ज्ञानी बालक और राजा की कहानी | Budhiman Balak Aur Raja
June 17, 2024 द्वारा लिखित Sweta Shrivastava
कई वर्षों पहले की बात है। युधिष्ठिर नाम का एक राजा हुआ करता था। उसे शिकार का बड़ा शौक था। एक बार वह अपने सैनिकों के साथ शिकार के लिए जंगल गया हुआ था। वो जंगल काफी घना था। शिकार की तलाश में वह जंगल में काफी अंदर तक चला गया था। तभी वहां अचानक तेज तूफान आ गया। सब तितर-बितर हो गए। जब बारिश रुकी तो राजा ने देखा कि उसके आस-पास कोई भी नहीं है। राजा अकेला था। उसके सैनिक उससे बिछड़ गए थे।
शिकार की तलाश में भटकने की वजह से राजा थक भी गया था। भूख और प्यास के मारे उसका बुरा हाल हो रहा था। तभी उसे तीन लड़के आते दिखे। राजा उनके पास गया और बोला कि भूख और प्यास के मारे मेरी जान निकल रही है। क्या मुझे कुछ खाना और पानी मिल सकता है। लड़कों ने बोला क्यों नहीं और वे भागकर अपने घर गए और राजा के लिए भोजन और पानी लेकर आए। खाना खाने के बाद राजा बहुत खुश हुआ और उसने उन लड़कों को बताया कि वह फतेहगढ़ का राजा है और तीनों ने जो उसकी मदद की उससे वह बहुत खुश है।
राजा ने तीनों लड़कों की सेवा से खुश होकर उन्हें बदले में कुछ मांगने के लिए कहा। इसपर पहले लड़के ने राजा से ढ़ेर सारा धन मांगा, ताकि वह आराम से अपना जीवन व्यतीत कर सके। इसके बाद, दूसरे लड़के ने घोड़ा और बंगले की मांग की, लेकिन तीसरे लड़के ने राजा से धन, दौलत की जगह ज्ञान मांगा। उसने बोला राजा मैं पढ़ना चाहता हूं। राजा राजी हो गया। उसने पहले लड़के को वादानुसार बहुत सारा धन दिया। दूसरे लड़के को बंगला और गोड़ा दिया और तीसरे लड़के के लिए टीचर की व्यवस्था कर दी।
बहुत दिन बीतने के बाद एक दिन अचानक राजा को जंगल वाली घटना याद आई, तो उसने उन तीनों लड़कों से मिलना चाहा। उसने तीनों को खाने पर आमंत्रित किया। तीनों लड़के एक साथ आए और खाना खाने के बाद राजा ने तीनों से उनका हाल लिया।
इस पर पहला लड़का दुखी होकर बोला- इतना धन पाने के बाद भी आज मैं गरीब हूं। राजा जी आपने जितना धन दिया था अब वह खत्म हो चुका है। मेरे पास कुछ नहीं बचा।
राजा ने दूसरे लड़के की तरफ देखा तो उसने कहा- आपके द्वारा दिया गया गोड़ा चोरी हो गया और बंगला बेचकर जो पैसा आया वो भी कुछ खर्च हो चुका है और बचा हुआ भी जल्द खत्म हो जएगा। हम तो फिर वहीं आ गए, जहां से चले थे।
अब राजा ने तीसरे लड़के की ओर देखा। तीसरे लड़के ने बोला- राजा मैंने आपसे ज्ञान मांगा था, जो रोजाना बढ़ रहा है। इसी का नतीजा है कि मैं आज आपके दरबार में मंत्री हूं। आज मुझे किसी चीज की जरूरत नहीं है। यह सुनकर दोनों युवकों को काफी अपसोस हुआ।
कहानी से सीख : इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि ज्ञान ही सबसे बड़ी पूंजी है।