भूत की कहानी : भूतिया ढाबा | Bhootiya Dhaba Story In Hindi
June 17, 2024 द्वारा लिखित Sweta Shrivastava
एक दिन बच्चों ने पिकनिक जाने की बात कही। यह सुनते ही अंकिता की रूह कांप गई, क्योंकि उसे एक पुराना किस्सा याद आ गया।
ये बात तब कि है जब अंकिता 10वीं क्लास में पढ़ रही थी। एक दिन टीचर ने पिकनिक का प्लान बनाया था। अपने सभी दोस्तों के साथ अंकिता ने भी जाने के लिए हां कर दी। पिकनिक पर जाना था पावागढ़। पूरा स्कूल पिकनिक जा रहा था, इसलिए करीब 30 बस सभी बच्चों को ले जाने के लिए तैयार थी।
अंकिता अपने दोस्तों के साथ सबसे पीछे वाली बस में बैठ गई। सभी हंसते-मस्ती करते हुए बस से जा रहे थे। तभी कुछ दूर जंगल के पास पहुंचकर उसी बस से तेज आवाज आई। ये वक्त रात के करीब डेढ़ बजे का था। ड्राइवर गाड़ी से बाहर निकला, तो उसे पता चला कि टायर फट गया है।
ड्राइवर ने सबसे कहा कि बस का टायर बदलने में करीब दो घंटे लगेंगे आप सब नीचे उतर जाइए। मैं इसे बदल देता हूं। आप लोग पास के ढाबे में जा सकते हैं। वहां गर्म-गर्म चाय पी लीजिए और मैं इस टायर को फटाफट बदलने की कोशिश करता हूं।
ड्राइवर की बात सुनकर सभी बस से उतर गए और पैदल चलते हुए पास के ढाबे में पहुंचे। वहां एक बूढ़ा व्यक्ति चाय बना रहा था। इतनी रात को ढाबा खुला हुआ और किसी इंसान को चाय बनाते देख सबको हैरानी हुई।
उस बूढ़े इंसान ने कहा, “आप सब चाय पी लीजिए। यहां अक्सर लोगों की गाड़ी खराब हो जाती है, इसलिए मैं भी अपना ढाबा हरदम खुला रखता हूं। आप जैसे राहगिरों को कुछ मदद हो जाती है।”
उनकी बात सुनकर सबने चाय का ऑर्डर दे दिया। उन्होंने कुछ ही देर में सबके लिए चाय बनाकर मेज पर रख दी। चाय पीते हुए अंकिता की आंखें एकदम ढाबे की छत की तरफ गई। वहां अंकिता ने एक औरत को सफेद रंग की साड़ी में खुले बाल लहराते हुए देखा। कुछ देर बाद वो जोर-जोर से हंसने लगी। भले ही हंसने की आवाज किसी को सुनाई नहीं दे रही थी, लेकिन अंकिता ने उसे मुंह खोलकर हंसते हुए देखा था।
ये सब देखकर अंकिता ने डर के मारे आंखें नीचे झुका लीं। कांपते हुए किसी तरह से अंकिता ने चाय दोबारा पीना शुरू ही किया थी कि उसी वक्त जोर-जोर से किसी के चिल्लाने की आवाज जंगल की ओर से आई। ढाबे में बैठे हुए सभी बच्चे और टीचर उस आवाज को सुनकर डर गए। सबको डरा हुआ देखकर उस बूढ़े इंसान ने कहा कि मैं देखकर आता हूं क्या हुआ है। आप लोग यहीं बैठे रहो। इतना कहकर वो आवाज की तरफ बढ़ गया।
तभी एक लड़की को खून की उल्टी लगातार होने लगी। उसको देखकर सबकी हालत और खराब हो गई। उसी समय एक टीचर ने कहा कि तुम सब आग जलाओ और उसके बगल में बैठ जाओ। सबने मिलकर आग जलाई और गोल घेरा करके बैठ गए। टीचर ने सख्त लहजे में सबसे कह दिया कि अकेले कोई कहीं नहीं जाएगा। वैसे भी सब इतना डरे हुए थे कि अकेले कहीं जाने की हिम्मत हो नहीं रही थी।
आग के पास बैठे-बैठे तीन बज गए। तब कहीं जाकर वो बूढ़ा इंसान जंगल से लौटकर आया। उसने सबकी तरफ देखा और कहा कि उस चीख को सब भूल जाना, नहीं तो जीना मुश्किल हो जाएगा। इतना कहकर वो ढाबे के अंदर चला गया गया। तभी ड्राइवर भी टायर बदलकर बस लेकर ढाबे के पास पहुंचा। सभी लोग भगवान का नाम लेते हुए उस बस में बैठ गए।
टीचर ने बस में बैठते ही सबको कहा कि कोई एक दूसरे से बात नहीं करेगा। सीधे सब सो जाओ। टीचर की बात मानकर सब चुपचाप बस में ही सो गए। उसके बाद पिकनिक स्पॉट पर पहुंचे और करीब एक हफ्ते बाद घूमकर आ गए। पिकनिक में किसी ने दूसरे बस के बच्चों से उस रात के बारे में कुछ नहीं कहा, क्योंकि टीचर ने मना किया। लेकिन, पिकनिक से लौटते ही सबने अपने दोस्तों और दूसरी क्लास वालों को इस भूतिया घटना के बारे में बताया।
आज पिकनिक का नाम सुनते ही यही भूतिया ढाबे की कहानी अंकिता के मन में आ गई और बच्चों को पिकनिक भेजने से उसे डर लगने लगा।
कहानी से सीख : बीती घटनाओं को भूल जाना ही अच्छा है, नहीं तो जीवन भर वो घटना डराती रहती है।