआ और वह तोते को खरीद कर अपने साथ घर ले आया।
तोते को घर पर लाने के बाद भद्र पुरुष अक्सर उससे अकेले में बात करता रहता और दिन भर की सारी घटनाएं उससे पूछता। तोता भी अपने मालिक के सवालों का जवाब देते हुए उसे दिनभर की आंखों देखी सब कुछ सच-सच बता देता। कुछ दिनों बाद उस व्यक्ति को किसी जरूरी काम से विदेश जाना पड़ा। भद्र पुरुष ने अपने जाने से पहले तोते को पत्नी को सौंप दिया और उसकी देखभाल करने के लिए कह गया।
कई दिनों बाद जब भद्र पुरुष विदेश से घर लौटा तो उसने तोते से अकेले में पूछा कि उसकी गैर-मौजूदगी में घर में क्या-क्या घटित हुआ? तोते ने व्यक्ति की बात का जवाब देते हुए उसे पूरी घटना के बारे में बताया। उसने बताया कि कैसे उसकी पत्नी उसके न होने पर अपनी मनमानी करती थी और अपनी सभी मर्यादाओं को लांघ चुकी थी। तोते की बात सुन कर भद्र पुरुष गुस्से में आग बबूला हो गया और उसने अपनी पत्नी को खूब डांट फटकार लगाई। तोते की बताई हर बात सच थी इसलिए उसकी पत्नी भद्र पुरुष की डांट को चुपचाप सुनती रही।
उसी शाम जब किसी काम से भद्र पुरुष घर से बाहर गया हुआ था तो उसकी पत्नी ने घर की सभी सेविकाओं को बारी-बारी से अपने पास बुलाया और सबको खूब डांट लगाई। भद्र पुरुष की पत्नी ने सारी सेविकाओं से पूछा कि किसने उसके पति को यह बातें बताई। सभी सेविकाओं ने इस बात से इनकार कर दिया और अपनी बात को सच बताने के लिए कसमें खाने लगीं। इसके बाद भद्र पुरुष के घर आने के बाद तोते ने व्यक्ति की पत्नी द्वारा सेविकाओं से किए गए व्यवहार की पूरी बात उसे बता दी जिस पर उसने दोबारा अपनी पत्नी को खूब फटकार लगाई।
घटना के बाद अकसर भद्र पुरुष तोते से अकेले में बात किया करता था। अब तक उस व्यक्ति की पत्नी को भी विश्वास हो गया था कि तोता ही घर की होने वाली हरेक घटना उसके पति को बताता है। इसके बाद से वह तोते से चिढ़ने लगी और पति के सामने उसे झूठा साबित करने के लिए योजना बनाने लगी।
कुछ समय बाद भद्र पुरुष किसी काम से एक दिन के लिए नगर से बाहर गया हुआ था। उस रात व्यक्ति की पत्नी ने मौका पाकर अपनी सेविकाओं के साथ मिलकर तोते को फसाने की योजना बनाई। महिला की आज्ञा पर अंधेरे में घर की एक सेविका रात भर उसके पिंजरे के नीचे चक्की पीसती रही जबकि दूसरी सेविका तोते पर बारिश की तरह पानी की बूंदे डालती रही। वहीं, तीसरी सेविका ने पिंजरे की पिछली तरफ दीपक जला दिया और खुद दर्पण लेकर तोते के सामने खड़ी हो गई। दर्पण पर पड़ने वाला दीपक का प्रकाश रह-रहकर तोते की आंखों पर पड़ रहा था। इससे तोते को बिजली चमकने का एहसास हो रहा था। सुबह होते ही सेविकाओं ने तोते के पिंजरे को कपड़े से ढक दिया और वहां से चली गईं।
अगले दिन जब भद्र पुरुष घर वापस आया तो उसने तोते को अकेले में ले जाकर पूरी रात का हाल पूछा। भद्र पुरुष के सवाल का तोते ने जवाब दिया कि रात भर बादल गरजते रहे, बारिश होती रही और बिजली चमकती रही। यह सुनकर भद्र पुरुष को लगा कि तोता तो झूठ बोल रहा है क्योंकि रात को आसमान साफ था और बारिश एक बूंद तक कहीं नहीं पड़ी। भद्र पुरुष ने सोचा कि तोता जरूर झूठ बोल रहा है और पक्का वह पहले भी उसकी पत्नी के बारे में झूठ बोल रहा होगा। तोते को झूठा समझ कर गुस्से में व्यक्ति ने तोते को पिंजरे से बाहर निकाला और उसे जोर से जमीन पर पटक कर मार डाला।
घटना के बाद भद्र पुरुष और उसकी पत्नी दोबारा खुशी-खुशी रहने लगे और वह अपनी पत्नी के ऊपर दोबारा विश्वास करने लगा। वहीं, उसकी पत्नी भी तोते के मरने के बाद निश्चित हो गई कि अब उसके पति को उसकी करतूतों के बारे में बताने वाला कोई नहीं है और अब उसे कुछ पता नहीं चल पाएगा। हालांकि, उसकी पत्नी का यह फरेब अधिक दिनों तक नहीं चल पाया। उसके कारनामों के बारे में उसके पड़ोसी व गांव के अन्य लोग व्यक्ति को बताने लगे जो कि तोते की कही बातों से मिलती-जुलती थी। इसके बाद भद्र पुरुष को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह पछताने लगा।
यह कहानी सुनने के बाद मंत्री ने गरीक बादशाह से कहा, “तोते का निर्दोष मरना बड़ी बात नहीं है और न ही उस स्त्री का चरित्रहीन होना लेकिन जो बात मैं आपको समझाना चाहता हूं वह ध्यान देने योग्य है। आपके कीमती जीवन के लिए अगर किसी निरपराधी को भी मारना पड़े तो यह कोई बड़ी बात नहीं है।” मंत्री ने कहा कि सभी लोग हकीम को शत्रु का भेदी कहते हैं और मुझे उसके अच्छे व बुरे होने से कोई मतलब नहीं है बस महाराज आपकी आयु लंबी होनी चाहिए और आपको कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। मंत्री ने आगे कहा, “अगर आपको लगता है कि मेरी बातें झूठी हैं तो आप मुझे भी वैसी ही सजा दे सकते हैं जैसे कि एक राजा ने अमात्य को दिया था।” बादशाह के पूछने पर मंत्री ने उसे ‘अमात्य की कहानी’ सुनाना शुरू किया।