भूत की कहानी: भूत नाशक बाबा | Bhoot Nasak Baba Story In Hindi
June 17, 2024 द्वारा लिखित Sweta Shrivastava
सालों पहले माधोपुर और श्यामपुर के जंगल तक भूत-प्रेत की कहानियां फैली हुई थी। पास के ही गांव के लोग इन्हीं जंगलों में अपने जानवर चराते थे, लेकिन भूत के डर से शाम होने से पहले लौट जाते थे। एक दिन राजीव भी उसी जंगल में अपनी बकरियों के लिए घास लेने के लिए गया था।
अक्सर काम से जी-चुराने वाला राजीव मजबूरी में जंगल आया था, इसलिए उसका मन घास काटने का बिल्कुल भी नहीं था। जंगल में आसपास उसने देखा कि घास नहीं है, क्योंकि सारी गाय-बकरी घास खा गई थी। अब वो मरे मन से आगे बढ़ने लगा। जाते-जाते वो करीब जंगल के बीच में पहुंच गया था। वहां काफी हरी घास और पत्तों से लदे हुए पेड़ थे। पास में ही झरना भी बह रहा था। ये सब देखकर राजीव को और आलस आ गया। उसने सोचा कि कुछ देर पत्थरों पर बैठकर आराम कर लेता हूं।
लेटते ही राजीव गहरी नींद में चला गया और सपने देखने लगा। सपने में ही राजीव जंगल का रास्ता भूल गया था और उसने एक अजीब से आदमी को भी देखा। आदमी की शक्ल इतनी डरावनी थी कि राजीव की नींद खुल गई। डरा हुआ राजीव एकदम उठा और बकरियों के लिए घास काटने लगा। भले ही वो घास काट रहा था, लेकिन उसके जहन से सपने वाले उस डरावने इंसान की शक्ल जा ही नहीं रही थी।
राजीव घास जल्दी-जल्दी काट रहा था, क्योंकि सूरज लगभग ढलने ही वाला था। उसने कुछ देर बाद दो लोगों की आवाज सुनी। वो दौड़ता हुआ उस आवाज की तरफ बढ़ने लगा। उनके पास पहुंचकर राजीव कहने लगा कि मुझे मेरे गांव जाने का रास्ता बता दीजिए। उसकी बात सुनते ही वो दोनों वहां से एकदम गायब हो गए। उन्हें एकदमम से गायब होता देख हैरान राजीव बेहोश हो गया।
कुछ देर बाद जब राजीव को होश आया, तो उसने अपने सामने वही सपने वाला डरावना आदमी देखा। उसी आंखें लाल रंग की थी और दांत बाहर को निकले हुए। किसी तरह से खुद को संभालकर राजीव वहां से पागलों की तरह दौड़ने लगा। उसी वक्त एक भालू उससे टकरा गया। उसने ऐसा झपटा मारा राजीव पर कि वो नीचे गिर गया। तभी भालू भी आदमी की शक्ल में आ गया। वो भी अजीब और डरावना था। हाथ टेढ़े-मेड़े, होंठ कटे हुए और पैर उल्टे थे।
इधर, जंगल में फंसे राजीव को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है। उधर, उसके घर वाले परेशान हो रहे थे। रात के दस बज चुके थे, लेकिन राजीव घर नहीं लौटा था। उसका भाई उसे ढूंढने के लिए जंगल की तरफ निकल गया। राजीव का भाई एक पैर से ठीक से चल नहीं पाता था, इसलिए मदद के लिए उसके माता-पिता के साथ ही गांव के कुछ लोग भी निकल पड़े।
जंगल पहुंचने के बाद सबने राजीव के भाई और मां को जंगल के बाहर के हिस्से में ही रूकने के लिए कहा और खुद टॉर्च और कुछ हथियार लेकर अंदर चले गए। करीब तीन से चार घंटे तक सबने जंगल के चारों ओर उसे ढूंढा, लेकिन वो कहीं नहीं मिला। बस अब जंगल का अंदरुनी और घना हिस्सा ही बचा था। रात के चार बज रहे थे, इसलिए सबने सुबह होने का इंतजार करने का फैसला लिया और कुछ देर जंगल में ही बैठ गए।
सुबह होते ही सब आगे बढ़े और राजीव की तलाश शुरू की, लेकिन वो कहीं भी नहीं मिला। सब थक हारकर अपने-अपने घर लौट आए। राजीव किसी एक कोने में भूख-प्यास से तड़पता हुआ पड़ा था। उसे इतना होश भी नहीं था कि वो कहा है।
राजीव का परिवार भी तीन दिन से उसकी याद में परेशान थे। राजीव के भाई के मन में हुआ कि वो पक्का कहीं मुसीबत में ही होगा। अब मुझे भगवान को याद करना चाहिए। उसने तुरंत नीम के पेड़ के नीचे गड्ढा खोदना शुरू कर दिया। भाई लौटेगा-भाई लौटेगा कहते-कहते किसी तरह से उसने गड्ढा खोद लिया। अब रोज सुबह वह उस गड्ढे में जल और दूध चढ़ाता था। उसका मानना था कि उनके देवता उसी नीम के नीचे ही रहते हैं।
वो रोज सुबह उसी पेड़ के पास बैठ जाता और उसे कोई भी उठाने के लिए आता, तो उसे धक्का मार देता था। नीम के पेड़ के नीचे बैठकर राजीव का भाई बस यही कहता था कि मेरा भाई आएगा। उसे मेरे भगवान लेकर आएंगे। राजीव के न मिलने और उसके बड़े भाई की ऐसी हालत देखकर गांव वालों ने एक भगत को बुलाया। उन्होंने कुछ देर ध्यान लगाकर सबको बताया कि राजीव जिंदा है और वो कल घर आ जाएगा। उसकी मदद करने के लिए खुद भगवान जा रहे हैं।
कुछ दिनों बाद राजीव किसी की साइकिल में बैठकर घर सही सलामत लौटकर आ गया। उसका शरीर इतना कमजोर था कि उसे अस्पतल में भर्ती करना पड़ा। करीब तीन बाद उसकी तबीयत ठीक हो गई। अब राजीव के भाई ने पूछा कि तुम्हें क्या हुआ था और किस तरह से तुम बचे?
राजीव ने बताया कि उसे जंगल में भूतों ने घेर कर रखा हुआ था। वो ऐसे खतरनाक दिखते थे कि याद करते ही डर लगता है। आवाजें भी अजीब-अजीब सी निकालकर मेरे चारों तरफ नाचते रहते थे। मुझे लगता था कि मैं कभी बच नहीं पाऊंगा उन भूतों से, लेकिन भगवान से खुद को बचाने की मिन्नते भी करता था। तभी ऐसा लगा मानो भगवान ने उसकी पुकार सुन ली हो।
उस दिन घोड़े के पैरों की आहट और उसके हिनहिनाने की आवाज आई। सभी भूत ये सुनकर शांत हो गए। घोड़े पर एक आदमी भी सवार था। उसके हाथों में तलवार थी। उसे देखते ही सारे भूत भागने लगे। वो अपनी तलवार से एक-एक को मारते हुए आगे बढ़ रहे थे। फिर उस घुड़सवार ने मेरी तरफ देखते हुए कहा कि मैं तुम्हारे लिए ही आया हूं। अब किसी तरह की चिंता मत करना। सुबह होते ही तुम्हें कोई-न-कोई लेने आ जाएगा, अभी तुम आराम करो।
राजीव ने आगे कहा कि उनकी इतनी बात से ही दिल को सुकून मिल गया था। वहां से सारे भूत भी भाग चुके थे, इसलिए मैं बिना किसी डर के सो गया। सुबह जैसे ही मेरी आंख खुली, तो वहां एक साइकिल वाला इंसान था। उसने मेरी तरफ हाथ बढ़ाकर कहा कि तुम्हारा घर कहा है बता दो, मैं तुम्हें वहां पहुंचा दूंगा। उसके बाद वो मुझे घर ले आया।
कहानी से सीख :
भगवान पर अटल विश्वास हो, तो वो भक्त की मदद करने के लिए किसी-न-किसी रूप में जरूर आते हैं।