कबूतर और बहेलिया की कहानी | Kabutar Aur Shikari Ki Kahani

June 17, 2024 द्वारा लिखित

पुराने समय की बात है, एक जंगल में बहुत बड़ा बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर बहुत सारे कबूतर रहते थे। वो जंगल में घूम-घूमकर भोजन की तलाश करते और अपना पेट भरते थे। उन सभी कबूतरों में एक बूढ़ा कबूतर भी था। बूढ़ा कबूतर बहुत ही समझदार था। इसलिए, सभी कबूतर उसकी बात माना करते थे।

एक दिन उस जंगल में कहीं से घूमता हुआ एक बहेलिया आया। उसकी नजर उन कबूतरों पर पड़ी। कबूतरों को देखकर उसकी आंखों में चमक आ गई और उसने अपने मन में कुछ सोचा, और वहां से चला गया, लेकिन बूढ़े कबूतर ने उस बहेलिए को देख लिया था।

दूसरे दिन भरी दोपहर में सभी कबूतर पेड़ पर आराम कर रहे थे। उस दिन वह बहेलिया फिर आया और उसने देखा कि गर्मी की वजह से सभी कबूतर पेड़ पर आराम कर रहे हैं। उसने बरगद के नीचे जाल बिछा कर उस पर कुछ दाने बिखेर दिए और दूसरे पेड़ के पीछे छुप गया।

कबूतरों में से एक कबूतर की नजर उन दानों पर पड़ी। दानों को देखते ही उसने सभी कबूतरों से कहा कि- देखो भाइयों‌‌‌! आज तो किस्मत ही खुल गई। हमें आज भोजन की तलाश में कहीं जाना नहीं पड़ा, उल्टा भोजन ही हमारे पास आ गया। चलो चलकर मजे से भोजन करते हैं।

गर्मी से बेहाल और भूख से परेशान कबूतर जैसे ही नीचे उतरने लगे, बूढ़े कबूतर ने उन्हें रोका, लेकिन किसी ने भी उसकी बात नहीं मानी और नीचे जाकर दाना चुगने लगे।

बूढ़े कबूतर की नजर अचानक पेड़ के पीछे छिपे बहेलिया पर गई और उसे माजरा समझते देर नहीं लगी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। दाना चुग कर कबूतर उड़ने की कोशिश करने लगे, लेकिन सभी जाल में फंस चुके थे। कबूतर उड़ने की जितनी कोशिश करते उतने ही जाल में उलझ जाते।

कबूतरों को जाल में फंसा देखकर, बहेलिया पेड़ के पीछे से निकल आया और उनको पकड़ने के लिए उनकी ओर बढ़ा। यह देखकर सभी कबूतर डर गए और बूढ़े कबूतर से मदद की गुहार करने लगे।

तब बूढ़ा कबूतर कुछ सोचने लगा और बोला कि जब मैं कहूं तब सभी एक साथ उड़ने की कोशिक करेंगे और उड़कर सभी मेरे पीछे चलेंगे। कबूतर कहने लगे कि हम जाल में फंसे हैं, कैसे उड़ पाएंगे। इस पर बूढ़े कबूतर ने कहा कि सभी एक साथ कोशिश करेंगे, तो उड़ पाएंगे।

सभी ने उसकी बात मानी और उसके कहने पर सभी एक साथ उड़ने की कोशिश करने लगे। उनके इस प्रयास से वो जाल सहित उड़ गए और बूढ़े कबूतर के पीछे-पीछे उड़ने लगे।

कबूतरों को जाल सहित उड़ता देख बहेलिया हैरान रह गया, क्योंकि उसने पहली बार कबूतरों को जाल लेकर उड़ते देखा था। वह कबूतरों के पीछे पीछे भागा, लेकिन कबूतर नदी और पर्वतों को पार करते हुए निकल गए। इससे बहेलिया उनका पीछा नहीं कर पाया।

इधर बूढ़ा कबूतर जाल में फंसे कबूतरों को एक पहाड़ी पर ले गया, जहां उसका एक चूहा मित्र रहता था। बूढ़े कबूतर को आता देख उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, लेकिन जब बूढ़े कबूतर ने सारा किस्सा सुनाया, तो उसे दुख भी हुआ। उसने कहा कि मित्र चिंता मत करो, मैं अभी अपने दांतों से जाल को काट देता हूं।

उसने अपने दांतों से जाल को काट कर सभी कबूतरों को आजाद कर दिया। कबूतरों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सभी ने चूहे को धन्यवाद दिया और बूढ़े कबूतर से क्षमा मांगी।

कहानी से सीख

इस कहानी से यह सीख मिलती है कि एकता में ही ताकत होती है और हमें हमेशा बड़ों की बात माननी चाहिए।

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