भूत की कहानी : भाग्य वाले का भूत हल जोतता है | Bhagya Wale Ka Bhoot Hal Jotata Hai Story In Hindi

June 17, 2024 द्वारा लिखित

सुदूर एक गांव में मोहन नाम का पहलवान रहता था, जिसके पास 5 भैंसें थीं। दिनभर भैंसों की देखभाल करना और उनका दूध पीना ही मोहन की दिनचर्या थी। भैंसों का दूध पीते रहने के कारण वह काफी बलवान हो गया था। मोहन अपने बचाव और सहारे के लिए एक लोहे की छड़ हमेशा साथ रखता था। इस कारण कोई भी मोहन को एक बार देख लेता तो, उसकी हृष्ट पुष्ट काया व शक्तिशाली शरीर को देखकर डर जाया करता था।

मोहन का पूरी दुनिया में कोई नहीं था तो उम्र बढ़ने के साथ उसे अपनी शादी की चिंता सताने लगी थी। इसलिए, वह अक्सर लोगों से पूछा करता था कि उसकी शादी कहां और किससे होगी? लोग उसे देखकर डर जाते व उसके सवाल का जवाब न दे पाते थे। इस पर मोहन उनके साथ मारपीट किया करता था, जिसके चलते लोगों ने उस रास्ते से ही गुजरना बंद कर दिया था।

एक बार किसी दूसरे गांव का एक ब्राह्मण और एक हमाम किसी विवाह समारोह में शामिल होने जा रहे थे। रास्ते में उन्हें मोहन मिल गया। मोहन ने ब्राह्मण को देखा तो उसने दोनों को अपने पास बुलाते हुए कहा कि आप तो मुझे ज्ञानी नजर आते हो, बताइए मेरी शादी कब और कहां होगी? इस तरह पहलवान का सवाल सुनकर दोनों ठिठक गए। हमाम काफी चतुर था उसने सोचा कि अगर हम इससे बहस करेंगे तो इसके बल के आगे हमारा कोई मुकाबला नहीं। हमाम को एक तरकीब सूझी और उसमे दूर एक ताड़ के पेड़ की ओर उंगली से इशारा करते हुए कहा कि आपकी शादी वहीं होगी। हमाम की बात सुनकर मोहन फूला नहीं समाया और प्रसन्न होकर उसने अपनी पांचों भैंसें दोनों को दान में दे दी और ताड़ के पेड़ की दिशा में चल पड़ा।

उस ताड़ के पेड़ के पास एक महिला अपने पति व एक बच्चे के साथ रहती थी। उसका पति बड़ा ही धूर्त व आलसी किस्म का शख्स था और उसे बात-बात पर झूठ बोलने की आदत थी। इस वजह से वह महिला अपने पति से बेहद परेशान रहती थी। काफी दूर तक पैदल चलने के बाद जब मोहन ताड़ के पेड़ के पास पहुंचा तो वह औरत घर के बाहर निकली। घर के आंगन में प्रवेश करते हुए मोहन लड़खड़ा कर गिर पड़ा और उसका एक हाथ औरत के गाल पर तमाचे की तरह लग गया।

औरत को लगा कि पहलवान जरूर उसके पति को जानता होगा। अपने एक हाथ से गाल मलते हुए औरत ने पहलवान को अतिथि कक्ष में बैठने के लिए कहा और उसे जलपान कराने लगी। इतने में औरत का पति वहां पहुंच गया। एक पराए मर्द के साथ अपनी पत्नी को देखकर वह गुस्से से मोहन की ओर इशारा कर पत्नी से पूछने लगा कि यह शख्स कौन है। औरत ने डरते हुए कहा कि उसे लगा कि वह परिचित है इसलिए उसने उसे भीतर आने दिया।

अपनी पत्नी की बात सुनकर वह शख्स और भी क्रोधित हो गया और लड़ने के लिए मोहन की ओर झपका। शख्स को रोकने के लिए मोहन ने अपने लोहे की छड़ उसके सिर पर रख दी, जिससे वह आदमी वहीं मर गया। यह सब दृश्य देखकर उसकी पत्नी रोने लगी। माहौल को देखकर पहलवान वहां से जाने लगा तो उस औरत ने मोहन को रोक लिया और कहने लगी कि उसके पति के अलावा घर में कमाने वाला कोई नहीं था और उनकी मृत्यु के बाद अब तुम्हें हमारे साथ ही रहना होगा।

इसके बाद मोहन उस औरत के साथ उसी घर में रहने लगा। मोहन को भैंसों का दूध पीने के अलावा कोई काम नहीं आता था। ऐसे में कुछ दिन बाद जब घर का राशन खत्म होने लगा तो महिला ने उससे कहा कि वह बाहर जाकर कुछ कमा कर लेकर आए या फिर राजा के पास जाकर खेती के लिए जमीन मांग ले ताकि वह खेती कर अपना भरण पोषण कर सके।

महिला की बात सुनकर पहलवान अपने लोहे की छड़ उठाए राजमहल की ओर चल पड़ा। राजमहल के पास पहुंचने पर सभी द्वारपाल और सैनिक मोहन की काया देखकर डर से कांपने लगे और तुरंत राजा तक सूचना पहुंचाई की कोई बलवान हाथ में लोहे की छड़ लिए महल की ओर बढ़ता चला आ रहा है। सूचना पाकर राजा ने तुरंत अपने मुंशी को बुलाया और उसे तत्काल पहलवान के पास जाकर आने का कारण पूछने को कहा।

पहलवान मुंशी को खेती के लिए जमीन मांगने की अपनी विनती बताता है। संदेश लेकर राजा के पास पहुंचने पर राजा पहलवान को ढेर सारी जमीन देने का आदेश देता है। मुंशी बेहद चतुर होता है तो वह राजा द्वारा पहलवान को दी गई अधिकांश जमीन स्वयं के लिए रखकर मोहन को कब्रिस्तान के पास एक बंजर जमीन का छोटा सा टुकड़ा दे देता है, जिसे पाकर पहलवान खुशी-खुशी वापस लौट जाता है।

उस बंजर जमीन के पास के बीच में एक पीपल का पेड़ होता है, जिस पर भूतों का बसेरा होता है। जमीन को फसल उगाने योग्य बनाने के लिए जब पहलवान जुताई शुरू करता है तो पेड़ के कारण उसे खेत जोतने में परेशानी आने लगती है। मोहन उस पेड़ को उखाड़ने की ठान लेता है और अपनी लोहे की छड़ से उस पर प्रहार करता है, जिससे करीब 150 भूत पेड़ से नीचे गिर जाते हैं और गुस्से से पहलवान की ओर लड़ने के लिए दौड़ते हैं। पहलवान अपनी छड़ से सभी भूतों के छक्के छुड़ा देता है।

पहलवान से जीतना असंभव जानकर भूत मोहन के सामने पेड़ न काटने की गुजारिश करने लगे। भूतों ने कहा यह हमारा घर है। हम कई साल से यहां रह रहे हैं। हमारे घर को मत उजाड़ो। भूतों ने इसके बदले खेतों में काम कर उपज मोहन के घर पहुंचाने का प्रस्ताव रखा। मोहन को भूतों पर दया आ जाती है और वह उनका प्रस्ताव स्वीकार कर घर चला जाता है। इसके बाद से भूत समय-समय पर पहलवान के घर हर फसल पहुंचाने लगे।

एक बार उन भूतों का गुरु उनसे मिलने आता है। सभी भूतों को दुबला पतला व कमजोर देखकर वह उनकी दुर्दशा का कारण पूछता है। भूतों से पूरा वृतांत सुनकर गुरु पहलवान को सबक सिखाने की ठानता है और उसके घर की ओर चल पड़ता है। भूतों का गुरु एक बिल्ली का रूप धारण कर पहलवान पर हमला करने की योजना बनाता है। उन दिनों पहलवान के घर में रोज़ एक बिल्ली रसोई में घुसकर सारा दूध पी जाती थी, जिससे वह काफी परेशान था। उस दिन पहलवान भी उस बिल्ली को सबक सिखाने के लिए दरवाजे के पीछे छिपकर बिल्ली का इंतजार कर रहा होता है। जैसे ही बिल्ली के रूप में भूतों का गुरु कमरे में प्रवेश करता है पहलवान उस पर प्रहार कर देता है।

पहलवान के प्रहार से भूतों के गुरु की कई हड्डियां टूट जाती हैं और वह अपने असली रूप में आकर अपनी जान बख्शने का निवेदन करने लगता है। मोहन ने भूतों के गुरु को छोड़ने पर खुद के लिए सजा चुनने के लिए कहा। ऐसे में भूतों के गुरु ने कहा कि उसे बख्शने पर वह राशन की मात्रा दोगुनी कर देगा। भूतों के गुरु की इस बात पर कुछ देर विचार करने के बाद पहलवान उसे छोड़ देता है।

पहलवान के घर से निकलकर भूतों का गुरु सीधे अपने शिष्यों के पास जाता है। शिष्यों के पूछने पर वह उन्हें पूरा वृतांत बताता है और कहता है कि अब से पहलवान के घर भेजने वाले राशन की मात्रा दोगुनी करनी होगी।

कहानी से शिक्षा: अगर आपका भाग्य बलवान हो तो विपत्तियां भी अवसर में बदल सकती हैं।

category related iconCategory