भूत की कहानी : भूतिया पेड़ | Bhootiya Ped Story In Hindi
June 17, 2024 द्वारा लिखित Sweta Shrivastava
रोनक पुर नाम के एक शहर में राजा रोनकसिंह का राज हुआ करता था। वो हमेशा अपनी प्रजा के हित में कार्य किया करते थे। वहां की प्रजा बहुत खुश रहती थी। एक दिन गिद्ध आकाश में भूतिया पेड़ के बीज लेकर उड़ रहा था। जैसे ही गिद्ध रोनक पुर पहुंचा, तो उसके मुंह से एकदम बीज रोनकपुर के बीचों-बीच गिर गया।
बीज भूतिया था, इसलिए अगले ही दिन वो पौधा बन गया। वहां के स्थानिय निवासियों ने जब पौधे को देखा तो हैरान रह गए, क्योंकि पौधे का रंग काला था। बाद में लोगों ने आपस में चर्चा की और यह समझा कि खेत में उगने वाला कोई घास-पात या वनस्पति होगी। दूसरे दिन वो पौधा काफी बड़ा हो गया। लोगों को और ज्यादा दुविधा हुई कि एक ही दिन में ये पौधा इतना बड़ा कैसे हो गया।
होते-होते वो पौधा तीसरे दिन पेड़ बन गया। समय बिता और लोग भी तेजी से बढ़ने वाले पौधे के बारे में सोच-सोचकर परेशान हो रहे थे। वो इस मामले को राजा के पास लेकर गए। ऐसे जादुई पौधे का पचा चलते ही राजा तुरंत उस जगह पर पहुंच गए। राजा को जैसे ही पता चला कि एक काले रंग का पौधा तीन दिन में पेड़ बना है, तो वो भी उस पेड़ को हैरानी से देखने लगे।
राजा उस पेड़ के पास चौथे दिन पहुंचे थे और तब तक पेड़ और बड़ा हो चुका था। वो इतनी तेजी से फैला था कि किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था। राजा समझ गए थे कि का रंग काला है, इसमें जरूर कुछ जादू-टोना होगा। इसी सोच के साथ राजा ने घोषणा कर दी कि जो भी इस पेड़ को खत्म करेगा, उसे वो ईनाम के तौर पर एक हजार सोने के सिक्के देंगे। यही नहीं, राजा ने यहां तक कहा कि पेड़ को खत्म करने वाला व्यक्ति मेरी मृत्यु के बाद मेरी राजगद्दी पाने का हकदार भी बनेगा।
इतनी बड़ी घोषणा सुनने के बाद हर कोई पेड़ खत्म करने के लिए अपना दिमाग लगाने लगा। राजा के सारे चतुर मंत्रियों ने भी तरकीब लगाई, लेकिन पेड़ को कोई भी नष्ट नहीं कर पाया। किसी ने पेड़ के आसपास आग लगवाई तो एक मंत्री ने उस भूतिया पेड़ को हाथियों तक से खिंचवाया, लेकिन पेड़ को कुछ भी न हुआ।
अब लोगों के मन में डर बैठ गया और उन्हें लगा कि पक्का यह ऐसा वैसा नहीं, बल्कि भूतिया पेड़ है। तभी उस गांव के एक समझदार व्यक्ति को राजा की घोषणा का पता लगा। जानकारी मिलते ही वह अपने गुरु के पास भूतिया पेड़ से जुड़े रहस्य को जानने के लिए पहुंच गया।
गुरु जी ने अपनी ध्यान की शक्ति को एकत्र करके देखा और उससे पूछा, “क्या तुम पेड़ को खत्म करना चाहते हो?”
समझदार व्यक्ति ने जवाब दिया, “हां, गुरु जी। सब उससे परेशान हैं।”
गुरु जी ने बताया कि उसे खत्म करने का एक ही तरीका है। इसके लिए तुम्हें उस पेड़ के आसपास नमक डालना होगा।
इस तरकीब के बारे में जानते ही वो व्यक्ति तेजी से राजा के पास गया और कहा कि इस पेड़ के आसपास आपको नमक डलवाना होगा। ऐसा करने पर ही यह पेड़ खत्म होगा। राजा ने अपने सैनिकों को ठीक ऐसा ही करने को कहा। सैनिकों ने मिलकर पेड़ के चारों ओर खूब सारा नमक डाल दिया।
नमक डालने के एक दिन बाद ही पेड़ का आकार कुछ कम हुआ। होते-होते पांचवें दिन तक पेड़ एकदम छोटा हो गया। उसके बाद गलकर वो गायब ही हो गया। उस व्यक्ति की तरकीब काम कर गई और राजा ने खुश होकर उसे ईनाम की एक हजार सोने की मोहर पहले दी। उसके बाद एक पत्र दिया, जिसमें लिखा था कि वो राजा के मरने के बाद उनकी गद्दी को संभालेगा। वो समझदार व्यक्ति खुश होकर अपने घर चला गया।
कहानी से सीख : ऐसी कोई मुसीबत नहीं होती, जिसका समाधान न किया जा सके, जरूरत है तो बस धैर्य और समझदारी की।