पंचतंत्र की कहानी: बोलने वाली गुफा | Bolnewali Gufa Panchtantra

June 17, 2024 द्वारा लिखित

बहुत पुरानी बात है, एक घने जंगल में बड़ा-सा शेर रहता था। उससे जंगल के सभी जानवर थर-थर कांपते थे। वह हर रोज जंगल के जानवरों का शिकार करता और अपना पेट भरता था।

एक दिन वह पूरा दिन जंगल में भटकता रहा, लेकिन उसे एक भी शिकार नहीं मिला। भटकते-भटकते शाम हो गई और भूख से उसकी हालत खराब हो चुकी थी। तभी उस शेर को एक गुफा दिखी। शेर ने सोचा कि क्यों न इस गुफा में बैठकर इसके मालिक का इंतजार किया जाए और जैसे ही वो आएगा, तो उसे मारकर वही अपनी भूख मिटा लेगा। यह सोचते ही शेर दौड़कर उस गुफा के अंदर जाकर बैठ गया।

वह गुफा एक सियार की थी, जो दोपहर में बाहर गया था। जब वह रात को अपनी गुफा में लौट रहा था, तो उसने गुफा के बाहर शेर के पंजों के निशान देखे। यह देखकर वह सतर्क हो गया। उसने जब ध्यान से निशानों को देखा, तो उसे समझ आया कि पंजे के निशान गुफा के अंदर जाने के हैं, लेकिन बाहर आने के नहीं हैं। अब उसे इस बात का विश्वास हो गया कि शेर गुफा के अंदर ही बैठा हुआ है।

फिर भी इस बात की पुष्टि करने के लिए सियार ने एक तरकीब निकाली। उसने गुफा के बाहर से ही आवाज लगाई, “अरी ओ गुफा! क्या बात है, आज तुमने मुझे आवाज नहीं लगाई। रोज तुम पुकारकर बुलाती हो, लेकिन आज बड़ी चुप हो। ऐसा क्या हुआ है?”

अंदर बैठे शेर ने सोचा, “हो सकता है यह गुफा रोज आवाज लगाकर इस सियार को बुलाती हो, लेकिन आज मेरे वजह से बोल नहीं रही है। कोई बात नहीं, आज मैं ही इसे पुकारता हूं।” यह सोचकर शेर ने जोर से आवाज लगाई, “आ जाओ मेरे प्रिय मित्र सियार। अंदर आ जाओ।”

इस आवाज को सुनते ही सियार को पता चल गया कि शेर अंदर ही बैठा है। वो तेजी से अपनी जान बचाकर वहां से भाग गया।

कहानी से सीख :

मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में भी बुद्धि से काम लिया जाए, तो उसका हल निकल सकता है।

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